class 12 economics question paper bihar board लघु उत्तरीय प्रश्न ( 30 Marks ) PART – 4 Class 12 Economics question 2022
55. प्रति इकाई कर लगाने पर फर्म की पूर्ति वक्र किस ओर शिफ्ट करती है ? (In which direction the supply curve shifts due to imposition of per unit tax ? )
उत्तर⇒प्रति इकाई कर लगाने से फर्म की पूर्ति वक्र बायें से दायें ऊपर की ओर बढ़ता हुआ ता है। इस प्रकार प्रति इकाई कर लगाने पर फर्म की पूर्ति वक्र का कीमत और कुल पूर्ति के च धनात्मक संबंध को दर्शाता है।
56. पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में संतुलन की स्थिति को चित्रित करें।(Draw the state of equilibrium in perfectly competitive market.)
उत्तर⇒
E – पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में संतुलन की स्थिति बताता है जहाँ मांग और पूर्ति एक दूसरे के बराबर है।
57. संतुलन कीमत क्या है? (What is Equilibrium price ?)
उत्तर⇒संतुलन कीमत वह कीमत है जो माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा उस बिन्दु पर निर्धारित होता है जहाँ वस्तु की माँग और वस्तु की पूर्ति आपस में बराबर होती है। “Equilibrium price is that price which is determined by demand and supply forces at that point where the demand of commodity and supply of the commodity become equal to each other.”
58. पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में अंतर करें।(Differenctiate between perfect competition and Monopolistic competition.)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में निम्न अंतर है –
(i). पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु विभेद नहीं होता है जबकि एकाधिकारी प्रतियोगिता में मिलती-जुलती वस्तुओं का उत्पादन होता है।
(ii). पूर्ण प्रतियोगिता में बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है जबकि एकाधिकारी प्रतियोगिता . में बाजार का पूर्ण ज्ञान नहीं होता है।
(iii). पूर्ण प्रतियोगिता में साधनों में पूर्ण गतिशीलता पाई जाती है जबकि एकाधिकारी प्रतियोगिता में साधनों की गतिशीलता अपूर्ण होती है।
(iv). पूर्ण प्रतियोगिता में AR और MR बराबर होते तथा X-अक्ष के बराबर जबकि एकाधिकारी प्रतियोगिता में AR और MR एकाधिकारी प्रतियोगिता में अधिक लोचपूर्ण होते हैं।
59. फर्म के अधिकतम लाभ की शर्ते क्या है ? (What are the conditions of profit maximisation of ferm ?)
उत्तर⇒लाभ के अधिकतम करने की प्रमुख शर्ते –
(i). अनिवार्य शर्त (Necessary Condition)—सीमांत लागत (MC) = सीमांत आय (MR) or, (MC = MR)
(ii). पूरक शर्त (Supplementary condition)—संतुलन के बिन्दु पर सीमांत लागत रेखा (MC) सीमांत आय रेखा (MR) को नीचे से काटे अर्थात् MR और MC की समानता के बिंदु पर MC बढ़ती हुई होनी चाहिए।
(iii). समविच्छेद बिन्दु – यह उस स्थिति में उत्पन्न होती है जब TR = TC अथवा MR = MC
60. पूर्ति का नियम का उल्लेख करें। (Explain law of supply.)
उत्तर⇒ अन्य बातें समान रहने पर, वस्तु की कीमत वृद्धि पूर्ति को बढ़ाएगी तथा वस्त की कीमत में कमी पूर्ति को घटाएगी। इस प्रकार वस्तु कीमत तथा वस्तु पूर्ति में प्रत्यक्ष तथा सीधा संबंध पाया जाता है।
फलन के रूप में S = flp
61. पूर्ति की लोच क्या है? (What is Elasticity of Supply ?)
उत्तर⇒ “पूर्ति की कीमत लोच किसी वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के कारण पर्ति में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन की माप है।
“Price elasticity of supply is a measurement of the percentage change in quantity supplied of a commodity in response to some percentage change in its price.
62. पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार में किन्हीं दो अंतर को लिखिए। (Write any two differences between Perfect Competition and Monopoly.)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार में दो प्रमुख अंतर निम्न हैं –
(i). पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय और सीमान्त आय दोनों बराबर होते हैं जबकि एकाधिकार में औसत आय सीमांत आय से अधिक होता है। पूर्ण प्रतियोगिता में AR = MR जबकि एकाधिकार में AR > MR
(ii). पर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की कीमत सीमांत लागत के बराबर होती है अर्थात् AR = MC जबकि एकाधिकार में वस्तु की कीमत सीमांत लागत से अधिक होती है अर्थात् AR > MC
63. बाजार मूल्य क्या है ? (What is Market Price ?)
उत्तर⇒बाजार मूल्य में परिवर्तन की प्रवृत्ति पायी जाती है। बाजार मुल्य अपने प्रत्येक परिवर्तन में पुन: सामान्य कीमत के बराबर आने का प्रयत्न करती है। बाजार मूल्य सामान्य मल्य के चारो ओर घूमती रहती है अर्थात् बाजार मूल्य की प्रवृत्ति सदा सामान्य कीमत की ओर आने की होती है।
64. पूर्ण प्रतियोगिता में किसी फर्म के माँग वक्र की प्रकृति क्या होगी ? (What is the shape of demand curve of a firm in Perfect competition ?)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म के माँग वक्र की आकृति इस प्रकार होगी –
65. पूर्ण प्रतियोगिता क्या है ? (What is perfect competition ?)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की वह स्थिति होती है जिसमें एक समान वस्तु के बहुत अधिक क्रेताएँ व विक्रेता होते हैं। एक क्रेता तथा एक विक्रेता बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते और यही कारण है कि पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में वस्तु की एक ही कीमत प्रचलित रहती है।
66. एकाधिकार की परिभाषा दें। (Define Monopoly.)
उत्तर⇒ एकाधिकार दो शब्दों से बना है—एक + अधिकार अर्थात् बाजार की वह स्थिति जब बाजार में वस्तु का केवल एक मात्र विक्रेता हो। एकाधिकारी बाजार दशा में वस्तु की एक अकेला विक्रेता होने के कारण विक्रेता का वस्तु की पूर्ति पर नियंत्रण रहता है। विशुद्ध एकाधिकार में
वस्तु का निकट स्थानापन्न उपलब्ध नहीं होता है।
67. एकाधिकारी प्रतियोगिता क्या है ? (What is Monopolistic competition ?)
उत्तर⇒ एकाधिकारी प्रतियोगिता बाजार में एकाधिकार तथा प्रतियोगिता दोनों का अंश पाया जाता है। वास्तविक जगत में न पूर्ण प्रतियोगिता प्रचलित होती है न ही एकाधिकार। वास्तविक बाजार में प्रतियोगिता एवं एकाधिकार दोनों के तत्त्व उपस्थित रहते हैं। इस बाजार दशा के समह के उत्पादक विभेदीकृत वस्तुओं का उत्पादन करते हैं जो एक समान तथा समरूप नहीं होता किन्तु निकट स्थानापन्न अवश्य होता है।
68. एकाधिकार की विशेषताएँ को बताएँ। (Point out features of Monopoly.)
उत्तर⇒ एकाधिकार बाजार में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ पायी जाती है –
(i). एकाधिकारी बाजार में वस्तु का एकमात्र उत्पादक होता है।
(ii). बाजार में एकाधिकारी का कोई निकट स्थानापन्न उपलब्ध नहीं होता है।
(iii). एकाधिकारी कीमत और उत्पादन दोनों को निर्धारित कर सकता है। लेकिन एकाधिकारी कीमत और उत्पादन दोनों को एक समय में एक साथ निर्धारित नहीं कर सकता।
(iv). एकाधिकार में नई फर्मों का उत्पादन क्षेत्र में प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित होता है।
(v). एकाधिकारी माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला होता है। सीमांत आय (MR) तथा औसत आय (AR) से कम होता है।
(vi). एकधिकारी की स्थिति में कीमत विभेद की संभावना हो सकती है।
69. व्यावसायिक बैंक की विशेषताएँ बताइए। (Mention the characteristics of Commercial Bank.)
उत्तर⇒ व्यावसायिक बैंक की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं—
(i). व्यावसायिक बैंक मुद्रा में लेन-देन करता है।
(ii). बैंक का उद्देश्य लाभ अर्जित करना होता है।
(iii). बैंक जनता से ऋण देने के उद्देश्य से जमाएं प्राप्त करता है।
(iv). व्यावसायिक बैंक साख का व्यवहार करता है, इन्हें साख-निर्माण करने की योग्यता होती है।
(v). व्यावसायिक बैंक ऐसी वित्तीय संस्था है जिसकी प्रकृति पूर्णत व्यावसायिक होती
(vi). व्यावसायिक बैंक व्यावसायिक संस्था के रूप में मांग जमा पैदा करती है और ये जमाएं विनिमय के माध्यम के रूप में प्रयोग की जाती है।
70. मध्यवर्ती वस्तुओं के दो उदाहरण दें। (Give two examples of intermediate goods.)
उत्तर⇒मध्यवर्ती वस्तुओं के दो उदाहरण कपास, गन्ना, मैदा है।
71. मूल्यह्रास से आप क्या समझते हैं ? (What do you understand by depreciation?)
उत्तर⇒मूल्यह्रास—किसी परिसम्पति के निरंतर प्रयोग से उसमें टूट-फूट के कारण उसके मूल्य में होने वाले ह्रास को ही मूल्यह्रास (Depreciation) कहते हैं।
72. राष्ट्रीय आय गणना में निवल निवेश को परिभाषित करें। (Define net investment in national income accounting.)
उत्तर⇒निवल निवेश—निवल निवेश से अभिप्राय उस खर्च से है जिसके द्वारा पूंजीगत पदार्थ जैसे मशीन, औजार, निर्माण हेतु कच्चा माल आदि के भण्डारों में वृद्धि की जाती है।
73. ‘मुद्रा लेखा की इकाई है’ समझाइये। (‘Money is unit of account’ Explain.)
उत्तर⇒“मुद्रा लेखा की इकाई है।”
केन्स के अनुसार “मुद्रा लेखा या हिसाब की मुद्रा है। हिसाब या लेखा की मुद्रा वह है जिसमें ऋणों, कीमतों और सामान्य क्रय शक्ति के काम आती है उसे लेखा या हिसाब की इकाई कहा जाता है।
बेन्हम के अनुसार, “जो मुद्रा व्यवहारिक हिसाब किताब का काम आती है उसे हिसाब की इकाई कहते हैं जैसे भारत में रुपया व पैसा लेखे की मुद्रा है इसलिए कहा जाता है कि मद्रा लेखा की इकाई है।
74. अर्थव्यवस्था में स्फीति का क्या अर्थ है ? (What is the meaning of inflation in the economy ?)
उत्तर⇒अर्थव्यवस्था में स्फीति का अर्थ मूल्य स्तरों में होने वाली सतत वृद्धि को ही स्फीति कहा जाता है। स्फीति का शाब्दिक अर्थ, मुद्रा के मूल्य में कमी होता है, अर्थात् मुद्रा के क्रय शक्ति में कमी आने को ही स्फीति कहा जाता है।
75. मुद्रा के प्राथमिक कार्य समझाइए। (Explain Primary Functions of Money.)
उत्तर⇒ मुद्रा के प्राथमिक कार्यों को मुख्य कार्य भी कहा जाता है। इन कार्यों के अंतर्गत मुद्रा के उन कार्यों को शामिल किया जाता है, जो मुद्रा द्वारा प्रत्येक देश में सम्पादित किये जाते हैं। इसलिए मुद्रा के इन कार्यों को मौलिक व आवश्यक कार्य भी कहा जाता है। मुद्रा के दो प्राथमिक कार्य हैं –
(i). विनिमय का माध्यम – मुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में काम करती है। विनिमय का संपूर्ण कार्य मुद्रा के माध्यम से किया जाता है।
(ii). मूल्य का मापक – मुद्रा मूल्य मापन को इकाई का कार्य करती है। मुद्रा द्वारा मूल्य को मापा जा सकता है।
76. मुद्रा के प्रावेगिक अथवा गत्यात्मक कार्य क्या है ? (What is Dynamic functions of money ?)
उत्तर⇒मुद्रा के वे कार्य जिनसे अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियां सक्रीय रूप से प्रचलित । होती है, मुद्रा के प्रावेगिक अथवा गत्यात्मक कार्य कहलाती है।
मुद्रा के गत्यात्मक कार्य निम्न है—
(i). मुद्रा सामान्य कीमत स्तर को प्रभावित करती है।
(ii). मुद्रा आय, उत्पादन, रोजगार स्तर को प्रभावित करती है।
(iii). मुद्रा मौद्रिक नीति एवं राजकोषीय नीति के निर्धारण एवं संचालक का आधार है।
(iv). मुद्रा विशिष्टिकरण एवं श्रम विभाजन का आधार है।
77. प्रामाणिक व प्रतीक मुद्रा में अंतर करें। (Distinguish between standard and token money.)
उत्तर⇒ प्रामाणिक व प्रतीक मुद्रा में निम्न अंतर है –
(i). प्रामाणिक मुद्रा देश का प्रधान सिक्का होता है जबकि प्रतीक मुद्रा प्रामाणिक द्रव का सहायक स्वरूप है।
(ii). प्रामाणिक मुद्रा असीमित विधिग्राह होती है जबकि प्रतीक मुद्रा सीमित विधि ग्राह होती है।
(iii). प्रामाणिक मुद्रा का अंकित मूल्य वास्तविक मूल्य के बराबर होता है जबकि प्रतीक मुद्रा का अंकित मूल्य वास्तविक मूल्य से अधिक होता है।
(iv). प्रामाणिक मुद्रा का स्वतंत्र ढलाई होती है जबक प्रतीक मुद्रा सीमित मुद्रा ढलाई होती है।
(v). प्रामाणिक मुद्रा शुद्ध धातु का बना होता है जबकि प्रतीक मुद्रा खोट मिला होता है।
78. न्यून माँग और अतिरेक माँग को परिभाषित करें। (Define Deficient Demand and Excess Demand.)
उत्तर⇒न्यून माँग (Deficient Demand) – “न्यून माँग वह दशा है जिसमें अर्थव्यवस्था में सामूहिक माँग पूर्ण रोजगार के लिए आवश्यक सामूहिक पूर्ति से कम होती है।”
अतिरेक माँग (Excess demand)— “अतिरेक माँग वह दशा है जिसमें सामूहिक माँग अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार के लिए आवश्यक सामूहिक पूर्ति से अधिक होती है।”
“Excess demand refers to a situation in which aggregate demand becomes excess of aggregate corresponding in full employment in the economy.”
79. न्यून माँग उत्पन्न होने के कारण बताएँ।(Explain Reasons of arising deficient demand.)
उत्तर⇒ न्यून माँग निम्न कारणों से उत्पन्न होती है —
(i). निर्यात में कमी
(ii). बचत प्रवृत्ति में वृद्धि के कारण उपभोग माँग में कमी।
(iii). सार्वजनिक व्यय में कमी
(iv). बैंक दर में वृद्धि से निवेश माँग में कमी
(v). करों में वृद्धि के परिणामस्वरूप व्यय योग्य आय एवं उपभोग माँग में कमी।