Class 12th Sociology ( समाज-शास्त्र ) ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1


Q. 1. संयुक्त परिवार की मुख्य विशेषताओं की चर्चा करें।

Ans संयुक्त परिवार की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. संयुक्त परिवार में कई पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं जिससे इसके सदस्यों की संख्या अधिक होती है। फलतः संयुक्त परिवार का आकार बड़ा होता है। ।
2. संयुक्त परिवार का सामान्य निवास होता है। इसके सभी सदस्य एक छत के नीचे रहते हैं।
3. पूरे परिवार का रसोईघर एक होता है जिसमें पका भोजन सभी सदस्य खाते है।
4. संयुक्त परिवार की सम्पत्ति संयुक्त होती है, जिस पर सभी सदस्यों का अधिकार होता है और सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति उससे होती है।
5. संयुक्त परिवार का एक कर्ता होता है, जो परिवार का वयोवृद्ध पुरुष सदस्य होता है। परिवार में इसकी प्रधानता होती है।
6. परिवार का पूजागृह संयुक्त होता है, जहाँ परिवार के सभी सदस्य पूजा करते है।


Q.2. वर्ण तथा जाति में अन्तर स्पष्ट करें।

Ans वर्ण तथा जाति में निम्नलिखित अन्तर पाए जाते हैं –
(i) वर्ण की संख्या कम है, जबकि जाति की संख्या अधिक है।
(ii) वर्ण बहिर्विवाही है, जबकि जाति अन्तर्विवाही है।
(iii) वर्ण में कर्त्तव्यों की व्याख्या की गई है, जबकि जाति में निषेधों की।
(iv) वर्ण गुण और कर्म पर आधारित है, लेकिन जातिजन्म पर आधारित है।
(v) वर्ण को बदला जा सकता है लेकिन जाति को बदला नहीं जा सकता।
(vi) वर्ण समानता पर आधारित है, जबकि जाति में ऊँच-नीच का भेदभाव पाया जाता है।
(vii) वर्ण में खानपान सम्बन्धी प्रबन्ध नहीं पाया जाता है, जबकि जाति में खानपान सम्बन्धी प्रतिबन्ध पाया जाता है।


Q. 3. जाति और वर्ग में अन्तर स्पष्ट करें।

Ans जाति और वर्ग में निम्नलिखित अन्तर पाएँ जाते हैं-

(i) जाति की सदस्यता प्रदत्त होती है, जबकि वर्ग की सदस्यता अर्जित होती है।
(ii) जाति जन्म पर आधारित होती है, परन्तु वर्ग कर्म पर आधारित होता है।
(iii) जाति एक अन्तर्विवाही समूह है, परन्तु वर्ग नहीं।
(iv) जाति का व्यवसाय परम्परागत होता है, परन्तु वर्ग का व्यवसाय परम्परागत नहीं होता है।
(v) जाति की सदस्यता में आजीवन परिवर्तन नहीं होता है लेकिन वर्ग की सदस्यता में . परिवर्तन संभव है।
(vi) जाति के अन्तर्गत श्रेष्ठता का आधार सामाजिक है लेकिन वर्ग में श्रेष्ठता का आधार आर्थिक है।
(vii) जाति एक बन्द समूह है, जबकि वर्ग एक खुला समूह है।


Q. 4. एड्स की समस्या पर एक निबंध लिखें।

Ans एड्स एक भयानक बीमारी है जो पूरी दुनिया में फैली हुई है। इसके फैलने के निम्नलिखित कारण हैं –

(i) रोगग्रस्त पुरुष या स्त्री से यौन सम्बन्ध स्थापित करना।
(ii) दूषित इंजेक्शन का इस्तेमाल।
(iii) एक से अधिक लोगों से यौन सम्बन्ध रखना।
(iv) नशे की आदत होना जो इंजेक्शन के द्वारा लिए जाते हैं।

एड्स के लक्षण –
(i) शरीरिक वजन में 10 प्रतिशत से अधिक कमी होता।
(ii) एक महीने से अधिक क्रान्तिक दस्त लगना।
(iii) एक महीने से अधिक अवधि तक निरन्तर बुखार रहना।
(iv) पूरी त्वचा पर खुजली वाली पित्तियाँ
एड्स के वायरस अगर खून में एक बार आ जाए तो 6 महीने से 6 साल के अन्दर वायरस इतना फैल जाता है कि मृत्यु निश्चित है। बच्चों में यह और भी तीव्रता से फैलता . है। एड्स के रोगी में टी.वी. होने का भी डर बना रहता है।
एड्स का अभी तक कोई निदान नहीं ढूँढा जा सका है। वाइरस निरोधी दवाएँ जैसे जाइडोवुडीन ज्यादा-से-ज्यादा इस बीमारी को तेजी से उभरने से रोकने में सक्षम हुई है। इस वाइरस के विरुद्ध किसी टीके की खोज होना एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।


Q. 5. भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारणों की व्याख्या करें।

Ans भारत में स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1951 में यहाँ की जनसंख्या 36.10 करोड़ थी। इसके बाद जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 121 करोड़ से भी अधिक हो गई है। जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के निम्नलिखित हैं –

1. अशिक्षा – अशिक्षा के कारण अधिकांश व्यक्ति परिवार में अधिक बच्चों के जन्म से पैदा होने वाली हानियों को नहीं समझ पाते हैं। वे रूढ़ियों और अंधविश्वासों से जकड़े रहते हैं जो समाज की प्रगति में बाधक है।

2. निम्न जीवन स्तर – निम्न जीवन स्तर और जनसंख्या वृद्धि के बीच प्रत्यक्ष संबंध होता है। निम्न जीवन स्तर के कारण लोगों को मनोरंजन की सुविधा नहीं मिल पाती है। फलतः स्त्रियों में गर्भ धारण की संभावना बढ़ जाती है।

3. बाल विवाह का प्रचलन – बाल विवाह के फलस्वरूप पति-पत्नी बच्चों को जन्म देने के लिए अधिक समय मिल जाता है। फलतः उनके बच्चों की संख्या अधिक होती है।

4. संयुक्त परिवार – संयुक्त परिवार के कारण साधनों की कमी के बाद भी अधिक संतानों के जन्म और उनके पालन-पोषण को एक समस्या के रूप में नहीं देखा जाता है।

5. भाग्य में विश्वास – बच्चे ईश्वर की देन हैं, ऐसा विश्वास हमारे समाज में पाया जाता है। पुत्र जन्म के बिना व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता है। इस तरह के विश्वास जनसंख्या को बढ़ाते हैं।

6. जन्म और मृत्यु दर का असंतुलन – स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा की उपलब्धता से मृत्यु दर कम हुई। परंतु अशिक्षा और परम्परागत विश्वासों के कारण जन्म दर में कमी अधिक नहीं हुई। जनसंख्या में होने वाली वर्तमान वृद्धि इसी दशा का परिणाम है।


Q.6. जाति व्यवस्था में वर्तमान परिवर्तनों का उल्लेख करें।

Ans 19वीं शताब्दी में अनेक समाज सुधारकों ने जाति व्यवस्था के विरोध में आवाज उठायी। फलस्वरूप जाति व्यवस्था की कठोरता में कमी आयी। आधुनिक युग में जाति व्यवस्था में निम्नलिखित परिवर्तन हुए हैं –

1. ब्राह्मणों के प्रभुत्व में कमी – आज धर्म का अंधविश्वास पक्ष कमजोर पड़ने के कारण ब्राह्मणों के प्रभुत्व में कमी आयी है।

2. अस्पृश्यता का अंत – आरम्भ से ही अछूतों को हीन माना जाता रहा है। परन्तु आधुनिक युग में छुआछूत का अंत कर दिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 17 में इसकी घोषणा की गयी है।

3. व्यावसायिक गतिशीलता – आधुनिक युग व्यावसायिक स्वतंत्रता का युग है। कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी जात का हो अपनी इच्छानुसार कोई भी व्यवसाय अपना सकता है। आज शूद्र कहे जाने वाला व्यक्ति धार्मिक पुस्तकों के व्यवसाय में लगा है और ब्राह्मण बाटा शू कम्पनी में जूता निर्माण के व्यवसाय में संलग्न है।

4. विवाह संबंधी नियमों में परिवर्तन – जाति व्यवस्था के अंतर्गत एक जाति के सदस्यों का विवाह उसी जाति में होता है। परन्तु आज अन्तर्जातीय विवाह का प्रचलन शुरू हुआ है। विवाह का आधार जाति न होकर प्रेम भी होने लगा है। कुलीन विवाह के स्थान पर प्रेम विवाह होने लगा है।

5. खान-पान के नियमों में परिवर्तन – आज सभी जातियों के लोग होटलों, जलपान गृहों में एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। बसों तथा रेलों में एक साथ यात्रा करते हैं तथा कार्यालयों, शिक्षण संस्थाओं में एक साथ काम करते हैं। फलतः जात-पात का भेदभाव मिटता जा रहा है।

6. जन्म की महत्ता में कमी – अब जन्म सामाजिक स्थिति के निर्धारण का एकमात्र आधार नहीं रहा। व्यक्ति के सामाजिक स्थिति के निर्धारण में आज गुण और कार्य कुशलता का अधिक महत्त्व हो गया है।

7. जाति व्यवस्था की उपयोगिता में विश्वास की कमी – पहले जाति व्यवस्था को उपयोगी माना जाता था। परन्तु आज इसे अनुपयोगी और सामाजिक प्रगति के मार्ग में एक बडी बाधा माना जाता है। राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए भले ही इसका उपयोग रह गया हो। परन्तु सामाजिक कल्याण की वृद्धि में इसका कोई उपयोग नहीं रह गया। आज कोई भी यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि उच्च जाति में जन्म लेना ईश्वर की कृपा है।


Q. 7. लैंगिक विषमता के कारणों का वर्णन करें।

Ans लैंगिक विषमता के निम्नलिखित कारण हैं –

1. पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था – हमारे पारस्परिक संबंधों, सम्पर्क की प्रकृति तथा मनोवृत्ति का निर्धारण सामाजिक व्यवस्था करती है। पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था में जीवन व्यतीत करने के कारण स्त्रियाँ स्वयं ही अपने-आपको पुरुषों के अधीन मानने लगी हैं।

2. ग्रामीण अर्थव्यवस्था – ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने लोगों को इतना परम्परावादी बना दिया कि उसमें अपने अधिकारों के प्रति चेतना पैदा नहीं हुई।

3. शिक्षा का अभाव – शिक्षा के अभाव के कारण अंधविश्वासों तथा मनगढन्त धार्मिक गाथाओं का प्रभाव इतना बढ़ गया कि पुरुषों से समानता के बारे में सोचना भी पाप समझा जाने लगा।

4. अति सहनशीलता –  स्त्रियों में अति सहनशीलता पायी जाती है। इसका फायदा उठाकर पुरुषों ने उनका मनमाना शोषण करना शुरू कर दिया।


Q. 8. संस्कृतिकरण क्या है ? भारतीय जाति व्यवस्था में परिवर्तन लाने में इसकी भूमिका की चर्चा करें।

Ans संस्कृतिकरण की अवधारणा एम० एन० श्रीनिवास ने दी है। इनके अनुसार संस्कृतिकरण परिवर्तन की वह प्रक्रिया है जो हमारी वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में अनेक ऐसे परिवर्तनों को स्पष्ट करती है जिनका परंपरागत संस्कृति में कोई स्थान नहीं था। सरल शब्दों में कहा जा . सकता है कि संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत निम्न जातियाँ उच्च जातियों की सांस्कृतिक विशेषताओं को ग्रहण करके जाति संरचना में अपनी प्रस्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयत्न करती है।

भारतीय जाति व्यवस्था में परिवर्तन लाने में संस्कृतिकरण एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निम्नलिखित रूप में निभाती है –

1. निम्न जातियों की जीवनशैली में परिवर्तन – प्राचीन जाति व्यवस्था में निम्न जातियाँ सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक अधिकारों से वंचित थी, परन्तु वर्तमान समय में एक नई चेतना जाग्रत होने के कारण इन अधिकारों में समानता देखने को मिलती है।

2. जातिगत नियमों की कठोरता में कमी – संस्कृतिकरण के कारण जातिगत परंपरागत नियम तेजी से शिथिल हो रहे हैं। जातियों के बीच सामाजिक सम्पर्क बढ़ रहे हैं और राजनीति, शिक्षा, प्रशासन और उद्योग में निम्न जातियाँ तेजी से आगे बढ़ रही हैं।

3. अन्तर्जातीय संबंधों में परिवर्तन – संस्कृतिकरण के प्रभाव से विभिन्न जातियों के बीच सांस्कृतिक विभेद कम होते गये। उनके बीच की सामाजिक दूरी भी कम होने लगी है।

4. असंस्कृतिकरण में वृद्धि – परंपरागत व्यवसायों पर जब उच्च जातियों का एकाधिकार समाप्त हो गया तो ब्राह्मण और क्षत्रिय भी चमड़े, शराब और बीड़ी बनाने जैसे व्यवसायों को अपनाने लगे। निम्न जातियों की तरह उच्च जातियों में भी माँस और मदिरा का उपयोग होने लगा।
इस प्रकार संस्कृतिकरण से भारतीय समाज में बहुत ही बड़ा परिवर्तन देखने को मिलता है।


Q.9, दबाव समूह से आप क्या समझते हैं ? भारतीय राजनीति में इसकी भूमिका की चर्चा करें।

Ans दबाव समूह शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1928 में पीटर ओडीगार्ड ने अपनी पुस्तक ‘दबाव की राजनीति’ में किया था। 20वीं शताब्दी के पाँचवें दशक के पश्चात दबाव समह. दबाव की राजनीति तथा हित समूह जैसे शब्दों का निरंतर प्रयोग होता रहा है। दबाव समूह एक औपचारिक संरचना है जो अनेक समूहों से निरंतर सम्पर्क बनाये रखता है। इसके कई लक्षण राजनीतिक दलों से मिलते हैं, लेकिन यह प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक प्रक्रियाओं चुनाव आदि में भाग नहीं लेते, बल्कि परोक्ष रूप से सत्ता को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।

भारतीय राजनीति में दबाव समूह निम्नलिखित भूमिकाएँ अदा करती हैं
1. यह अवसरवादिता के आधार पर कार्य करते हैं। हालांकि यह एक गैर-राजनीतिक संगठन है। इसकी कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं होती है।
2. भारतीय राजनीति में दबाव समूहों को संगठन की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है।
3. इसके द्वारा सरकार और जनता के बीच संपर्क की कड़ी बनने का कार्य किया जाता है।
4. विभिन्न नीतियों तथा निर्णयों के विषय में जनता की प्रतिक्रिया जानने के लिए या उद्योगों से संबंधित कानूनों से संशोधन करने से पहले सरकार श्रमिक संघों के नेताओं से परामर्श लेती है।


Q. 10. भारत में औपनिवेशिक शासन के कारणों का उल्लेख करें।

Ans भारत में औपनिवेशिक शासन के निम्नलिखित कारण थे –

1. भारत में राजनीतिक अस्थिरता अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई थी।
2. देश में जागीरदारों और राजाओं के कृपापात्र अधिकारियों की शक्ति इतनी बढ़ गई कि उन्होंने जनसाधारण का बुरी तरह शोषण करना आरम्भ कर दिया।
3. अलग-अलग क्षेत्रों की संस्कृतियों में भिन्नता के कारण उनके बीच सामंजस्य और संतुलन स्थापित न हो सका।
4. आवागमन तथा संचार की सुविधाओं का अभाव।
5. देश की सम्पूर्ण जनसंख्या हजारों जातियों तथा सम्प्रदायों में बँटी हुई थी।
6. देश में शिक्षा का घोर अभाव था तथा धार्मिक अंधविश्वासों में वृद्धि के कारण सामाजिक करीतियाँ अपनी चरम सीमा तक पहँच गई थीं।


Q.11. भारत में औपनिवेशिक शासन के प्रभावों की विवेचना करें।

Ans भारत में औपनिवेशिक शासन के प्रभावों की चर्चा निम्नवत् की जा सकती है –

1. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक-से-अधिक लगान वसूल करने के लिए यहाँ सन् 1793 से जमींदारी व्यवस्था शुरू की गई।
2. भारत के कुटीर तथा लघु उद्योगों को समाप्त कर दिया गया, जिससे यहाँ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई। फलतः कारीगर, दस्तकार और शिल्पी बेरोजगार हो गये।
3. ब्रिटिश शासन ने ग्राम पंचायतों के अधिकारों को पूरी तरह समाप्त कर दिया।
4. ब्रिटिश सरकार द्वारा यह कोशिश की गई कि कपास के सम्पूर्ण उत्पादन का निर्यात इंगलैंड में करके वहाँ के कपडा मिलों में बनने वाले वस्त्रों की खपत भारत में बढ़ाया जाए। इससे यहाँ का वस्त्र उद्योग परी तरह समाप्त हो गया।
5. ब्रिटिश सरकार ने हिन्दुओं और मसलमानों के बीच सन्देह और द्वेष को बढ़ाया, जिससे जगह-जगह साम्प्रदायिक दंगे होने लगे।
6. अग्रजा ने भारतीय समाज को जातियों के आधार पर विभाजित करने में योगदान किया। 7. भारत में आधुनिक शिक्षा व्यवस्था की शुरूआत हुई।
8. भारत के सभी हिस्सों में एक समान प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था लागू की गई।


Q. 12. 2011 की जनसंख्या के संदर्भ में भारतीय आबादी की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।

Ans (i) 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121.02 करोड़ है जिसमें 62.37 करोड़ पुरुष और 58.65 करोड़ महिलाएँ हैं।
(ii) 2001-2011 में दशकीय वृद्धि 17.64 प्रतिशत है।
(iii) 0-6 आयु के बच्चों की कुल संख्या 15.9 करोड़ है। कुल जनसंख्या में इनका अनुपात 13.1 प्रतिशत है।
(iv) जनसंख्या में समग्र लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 943 है।
(v) साक्षरता दर 74.04 है। पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 65.46 प्रतिशत है।
(vi) जनसंख्या घनत्व प्रतिवर्ग किलोमीटर 382 व्यक्ति हो गया है। उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक घनी आबादी वाला राज्य बना हुआ है।

(vii) देश में बाल लिंग अनुपात स्तर (0-6 आयु वर्ग के प्रति 1000 लड़कों में लड़कियों की संख्या) 914 हो गया है। यह आजादी के बाद से सबसे न्यूनतम लिंग अनुपात है।


Q. 13. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?

Ans जनसंख्या की दृष्टि से भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है। मार्च, 2001 में भारत की जनसंख्या 1027 मिलियन थी। ऐसा अनुमान है कि मार्च, 2016 तक भारत की जनसंख्या 1263.5 मिलियन हो सकती है। जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करने के अनेक प्रयत्न किए जा रहे हैं।
1975-76 में एक राष्ट्रीय नीति का निर्माण किया गया जिसमें जन्म-दर को कम करने के विभिन्न उपायों पर जोर दिया गया। जनसंख्या नीति, 2000 में जनसंख्या को स्थिर रखने के संबंध में नई नीति की घोषणा की गई।

इसकी प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं –

1. अशोधित जन्म – दर, कुल प्रजनन दर, अशोधित मृत्यु-दर के साथ-साथ मातृ मृत्यु-दर को विकास के धारणीय स्तर तक कम करना।
2. प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य की देखभाल हेतु सुविधाएँ देना।
3. जनसंख्या शिक्षा के प्रसार पर बल देना तथा 14 वर्ष की आयु तक विद्यालयी शिक्षा को अनिवार्य बनाना।
4. विवाह की आयुः को बढ़ाना तथा बाल विवाह प्रतिबन्ध अधिनियम 1976 को कठोरता से लागू करना।
5. बच्चों के लिए सर्वव्यापक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के लक्ष्य को प्राप्त करना।
6. प्रजनन को कम करने से संबंधित उपायों की सूचना, परामर्श और सेवाओं को सब तक पहुँचाना।
7. एड्स के प्रसार को नियंत्रित करना तथा कई अन्य संक्रामक रोगों को प्रतिबंधित और नियंत्रित करना।
8. प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य को भारतीय चिकित्सा पद्धति में एकीकृत करना।
9. कुल प्रजनन दर को कम करने के लिए छोटे परिवार के मानदंड को बढ़ावा देना।
10. जनसंख्या के जनकेन्द्रित कार्यक्रम के विचार को बढ़ावा देना तथा सामाजिक विकास और रूपान्तरण को समस्त प्रक्रिया का एक अंग बनाना।


Q. 14. ग्रामीण समुदाय की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें।

Ans भारतीय समाज की संरचना के निर्माण का सबसे बुनियादी आधार गाँव या ग्रामीण समुदाय है। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. इसका मुख्य व्यवसाय कृषि होता है।
2. ग्रामीण समुदाय का आकार छोटा होता है।
3. ग्रामीण समुदाय का पर्यावरण प्राकृतिक होता है।
4. इसमें परिवार समाजीकरण का मुख्य आधार है।
5. इसमें प्राथमिक संबंधों की प्रधानता होती है।
6. परम्परागत नियंत्रण की व्यवस्था के द्वारा ग्रामीण समुदाय में सामाजिक संगठन की स्थापना की जाती है। इस कारण ग्रामीण समुदाय को परम्परावादी समुदाय कहा जाता है।
7. ग्रामीण समुदाय में गतिशीलता बहुत कम पायी जाती है, क्योंकि ग्रामीण अपने गाँव को छोड़कर किसी दूसरे स्थान पर जाना नहीं चाहते हैं।


Q. 15. एस. सी. दूबे द्वारा दी नगरीय समुदाय की विशेषताओं की चर्चा करें।

Ans भारतीय समाज के संदर्भ में एस० सी० दूबे ने नगरीय समुदाय के सात प्रमुख विशेषताओं की चर्चा की है, जो निम्नलिखित हैं –

1. नगरों में परम्परागत नियमों का अधिक महत्त्व नहीं है। फलस्वरूप जाति, परिवार और नातेदारी से संबंधित नियम तेजी से बदल रहे हैं।
2. लोगों के पारस्परिक संबंध अवैयक्तिक और औपचारिक बन रहे हैं।
3. सामुदायिक संबंधों की जगह आर्थिक संबंधों का महत्त्व बढ़ता जा रहा है।
4. नगरीकरण में वृद्धि होने के साथ श्रम विभाजन और विशेषीकरण बढ़ रहा है।
5. नगरीय जीवन के संचालन में ऐच्छिक और व्यावसायिक संगठनों का महत्त्व बढ़ रहा है।
6. नये मूल्यों और सांस्कृतिक विशेषताओं को ग्रहण करने के कारण नगरों की संरचना बदलती जा रही है।
7. आधुनिकीकरण वर्तमान नगरों की मुख्य विशेषता बन चुकी है।


S.NClass 12th Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
1.Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 1 
2.Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 2
3.Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 3
4.Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 4
5.Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 5
6.Sociology ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 6
S.NClass 12th Sociology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) 
1.Sociology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1 
2.Sociology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 2
3.Sociology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 3
4.Sociology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 4
5.Sociology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 5
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