Class 12th Geography ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर ) ( 15 Marks ) PART- 3

 


21. “परिवहन के सभी साधन एक-दूसरे के पूरक होते हैं।” विवेचना करें। (“All means of transportation are complementary.” Explain.)

उत्तर – परिवहन एक ऐसा तंत्र है, जिसमें यात्रियों और माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया और ले जाया जाता है। परिवहन के मुख्य साधन स्थल, जल और वायु हैं। स्थल परिवहन के अन्तर्गत सड़क, रेलवे और पाइप लाइन, जल परिवहन के अन्तर्गत अन्त:स्थलीय, सागरीय और महासागरीय मार्ग तथा वायु परिवहन के अन्तर्गत राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय वायु परिवहन आते हैं। ये सभी मार्ग हर जगह नहीं विकसित किये जा सकते हैं। जल परिवहन नहर, नदी, सागर और महासागर तक सीमित रहते हैं। रेल परिवहन का विकास मुख्यतः समतल स्थलीय भागों में होता है और अधिक ऊँचाई पर इन्हें विकसित नहीं किया जा सकता है। इन सभी साधनों के विपरीत सड़क परिवहन का विकास मैदानी, उबड़-खाबड़ और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी हो सकता है। रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा तथा नदी और समुद्री बंदरगाह तक पहुँचने के लिए सड़क का सहारा लेना पड़ता है। लम्बी दूरी तय करने के लिए रेलवे और शीघ्र लम्बी दूरी तय करने के लिए वायु परिवहन उपयुक्त हैं। भारी पदार्थ का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः समुद्री मार्गों द्वारा होता है। इन सभी साधनों तक पहुँचने के लिए एक दूसरे साधन का प्रयोग करना पड़ता है। इस प्रकार एक संबंधित परिवहन प्रणाली में परिवहन के सभी साधन एक दूसरे के पूरक होते हैं।


22. भारत के आर्थिक विकास में रेलवे की भूमिका की विवेचना कीजिए। (Discuss the role of railways in the economic development of India.)

उत्तर- भारतीय रेल मार्ग एशिया में प्रथम स्थान रखता है। इसका देश के आर्थिक विकार में बड़ा योगदान है। रेलवे ने कृषि और उद्योगों के विकास की गति को तेज करने में योगदान दिया है। रेल यात्रियों की भारी संख्या को दूरदराज के स्थानों तक ले जाती है तथा रेलें भारी मात्र में माल की ढुलाई करती हैं। औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों के विकास में रेल परिवहन की मांग में अधिक वृद्धि हुई है। यह निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट है—

(i) कोयला रेलों द्वारा सबसे अधिक ढोया जाता है। 2001-2002 में रेल द्वारा 230 करो टन कोयला ढोया गया है।
(ii) लौह अयस्क, मैंगनीज, चूना पत्थर आदि की ढुलाई औद्योगिक इकाइयों के लिए की गई है।
(iii) रेलवे उर्वरक, मशीन आदि को कृषि कार्य के लिए पहुँचाती रहती है।
(iv) रेलवे तैयार माल को बाजारों तक पहुँचाती हैं।
(v) विदेशों से आयात किये गये माल को देश के आंतरिक भागों तक पहुँचाती हैं।
(vi) रेलों द्वारा श्रमिक एक स्थाने से दूसरे स्थान को रोजगार के लिए जाते हैं।


23. पाइपलाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें। (Discuss the advantages and disadvantages of pipeline transportation.)

उत्तर- तरल पदार्थों और गैसों की लंबी दूरी के परिवहन के लिए पाइप लाइन परिवहन क सबसे सुविधाजनक साधन है। नगरों में जल आपूर्ति के लिए पाइप लाइनों का उपयोग काफी समय से हो रहा है, लेकिन पेट्रोलियम एवं इसके उत्पादों का पाइपलाइनों द्वारा परिवहन एक अपेक्षाकृत नया विचार है। इनके द्वारा ठोस पदार्थों, यथा लोहा को भी गाद या गारा में बदलकर परिवहन होता है ।

पाइपलाइन परिवहन से निम्नलिखित लाभ हैं –
(i) पाइपलाइन उबड़-खाबड़ भूमि और पानी के नीचे भी बिछाई जा सकती है।
(ii) इनके संचालन और रख-रखाव की लागत कम होती है।
(iii) इसमें ऊर्जा की बचत होती है। केवल कुछ स्थानों पर पंपिंग में ही कुछ ऊर्जा की खपत होती है, जो नगण्य है।
(iv) माल उतारने और लादने का झंझट नहीं होता है। अतः समय की बचत होती है।
(v) तेल का प्रवाह निरंतर बना रहता है। ट्रकों और रेलों की तरह माल को लेट पहुँचने की संभावना नहीं रहती है।
(vi) इसमें प्रदूषण का खतरा नहीं होता है। यह पर्यावरण हितैषी है।

पाइपलाइन परिवहन की कुछ हानियाँ भी हैं, जैसे-

(i) इसमें लोच नहीं है। एक बार बिछाने के बाद इसकी क्षमता में वृद्धि नहीं हो सकती है।
(ii) इसकी सुरक्षा कठिन है।
(iii) भूमिगत पाइपलाइन की मरम्मत में कठिनाई होती है।
(iv) पाइप लाइन के टूट जाने पर पेट्रोलियम बह जाता है, कभी कभी इसमें आग लग जाती है और पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है।


24. आंतरिक प्रवास से आप क्या समझते हैं ? (What do you mean by internal migration ?)

उत्तर- अपने ही देश में एक गाँव से दूसरे गाँव या शहर या महानगरों में जाना आंतरिक प्रवास कहलाता है। गाँव से मजदूरी के लिए शहरों में तथा कृषि समुन्नत क्षेत्रों में मजदूरों और किसानों का जाना इसके उदाहरण है। कभी-कभी विषम परिस्थितियों में कुछ समय के लिए समीपवर्ती क्षेत्र में प्रवास भी इसके अंतर्गत आते हैं। जाड़े के दिनों में हिमालय क्षेत्र के लोग कुछ महीनों के लिए निचले भागों में चले जाते हैं। गर्मी में पुन: अपने गाँव आकर जीवन यापन करते हैं।
यो तो आंतरिक प्रवास मूलतः आजीविका की खोज तथा जीवन के बेहतर अवसर के कारण होता है। किंतु, गाँव में कृषि भूमि की कमी, बेरोजगारी या अर्द्ध बेरोजगारी तथा सुविधाओं की कमी और नगरों में सुविधाओं और सेवाओं की अधिकता, रोजगार के अवसर, उच्च शिक्षा तथा . उच्च जीवन स्तर के कारण गाँवों से नगरों की ओर प्रवास होता है।
आंतरिक प्रवास के अंतर्गत चार धाराओं की पहचान की गई है—(i) ग्रामीण से ग्रामीण, (ii) ग्रामीण से नगरीय, (iii) नगरीय से नगरीय और (iv) नगरीय से ग्रामीण।
आंतरिक प्रवास दो रूपों में होता है—अन्त:राज्यीय और अन्तरराज्यीय। अन्तःराज्यी प्रवास एक राज्य या प्रांत के भीतर ही होता है, जबकि अंतरराज्यीय प्रवास एक राज्य से दूसरे राज्य की ओर होता है। यह उल्लेखनीय है कि अन्तः राज्यीय और अन्तर राज्यीय दोनों प्रवास में गाँव से गाँव की ओर अधिकतर महिलाओं का प्रवास शादी के कारण होता है। गाँव से नगरों की ओर रोजगार के कारण पुरुष प्रवास अधिक होता है।


25. ग्रामीण अधिवासों का वर्गीकरण प्रस्तुत करें। (Classify rural settlement.)

उत्तर- विरल रूप से अवस्थित छोटी बस्तियाँ, जो कृषि अथवा अन्य प्राथमिक क्रियाकलापों में विशिष्टता प्राप्त कर लेती है, ग्रामीण बस्ती कहलाती हैं । निर्मित क्षेत्र के विस्तार, मकानों की संख्या और उनके बीच की पारस्परिक दूरी के आधार पर ग्रामीण बस्तियाँ चार प्रकार की होती . हैं, यथा (i) गुच्छित बस्तियाँ, (ii) अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ, (iii) पल्ली बस्तियाँ और (iv) परिक्षिप्त बस्तियाँ।

(i) गुच्छित बस्तियाँ (Clustered Settelements) — ऐसी बस्तियों को संकेन्द्रित (concentrated), पुंजित (clustered), अवकेन्द्रित (nucleated) और संकुलित (Agglomerated) बस्ती भी कहा जाता है। इस प्रकार की बस्तियों घरों के संहत खंड पाये जाते हैं और घरों को सँकरी तथा टेढ़ी-मेढ़ी गलियाँ पृथक करती हैं।

(ii) अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ (Semi-clustered Settelements)—इसे विखडित बस्ती (Frag Mented settlement) भी कहा जाता है। इसमें मकान एक दूसरे से अलग, लेकिन एक ही बस्ती में होते हैं। बस्ती कई खंडों में विभाजित रहती है। किन्तु उनका नाम एक ही होता है।

(iii) पल्ली बस्तियाँ (hamleted settlements) – यह मध्यम आकार की बस्तियाँ हैं जिनमें एक बड़े गाँव से थोड़ी दूरी पर बसी छोटी-सी एक या अधिक बस्ती होती है। इन छोटी बस्तियों को पुरवा, पान्ना, पाड़ा, पल्ली, नगला इत्यादि कहा जाता है।

(iv) परिक्षिप्त बस्तियाँ (Dispersed settlements)—इन्हें बिखरी हुई (scattered, sprinkled) या एकाकी (Isolated) बस्ती भी कहते हैं। भारत में ऐसी बस्ती सुदूर जंगलों में एकाकी झोपड़ियों अथवा कुछ झोपड़ियों की पल्ली अथवा छोटी पहाड़ियों की ढालों पर खेतों और चारागाहों के रूप में पायी जाती है।


26. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्या है? इससे देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं ? (What is international trade ? How do nations gain from it ?)

उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को कहते हैं। राष्ट्रों को व्यापार करने की आवश्यकता उन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए होती है, जिन्हें या तो वे स्वयं उत्पादित नहीं कर सकते या जिन्हें वे अन्य स्थान से कम दाम में खरीद सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण तथा आवश्यकता से अधिक उत्पादन का परिणाम है। किसी भी सामग्री का अधिक मात्रा में उत्पादन ही यह सुनिश्चित करता है कि वह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सम्मिलित किया जाएगा। इस प्रकार आयात और निर्यात अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के दो पहलू हैं, और आयातक और निर्यातक देश एक दूसरे के पूरक होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार हैं प्राकृतिक संसाधनों में असमानता, आवश्यकता से अधिक उत्पादन, वस्तुओं की कमी, परिवहन और संचार का विकास, प्रौद्योगिकी में असमानता, सांस्कृतिक विशिष्टता, व्यापारिक नीतियाँ, शान्ति और राजनीतिक स्थिरता, राजनीतिक संबंध और आर्थिक माँग। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधारित होता है और सिद्धान्ततः यह व्यापारिक भागीदारों को समान रूप से लाभदायक होना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों को निम्न लाभ पहुंचते हैं –
(i) देश उन वस्तुओं का आयात कर सकते हैं जिनका उनके यहाँ उत्पादन नहीं होता तथा . सस्ते मूल्य पर खरीदा जा सकता है।
(ii) देश अपने यहाँ अतिरिक्त उत्पादन को उचित मूल्य पर अन्य देशों को बेच सकते है जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी।
(iii) देश अपने विशिष्ट उत्पादन का निर्यात कर सकते हैं, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार आता है।
(iv) आधुनिक युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अंतर्गत प्रौद्योगिक ज्ञान तथा अन्य बौद्धिक सेवाओं का भी आदान-प्रदान किया जाता है, जिससे दोनों देशों को लाभ पहुंचता है।
(v) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों के बीच आपसी सहयोग और भाईचारा बढ़ता है।


27. भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए। (Discuss the causes of international migration in India.)

उत्तर- भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास दो प्रकार के हुए हैं—(i) उत्प्रवास (Emigration), जिसके अंतर्गत भारत के अनेक लोग विदेशों में जाकर बस गये हैं, और (ii) आप्रवास (Immigration), जिसके अंतर्गत विदेशों से अनेक लोग भारत में आकर बस गये हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में अन्य देशों से 50 लाख व्यक्तियों का आप्रवास हुआ है, जिनमें 59.8% बांग्लादेश से, 19.3% पाकिस्तान से और 11.6% नेपाल से आये हैं। जहाँ तक भारत से उत्प्रवास का प्रश्न है, ऐसा अनुमान है कि भारतीय प्रसार (Indian Diaspora) के लगभग 2 करोड़ लोग हैं, जो 110 देशों में फैले हुए हैं।

भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के मुख्यतः निम्नलिखित कारण हैं-

(i) आर्थिक कारण (Economic Factors)- आर्थिक अवसरों की तलाश में एक ओर भारत से व्यवसायी, शिल्पी, फैक्ट्री मजदूर थाइलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया इत्यादि देशों में, अर्द्धकुशल और कुशल श्रमिक प० एशिया के पेट्रोल उत्पादक देशों में तथा डॉक्टर, अभियंता, प्रबंध परामर्शदाता इत्यादि संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम इत्यादि देशों में गये तो दूसरी ओर नेपाल, तिब्बत इत्यादि देशों से लोग रोजगार के लिए भारत आये।

(ii) सामाजिक-राजनैतिक कारण (Socio-political Factors) उपनिवेश काल में अंग्रेजों, फ्रांसीसियों, जर्मनों, डच और पुर्तगालियों द्वारा उत्तरप्रदेश और बिहार से लाखों श्रमिकों को रोपण कृषि के लिए अनेक अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में भेजा गया। इन मजदूरों की दशाएँ दासों से बेहतर नहीं थी। आज भी उदारीकरण के पश्चात 90 के दशक में शिक्षा और ज्ञान आधारित भारतीय उत्प्रवासियों ने भारतीय प्रसार को विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली प्रसार में से एक बना दिया है। इसके विपरीत, प्राचीन नालन्दा, विक्रमशिला इत्यादि में शिक्षा प्राप्त करने के लिए लाखों दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश के लोग भारत आये। भारत-पाक विभाजन, बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम, तिब्बत विवाद इत्यादि ने भी लाखों शरणार्थियों को भारत आने को मजबूर कर दिया। इस प्रकार सामाजिक-राजनैतिक कारणों से भारत में अंतर्राष्ट्रीय आप्रवास और उत्प्रवास दोनों हुआ है।


28. कार्यों के आधार पर शहरों का वर्गीकरण करें। (Give functional classification of towns.) ।

उत्तर- कार्य नगरों के उदय और विकास का आधार है। प्रत्येक नगर या शहर अनेक प्रकार के कार्य करता है और विशेषीकृत सेवाओं का निष्पादन करता है। कुछ नगरों को कुछ निश्चित कार्यों में विशिष्टता प्राप्त होती है और उन्हें कुछ विशिष्ट क्रियाओं, उत्पादनों या सेवाओं के लिए जाना जाता है। प्रमुख अथवा विशेषीकृत कार्यों के आधार पर नगरों को मोटे तौर पर निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जाता है—

(i) प्रशासनिक नगर और शहर – उच्चतर स्तर के प्रशासनिक मुख्यालयों वाले शहरों को प्रशासनिक नगर कहते हैं। जैसे—नई दिल्ली, चंडीगढ़, गांधीनगर, गुवाहाटी इत्यादि।

(ii) औद्योगिक नगर- जिन नगरों में औद्योगिक कार्य की प्रधानता है, उन्हें औद्योगिक नगर कहते हैं। जैसे—जमशेदपुर, मुंबई, कोयंबटूर आदि।

(iii) परिवहन नगर- परिवहन कार्य की प्रधानता वाले रेलवे या सड़क जंक्शन, पत्तन इत्यादि परिवहन नगर कहलाते हैं। जैसे—कांडला, मुगलसराय आदि।
(iv) व्यापारिक नगर- व्यापार और वाणिज्य में विशिष्टता प्राप्त नगर इस कोटि में आते हैं, जैसे—कोलकाता, सहारनपुर, सतना इत्यादि।

(v) खनन नगर- खनन क्षेत्रों में विकसित रानीगंज, झरिया, डिगबोई इत्यादि इस वर्ग में आते हैं।

(vi) गैरिसन (छावनी नगर- फौजी छावनी के रूप में विकसित अंबाला, उधमपुर, दानापुर इत्यादि इस प्रकार के नगर हैं।

(vii) धार्मिक और सांस्कृतिक नगर- धार्मिक या सांस्कृतिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध वाराणसी, मथुरा, हरिद्वार इत्यादि इस वर्ग के नगर हैं।
(viii)शैक्षणिक नगर- शिक्षा केंद्रों के रूप में विकसित अलीगढ, वाराणसी, ऑक्सफोर्ड इत्यादि शैक्षणिक नगर हैं।

(ix) पर्यटन नगर- नैनीताल, मसूरी, शिमला, ऊटी इत्यादि पर्यटन के लिए मशहूर हैं।


29. ग्रामीण अधिवास के प्रतिरूप का वर्णन करें। (Describe the pattern of rural settlement.)

उत्तर- बस्तियों के प्रारूप (Pattern of settlement) से तात्पर्य है बस्तियों का आकार (shape)। इस आधार पर बस्तियों के कई प्रारूप होते हैं, यथा (i) रैखिक (linear), वृत्ताकार (circular), आयताकार (rectangular), तारक (starlike), पंखाकार (fanlike), सीढीनुमा (terraced). त्रिभुजाकार (triangular) इत्यादि। इन्हें विभिन्न भौतिक, सांस्कृतिक, नृजातीय, सुरक्षा और प्रौद्योगिकी कारक प्रभावित करते हैं। भौतिक कारकों में उच्चावच, जलस्रोत (तालाब, नदी इत्यादि), जलवायु इत्यादि मुख्य हैं। समतल मैदानी क्षेत्र में आयताकार और पर्वतीय ढालों पर सीढ़ीनुमा प्रतिरूप पाया जाता है। मरुस्थलीय क्षेत्र में बालू से भरी आँधी से बचने के लिए चौकोर बस्ती बनायी जाती है और मकानों के दरवाजे बीच में खुले रहते हैं। नदी के किनारे रैखिक और दो नदियों के संगम पर त्रिभुजाकार बस्ती विकसित होती है। तालाब के चारों ओर वृत्ताकार अधिवास बनता है। पर्वतपदीय क्षेत्र में पंखाकार बस्ती बनती है। प्रायद्वीप के छोर पर तारक बस्ती का निर्माण होता है।


30. विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों की समस्याओं की विवेचना कीजिए। (Discuss the problems of urban settlements in developing countries.)

उत्तर- नगरीकरण सामाजिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण मापदंड है और नगरों को आर्थिक विकास का इंजन कहा जाता है। औद्योगीकरण से नगरीकरण तथा नगरीकरण से आधुनिकीकरण एक निरंतर प्रक्रिया है। लेकिन नगरीकरण और आर्थिक विकास के बीच समन्वय अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त नगरीकरण नियोजित होना चाहिए। किन्तु विकासशील देशों में नगरीय जनसंख्या की तीव्र वृद्धि और इसके अनियोजित विकास ने सुविधाओं के साथ-साथ समस्याओं को भी जन्म दिया है। मुख्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं –

(i) ग्रामीण-नगरीय प्रवास और बेरोजगारी
(ii) अधिक घनत्त्व
(iii) अत्यधिक तंग मकान और गंदी बस्तियाँ
(iv) नागरिक सुविधाओं और सेवाओं की कमी
(v) मकान की समस्या
(vi) यातायात संबंधी समस्या
(vii) सामाजिक तनाव
(viii) असन्तुलित लिंग अनुपात
(ix) भूमि की अधिक कीमत
(x) कृषि भूमि का अतिक्रमण
(xi) नगरीय गरीबी


S.N  Geography लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर ( 20 Marks )
1. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1
2. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 2
3. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 3
4. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 4
5. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 5
6. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 6
7. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 7
8. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 8
S.N Geography ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर ) ( 15 Marks )
1. Geography ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1
2.  Geography ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 2
3.  Geography ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 3
4.  Geography ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 4
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