Physics Hindi Medium

1. विद्युत आवेश तथा क्षेत्र ( Short Answer Type Question )

 


Q.1. आवेश का संरक्षण सिद्धान्त क्या है ? समझाएँ।

Ans ⇒ आवेश का संरक्षण सिद्धान्त – “किसी संकाय का कुल आवेश नियत होता है।अर्थात् आवेश न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही इनकी सृष्टि की जा सकती है। किसी भी प्रक्रिया के पहले निकाय का जो नेट आवेश होता है, वही प्रक्रिया के बाद भी रहता है। यही आवेश का संरक्षण सिद्धान्त है।


Q.2. विद्युत क्षेत्र तथा उसकी तीव्रता से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ विद्युत क्षेत्र – आवेश का संरक्षण सिद्धान्त क्या हैविद्युत क्षेत्र किसी आवेश के चारों तरफ का वह आकाश है जहाँ विद्युत बल का अनुभव किया जा सकता है। एक-दूसरे से r दूरी पर स्थित दो आवेश q तथा q0 के बीच पारस्परिक क्रिया इस प्रकार होती है कि आवेश q0 अपने चारों तरफ एक विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है,
जिसका अस्तित्व दूसरे आवेशों की उपस्थिति से मुक्त होता है। उपस्थिति की जॉच भी होती है जब एक दूसरे आवेश q0 इस क्षेत्र में लाया जाता है। आवेश q0 का क्षेत्र        जाँच–आवेश से पारस्परिक क्रिया कर विद्युत बल विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। बल विद्युत क्षेत्र का परिमाण दोनों आवेशों के बीच की दूरी पर निर्भर करता है। आवेश q के कारण r दुरी पर स्थित विधुत क्षेत्र की तीव्रता विधुत क्षेत्र की तीव्रता है, जहाँ विद्युत क्षेत्र आवेश q के कारण q0 पर लगता हुआ बल है।
इस प्रकार विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर एकांक धनावेश पर क्रियाशील बल को उसकी तीव्रता कहते हैं। विद्युत तीव्रता एक सदिश राशि है। इसकी दिशा बल विद्युत क्षेत्र की दिशा होती है।
इस प्रकार विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर एकांक धनावेश

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता, E का S.I. मात्रक न्यूटन/ कूलम्ब है।


Q.3. विद्युत द्विध्रुव तथा द्विध्रुव आघूर्ण क्या है ?

Ans ⇒ विद्युत द्विध्रुव – दो बराबर तथा विपरीत बिन्दु आवेश के किसी अल्प दूरी पर स्थित होने की स्थिति में उस निकाय को विद्युत द्विध्रुव कहते हैं।

द्विधव आघूर्ण – किसी विद्युत द्विध्रुव का द्विध्रुव आघूर्ण किसी एक आवेश का मान तथा दोनों आवेशों के बीच की दूरी का गुणनफल है।
माना कि द्विधव आघूर्णA तथा B बिन्दु पर स्थित दो आवेश (-q) तथा (+q) परस्पर 2l दूरी पर स्थित हैं, तो उस विद्युत द्विध्रुव का द्विध्रुव 

आघूर्ण, P = q x 2l = 2ql है। यह एक सदिश राशि है। इसकी दिशा द्विध्रुव की अक्ष के अनुदिश ऋण आवेश से धन आवेश की तरफ होती है। इसका मात्रक कूलम्ब-मीटर तथा विमीय सूत्र [M0L/T] है।


Q.4. विद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा विभव में सम्बन्ध स्थापित करें।

Ans ⇒ विद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा विभव में सम्बन्ध – विद्युत क्षेत्र की तीव्रतामाना कि A तथा B दो बिन्दु अत्यल्प दूरी Δr से अलग हैं जिनके बीच विभवान्तर AV तथा विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E है। आवेश q0 को B से A तक लाने में संपादित कार्य ΔW है, तो हम पाते हैं कि
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा विभव में सम्बन्ध स्थापित करेंक्योंकि F = -q0E है, जहाँ q0 के विरुद्ध बल F को लगाना नितांत आवश्यक है।
विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर किसी दिशा में उसकी तीव्रता का घटक उस दिशा

अतः विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर किसी दिशा में उसकी तीव्रता का घटक उस दिशा में ऋणात्मक विभव प्रवणता के बराबर है। ऋणात्मक चिह्न यह बताता है कि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E तक धनात्मक होता है जब dV/dr ऋणात्मक होता है। विद्युत तीव्रता का मात्रक वोल्ट/मीटर है।


Q.5. समविद्युत् क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाले बलयुग्म का व्यंजक प्राप्त करें।

Ans ⇒ बलयुग्म का व्यंजक – माना कि एक विद्युत द्विध्रुव AB है जिसका आवेश -q व +q कूलम्ब है तथा इनके बीच की दूरी 21 है। द्विध्रुव एकसमान विधुत क्षेत्र E में विद्युत क्षेत्र की दिशा से कोण 0 बनाते हैं। विद्युत क्षेत्र E के कारण +q आवेश पर बल F = qE (विद्युत क्षेत्र E की दिशा में) तथा q आवेश पर बल F = qE (विद्यत क्षेत्र E की दिशा के विपरीत दिशा में लगता है)
चूकि ये दोनों बल परस्पर बराबर तथा विपरीत हैं। अतः इनका परिणामी बल शून्य है। लेकिन ये दोनों बल एक बलयुग्म बनाते हैं जो द्विध्रुव को घुमाकर विद्युत क्षेत्र E की दिशा में लाने का प्रयत्न करता है। इस प्रत्यानयन बलयुग्म का आघूर्ण
समविद्युत् क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाले बलयुग्म

                τ  = बल x लम्बवत् दूरी = qE x BC
                लेकिन समकोण Δ/i CB में,
                            BC = ABsinθ = 2lsinθ
                      ∴    τ = qE x 2lsinθ = pEsinθ                                     (क्योंकि q x 2l = p)


Q.6. कूलम्ब के प्रमेय को लिखें तथा प्रमाणित करें।
अथवा, आवेशित समतल चालक के नजदीक किसी बिन्दु पर विद्युतीय तीव्रता का व्यंजक ज्ञात करें।
अथवा, प्रमाणित करें कि  कूलम्ब के प्रमेय को लिखें तथा प्रमाणित करें है, जहाँ σ आवेश का तलीय घनत्व, ε0 वायु की विद्युतशीलता तथा K माध्यम की पराविधुत स्थिरांक है।

Ans ⇒ कुलम्ब के प्रमेय – किसी आवेशित समतल चालक के बाहर किसी बिन्दु पर विद्युतीय तीव्रता, उसके तलीय घनत्व का 4π/K गुणा है, जहाँ K माध्यम का पराविद्युत स्थिरांक है।
अथवा, “किसी आवेशित समतल चालक के बाहर किसी बिन्दु पर विद्युतीय तीव्रता आवेश के तलीय घनत्व तथा वायु की विद्युतशीलता ε0 का अनुपात होता है।

प्रमाण – माना कि x एक समतल चालक है, जिसका तलीय घनत्व AB समल पर σ है, जो K पराविद्युत स्थिरांक के माध्यम में है। ε0 इसके वायु में विद्युतशीलता है। विद्युतीय बल रेखाएँ अर्थात् विद्युतीय फ्लक्सP बिन्दु चालक के बाहर तथा नजदीक है जिस पर विद्यतीय तीव्रता का मान ज्ञात करना है।अब ds अनुप्रस्थ–परिच्छेद का वैसा बेलन खींचा जिसमें ab तथा cd, AB के समानान्तर है। P, AB समतल में ab तथा cd पर है । विद्युतीय बल रेखाएँ अर्थात् विद्युतीय फ्लक्स AB के अभिलम्बवत् है, तब बेलन के वक्र समतल पर अभिलम्ब विद्युत प्रेरण = 0 (शून्य) होता है।

       ∴ P बिन्दु पर अभिलम्ब विद्युत प्रेरण = K x P बिन्दु पर विद्युतीय तीव्रता x ab का क्षेत्रफल।
        = KE ds या, E. ds
पराविद्युत स्थिरांक के वायु में होने की स्थिति में

पराविद्युत स्थिरांक के वायु में होने की स्थिति में K = 1
∴   E = 4πσ होता है।


Q.7. समान रूप से आवेशित गोला के कारण किसी बिन्दु पर विद्युतीय तीव्रता का व्यंजक प्राप्त करें।

Ans ⇒ आवेशित गोला के कारण किसी बिन्दु के लिए विद्युतीय तीव्रता का व्यंजक
(a) जब आवेशित चालक के बाहर बिन्दु स्थित हो :जब आवेशित चालक के बाहर बिन्दु स्थित होमान लिया कि R त्रिज्या तथा O केन्द्र का एक गोला है जिसे +q आवेश से आवेशित किया गया है । O से r दूरी पर स्थित P एक बिन्दु है। O केन्द्र के साथ r त्रिज्या का एक गोला B खींचा।
         ∴ B गोला का क्षेत्रफल = 4πr2
माना कि P बिन्दु पर विद्युतीय तीव्रता E है।
∴ B तल पर कुल विद्युतीय तीव्रता फ्लक्स = E x 4πr2
गॉस के प्रमेय से, कुल विद्युतीय फ्लक्स सतह के अन्दर कुल आवेशों तथा निर्वात की विद्युतशीलता के अनुपात के बराबर होता है।
जब P बिन्दु आवेशित चालक की सतह पर हो

(b) जब P बिन्दु आवेशित चालक की सतह पर हो :
इस स्थिति में, r = R
अत:                      जब P बिन्दु आवेशित चालक की सतह पर हो

(c) जब बिन्दु आवेशित चालक के अन्दर है –
गोला के अन्दर कोई आवेश नहीं होता है।
∴                          E = 0


Q.8. गॉस के प्रमेय की सहायता से आवेश की समतल चादर के समीप विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक प्राप्त करें।

Ans ⇒ मान लिया कि एक समतल चादर AB है जिस पर आवेश का पृष्ठ घनत्व σ है । इस समतल चादर के समीप कोई बिंदु P है जहाँ विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E का मान ज्ञात करना है।गॉस के प्रमेय की सहायता से आवेश की समतल चादर के             

             समतल चादर के पृष्ठ के लंबवत एक बेलनाकार तल abcd की कल्पना करें जिसका अक्ष तल के लंबवत है तथा सिरे ab और cd चादर के पृष्ठ के समानांतर है। लिया गया बिन्दु P पृष्ठ ab पर स्थित है।
             अब चूंकि विद्युत तीव्रता की दिशा AB के लंबवत अर्थात् बेलन abcd के अक्ष के समानांतर है, अतः विद्युत फ्लक्स का योगदान केवल बेलन के समतल सिरों (ab और cd) पर होगा। यदि हो, तो ab और cd सिरों पर विद्युत फ्लक्स = EdA + EdA = 2EdA
                अतः बेलनाकार तल पर कुल विद्युतीय फ्लक्स = 2 EdA
                अब, चूँकि इस बेलनाकार तल के अंदर आवेश की समतल चादर dA क्षेत्रफल स्थित है इसलिए बेलनाकार तल के भीतर कुल आवेश σdA होगा। अतः गॉस के प्रमेय से तल पर कुल विद्युत फ्लक्स
तल के भीतर कुल आवेश


Q.9. विद्युत आवेश का क्वाण्टीकरण क्या है ?

Ans ⇒ आवेशों का क्वाण्टीकरण (Quantised electric charge)- प्रत्येक पदार्थ सामान्य रूप में आवेशहीन होता है, परन्तु इन पर आवेशों का आदान-प्रदान इलेक्ट्रॉन के रूप में करने पर ये आवेशित होते हैं। अतः किसी पिण्ड पर आवेश Q = ±ne होता है।
जहाँ n = 1, 2, 3, … अर्थात् पूर्णांक संख्या होगी न कि अपूर्णांक संख्या।
अतः किसी पिण्ड पर आवेश का परिमाण हमेशा electric charge (e) का पूर्णांक संख्या के गुणक के रूप में होता है।
यही आवेशों का क्वाण्टीकरण कहलाता है।


Q.10. एकांक आवेश या एक कूलाम्ब आवेश को परिभाषित करें।

Ans ⇒ एकांक आवेश या एक कूलाम्ब आवेश (Unit charge or charge of one coulomb) – माना कि q1 तथा q2 परिमाण के दो आवेश हवा में एक- दूसरे से एक मीटर की दूरी पर रखे गये हैं। कूलाम्ब के नियम से इनके बीच लगा विद्युतीय विकर्षण बल्ब
एकांक आवेश या एक कूलाम्ब आवेश को परिभाषित करें

“अतः अगर हवा में एक मीटर की दूरी पर स्थित दो आवेशों के बीच 9 x 109 N का विकर्षण बल लगता हो तब प्रत्येक आवेश को 1 कूलाम्ब का आवेश या एकांक आवेश कहा जाता है।”


Q.11. क्या विद्युतीय क्षेत्र एक संरक्षी बल है ?

Ans ⇒ संरक्षी बल वह बल होता है जिसके प्रभाव में दो बिन्दुओं के बीच सम्पादित कार्य केवल उसके प्रारंभिक तथा अंतिम बिन्दु पर निर्भर करता है, तय किए गए पथ से स्वतंत्र हो। या बल के प्रभाव में एक पूर्ण चक्र में किया गया कार्य शून्य हो।
अंतिम बिन्दु पर निर्भर करता हैमाना कि समरूप विद्युतीय क्षेत्र माना कि समरूप विद्युतीय क्षेत्र में r दूरी पर A तथा B दो बिन्दु हैं। अत: A से B तक एकांक धन आवेश को लाने में किया गया कार्य
किया गया कार्य


Q.12. विद्युतीय बल रेखाएँ क्या हैं ? इसके मुख्य गुण क्या है ?

Ans ⇒ विद्युत बल रेखाएँ (Electric line of forces) – किसी क्षेत्र में विद्युतीय बल रेखाएँ वे काल्पनिक रेखाएँ हैं जिस पथ पर कोई स्वतंत्र एकांक धन आवेश बंद करता है।
विद्युतीय बल रेखाओं के गुण –Electric line of forces
(i) विद्युतीय बल रेखाएँ +ve आवेश से निकलती हैं तथा –ve आवेश पर बन्द होती है। (ii) विद्युतीय बल रेखाओं के प्रत्येक बिन्दु पर खींची गई स्पेर्श रेखा के दिशा में विद्युतीय क्षेत्र की दिशा होती है।
(iii) दो विद्युतीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काटती है।


Q.13. मुक्त अवस्था की विद्युतशीलता का मात्रक एवं विमा लिखें।

Ans ⇒ विद्युतशीलता का SI मात्रक C2N-1m-2 है। विद्युतशीलता की विमा [M-1L-3T4A2] है।


Q.14. किसी गॉसीय पृष्ठ में (-q), (+2q) तथा (-q) आवेश हैं। पृष्ठ में से परिणामी विद्युत फ्लक्स की गणना करें।

Ans ⇒ गौसीय पृष्ठ के अन्दर कुल आवेश Q = (-q) + (+2q) + (-q) = 0 (Zero)
∴         विद्युत क्षेत्र E = 0
∴         विद्युत फ्लक्स = φ = किसी गॉसीय पृष्ठ
= 0. विद्युत फ्लक्स = 0 (zero)


Q.15. (a) स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखा पर संतत वक्र होती है अर्थात् कोई क्षेत्र रेखा एकाएक नहीं टूट सकती। क्यों ?
(b) स्पष्ट कीजिए कि दो क्षेत्र रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे का प्रतिच्छेदन क्यों नहीं करतीं ?

Ans ⇒ (a) किसी बिन्दु पर स्थिर विद्युत बल रेखा वह पथ है जिसके प्रत्येक बिन्दु पर स्पर्शज्या उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा बताती है।किसी बिन्दु पर स्थिर विद्युत बल रेखा विद्युत-क्षेत्र की दिशा एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर बदल जाती है। अतः बल रेखाएँ आमतौर पर वक्र रेखाएँ होती हैं। इसके अतिरिक्त वह सतत वक्र
होती हैं जो अचानक नहीं टूटती क्योंकि यदि ऐसा है तो टूटने के स्थान पर यह कोई विद्युत क्षेत्र नहीं दर्शाएँगी।

(b) विद्युत-बल रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काटती क्योंकि यदि ऐसा है तो काट बिन्दु पर हम दो स्पर्शज्याएँ खींच सकते हैं जो उस बिन्द पर विद्युत क्षेत्र की दो दिशाएँ दर्शाएँगी जो संभव नहीं है।


Q.16. चित्र में दर्शाए गए वक्र स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित करता है या नहीं ?
चित्र में दर्शाए गए वक्र स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित करता है या नहींAns ⇒ यह चित्र वैद्युत बल रेखाएँ दर्शाता है। इसमें बिन्दु आवेश लिए हैं।


Q.17. चित्र में किसी एकसमान स्थिर वैद्यत क्षेत्र में तीन आवेशित कणों के पथचिह्न (Tracks) दर्शाए गए हैं। तीनों आवेशों के चिह्न लिखिए। इनमें किस कण का आवेश संहति अनुपात अधिकतम है ?
चित्र में किसी एकसमान स्थिर वैद्यत क्षेत्र में तीन आवेशित कणों के पथचिह्नAns ⇒ चूँकि कण (1) और कण (2) धनावेशित प्लेट की ओर विक्षेपित होता है इसलिए इस पर ऋण आवेश है। कण (3) ऋणावेशित प्लेट की ओर विक्षेपित होता है इसलिए इस धन आवेश है।
कण (3) में विक्षेप अधिकतम होता है, इसलिए इस पर आवेश अधिकतम तथा द्रव्यमान न्यूनतम है। अतः कण (3) का आवेश संहति अनुपात अधिकतम है।


Q.18. (a) किसी चालक A जिसमें चित्र में दर्शाए अनुसार कोई कोटर (cavity) है, को Q आवेश दिया गया है। दिखाएँ कि समस्त आवेश चालक के बाह्य पृष्ठ पर प्रतीत होना चाहिए।
           (b) उपर्युक्त प्रश्न में अन्य चालक B जिसपर q आवेश है, कोटर में चित्रानुसार धंसा दिया जाता है कि B चालक A से विद्युतरोधी रहे। दिखाएँ कि चालक A के बाहरी सतह पर कुल आवेश Q + q है।
           (c) किसी सुग्राही उपकरण को उसके पर्यावरण के प्रबल स्थिर विद्युत क्षेत्रों से परिरक्षित किया जाना है। संभावित उपाय लिखें।

Ans ⇒ (a) माना कि चालक A के अन्दर में कोटर है जिसमें आवेश नही है। कोटर के घेरते हुए चालक के अन्दर गाउसीय सतह की कल्पना किया। गाउसीय सतह से जाने वाला विद्युत फ्लक्स φ = 0
           q/ε = 0        ∴    q = 0
अतः चालक के अन्दर आवेश नहीं है। सम्पूर्ण आवेश चालक के बाहरी सतह पर है।

(b) जब कोटर में +q आवेश रखा जाता है तब प्रेरण से A के अन्दर के सतह पर -q आवेश उत्पन्न होता है तथा बाहरी सतह पर +q आवेश उत्पन्न होता है। कोटर के अन्दर कुल आवेश = 0
किसी चालक A जिसमें चित्र में दर्शाए अनुसार कोई कोटरचालक A के बाहरी सतह पर कुल आवेश = Q + q.

(c) उपकरण को धात्विक पृष्ठ के पूर्णतः अन्दर रखा जा सकता है। ऐसा करने पर उपकरण विद्युत प्रभाव से परिरक्षित होता है क्योंकि धात्विक पृष्ठ के अन्दर स्थिर विद्युत क्षेत्र नहीं होता है। इस घटना को स्थिर विद्युत परिरक्षित कहते हैं।
उपकरण को धात्विक पृष्ठ


Q.19. (a) किसी यादृच्छिक स्थिरवैद्युत क्षेत्र विन्यास पर विचार कीजिए। इस विन्यास की किसी शून्य-विक्षेप स्थिति (null-point, अर्थात् जहाँ E = 0) पर कोई छोटा परीक्षण आवेश रेखा गया है। यह दर्शाइए कि परीक्षण का संतुलन आवश्यक रूप से अस्थायी है।
(b) इस परिणाम का समान परिणाम तथा चिहों के दो आवेशों (जो एक-दूसरे से किसी दूरी पर रखे हैं) के सरल विन्यास के लिए सत्यापन कीजिए।

Ans ⇒ इस परिणाम का समान परिणाम तथा चिहों के दो आवेशों(a) माना कि संतुलन स्थायी है। परीक्षण आवेश को शून्य विक्षेप स्थिति सेकिसी भी दिशा में थोड़ा विस्थापित करने पर शून्य विक्षेप स्थिति की ओर परीक्षण आवेश प्रत्यानयन बल अनुभव करेगा। अर्थात् शून्य विक्षेप स्थिति के समीप सभी विद्युत क्षेत्र रेखाएँ शून्य विक्षेप स्थिति के चारों ओर बंद सतह की कल्पना किया जाए तो बंद सतह से होकर नेट विद्युत फ्लक्स अन्दर की ओर होना चाहिए। परन्तु बंद सतह के भीतर ओवश नहीं हो तब विद्युत फ्लक्स शून्य होता है। अतः संतुलन स्थायी नहीं है।

(b) यदि परीक्षण आवेश को शून्य विक्षेप स्थिति Nयदि परीक्षण आवेश को शून्य विक्षेप स्थितिसे दायें या बायें खिसकाया जाए तो इस पर प्रत्यानयन बल लगेगा। जो परीक्षण आवेश को N की ओर लायेगा। यदि परीक्षण आवेश को N के ऊपर या नीचे की ओर विस्थापित किया जाए तब इर पर विद्युत बल लगता है जो परीक्षण आवेश को N से दूर ले जायेगा । अतः परीक्षण आवेश हमेशा सभी दिशाओं में प्रत्यानयन बल का अनुभव नहीं करेगा। अतः परीक्षण आवेश का संतुलन अस्थायी है।


Class 12th physics Subjective question in hindi

भौतिक विज्ञान ( Physics ) Short Answer Type Question
1 विधुत आवेश तथा क्षेत्र
2स्थिर विधुत विभव तथा धारिता
3विधुत धारा
4गतिमान आवेश और चुम्बकत्व
5चुम्बकत्व एवं द्रव्य
6विधुत चुम्बकीय प्रेरण
7प्रत्यावर्ती धारा
8विधुत चुम्बकीय तरंगें
9किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र
10तरंग प्रकाशिकी
11विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति
12परमाणु
13 नाभिक
14अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ
15संचार व्यवस्था

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