SOCIOLOGY

Class 12th Sociology ( समाज-शास्त्र ) ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 3


Q. 61. दबाव समूह से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ दबाव समूह शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1928 में पीटर ओडीगार्ड ने अपनी पुस्तक ‘दबाव की राजनीति’ में किया था। 20वीं शताब्दी के पाँचवें दशक के पश्चात् दबाव समूह, दबाव की राजनीति तथा हित समूह जैसे शब्दों का निरंतर प्रयोग होता रहा है। दबाव समूह एक औपचारिक संरचना है जो अनेक समूहों से निरंतर सम्पर्क बनाये रखता है। इसके कई लक्षण राजनीतिक दलों से मिलते हैं, लेकिन यह प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक प्रक्रियाओं, चुनाव आदि में भाग नहीं लेता, बल्कि परोक्ष रूप से सत्ता को प्रभावित करने का प्रयास करता है।


Q. 62. भारत में नगरीकरण की प्रमुख प्रवृत्ति की चर्चा करें। अथवा, नगरीकरण से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत ग्रामीण लोग शहर की ओर प्रवास करते हैं और नगरों के प्रभाव में उनके ग्रामीण जीवन के तौर-तरीकों में परिवर्तन आता है।

भारत में नगरीकरण की प्रवृत्तियाँ –

1. नगरीकरण एक दोहरी प्रक्रिया है। एक ओर यह प्रक्रिया ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे एवं बड़े नगरों में विस्तार होने की दशा को स्पष्ट करती है तो दूसरी ओर इसका संबंध नगरीय जीवन शैली की दशा से है।

2. इस प्रक्रिया के अंतर्गत कृषि एवं ग्रामीण उद्योग धंधों की जगह नगरीय व्यवसायों का महत्त्व बढ़ने लगा है।

3. नगरीकरण के अंतर्गत व्यक्तियों एवं समूहों के बीच व्यक्तिगत स्वार्थों पर आधारित सम्बन्धों में वृद्धि होने लगती है।


Q. 63. जातिवाद सामाजिक एकता में बाधक है। कैसे ? . अथवा, जातिवाद प्रजातंत्र के विकास में बाधक है। कैसे ?

Ans ⇒ प्रजातंत्र एक ऐसी प्रणाली है जिसमें संवैधानिक रूप से सभी व्यक्तियों को सभी व्यक्तियों को समान अधिकार देकर उन्हें अपने व्यक्तित्व का विकास करने के अवसर प्रदान किये जाते हैं। इसमें व्यक्ति की जाति, धर्म, आर्थिक स्थिति तथा परिवार को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता है, बल्कि राज्य की दृष्टि में सभी का महत्त्व समान है।
दूसरी ओर जातिवाद एक जाति के व्यक्तियों की वह भावना है जो देश या समाज के हितों का ध्यान न रखते हुए व्यक्ति को केवल अपनी ही जाति के उत्थान, जातीय एकता और जाति की सामाजिक स्थिति को सदढ करने के लिए प्रेरित करती है।
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि जातिवाद तथा प्रजातंत्र मौलिक रूप से एक-दूसरे की विरोधी व्यवस्थाएँ है जिसके फलस्वरूप हमारी प्रजातांत्रिक प्रणाली के सामने एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। साथ ही जातिवाद सामाजिक एकता में भी बाधक बन गया है।


Q. 64. मध्यमवर्ग किसे कहते हैं ?

Ans ⇒ भारतीय समाज की सामाजिक और आर्थिक संरचना में मध्यमवर्ग की भूमिका हमेशा बहुत महत्त्वपूर्ण रही है। इस वर्ग के अंतर्गत उन व्यापारियों, बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, वेतनभोगी कर्मचारियों, सामान्य अधिकारियों, मामूली व्यावसायिक समूहों, मध्यमस्तर वाले किसानों आदि को शामिल किया जाता है, जो अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समुचित आय प्राप्त कर लेते हैं। आय के अनुसार अपनी आवश्यकताओं को बढ़ाना या कम करना इस वर्ग की विशेषता है। अपने सीमित साधनों के बाद भी यह वर्ग सामाजिक रूप से सबसे अधिक जागरुक रहता है। इसी के द्वारा सामाजिक, नैतिक तथा राष्ट्रीय मूल्यों का संरक्षण होता है। भारत में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी इसी वर्ग की भूमिका सबसे अधिक प्रभावशाली सिद्ध हुई। परंपरागत रूप से इस वर्ग के व्यवहार अपने सांस्कृतिक नियमों से प्रभावित होते हैं।


Q. 65. दलित आन्दोलन से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ दलित आन्दोलन का संबंध अनुसूचित जातियों से है जिसका नेतृत्व ज्योतिबा फूले, तुकाराम, बाबा साहब अम्बेडकर और ई. वी. रामास्वामी पेरियर जैसे नेताओं ने किया। भक्ति आंदोलन ने अस्पृश्यता उन्मूलन में विशेष भूमिका निभाई। दयानन्द सरस्वती ने हिन्दू समाज को लोकतांत्रिक आधार प्रदान किया। स्वामी विवेकानन्द ने करुणा तथा भाईचारे का पैगाम दिया तथा दालता में आत्मविश्वास और आत्म सम्मान की भावना जगायी। महाराष्ट्र में ज्योतिबा फूले ने सत्य शोधक समाज की स्थापना की। हिन्दू समाज की दमनकारी नीतियों एवं ताकतों के खिलाफ संघर्ष किया।
बी० आर० अंबेडकर ने दलित आन्दोलन को अपने विचारों द्वारा आगे बढ़ाया। अम्बेडकर भारतीय संविधान के निर्माता भी थे। अतः दलितों के अधिकार एवं संरक्षण से संबंधित मुद्दों को संवैधानिक प्रावधानों के तहत संस्थागत रूप दिया। महाराष्ट्र में दलितों द्वारा दलित पैंथर आंदोलन की शुरुआत हुई जिससे बौद्धिक जगत में एक नयी चेतना विकसित हुई।


Q. 66. सामाजिक स्तरीकरण की संक्षिप्त चर्चा करें।

Ans ⇒ सामाजिक स्तरीकरण का आशय उस तंत्र से है जिसके द्वारा समाज लोगों को एक पदानुक्रम में वर्गीकृत करता है। थियोडोरसन और थियोडोरसन ने इस समाज में सामाजिक स्तरीकरण के पदानुक्रमित व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया है। इस अर्थ में स्तरीकरण का आशय विशेष रूप से समाज को विभिन्न स्तरों में विभाजित करने की प्रक्रिया से है। वर्गीकरण अधिकार, प्रतिष्ठा, प्रभाव तथा सत्ता के आधार पर होता है। सामाजिक स्तरीकरण में सामाजिक असमानता निहित रहती है जो या तो व्यक्तियों द्वारा निष्पादित कार्यों के कारण या कुछ विशिष्ट . व्यक्तियों या समूहों या दोनों के द्वारा संसाधनों पर नियंत्रण करने से उत्पन्न होती है।


Q. 67. युवा गृह से आप क्या समझते हैं ? अथवा, धुमकुरिया क्या है ?

Ans ⇒ जनजातीय समाजों में युवाओं के संगठन को युवा गृह कहा जाता है। उराँव जनजाति इसे धुमकुरिया कहती है। यह गाँव के बीच में या गाँव से बाहर एक बड़े कमरे में रहता है। एक आयु सीमा से कम या ज्यादा होने पर स्वतः युवागृह की सदस्यता समाप्त हो जाती है। युवा गृह में रात में लड़के-लड़कियाँ आपस में नाच-गाकर जनजातीय संस्कृति, कला और यौन शिक्षा प्राप्त करते हैं। यह समाजीकरण का सबसे महत्वपूर्ण केन्द्र होता है।


Q. 68. समुदाय को परिभाषित करें।

Ans ⇒ व्यक्तियों के ऐसे बड़े समूह को समुदाय कहा जाता है जो एक निश्चित भू-भाग में सामान्य जीवन व्यतीत करता है तथा जिसके सदस्य उसी भू-भाग के अन्तर्गत अपने जीवन की सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। इसी बात को स्पष्ट करते हुए मैकाइवर तथा पेज ने कहा है कि “समुदाय सामान्य जीवन का एक क्षेत्र है।” बस्ती, गाँव, नगर या जनजाति इसके उदाहरण हैं।


Q. 69. कृषक समाज किसे कहते हैं ?

Ans ⇒ कृषक समाज का तात्पर्य ऐसे समाज में है जो भूमि से जुड़ा होता है, जिसका मुख्य कार्य कृषि कार्य करना है तथा जिसकी एक परम्परागत संस्कृति होती है। इसकी आर्थिक स्थिति संतोषप्रद नहीं होती है। अर्थव्यवस्था में कृषक समाज का योगदान सबसे अधिक होता है। है, क्योंकि यही समाज खाद्यान्न की आवश्यकता को पूरा करता है।


Q.70. भूमि सुधार से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ गाँवों की सामाजिक-आर्थिक संरचना का मुख्य आधार भूमि है। भूमि सुधार का अभिप्राय कृषि भूमि की ऐसी व्यवस्था करना है जिससे छोटे और भूमिहीन किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। इसका मुख्य उद्देश्य समानता और सामाजिक न्याय के आधार पर कषि व्यवस्था का पनर्गठन करना है।


Q.71. अनेकता में एकता से आप क्या समझते हैं ? अथवा, भारतीय समाज में मौजूद अनेकता में एकता के तत्त्वों को स्पष्ट करें।

Ans ⇒ भारतीय समाज का निर्माण अनेक नस्लों, धर्मों, सांस्कृतियों एवं विचारों के लोगों से मिलकर हुआ है।
संविधान के अनुसार सभी धर्मों का स्वागत है तथा अपने धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करने की स्वतंत्रता है। सभी को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त है। सभी के वयस्क मताधिकार का अधिकार है। विचारों की अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म तथा उपासना की स्वतंत्रता एवं प्रतिष्ठा की रक्षा का अधिकार और भाईचारे की भावना के विकास पर जोर दिया गया है। विभिन्न अवसरों पर हिन्दू तथा मुस्लिम आदि एक-दूसरे का सहयोग करते हैं और इस प्रकार भारतीय समाज में अनेकता में एकता के कारण स्थायित्व एवं निरंतरता पायी है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक अनेक धर्म, विश्वास संस्कृति, भाषा, वेशभूषा, प्रजाति आदि के होते हुए भी हम सब भारतीय होने का गर्व करते हैं। यही है अनेकता में एकता।


Q. 72. पश्चिमीकरण से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ प्रसिद्ध समाजशास्त्री श्रीनिवास के अनुसार, “इस शब्द में डेढ़ सौ वर्षों से अधिक के अंग्रेजी शासन के फलस्वरूप भारतीय समाज और संस्कृति में आये परिवर्तन तथा विभिन्न स्तरों पर प्रौद्योगिकी, संस्थाओं, विचारधारा तथा मूल्यों में आए परिवर्तन सम्मिलित हैं।”


Q. 73. सीमान्तीकरण का क्या अर्थ है ?

Ans ⇒ सीमान्तीकरण परिवर्तन की एक विशेष प्रक्रिया है। यह एक नकारात्मक प्रक्रिया है जिसके द्वारा विभिन्न आधारों पर कोई विशेष समूह या समुदाय सम्पूर्ण समाज से अलग-थलग होने लगता है। उदाहरणार्थ, अमेरिका तथा अफ्रीका में एक लम्बी अवधि तक रंगभेद के आधार पर इस तरह के भ्रामक प्रचार किये गये कि गोरे लोगों द्वारा काले लोगों को राष्ट्र की मूलधारा से अलग-थलग करके उन्हें सभी अधिकारों से वंचित कर दिया गया। इसी तरह, भारतीय समाज में निम्न जातियों के प्रति व्यवहार के ऐसे नियम बनाए गये जिसके कारण उन्हें लम्बी अवधि तक सीमान्तीकरण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।


Q. 74. एकाकी परिवार क्या है ? . अथवा, एकाकी परिवार से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ वह परिवार जिसमें पति-पत्नी और उसके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं उसे एकाकी परिवार कहा जाता है। चूंकि एकाकी परिवार के सदस्यों की संख्या कम होती है इस कारण एकाकी परिवार का आकार छोटा होता है। भारत में एकाकी परिवार का प्रचलन पहले नहीं था। परंतु औद्योगीकरण और नगरीकरण के कारण भारत में संयुक्त परिवार का विघटन हो रहा है और एकाकी परिवारों का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। अब तो लोग एकाकी परिवार को ही पसंद करने लगे हैं। परिणामस्वरूप इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।


Q.75. जनांकिकी की परिभाषा दें।

Ans ⇒ सर्वप्रथम जनांकिकी शब्द का प्रयोग सन् 1885 में गुईलार्ड ने किया था। जनांकिकी अंग्रेजी शब्द डेमोग्राफी का हिन्दी रूपांतरण है। डेमोग्राफी दो यूनानी शब्दों ‘डेमोस’ तथा ‘ग्राफीन’ से मिलकर बना है। पहले शब्द का अर्थ जनसंख्या है तथा दूसरे का अर्थ विवरण देने वाला विज्ञान है। इस प्रकार शाब्दिक रूप से जनांकिकी वह विज्ञान है जो एक विवरण के रूप में जनसंख्या संबंधी विशेषताओं को स्पष्ट करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रकाशित जनसंख्यात्मक शब्दकोश के अनुसार, ‘जनांकिकी मानव जनसंख्या का वैज्ञानिक अध्ययन है जिसमें मुख्य रूप से जनसंख्या के आकार, उसकी संरचना और विकास का विश्लेषण किया जाता है।


Q. 76. सामाजिक आंदोलन का क्या अर्थ है ?

Ans ⇒ 20वीं शताब्दी के मध्य में सामाजिक आंदोलन की चर्चा अधिक होने लगी। सामाजिक आंदोलन को एक ऐसे प्रयत्न के रूप में देखा जाता है जिसके द्वारा एक विशेष समूह अथवा समदाय अपनी सामाजिक संस्थाओं तथा सामाजिक संरचना में वांछित परिवर्तन ला सके। वास्तव में, सामाजिक आंदोलन का उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन लाना ही नहीं, बल्कि कभी-कभी परिवर्तन को रोकना भी होता है।


Q.77. सामाजिक आंदोलन की विशेषताओं का उल्लेख करें।

Ans ⇒  सामाजिक आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

1. सामाजिक आंदोलन एक सामूहिक प्रयास होता है।
2. इसका संचालन संगठित जन-समूह करता है।
3. इसका एक निश्चित उद्देश्य या लक्ष्य होता है।
4. यह एक विशेष विचारधारा पर आधारित होता है।
5. इसका आधार किसी क्षेत्र, समुदाय अथवा बड़े समूह में एक विशेष समस्या का उत्पन्न होना है।
6. सामाजिक आंदोलन में नेतृत्व एक प्रमुख तत्व है।
7. इसका लक्ष्य परिवर्तन लाना होता है।
8. इसकी प्रकृति व्यवस्था विरोधी होती है।


Q.78. भारतीय समाज में प्रान्तीयता की समस्या की चर्चा करें। अथवा, प्रान्तीयता से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ प्रान्तीयता का तात्पर्य एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र के निवासियों की उस संकीर्ण मनोवृत्ति से है जिसके अंतर्गत वे एक क्षेत्र विशेष को केवल अपना और अपने लिए ही मानकर अपने स्वार्थपूर्ण उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक अलगाववाद को प्रोत्साहन देते हैं। आज प्रांतीयता हमारी एक मुख्य समस्या है जिसने बंगाल बंगालियों के लिए मद्रास मद्रासियों के लिए या गढ़वाल गढ़वालियों के लिए का नारा दिया और राष्ट्रीयता के विकास में बाधा उत्पन्न की।


Q. 79. भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता की चर्चा करें।

Ans ⇒ धर्मनिरपेक्षता का अभिप्राय है-सभी धर्मों के प्रति श्रद्धा रखना और राज्य का अपना कोई धर्म न होना। भारतीय समाज के निर्माण में उन सभी व्यक्तियों का योगदान है जो हिन्दू, मुसलमान, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म को मानने वाले हैं। भारत विभिन्न धर्मों का समन्वय स्थल है। अतः भारत के लिए धर्मनिरपेक्षता जरूरी है। धर्मनिरपेक्षता के कारण ही यहाँ विभिन्न धर्मों और सम्प्रदायों का समावेश होने के बाद भी सभी धर्म और सम्प्रदाय एक-दूसरे के पूरक हैं।


Q.80. पितृसत्तात्मक परिवार क्या है ?

Ans ⇒ पितृसत्तात्मक परिवार वे होते हैं जिनमें बच्चों को उनके पिता के नाम से जाना जाता है। पिता के वंश परम्परा को अधिक महत्त्व दिया जाता है। वंश परम्परा पिता के नाम से चलता है। विवाह के बाद बेटे की पत्नी अपने सास-ससुर और पति के साथ रहती है, जबकि बेटियाँ शादी के बाद अपने पति के यहाँ चली जाती हैं। ऐसे परिवारों में स्त्रियों की तुलना में पुरुषों के अधिकार अधिक होते हैं। जीविका उपार्जन भी मुख्य रूप से पुरुष सदस्यों द्वारा ही किया जाता है।


Q.81. मातृसत्ता का अर्थ स्पष्ट करें। . अथवा, मातृसत्तात्मक परिवार का अभिप्राय क्या है ?

Ans ⇒ परिवार की सत्ता जब माता या समाज के रीति-रिवाजों के अनुसार परिवार की किसी महिला के हाथ में होती है तो उसे मातृ सत्ता कहा जाता है। वंश की परम्परा भी माता के नाम पर चलती है। विवाह के बाद पुरुष या तो अपनी पत्नी के घर आकर रहता है अथवा अपनी बहन के साथ रहकर उसके परिवार की देखभाल करता है। सम्पत्ति का उत्तराधिकार भी माता से पत्री को प्राप्त होता है।


Q.82. भारत में स्त्री-पुरुष अनुपात की व्याख्या करें।

Ans ⇒ एक निश्चित अवधि में किसी विशेष क्षेत्र में प्रति एक हजार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या स्त्री-पुरुष अनुपात कहलाता है। भारत में 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति एक हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या 933 थी। जनसंख्या के समग्र लिंग अनुपात में सुधार होकर यह 2011 में 940 हुआ है। यह 1971 की जनगणना के बाद दर्ज उच्चतम लिंग अनुपात है। लिंग अनुपात में 29 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में वृद्धि हुई है।


Q. 83. सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिक कारक की भूमिका क्या है ?

Ans ⇒ आदिम काल, प्राचीन काल और आधुनिक काल के बीच जो फर्क है उसका आधार प्रौद्योगिकी है। मानव समाज ने परिवर्तन की एक लम्बी दूरी तय की है, जिसका मुख्य कारण यह है कि मानव समाज प्रकतिप्रदत्त पर्यावरण से मानव निर्मित पर्यावरण की आर बढ़ा है। पूँजीवाद के विकास में नि:संदेह इस प्रौद्योगिकी की भूमिका अहम रही है।
यातायात एवं जनसंचार के माध्यमों में हुए क्रांतिकारी परिवर्तन ने भी हमारे भौतिक पर्यावरण में काफी बदलाव लाया है। इसका मुख्य श्रेय समाज में निरंतर प्रौद्योगिकी परिवर्तन को है। इससे समय एवं दूरी पर मानव ने अपना नियंत्रण बना लिया है। फलत: भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के बीच आदान-प्रदान की प्रक्रिया बढ़ी है।
प्रौद्योगिकी विकास ने समाज में औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाया है। उत्पादन के साधनों में निरंतर विस्तार हो रहा है। इससे एक नयी सामाजिक संरचना एवं व्यवस्था का निर्माण हो रहा है। हमारे जीवन के मूल्यों, आदर्शों एवं व्यवहार के प्रतिमानों में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए है। आज संयुक्त परिवार की जगह मूल या दाम्पत्य परिवार का निरंतर विस्तार हो रहा है। विद्युत ऊर्जा के विकास से कृषि के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन संभव हुआ है। अकाल एवं महामारियों की समाप्ति से मृत्युदर में बहुत कमी आयी है।
सामाजिक गतिशीलता में भी प्रौद्योगिकी विकास ने मुख्य भूमिका निभाई है। आज पूरा विश्व एक गाँव जैसा मालूम पड़ता है। विशिष्टीकरण तथा श्रम विभाजन ने पारस्परिक निर्भरता एवं व्यक्तिवाद को बढ़ावा दिया है। इससे आज लोगों के बीच द्वितीयक सम्बन्धों का विस्तार देखने को मिलता है।


Q.84. नियोजित परिवर्तन के महत्त्व का वर्णन करें।

Ans ⇒ नियोजित परिवर्तन के उद्देश्य आर्थिक तथा सामाजिक दोनों है तथा ये दोनों अन्तःसंबंधित हैं। कार्ल मेनहाइम ने लिखा है कि “हमारा कार्य नियोजित परिवर्तन के द्वारा एक विशेष प्रकार की समाज व्यवस्था को निर्मित करना है तथा इस लक्ष्य की प्राप्ति उसी समय संभव है जब समाज में व्याप्त लोगों की कमियों को दूर किया जाय।” इसके लिए मानवीय लक्ष्यों की पुनः व्याख्या, मानवीय क्षमताओं का रूपान्तरण तथा नैतिक संहिताओं का पुनर्निर्माण आवश्यक है।

स्पेन्सर ने कहा है कि नियोजित परिवर्तन का मूल उद्देश्य पुनर्निर्माण के कार्यक्रम को जारी रखना है तथा इस कार्यक्रम के निम्नलिखित लक्ष्य हैं –
1. समाज के सभी व्यक्तियों को आजीविका कमाने तथा आत्मविश्वास के समान अवसर प्रदान करना है।
2. अविकसित क्षेत्रों के विकास का प्रयत्न करना, उन क्षेत्रों के व्यक्तियों के लिए शिक्षा, चिकित्सा, आवास तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था करना एवं आर्थिक असमानता को दूर करना।
3. समाज के पिछड़े वर्गों तथा शारीरिक और मानसिक दृष्टि से कमजोर लोगों के उत्थान हेतु कार्यक्रम बनाकर उन्हें क्रियान्वित करना।
4. समाज से अज्ञानता, अशिक्षा, अभाव, बेकारी तथा बीमारी को दूर करना।
5. समाज के सभी लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था करना।


Q. 85. महिला सशक्तिकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

Ans ⇒ महिला सशक्तिकरण का अभिप्राय समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत बनाने से है। स्वयं सेवी महिला संगठनों ने 1990 के दशक में महिलाओं के मुद्दे को लेकर देश के विभिन्न भागों में अनेक सम्मेलन आयोजित किए। इस सम्मेलन में लैंगिक भेदभाव तथा महिलाओं की घटती जनसंख्या पर विचार-विमर्श हुआ। इसी दशक में वेश्यावृत्ति से संबंधित मामलों को राष्ट्रव्यापी बहस का विषय बनाया गया। पटना की अदिति संस्था तथा अंकुर संस्था ने 1995 में महिला बचाओ अभियान चलाया। राष्ट्रीय स्तर पर कई महिला संगठन की भूमिका रही है-(क) अखिल भारतीय महिला परिषद् (ख) .अखिल भारतीय हिन्दू महिला परिषद् (ग) भारतीय महिला संघ। इसके अलावे पंचायत राज अधिनियम में संशोधन कर 1993 में सभी पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की व्यवस्था की गई है। बिहार सरकार ने तो 50% आरक्षण की व्यवस्था कर दी है। बिहार सरकार ने महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने की दिशा में अग्रणी भूमिका अदा की है।


Q.86. हरित क्रांति के मानव समाज पर प्रभावों का उल्लेख करें।

Ans ⇒  स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत खाद्यान्न की भयंकर समस्या से जूझ रहा था। फोर्ड फाउण्डेशन की सलाह पर 1960 के दशक के अंतिम दिनों में पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश के कुछ भाग, तमिलनाडु के कुछ जिले, महाराष्ट्र तथा आन्ध्रप्रदेश के कुछ जिलों में हरित क्रांति लागू की गयी इसके अंतर्गत कृषि के उन्नत तकनीकों और उन्नत खाद बीज के प्रयोग द्वारा अधिक-से-अधिक अन्न उपजाने पर जोर दिया गया। फलस्वरूप देश में एक तो अनाज की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया और दूसरी तरफ इसने समाज में मध्यम जाति से नव कृषक धनाढ्य वर्ग को पैदा किया जिससे सामाजिक स्तरीकरण भी प्रभावित हुआ। इसने अमीरों की अमीरी को बढ़ावा दिया तो दूसरी ओर गरीबों की गरीबी मिटाने में भी बहुत हद तक सहायक हुआ।


Q.87. मीडिया सामाजिक परिवर्तन कैसे लाता है ?

Ans ⇒  मीडिया के अंतर्गत हम जनसंचार के उन समस्त तरीकों को शामिल करते हैं जिसके द्वारा कोई भी सरकार या सामाज अपनी बात या योजना जनसमूह तक फैलाती है जैसे-रेडियो, टी० वी० समाचार-पत्र, पत्र-पत्रिकाएँ आदि। आधुनिक समाज में मीडिया सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है क्योंकि यह विश्व भर की सूचनाएँ लोगों तक पहुँचाकर न केवल उन्हें जागरूक व चेतनशील बनाती हैं बल्कि उन्हें अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों का भी बोध कराती है। मीडिया भ्रष्टाचार घोटाले आदि का पर्दाफाश करती है तो दूसरी तरफ सामाजिक बुराइयों को मिटाने में भी कारगर भूमिका अदा करती है।


Q.88. राष्ट्रवाद की अवधारणा को स्पष्ट करें।

Ans ⇒ राष्ट्रवाद का अर्थ होता है राष्ट्र के लोगों में राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र सम्मान एवं राष्ट्रीयता की भावना को जगाना। दरअसल एक राष्ट्र में विभिन्न जाति। धर्म, सम्प्रदाय के लोग होते हैं, इन विभिन्न जनजातीय समूहों के बीच एक भावनात्मक सूत्र को लाना ताकि वे उसमें बँधकर एक राष्ट्र के हो जाएँ और क्षेत्रीय-प्रांतीय उद्देश्यों के ऊपर राष्ट्रीय उद्देश्यों और हितों को महत्व दें। साफ शब्दों में कहें तो राष्ट्रवाद का अर्थ है एक डण्डा एक झंडे के नीचे आना और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत होना।


Q. 89. मंदी किसे कहते हैं ?

Ans ⇒ जब बाजार में समान कम हो और खरीदने वाले ज्यादा तो महंगाई की स्थिति बनती है। ठीक उसके विपरीत बाजार में सामग्री ज्यादा और खरीदार कम हो तो मंदी की स्थिति होता है। अभी पूरी दुनियाँ उसी दौर से गुजर रहा है। माँग नहीं होने के कारण कारखाने बंद होने लगते हैं और छंटनी के कारण लोग बेकार होने लगते हैं अर्थात् महंगाई के ठीक विपरीत स्थिति मंदी होती है।


Q.90. संविधान से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ संविधान एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की कार्य प्रणाली और अधिकारों को स्पष्ट किया गया है ताकि वे अपने अधिकारों का दुरूपयोग न कर सकें। संविधान के द्वारा ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों तथा राज्य की नीतियों का निर्धारण होता है। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के द्वारा धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है।


S.NClass 12th Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
1.Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 1 
2.Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 2
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S.NClass 12th Sociology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) 
1.Sociology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1 
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