5. चुम्बकत्व एवं द्रव्य ( Short Answer Type Question )

5. चुम्बकत्व एवं द्रव्य


1. चुम्बकीय बल रेखाओं से क्या समझते हैं ? इसके प्रमुख तीन गुणों को लिखें।

Ans ⇒ चुम्बकीय बल रेखाएँ – चुम्बकीय क्षेत्र में खींची गयी वे वक्र रेखाएँ जिनके किसी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।
चुम्बकीय बल रेखाओं के तीन प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं –
(i) इनके किसी भी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बताती है।
(ii) ये सदैव बिन्दु वक्र के रूप में होती हैं।
(iii) ये एक-दूसरे को कभी नहीं काटती हैं।


2. चुम्बकीय क्षेत्र में किसी छड़ चुम्बक पर कार्य करने वाल बल आघूर्ण (बल-युग्म) क्या है ? व्यंजक प्राप्त करें।

Ans ⇒ बल-आघूर्ण – चित्रानुसार माना कि m ध्रुव सामर्थ्य तथा 2l लम्बाई की एक छड़ चुम्बक SN, एक समान चुम्बकीय क्षेत्र B में रखा है, जा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के साथ θ कोण बनाता है।
बल-आघूर्ण

बल आघूर्ण (बल-युग्म) के परिमाण τ = MBsinθ
यदि B = 1 तथा θ = 90° तो sinθ = 1 तथा m = τ
इस प्रकार, किसी चुम्बकीय द्विध्रुव का चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण वैसे बल आघूर्ण के बराबर है जो इकाई ध्रुव सामर्थ्य के द्विध्रुव को समान चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् रखने से प्राप्त होता है।


3. किसी बिंदु पर चुम्बकीय विभव तथा चुम्बकीय तीव्रता को परिभाषित करें। दोनों में क्या सम्बन्ध है ? लिखें।

Ans ⇒ किसी बिंदु पर चुम्बकीय विभव – किसी बिन्दु पर चुम्बक की इकाई उत्तरी ध्रुव को अनन्त से उस बिन्दु तक ले जाने में जितना कार्य होता है उसे उस बिन्दु पर का चुम्बकीय विभव कहते हैं। इसे V द्वारा सूचित किया जाता है। इसका मात्रक जूल प्रति ऐम्पियर मीटर है।

किसी बिन्दु पर चुम्बकीय तीव्रता – किसी बिन्दु पर चुम्बक की इकाई ध्रुव को अनन्त से उस बिन्दु तक ले जाने में जितना बल लगता है उसे उस बिन्दु पर की चुम्बकीय तीव्रता कहते हैं, जिसे E द्वारा सूचित किया जाता है। इसका मात्रक वेबर/मीटर² या टेसला या न्यूटन-ऐम्पियर-मीटर है।

चुम्बकीय तीव्रता तथा चुम्बकीय विभव में सम्बन्ध – किसी बिन्द पर चुम्बकीय तीव्रता ऋणात्मक चुम्बकीय विभव प्रवणता के बराबर है।
इसलिए, चुम्बकीय तीव्रता तथा चुम्बकीय विभव में सम्बन्ध है।
अतः चुम्बकीय तीव्रता = ऋणात्मक चुम्बकीय विभव प्रवणता।


4. चुम्बकीय तीव्रता से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ चुम्बकीय तीव्रता – किसी चुम्बक की इकाई आयतन में अणओं के विद्युतीय धारा लूपों के चुम्बकीय आघूर्णों के सदिश योग को चुम्बकीय तीव्रता
कहते हैं। इसे I द्वारा सूचित किया जाता है।
∴  किसी चुम्बक की चुम्बकीय तीव्रता,
चुम्बकीय तीव्रता से आप क्या समझते हैं
संक्षेप में, किसी चुम्बक का इकाई आयतन में उपस्थित चुम्बकीय आघूर्णॊ को चुम्बकीय तीव्रता कहते हैं। इसका मात्रक ऐम्पियर/मीटर है।


5. चुम्बकशीलता तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ चुम्बकशीलता – किसी माध्यम में चुम्बकीय प्रेरण तथा चुम्बकीय क्षेत्र के अनुपात को पदार्थ की चुम्बकशीलता कहते हैं। इसे μ द्वारा सूचित किया जाता है।
चुम्बकशीलता तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं

चुम्बकीय प्रवृत्ति – किसी माध्यम में चुम्बकीय तीव्रता तथा चुम्बकीय क्षेत्र के अनुपात को पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते हैं। इसे X द्वारा सूचित किया जाता है।
चुम्बकीय प्रवृत्ति


6. अनुचुम्बकीय पदार्थ या अनुचुम्बकत्व क्या है ? समझाएँ।

Ans ⇒ अनुचुम्बकीय पदार्थ या अनुचुम्बकत्व-वैसे पदार्थ अनुचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं जिन्हें चुम्बकीय क्षेत्र में धागा से बाँध कर स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर वे चुम्बकीय बल रेखाओं के समानान्तर अर्थात् कमजोर क्षेत्र से हटकर शक्तिशाली क्षेत्र में चले आते हैं। इस प्रकार के गुण अनुचुम्बकत्व कहलाते हैं। जैसे-Pt, Mn, Pd, Os, O2, Al, Cr, CuSO4, Na, CuCl2 इत्यादि। इनकी सापेक्षिक चुम्बकशीलता एक से थोड़ा ज्यादा किन्तु चुम्बकीय प्रवृत्ति से
अनुचुम्बकीय पदार्थ या अनुचुम्बकत्व क्या हैकम तथा धनात्मक है, जो तापक्रम के व्युत्क्रमानुपाती है। इनकी चुम्बकीय तीव्रता एक साथ रैखिक रूप में बदलते हैं तथा कम ताप तथा बहुत अधिक क्षेत्र पर संतृप्तता को प्राप्त करते हैं। ये B-सदिश शैथिल्य नहीं दर्शाते हैं।


7. चुम्बकीय फ्लक्स से क्या अभिप्राय है ? समझाएँ।

Ans ⇒ चुम्बकीय फ्लक्स – चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित किसी तल से उसके लम्बवत् गुजरनेवाली बल रेखाओं की संख्या को उस तल से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स कहते हैं। इसे प्रायः φ (फाई) से प्रदर्शित किया जाता है।
चुम्बकीय फ्लक्समाना कि एक तल जिसका क्षेत्रफल A है जो समान चुम्बकीय क्षेत्र B के लम्बवत् रखा है । चित्रानुसार (a) में इस तल से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स, = BA है।
फिर चित्रानुसार (b) में चुम्बक क्षेत्र B तलपर खींचे गये अभिलम्ब से θ कोण बनाता है तब तल से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स, φ चुम्बकीय क्षेत्र B से इस तल के लम्बवत् घटक Bcosθ तथा तल के क्षेत्रफल A के गुणनफल के बराबर है। अतः φ = BAcosθ है।
चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक वेबर है।
चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक वेबर, अतः चुम्बकीय क्षेत्र B का मात्रक वेबर/मीटर² है।
इसलिए B को चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व भी कहते हैं। B का मात्रक न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर भी है। इसका एक अन्य मात्रक टेसला है। अत: 1 टेसला = 1 वेबर/मीटर² = 1 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर
φ का विमा सूत्र [ML²T-2 I-1] है।


8. चुम्बकशीलता तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति में सम्बन्ध करें।

Ans ⇒ चुम्बकशीलता तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति में सम्बन्ध – किसी माध्यम में चुम्बकीय प्रेरण B तथा चुम्बकन क्षेत्र H के अनुपात को उस माध्य की चुम्बकशीलता कहते हैं। इसे द्वारा व्यक्त किया जाता है। अतः μ = P है।
चुम्बकीयन तीव्रता I तथा चुम्बकन क्षेत्र H के अनुपात को पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते हैं। इसे X द्वारा व्यक्त किया जाता है। अतः है, जिससे X = I/H है जिससे I = XH प्रत्येक माध्यम की चुम्बकशीलता उसकी चुम्बकीय प्रवृत्ति से सम्बद्ध होती है।
चुम्बकशीलता तथा चुम्बकीय प्रवृत्ति में सम्बन्ध करें


9. प्रतिचुम्बकीय पदार्थ या प्रतिचुम्बकत्व क्या है ?

Ans ⇒ प्रतिचुम्बकीय पदार्थ या प्रतिचुम्बकत्व – वैसे पदार्थ प्रति चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं जिन्हें धागे के द्वारा निलम्बन शीर्ष से बाँधकर चुम्बकीय क्षेत्र में स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर वे शक्तिशाली क्षेत्र से हटकर कमजोर क्षेत्र में अर्थात् चुम्बकीय बल रेखा के लम्बवत् आकर स्थित हो जाते हैं। इस प्रकार के गुण प्रति चुम्बकत्व कहलाते हैं। जैसे – Sb, Bi, Zn, Cu, Ag, Pb, H2O, C2H5OH, H2, He, Au, P, NaCl, N2, Hg हवा इत्यादि।
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ या प्रतिचुम्बकत्व क्या है

इनकी सापेक्षिक चुम्बकशीलता एक से कम है, किन्तु चुम्बकीय प्रवृत्ति का मान कम या ऋणात्मक है और तापक्रम पर निर्भर नहीं करता है। इनकी चुम्बकीय तीव्रता चुम्बकीय क्षेत्र के साथ रैखिक रूप से बदलती है। ये B-सदिश शैथिल्य नहीं दर्शाते हैं।


10. चुम्बकत्व के लिए गाउस के नियम को लिखें।

Ans ⇒ गाउस के नियम – किसी भी बंद सतह से गुजरने वाला कुल चुम्बकीय फ्लक्स हमेशा शून्य होता है।
φB = ∑B.ΔS = 0


11. चुम्बकत्व में क्यूरी के नियम को समझाएँ।

Ans ⇒ इस नियम के अनुसार चुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकन तीव्रता I, चुम्बकीय प्रेरण B के समानुपाती तथा तापक्रम T के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
चुम्बकत्व में क्यूरी के नियम को समझाएँ

जहाँ C नियतांक है तथा इसे क्यूरी का नियतांक कहते हैं।


12. (a) एक सदिश को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए तीन राशियों की आवश्यकता होती है। उन तीन स्वतंत्र राशियों के नाम लिखिए जो परंपरागत रूप से पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती है।
(b) दक्षिण भारत में किसी स्थान पर नति कोण का मान लगभग 18° है। ब्रिटेन में आप इससे अधिक नति कोण की अपेक्षा करेंगे या कम की ?
(c) यदि आप ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न शहर में भू-चुंबकीय क्षेत्र रेखाओंका नक्शा बनाएँ तो ये रेखाएँ पृथ्वी के अंदर जाएगी या इससे बाहर आएगी।
(d) एक चुम्बकीय सूई, जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र है, यदि भू-चुंबकीय या दक्षिण ध्रुव पर रखी हो तो यह किस दिशा में संकेत करेगी ?
(e) यह माना जाता है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक चुम्बकीय द्विध्रुव के क्षेत्र जैसा है जो पृथ्वी के केन्द्र पर रखा है और जिसका द्विध्रुव आघूर्ण 8 x 1022 JT-1 है। कोई ढंग सुझाइए, जिससे इस संख्या की परिमाण की कोटि जाँची जा सके।
(f) भू-गर्भशास्त्रियों का मानना है कि मुख्य N-S चुम्बकीय धुवों के अलावा पृथ्वी की सतह पर कोई अन्य स्थानीय ध्रुव भी है, जो विभिन्न दिशाओं में विन्यास है। ऐसा होना कैसे संभव है ?

Ans ⇒ (a) (i) चुम्बकीय दिक्पात (ii) नमन (iii) पृथ्वी के क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र।
(b) जब विषुवत रेखा से ध्रुव की ओर जाया जाता है तब नमन शून्य से 90° तक बढ़ता है। भारत की तुलना में ब्रिटेन चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव के समीप है। इसलिए ब्रिटेन में नमन दक्षिण भारत की तुलना में अधिक होगा।

(c) चूँकि मेलबॉर्न पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध, जहाँ पृथ्वी के चुंबक का उत्तरी ध्रुव है, के निकट है। अतः चुंबकीय बल रेखाएँ पृथ्वी के अंदर से आती प्रतीत होती है।
(d) भू–चुम्बकीय ध्रुव पर BH = 0 अतः चुंबकीय सूई किसी भी दिशा में संकेत करेगी।
(e) पृथ्वी के सतह पर निरक्षीय पर द्विध्रुव के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
पृथ्वी के सतह पर निरक्षीय पर द्विध्रुव के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
यह वास्तव में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के कोटि में है।
(f) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग द्विध्रुव क्षेत्र है। पृथ्वी के अन्दर चुम्बकीय खनिज के रहने से N-S ध्रुव होता है।


13. (a) ठंढा करने पर किसी अनुचुंबकीय पदार्थ का नमूना अधिक चुंबकन क्यों प्रदर्शित करता है ?
(b) अनुचुम्बकत्व के विपरीत प्रति चुम्बकत्व पर ताप का प्रभाव लगभग नहीं होता है क्यों ?
(c) यदि एक टोरॉइड में विस्मथ का क्रोड लगाया जाय तो इसके अंदर चुम्बकीय क्षेत्र उस स्थिति की तुलना में (तनिक कम होगा या (तनिक) ज्यादा होगा, जबकि क्रोड खाली हो?
(d)क्या किसी लौह-चुंबकीय पदार्थ की चुंबकशीलता चुम्बकीय क्षेत्र पर निर्भर करती है ? यदि हाँ तो उच्च चुम्बकीय क्षेत्रों के लिए मान कम होगा या अधिक ?
(e) किसी लौह चुंबक की सतह के प्रत्येक बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ सदैव लंबवत होती है, (यह तथ्य उन स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखाओं के सदश है जो कि चालक की सतह के प्रत्येक बिन्दु पर लंबवत होती हैं।) क्यों ?
(f) क्या किसी अनुचुम्बकीय नमूने का अधिकतम संभव चुंबकन, लौह चुंबक के चुम्बकन के परिमाण की कोटि का होगा ?

Ans ⇒ (a) संरेखित द्वि-ध्रुव को तितर-बितर करने की प्रवृत्ति निम्न ताप पर घटता है क्योंकि अनियमित ऊष्मीय गति घटता है। फलतः अनुचुम्बकीय पदार्थ अधिक चुंबकन प्रदर्शित करता है।

(b) प्रति चुंबकीय पदार्थ में प्रेरित द्वि-ध्रुव आघूर्ण चुम्बकीत करने वाला क्षेत्र के विपरीत दिशा में होता है। इसलिए इसके अणुओं की अनियमित ऊष्मीय गति इसके चुम्बकत्व को प्रभावित नहीं करता है। यही कारण है कि प्रति चुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकत्व पर ताप का प्रभाव नहीं पड़ता है।

(c) बिस्मथ प्रति चुम्बकीय पदार्थ है, इसलिए क्रोड में क्षेत्र क्रोड के खाली होने की तुलना में कम होता है।
(d) नहीं। लौह चुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकशीलता (μ) आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र (H) पर निर्भर करता है और H के बीच वक्र से स्पष्ट है कि H के निम्न मान के लिए μ अधिक होता है।
μ = B/ H
(e) लौह चुम्बकीय पदार्थ के लिए μr > 1 अतः क्षेत्र रेखाएँ इस माध्यम से सतह पर लम्बवत् होती है।
(f) हाँ। अनुचुम्बकीय पदार्थ में अधिकतम संभव चुम्बकन लौह चुंबक के चुम्बकन समान कोटि का हाता है। किन्तु अनुचुम्बकीय पदार्थ के लिए उच्च चुम्बकीय क्षेत्र की आवश्यकता होती है जो व्यवहार में संभव नहीं है।


14. (a) लौह-चुंबकीय पदार्थ के चुंबकन वक्र की अनुत्क्रमणीयता, डोमेनों के आधार पर गुणात्मक दृष्टिकोण से समझाइए।
(b) नर्म लोहे के एक टुकड़े के शैथिल्य पाश का क्षेत्रफल, कार्बन-स्टील को बार-बार चुंबकन चक्र से गुजारा जाए तो कौन-सा टुकड़ा अधिक ऊष्मा ऊर्जा का क्षय करेगा ?
(c) लौह चुम्बक जैसा शैथिल्य पाश प्रदर्शित करने वाली कोई प्रणाली स्मृति संग्रहण की युक्ति है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(d) कैसेट के चुम्बकीय फीतों पर पर्त चढ़ाने के लिए या आधुनिक कम्प्यूटर में स्मृति संग्रहण के लिए, किस तरह के लौह चुम्बकीय पदार्थों का इस्तेमाल होता है ?
(e) किसी स्थान को चुम्बकीय क्षेत्र से परिरक्षित करना है। कोई विधि सुझाइए।

Ans ⇒ (a) जब चुम्बकन क्षेत्र बड़ा होता है तब अन्तर डोमेन की सीमा गायब होने लगता है और चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में डोमेन सजने लगते हैं। चुम्बकन क्षेत्र को कम करने पर डोमेन टूटता नहीं है। इस प्रकार चुम्बकन उत्क्रमणीय नहीं है।
(b) कार्बन-स्टील टुकड़ा, क्योंकि प्रति चक्र के एकांक आयतन में क्षय ऊष्मा शैथिल्य पाश के क्षेत्रफल के बराबर होता है।
(c) लौह चुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन पूर्णतः उत्क्रणीय नहीं है। जब लौह चुम्बकीय पदार्थ को चुम्बकन क्षेत्र में रखा जाता है। तब इसका डोमेन चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में घूम जाता है और यह चुम्बकीत हो जाता है। चुम्बकन क्षेत्र को हटाने पर डोमेन पुनः प्रारम्भिक स्थिति में नहीं आता है। यह कुछ स्मृति को रख लेता है।
(d) इसके लिए निम्न प्रकार के पदार्थ काम में लाये जाते हैं
MnFe2O4; Fe Fe2O4, Ni Fe2O4 आदि ।
(e) नरम लोहा रिंग के द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र को घेर कर ऐसा किया जा सकता है।


15. नीचे दिए गए चित्रों में कई में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ गलत दर्शाई गई है। पहचानिए कि उनमें गलती क्या है ? इनमें कछ में वैद्युत-क्षेत्र रेखाएँ ठीक-ठीक दर्शाई गई है। बताइए वे कौन-से चित्र हैं ?
नीचे दिए गए चित्रों में कई में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ गलत दर्शाई गई है

Ans ⇒ (a) गलत – चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बिन्दु से चित्र के अनुसार बाहर की ओर नहीं निकलता है। लम्बे धनावेशित तार के कारण विद्युत क्षेत्र रेखाओं को निरूपित करता है।
(b) गलत – चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काटती है। पुन: चुम्बकीय बल रेखाएँ बन्द लूप नहीं हो सकता है। धारावाही सीधा चालक के चारों ओर चुम्बकीय बल रेखाओं का बंद लूप होता है। विद्युत बल रेखाएँ बंद लूप नहीं बनाता है।
(c) गलत – चुम्बक के ध्रुवों के बीच में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चित्रानुसार ध्रुव पर सरल रेखा नहीं हो सकता है। यह स्थिति विद्युत बल रेखाओं के लिए भी सत्य है।


16. क्यूरी-नियम क्या है ?

Ans ⇒ अनुचुंबकीय पदार्थ की चुंबकीय प्रवृत्ति (K) पदार्थ के परम ताप (T) के व्युत्क्रमानुपाती होता है यानी K ∝ 1/T
इसे क्यूरी का नियम (Curie’s law) कहते हैं। लौह-चुंबकीय पदार्थ के लिए एक निश्चित ताप के ऊपर जिसे क्यूरी बिंदु (Curie point) कहा जाता है। K का मान अचानक कम हो जाता है और पदार्थ लौह-चुंबकीय से अनुचुंबकीय पदार्थ में बदल जाता है।


17. अनुचुंबकीय तथा प्रतिचुंबकीय पदार्थों के उन दो अभिलाक्षणिक गुणधर्मों का उल्लेख कीजिए, जो इन दो प्रकार के पदार्थ के व्यवहार में भेद दर्शाते हैं।

Ans ⇒

S.Nअनुचुंबकीय पदार्थप्रतिचुंबकीय पदार्थ
(i) धनात्मक लेकिन बहुत छोटा होता है।ऋणात्मक लेकिन बहुत छोटा होता है।
(ii) धनात्मक लेकिन बहुत छोटा होता है।ऋणात्मक लेकिन बहुत छोटा होता है।

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1 विधुत आवेश तथा क्षेत्र
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3विधुत धारा
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5चुम्बकत्व एवं द्रव्य
6विधुत चुम्बकीय प्रेरण
7प्रत्यावर्ती धारा
8विधुत चुम्बकीय तरंगें
9किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र
10तरंग प्रकाशिकी
11विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति
12परमाणु
13 नाभिक
14अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ
15संचार व्यवस्था

 

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