7. ओ सदानीरा ( लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )

7. ओ सदानीरा


1. चम्पारण क्षेत्र में बाढ़ के क्या कारण हैं ?

उत्तर ⇒ चम्पारण क्षेत्र में बाढ़ का प्रमुख कारण जंगलों का कटना है। वन के वृक्ष जल राशि को अपनी जड़ों में थामें रहते हैं। नदियों को उन्मुक्त नवयौवना बनने से बचाते हैं। उत्ताल वक्ष नदी की धाराओं की गति को भी संतुलित करने का काम करते हैं। यदि जलराशि नदी की सीमाओं से ज्यादा हो जाती है, तब बाढ़ आती ही हैं, लेकिन जब बीच में उनकी शक्तियों को ललकारने वाले ये गगनचुम्बी वन न हो तब नदियाँ प्रचंड कालिका रूप धारण कर लेती हैं। वृक्ष उस प्रचंडिका को रोकने वाले हैं। आज चंपारन में वृक्ष को काट कर कृषियुक्त समतल भूमि बना दी गई है। अब उन्मुक्त नवयौवना को रोकने वाला कोई न रहा, इसलिए अपनी ताकत का अहसास कराती है। लगता है मानो मानव के कर्मों पर अट्टाहास करने के लिए, उसे दंड देने के लिए नदी में भयानक बाढ़ आते हैं।


2. धाँगड़ शब्द का क्या आशय है ?

उत्तर ⇒ धाँगड़ शब्द का अर्थ ओराँब भाषा में है-भाड़े का मजदूर। धाँगड़ एक आदिवासी जाति है, जिसे 18 वीं शताब्दी के अंत में नील की खेती के सिलसिले में दक्षिण बिहार के छोटानागपुर पठार से चंपारण के इलाके में लाया गया था। धाँगड़ जाति आदिवासी जातियों-ओराँव, मुंडा, लोहार इत्यादि के वंशज हैं, लेकिन ये अपने आप को आदिवासी नहीं मानते हैं। धाँगड़ मिश्रित ओराँव भाषा में बात करते हैं। धाँगड़ों का सामाजिक जीवन बेहद उल्लासपूर्ण है, स्त्री-पुरुष ढलती शाम के मंद प्रकाश में सामूहिक नृत्य करते हैं।


3. थारूओं की कला का परिचय पाठ के आधार पर दें।

उत्तर ⇒ थारूओं की गृहकला अनुपम है। कला उनकी दैनन्दिन जिंदगी का अंग है। धान पात्र सींक का बनाया जाता है, आकर्षक रंगों और डिजायनों में। सींक और मूंज से घरेलू उपयोगिता के सामान बनाने में उनका कोई सानी नहीं है। उनके गृह सामानों में उनकी कला और उसके सौन्दर्य की झलक मिलती है। धवल सीपों और बीज विशेष से बनाए जाने वाले आभूषण जो उनकी संस्कृति की झलक दिखलाते हैं, जिनका उदाहरण लेखक ने नववधू के अपने प्रियतम को कलेउ कराने के संदर्भ में झंकृत होने वाली वेणियों से दिया है।

उनकी कला उनकी मधुर और स्निग्ध संस्कृति की मनमोहक झलक दिखलाती है। :


4. अंग्रेज नीलहे किसानों पर क्या अत्याचार करते थे ?

उत्तर ⇒ अंग्रेज नीलहे किसानों पर बहुत अत्याचार किया करते थे। किसानों से जबरदस्ती नील की खेती कराई जाती थी। हर बीस कट्ठा जमीन में तीन कट्ठा नील की खेती करना हर किसान के लिए लाजिमी था, जिसे तिनकठिया प्रणाली कही जाती थी। नील की खेती जिस भूमि में की जाती थी, उसकी उर्वरा शक्ति लगभग समाप्त हो जाती थी और भूमि बंजर हो जाती थी। केमिकल रंगों के ईजाद होने के बाद तिनकठिया से मुक्ति पाने के लिए किसानों को मोटी रकम गोरे ठेकेदारों को देना पड़ता था। जिस रास्ते पर साहब की सवारी जाती थी उसपर हिन्दुस्तानी अपने जानवर तक नहीं ले जा सकते थे। साहब के यहाँ कुछ भी हो तो सारा खर्चा रैयत को देना पड़ता था।


5. गंगा पर पुल बनाने में अंग्रेजों ने क्यों दिलचस्पी नहीं ली ?

उत्तर ⇒ संवादों के प्रसार में आधारभूत सुविधाओं का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इन सुविधाओं में परिवहन का साधन अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। अंग्रेज किसानों पर बेहद अत्याचार किया करते थे। बागी विचारों के संप्रेषण को फैलने से बचाने के लिए उन्होंने गंगा पर पल बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। बिना परिवहन के साधन के विचारों संप्रेषण नहीं हो पाता है. वह स्थानिक रह जाता है. जिसे आसानी से दमन किया जा सकता है। गगा पर पुल बन जाने से अंग्रेजों को डर था कि दक्षिण बिहार के बागी विचार वहाँ भी न पहुँच जाएँ और शेष भाग का सहयोग उन्हें न मिल जाए। यह उनकी सत्ता के बहुत ही खतरनाक था।


6. चंपारण में शिक्षा की व्यवस्था के लिए गाँधीजी ने क्या किया ?

उत्तर ⇒ चंपारण में शिक्षा की व्यवस्था के लिए गाँधी जी ने महत्त्वपूर्ण काम किए। उनका विचार था कि ग्रामीण बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था किए बिना केवल आर्थिक समस्याओं को सुलझाने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए उन्होंने तीन गाँवों में आश्रम विद्यालय स्थापित किया-बड़हरवा, मधुबन और भितिहरवा। कुछ निष्ठावान कार्यकर्ताओं को तीनों गाँवों में तैनात किया। बड़हरवा के विद्यालय में श्री बवनजी गोखले और उनकी विदुषी अवंतिकाबाई गोखले ने चलाया। मधुबन में नरहरिदास पारिख और उनकी पत्नी तथा अपने सेक्रेटरी महादेव देसाई को नियुक्त किया। भितिहरवा में वयोवृद्ध डॉक्टर देव और सोपन जी ने चलाया। बाद में पुंडलिक जी गए। स्वयं कस्तूरबा भितिहरवा आश्रम में रहीं और इन कर्मठ और विद्वान स्वयंसेवकों की देखभाल की।


7. गाँधीजी के शिक्षा संबंधी आदर्श क्या थे ?

उत्तर ⇒ गाँधीजी शिक्षा का मतलब सुसंस्कृत बनाने और निष्कलुष चरित्र निर्माण समझते थे। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आचार्य पद्धति के समर्थक थे अर्थात् बच्चे सुसंस्कृत और निष्कलुष चरित्र वाले व्यक्तियों के सानिध्य से ज्ञान प्राप्त करें। अक्षर ज्ञान को वे इस उद्देश्य
की प्राप्ति में विधेय मात्र मानते थे।

वर्तमान शिक्षा पद्धति को वे खौफनाक और हेय मानते थे, क्योंकि शिक्षा का मतलब है-बौद्धिक और चारित्रिक विकास, लेकिन यह पद्धति उसे कुंठित करती है। इस पद्धति में बच्चों को दस्तावेज रटाया जाता है ताकि आगे चलकर वे क्लर्क का काम कर सकें, उनका सर्वांगीण विकास से कोई सरोकार नहीं है।

जीविका के लिए नये साधन सीखने के इच्छुक बच्चों के लिए औद्योगिक शिक्षा के पक्षधर थे। तात्पर्य यह न था कि हमारी परंपरागत व्यवसाय में खोट है वरन् यह कि हम ज्ञान प्राप्त कर उसका उपयोग अपने पेशे और जीवन को परिष्कृत करें।


8. इतिहास की क्रीमियाई प्रक्रिया का क्या अर्थ है ?

उत्तर ⇒ चंपारण का इतिहास अपने में अनेक संस्कतियों को समेटे हए हैं। यहा समय पर बाहरी आक्रमण होते रहे। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार यहाँ बारहवीं शता तान सौ वर्षों तक कर्णाट वंश का शासन था। प्रथम राजा नान्यदेव, चालुक्य नृपात सा के पुत्र विक्रमादित्य के सेनापति, नेपाल और मिथिला की विजय यात्रा पर आए और बस गए। इसके फलस्वरूप सुदूर दक्षिण भारत का रक्त तथा संस्कृति इस प्रदश क का संस्कृति में घुल मिल गए तथा यहाँ की निधि बन गए।

“क्रीमियाई प्रक्रिया” से तात्पर्य इस प्रकार का घुल मिल जाना है। इस श का शाब्दिक अर्थ रासायनिक प्रक्रिया है जिसका विशेष अर्थ हुआ विभिन्न रक्त समूह परस्पर सम्मिलन जिसे प्रकारान्तर में रासायनिक मिश्रण प्रक्रिया कहा जा सकता है। इस पर में बसने वाले लोगों में परस्पर वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित होते गए तथा इस प्रकार का प्रक्रिया चलती रही। इस क्षेत्र के निवासी भी प्राचीन और नवीन के मिश्रण ह, आदि काल से आने जाने वालों का ताँता बँधा रहा है तथा आज भी जारी है।


9. पुंडलीक जी कौन थे ?

उत्तर ⇒ पुंडलीक जी को महात्मा गाँधी ने भितिहरवा में रहकर बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजा था। उन्हें दूसरा कार्य यह सौंपा गया था कि ग्रामवासियों के दिल से भय दूर कर। उन्ह ग्रामवासियों के हृदय में नई आशा तथा सरक्षा का भाव जाग्रत करना था। वे लगभग एक साल रह सके। अंग्रेज सरकार ने उन्हें जिले से निलंबित कर दिया लेकिन फिर भी वह हर दा तान साल में अपने पराने स्थान को देखने आ जाते थे। लेखक की मलाकात संयोग से पुडलाक जी से भितहरवा आश्रम में हुई। वह उनके व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हुए।


10. यह पाठ आपके समक्ष कैसे प्रश्न खड़े करता है ?

उत्तर ⇒ हमारे जीवन का प्रत्येक क्षण एक प्रश्न, एक समस्या लेकर उपस्थित होता है। उसमें अपने जीवन के घटनाक्रमों से अनेक बातों को सीखने तथा समझने का अवसर मिलता है। ऐसे अनेक प्रश्न हमारे इर्द गिर्द मँडराते रहते हैं जिनसे निपटने के लिए अनथक तथा सार्थक प्रयास अपेक्षित है इस दिशा में हमारा व्यावहारिक ज्ञान सहायक होता है।

प्रस्तुत पाठ में हमारे समक्ष इसी प्रकार के कतिपय प्रश्न उपस्थित हुए हैं। पहली समस्या यह है कि हमारे अनुत्तरदायित्वपूर्ण रवैये से वनों का निरन्तर विनाश किया जा रहा है। चंपारण की शस्य श्यामला भूमि जो हरे-भरे वनों से आच्छादित है, वहाँ एक लम्बे अरसे से वृक्षों का काटा जाना जारी है। उसने हमारे पर्यावरण को तो प्रभावित किया ही है, हमारी नदियों ने वर्षाकाल में अप्रत्याशित बाढ़ एवं तबाही का दृश्य प्रस्तुत किया है। वृक्षों के क्षरण से उनके तटों में जल-अवरोध की क्षमता का ह्रास हुआ है। वनों का विनाश कर कृषि योग्य भूमि बनाने. भवन. कल-कारखानों एवं उद्योगों की स्थापना करने से इन सारी विपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। वृक्षों की घटती संख्या तथा धरती की हरियाली में निरंतर ह्रास से वर्षा की मात्रा भी काफी घट गई है।

इस पाठ में चंपारण में प्रवाहित होने वाली गंडक, पंडई, भसान, सिकराना आदि नदिया किसी जमाने में वनश्री के ढंके वक्षस्थल में किलकती रहती थीं. अब विलाप करती हैं, निर्वस्त्र हो गई हैं। इससे अनेक समस्याओं ने जन्म लिया है-नादियों का कटाव, अप्रत्याशित वीभत्स बाढ़ की विनाश लीला, पर्यावरण प्रदूषण, अनियमित तथा कम मात्रा में वर्षा का होना आदि।

हमें इन समस्याओं से निदान हेतु वनों की कटाई पर तत्काल रोक तथा वृक्षारोपण करना होगा। सौभाग्य से गंडक घाटी योजना के अन्तर्गत सरकार द्वारा नहरों का निर्माण कर गडक को दूरवस्था से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया गया। इसी प्रकार की अनेक योजनाएँ अन्य नदियों के साथ भी अपेक्षित हैं।


  S.N हिन्दी ( HINDI )  – 100 अंक  [ गध खण्ड ]
 1. बातचीत 
 2. उसने कहा था 
 3. संपूर्ण क्रांति 
 4. अर्धनारीश्वर 
 5. रोज 
 6. एक लेख और एक पत्र 
 7. ओ सदानीरा 
 8. सिपाही की माँ 
 9. प्रगीत और समाज 
 10. जूठन  
 11. हँसते हुए मेरा अकेलापन 
 12. तिरिछ 
 13. शिक्षा 
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