bihar board class 12th model paper 2022 pdf download मनोविज्ञान (Psychology) SET-1 Bihar Board Inter Exam 2022


1. बुद्धि का द्वि-कारक सिद्धान्त को किसने विकसित किया ?

(A) गिलफोर्ड
(B) स्पीयरमैन
(C) थार्नडाइक
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ B

2. निम्नलिखित में से कौन-सा औसत बद्धि को दर्शाता है ?

(A) 80-90
(B) 120-130
(C) 70-79
(D) 90-109

Answer ⇒ D

3. साइमन प्रथम बुद्धि परीक्षण को विकसित किया वर्ष में

(A) 1908
(B) 1905
(C) 1906
(D) 1912

Answer ⇒ C

4. बद्धि लब्धि संप्रत्यय को किसने विकसित किया ?

(A) साइमन
(B) बिने
(C) टरमन
(D) गिलफोर्ड

Answer ⇒ A

5. महात्मा गाँधी अहिंसा के अनुगामी थे, यह शीलगुण के अर्न्तगत आता है

(A) सतही शीलगुण
(B) केंद्रीय शीलगुण
(C) प्रमुख शीलगुण
(D) गौण शीलगुण

Answer ⇒ C

6. कैटेल के 16 पी एफ प्रश्नावली मापता है

(A) बुद्धि
(B) अभिरूचि
(C) व्यक्तित्व
(D) अभिक्षमता

Answer ⇒ C

7. व्यक्तित्व शब्द की उत्पत्ति हुई है।

(A) श्रेष्ठ व्यक्ति से
(B) मुखौटा से
(C) अभिनय करने से
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ D

8. निम्नलिखित में से कौन-सा ई-पी-क्यू का सही रूप है ?

(A) आइजेन्क व्यक्तिगत प्रश्नावली
(B) आइजेक शततमक प्रश्नावली
(C) आइजेन्क व्यक्त्वि प्रश्नावली
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ A

9. रोशार्क स्याही धब्बा परीक्षण में कार्ड होता है

(A) 12
(B) 11
(C) 9
(D) 10

Answer ⇒ D

10. निम्नलिखित में से कौन-सा वास्तविकता सिद्धान्त से संचालित होता है ?

(A) इदम
(B) पराहम
(C) अहम
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ A

11. किशोरावस्था का प्रमुख विशेषता अनन्यता संकट है, किसने कहा था ?

(A) एडलर ने
(B) इरिक्सन ने
(C) वैनडुरा ने
(D) होर्नी ने

Answer ⇒ A 

12. किसने पूर्णतः प्रकार्यशील व्यक्ति पर अधिक बल दिया ?

(A) रोजर्स
(B) मैसलो
(C) मार्गारेट मीड
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ B

13. किसने सामहिक अचेतन संप्रत्यय को प्रस्तावित किया था ?

(A) फ्रायड
(B) एडलर
(C) युंग
(D) वुण्ट

Answer ⇒ A

14. निम्नलिखित में से धनात्मक तनाव कहा जाता है ?

(A) हाइपोस्ट्रेस
(B) यूस्ट्रेस
(C) हाइपरस्ट्रेस
(D) डिस्ट्रेस

Answer ⇒ D

15. वायरस क्या है ?

(A) एन्टीजेन्स
(B) एन्टीवॉडिज
(C) पैथोजेन्स
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ D

16. निम्नलिखित में कौन-सा मनोवैज्ञानिक दृढ़ता का अवयव नहीं है ?

(A) चुनौती
(B) नियंत्रण
(C) वचनबद्धता
(D) द्वंद्व

Answer ⇒ D

17. कौन-सा प्रतिबल प्रबंधन से संबंधित है ?

(A) व्यायाम
(B) मनन प्रविधि
(C) बायोफिडबैक
(D) दमन

Answer ⇒ A

18. निम्नलिखित में से कौन मनोवैज्ञानिक तनाव का स्रोत माना जाता है ?

(A) वायु प्रदूषण
(B) सामाजिक दवाब
(C) कुंठा
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ D

19. बहु-बुद्धि का सिद्धांत प्रतिपादित किसके द्वारा किया गया है –

(A) गिलफोर्ड
(B) गार्डनर
(C) मर्फी
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ D

20. निम्नलिखित में से कौन-सा लक्षण आतंक विकृति से संबंधित नहीं है ?

(A) तीव्र डर
(B) पसीना आना
(C) हृदय गति कम या तीव्र
(D) बाध्यता

Answer ⇒ D

21. डोपामाइन की अत्यधिक स्राव की ओर ले जाता है –

(A) दुश्चिंता मनोविकृति
(B) मनोदशा मनोविकृति
(C) विषाद
(D) मनोविदालिता

Answer ⇒ D

22. कौन-सा मादक द्रव्य दुरूपयोग का सामान्य प्रकार नहीं है ?

(A) हेराइन
(B) कोकेन
(C) अल्कोहल
(D) दुर्भीति

Answer ⇒ A

23. किस चिकित्सा विधि में फ्लडिंग का प्रयोग किया जाता है ?

(A) व्यवहार चिकित्सा विधि
(B) संज्ञानात्मक चिकित्सा विधि
(C) मानवतावादी चिकित्सा विधि
(D) गेस्टाल्ट चिकित्सा विधि

Answer ⇒ D

24. मनचिकित्सा के लक्ष्य कौन है ?

(A) अनुकुल व्यवहार को प्रोत्साहित करना
(B) सांवेगिक दबावों एवं द्वंद्व को कम करना
(C) आत्म-चेतना को बढ़ाना
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ D

25. कार्ल रोजर्स विकसित किया है –

(A) संज्ञानात्मक चिकित्सा विधि
(B) व्यवहार चिकित्सा विधि
(C) क्लायंट-कौद्रित चिकित्सा विधि
(D) लोगों चिकित्सा विधि

Answer ⇒ B

26. व्यवहार चिकित्सा आधारित है –

(A) अभिप्रेरण सिद्धांत पर
(B) अधिगम सिद्धांत पर
(C) विस्मरण सिद्धांत पर
(D) प्रत्यक्षण सिद्धांत पर

Answer ⇒ A

27. निम्नलिखित में कौन-सा वैकल्पिक चिकित्सा के देशी विधि नहीं है ?

(A) योग
(B) मनन
(C) एक्यूपंक्चर
(D) मॉडलिंग

Answer ⇒ D

28. मनोवृत्ति पूर्वाग्रह से कैसे भिन्न है ?

(A) आवेष्टन
(B) तदनुभूति
(C) विभेदन
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ B

29. संज्ञानात्मक असंवादिता संप्रत्यय का प्रतिपादन किसने किया था ?

(A) मायर्स
(B) फेस्टिंगर
(C) हाईडर
(D) बर्न

Answer ⇒ A

30. दफ्तर एवं फैक्ट्री के कर्मचारी समूह का उदाहरण है –

(A) प्राथमिक समूह
(B) गौण समूह
(C) अन्तः समूह
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ C

31. किसी व्यक्ति के उपस्थिति में कोई विशिष्ट कार्य की बेहतर निष्पादन कहलाता है –

(A) सामाजिक सुकरीकरण
(B) सामाजिक श्रमावनयन
(C) परोपकारिता
(D) आज्ञापालन

Answer ⇒ B

32. निम्नलिखित में से कौन प्वनि को मापता है ?

(A) माइक्रो बेल
(B) बेल
(C) डेंसिवेल
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ C

33. आक्रामकता का कारण कीन नहीं है ?

(A) मॉडलिंग
(B) कुंठा
(C) व्यवहारपक औषध
(D) बच्चों का पालन-पोषण

Answer ⇒ A

34. पर्यावरण के संदर्भ में कौन सही है ?

(A) भौतिक वातावरण से संबंधित
(B) सांस्कृतिक वातावरण से संबंधित
(C) सामाजिक वातावरण से संबंधित
(D) ये सभी

Answer ⇒ D

35. भारतीय परिप्रेक्ष्य में निर्धन किसे कहा जाता है ?

(A) आमदनी और आवश्यकता दोनों ज्यादा
(B) आमदनी कम एवं जीवन अपर्याप्त
(C) आमदनी अधिक और आवश्यकता कम
(D) इनमें से कोई नहीं ।

Answer ⇒ B

36. निम्नलिखित में से कौशल के बारे में कौन-सा कथन सही नहीं है ?

(A) यह एक जन्मजात गुण है
(B) इससे व्यक्ति की मनोवृत्ति में परिवर्तन होता है
(C) यह व्यक्तित्व में परिवर्तन लाता है
(D) इसे प्रशिक्षण या अनुभव से अर्जित करता है

Answer ⇒ B

37. कौन-सा संचार का अवयव नहीं है ?

(A) सुनना
(B) बोलना
(C) परानुभूति
(D) शारीरिक भाषा

Answer ⇒ D

38. 10 अक्टूबर को मनाया जाता है।

(A) विश्व पर्यावरण दिवस
(B) मानसिक स्वास्थ्य दिवस
(C) विश्व साक्षरता दिवस
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ C

39. एक अच्छे परामर्शदाता के कौन-कौन से गुण हैं ?

(A) अच्छा मानसिक स्वास्थ्य
(B) परानुभूति
(C) परामर्शग्राही के प्रति स्वीकारात्मक सम्मान
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ C

40. समूह संघर्ष का कारण कौन नहीं है ?

(A) ध्वंसात्मक प्रवृत्ति
(B) प्रतियोगिता तथा प्रतिस्पर्धा
(C) व्यक्तित्व संरचना
(D) समझौता वार्ता

Answer ⇒ D

41. एक उत्तम बलायंट-परामर्शदाता संबंध निम्नांकित नियमावली पर आधारित है

(A) गोपनियता पर
(B) व्यवसायिक खुलापन पर
(C) व्यवसायिक संबंध पर
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ D

42. किसने सर्वप्रथम वैयक्तिक भिन्नता को मापा ?

(A) फ्रायड
(B) गाल्टन
(C) बिने
(D) इसमें से कोई नहीं

Answer ⇒ C

43. व्यक्तित्व के कारक विश्लेषण सिद्धान्त का प्रतिपादक कौन है ?

(A) ऑलपोर्ट
(B) फ्रीडमैन
(C) कैटेल
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ C

44. किस अभिक्षमता को ए. एस. टी. के नाम से जाना जाता है ?

(A) विभेदक अभिक्षमता
(B) सामान्य अभिक्षमता
(C) आम्र्ड सर्विसेज व्यवसायिक
(D) व्यावसायिक अभिक्षमता

Answer ⇒ C

45. जैवप्रतिप्राप्ति था बायोफीडबैक की कितनी अवस्थाएँ होती हैं ?

(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) एक

Answer ⇒ B

46. सभी ऐल्कोहॉल पेय पदार्थों में होता है –

(A) मिथाइल ऐल्कोहॉल
(B) इथाइल ऐल्कोहॉल
(C) कीटोन
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ B

47. फ्रायड द्वारा प्रतिपादित मनोविश्लेषण विधि में कौन-सा कथन सही है ?

(A) मनोविश्लेषण व्यक्तित्व का एक सिद्धान्त
(B) मनोविश्लेषण एक स्कूल है
(C) मनोविश्लेषण चिकित्सा की एक विधि है
(D) उपर्युक्त सभी

Answer ⇒ C

48. व्यक्ति दूसरों की उपस्थिति में बेहतर प्रदर्शन क्यों करता है ?

(A) सहजता के कारण
(B) भाषा प्रबोधन के कारण
(C) परस्परता के कारण
(D) सामाजिक अनन्यता के कारण

Answer ⇒ D

49. निम्नलिखित में कौन द्वितीयक समूह नहीं है ?

(A) परिवार
(B) विद्यालय
(C) राजनैतिक दल
(D) क्लब

Answer ⇒ A

50. नलिकाविहीन ग्रन्थि का नाम है

(A) बहिःस्रावी ग्रन्थि
(B) अन्तःसावी ग्रन्थि
(C) एड्रीनल ग्रन्थि
(D) कंठ ग्रन्थि

Answer ⇒ C

51. किस चिकित्सा पद्धति में सीखने के सिद्धान्तों का प्रयोग होता है ?

(A) मनोविश्लेषण चिकित्सा
(B) समूह चिकित्सा
(C) व्यवहार चिकित्सा
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ C

52. दूसरे के आइनों में अपने को झाँकने का भाव किस कौशल को दर्शाता है ?

(A) समानुभूति
(B) सहानुभूति
(C) आत्म अनुशासन
(D) प्रेक्षण कौशल

Answer ⇒ A

53. कौन थाईडाइक के सीखने का नियम नहीं है ?

(A) साहचर्य नियम
(B) तत्परता का नियम
(C) अभ्यास का नियम
(D) प्रभाव का नियम

Answer ⇒ D

54. सीखने के सूझ सिद्धान्त के अनुसार प्राणी को सफलता मिलती है

(A) संयोगवश
(B) क्रमश:
(C) एकाएक
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ A

55. श्वसन अभ्यास को योग में क्या कहा जाता है ?

(A) मनन
(B) आसन
(C) प्राणायाम
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ C

56, व्यवहार चिकित्सा किस सिद्धान्त पर आधारित है ?

(A) अधिगम सिद्धान्त
(B) अभिप्रेरणा सिद्धान्त
(C) प्रत्यक्षण सिद्धान्त
(D) विस्मरण सिद्धान्त

Answer ⇒ A

57. निम्नांकित में कौन मनोविदलिता का एक प्रकार नहीं है ?

(A) विघटित मनोविदालिता
(B) व्यामोहास विदालिता
(C) मिश्रित मनोविदालिता
(D) विद्रोही मनोविदालिता

Answer ⇒ A

58. निम्नांकित में से कौन-सा मनोवैज्ञानिक विकारों के वर्गीकरण की नवीनतम पद्धति है ?

(A) डी एस एम III आर
(B) डी एस एम IV
(C) आई सी डी-9
(D) डब्ल्यू एस ओ

Answer ⇒ 

59. कौशल के बारे में कौन कथन सही है ?

(A) कौशल में व्यक्ति की मनोवृत्ति में परिवर्तन होता है
(B) कौशल एक जन्मजात गुण होता है
(C) कौशल को प्रशिक्षण से अर्जित किया जाता है
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ C

60. समूह संरचना का तात्पर्य है

(A) समूह का आकार
(B) समूह की प्रभावशीलता
(C) समूह का लक्ष्य
(D) इनमें से सभी

Answer ⇒ D

61. निम्नलिखित में कौन प्रतिरक्षा मनोरचना है ?

(A) दमन
(B) दलन
(C) प्रक्षेपण
(D) इनमें सभी

Answer ⇒ D

62. सर्जनात्मकता की अवस्थाओं के प्रसंग में कौन-सा बेमेल पद है ?

(A) अभिप्रेरणा
(B) आयोजन
(C) अद्भवन
(D) प्रबोधन

Answer ⇒ A

63. बुद्धि के द्वि-कारक सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया ?

(A) चार्ल्स स्पीयरमैन
(B) बिने
(C) रेबर
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ A

64. निम्नलिखित में कौन मनुष्य के व्यवहार को बाह्य तथा आंतरिक कारकों की अंतःक्रिया का परिणाम मानता है ?

(A) वस्तुवादी परिप्रेक्ष्य
(B) स्थितिवादी परिप्रेक्ष्य
(C) सामान्य परिप्रेक्ष्य
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ B

65. बाकर मेहदी परीक्षण मापक है

(A) अभिरुचि का
(B) सर्जनात्मक का
(C) व्यक्तित्व का
(D) मनोवृत्ति का

Answer ⇒ B

66. बुद्धि के ‘योजना, अवधान-भाव प्रबोधन तथा सहकालिक-आनुक्रमिक मॉडल’ को प्रस्तावित किया ।

(A) जे० पी० दास-नागलीरी-किर्वी
(B) बिने-टर्मन-किर्बी
(C) नागलीरी-बिने-टर्मन
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ A

67. ‘स्टर्नबर्ग’ के अनुसार बुद्धि की श्रेणी है

(A) 55
(B) 2
(C) 1
(D) 3

Answer ⇒ D

68. यदि किसी बच्चे की वास्तविक आयु 100 महीना है तथा मानसिक आयु 120 महीना है तो उसकी बुद्धि-लब्धि होगी

(A) 105
(B) 110
(C) 900
(D) 120

Answer ⇒ D

69. कैटेल के अनुसार शीलगुण-गुच्छे कितने हैं ?

(A) 25
(B) 35
(C) 150

Answer ⇒ D

70. निम्न में से कौन सामान्य अनुकूलन संलक्षण (जी० ए० एस०) के चरण नहीं हैं ?

(A) सचेत प्रतिक्रिया
(B) प्रतिरोध
(C) प्रत्याहार
(D) परिश्रांति

Answer ⇒ C

लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 

प्रश्न संख्या 1 से 20 तक लघु उत्तरीय हैं। इनमें से किन्हीं 10 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 2 अंक निर्धारित है। प्रत्येक उत्तर के लिए शब्द सीमा 30-40 शब्द है।
10 x 2 = 20

1. आत्म-प्रतिवेदन विधि क्या है?
2. दुर्भीति के कारणों का वर्णन करें।
3. क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण का व्याख्या करें।
4. मानव व्यवहार पर शोर के प्रभाव का उल्लेख करें।
5. सामान्य एवं असमान्य के बीच अंतर करें।
6. तनाव क्या है ?
7. बायोफिडबैक से आप क्या समझते हैं ?
8. जीवन कौशल क्या है ?
9. मनश्चिकित्सात्मक उपागमों में कौन-सा अभिलक्षण पाया
10. मनोवृत्ति क्या है ?
11. प्राथमिक समूह क्या है ?
12. योग क्या है?
13. पूर्वाग्रह एवं भेदभाव में अंतर करें।
14. आज्ञापालन की व्याख्या करें।
15. वायु प्रदूषण क्या है ?
16. आक्रामकता के प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें।
17. विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या है ?
18. संप्रेषण के मुख्य प्रकारों की व्याख्या करें।
19. सकारात्मक अभिवृत्ति से आपका क्या तात्पर्य है ? स्पष्ट कीजिए।
20. अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति के घटकों की विवेचना कीजिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. आत्म-प्रतिवेदन (Self-report) व्यक्तित्व के मापन का एक लोकप्रिय विधि है जिसमें व्यक्ति दिए गये प्रश्नों या कथनों को पढ़कर वस्तुनिष्ठ रूप से उत्तर देता है। यहाँ व्यक्ति प्रश्नों या कथनों को पढ़कर यह समझने की कोशिश करता है कि वे स्वयं उनके लिए कितने सही या गलत हैं शायद यही कारण है कि इसे आत्म-प्रतिवेदन मापक (Self-report measure) कहा जाता है।


2. दुर्भीति में लोगों को किसी विशिष्ट वस्तु, लोक या स्थितियों के प्रति अविवेकी या अतर्क भय होता है। दुर्भीति बहुधा धीरे-धीरे या सामान्यीकृत दुश्चिंता विकास से से उत्पन्न होती है। यदि किसी को साँप से अधिक भय हो तो यह सामान्य दुर्भीति दोषपूर्ण के कारण हो सकता है। यह एक प्रकार की विशिष्ट दुर्भीति होती है। इसमें अविवेकी या अतर्क भय जैसे किसी विशिष्ट प्रकार के जानवर के प्रति तीव्र भय का होना या किसी बंद जगह में होने के भय का होना सम्मिलित होते हैं। यह दुर्भीति दुश्चिता विकार से उत्पन्न हुई होगी।


3. क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण में व्यक्ति को उद्देश्यपूर्ण क्रिया, विवेकशील चिंतन आदि का परिक्षण किया जाता है। इस प्रकार व्यक्ति की अभिक्षमता की जानकारी प्राप्त कर उसके बुद्धि के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली जाती है।


4. शोर हमारे चिंतन, स्मृति तथा अधिगम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। शोर से हमारो सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है तथा मानसिक क्रियाओं पर निषेधात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इससे एकाग्रता कम हो जाती है।


5. सामान्य ये हैं जिनका व्यवहार नियमित हो। असामान्य वे हैं जिनका व्यवहार अनियमित हो। यह एक अवधारणा है।


6. बाहा प्रतिवल के प्रति प्रतिक्रिया को तनाव कहते हैं। यह मानसिक स्थिति है।


7. आत्म नियमन (बायोफिडबैक) का तात्पर्य हमारे अपने व्यवहार को संगठित और परिवीक्षण या मॉनीटर करने की योग्यता से है।


8. कौशल पद को प्रवीणता, दक्षता या निपुणता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसका अर्जन या विकास प्रशिक्षण अनुभव के द्वारा किया जा सकता है।


9. सभी मनश्चिकित्सात्मक उपागों में निम्न अभिलक्षण पाए जाते हैं-

(i) चिकित्सा के विभिन्न सिद्धांतों में अंतर्निहित नियमों का व्यवस्थित या क्रमबद्ध अनुप्रयोग होता है।

(ii) केवल वे व्यक्ति, जिन्होंने कुशल पर्यवेक्षण में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया हो, मनश्चिकित्सा कर सकते हैं, हर कोई नहीं।

(iii) चिकित्सात्मक स्थितियों में एक चिकित्सक और एक सेवार्थी होता है जो अपनी संवेगात्मक समस्याओं के लिए सहायता चाहता और प्राप्त करता है।

(iv) इन दो व्यक्तियों, चिकित्सक एवं संवार्थी के बीच की अंत:क्रिया के परिणामस्वरूप एवं चिकित्सात्मक संबंध का निर्माण एवं उसका सुदीकरण होता है। यह एक गोपनीय, अंतवैयक्तिक एवं गत्यात्मक संबंध होता है। वही मानवीय संबंध किसी भी मनोविज्ञान चिकित्सा का केन्द्र होता है तथा यही परिवर्तन का माध्य बनता है।


10. मनोवृत्ति भावनात्मक तत्व का संगठन है। इसमें a, b, c तत्व संगठित होता है।


11. प्राथमिक समूह पूर्व-विद्यमान निर्माण होते हैं जो प्राय: व्यकिा को प्रदत्त किया जाता है।


12. योग का आशय केवल आसन या शरीर संस्थिति घटक अथवा श्वसन अभ्यास या प्राणायाम अथवा दोनों के संयोग से होता है।


13. पूर्वाग्रह किसी विशिष्ट समूह के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति है एवं अनेक स्थितियों में विशिष्ट समूह के संबंध में रूटधारणा पर आधारित है।


14. अनुपालन मानक को अनुपस्थिति में भी मात्र दूसरे व्यक्ति पा समूह के अनुरोध में प्रत्युत्तर करने को इंगित करता है।


15. वायु में अवांछित पदार्थो का मिश्रित होना वायु प्रदूषण कहलाता है।


16. (i) आक्रामकत्ता की सहज प्रवृत्ति एवं (ii) कुंठा।


17. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुका राष्ट्र संघ की संस्था है जो विश्व में स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल रखती है।


18. संप्रेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अर्थ का संचरण एक व्यक्ति से दूसरे व्यकिा तक किया जाता है। हमारी संप्रेषण प्रक्रिया आकस्मिक, अभिव्यक्तिपरक या वाक्पटुता हो सकती है।


19. सकारात्मक अभिवृत्ति- सकारात्मक स्वास्थ्य तथा कुशल-क्षेम सकारात्मक अभिवृत्ति के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। सकारात्मक अभिवृत्ति की ओर ले जानेवाले कुछ कारक इस प्रकार हैं वास्तविकता का सही प्रत्यक्षण; जोवन में उद्देश्य तथा उत्तरदायित्व की भावना का होना; दूसरे व्यकिायों के भिन्न दृष्टिकोणों के प्रति स्वीकृति एवं सहिष्णुता का होना तथा सफलता के लिए श्रेय एवं असफलता के लिए दोष भी स्वीकार करना। अंत में, नए विचारों के लिए खुलापन तथा विनोदी स्वभाव, जिससे व्यक्ति स्वयं अपने ऊपर भी हँस सके, हमें ध्यान केन्द्रित करने तथा चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में देख सकने में सहायता करते हैं।


20. सामाजिक प्रभाव के कारण लोग व्यक्ति के बारे में तथा जीवन से जुड़े विभिन्न विषयों के बारे में एक दृष्टिकोण विकसित करते हैं जो उनके अंदर एक व्यवहारात्मक प्रवृत्ति के रूप में विद्यमान रहती है, अभिवृत्ति कहलाती है।

अभिवृत्ति के तीन घटक होते हैं- भावात्मक, संज्ञानात्मक एवं व्यवहारात्मक। सांवेगिक घटक को भावात्मक पक्ष के रूप में जाना जाता है। विचारपरक घटक को संज्ञानात्मक पक्ष कहा जाता है। क्रिया करने की प्रवृत्ति को व्यवहारपरक या क्रियात्मक घटक कहा जाता है। अभिवृत्ति स्वयं में व्यवहार नहीं है परंतु वह एक निश्चित प्रकार से व्यवहार या क्रिया करने की प्रवृत्ति को प्रकट करती है। ये संज्ञान के अंग हैं जो सांवेगिक घटक से युक्त होने तथा इनका बाहर से प्रेक्षण नहीं किया जा सकता है।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न संख्या 21 से 26 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इस कोटि के प्रत्येक प्रश्न के लिए 5 अंक निर्धारित हैं। किन्हीं 3 प्रश्नों का उत्तर दें। प्रत्येक उत्तर के लिए शब्द सीमा 80 से 100 शब्द है।
5 x 3 = 15

21. बुद्धि परीक्षण के उपयोगों एवं सीमाओं की व्याख्या करें।
22. आइजेन्क के व्यक्तित्व सिद्धांत की व्याख्या करें।
23. फ्रायड के मन के आकारात्मक पहलूओं का वर्णन करें।
24. सामान्य अनुकूलन संलक्षण का वर्णन करें।
25. मनोविदलता के प्रमुख लक्षण का वर्णन करें।
26. मानव व्यवहार पर भीड के प्रभाव का वर्णन करें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

21. बुद्धि परीक्षणों के उपयोग एवं दुरुपयोग निम्नलिखित हैं-

(i) किमी परीक्षण पर खराब प्रदर्शन बच्चों पर कलंक लगा सकता है तथा उनके उत्पादन और आत्म-सम्मान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

(ii) परीक्षण माता-पिता, अध्यापकों तथा बड़ों के भेषभावपूर्ण आचरण का न्योता दे सका है।

(iii) मध्यवर्गीय और उच्चवर्गीय जनसंख्याओं के पक्ष में अभिनत परीक्षण समाज के सुविधाजनक समूहों में आनेवाले बच्चों की बुद्धि-लब्धि को कम आँक सकता है।

(iv) बुद्धि परीक्षण सर्जनात्मक संभाव्यताओं और बुद्धि के व्यावहारिक पक्ष का माप नहीं कर पाता है और उनका जीवन में सफलता से ज्यादा संबंध नहीं होता। बुद्धि जीवन के विभिन्न में उपलब्धियों का एक संभाव्य कारक हो सकती है। ऐसा सुझाव दिया जाता है कि बुद्धि परीक्षणों से संबंधित त्रुटिपूर्ण अभ्यासों के प्रति सावधान रहना चाहिए तथा किसी व्यक्ति को शक्तियों और कमजोरियों के विश्लेषण के लिए किसी प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी चाहिए।


22. आईजेक ने व्यक्तित्व को दो व्यापक आयामों के रूप प्रस्तावित किया है। आयामों का आधार जैविक एवं आनुवंशिक है। प्रत्येक आयाम में अनेक विशिष्ट विशेषकों को सम्मिलिन किया गया है। ये आयाम निम्न प्रकार के हैं-

(i) तंत्रिकाताप बनाम सांवेगिक स्थिरता- इससे तात्पर्य है कि लोगों में किसी मात्रा तक अपनी भावनाओं पर नियंत्रण होता है। इस आयाम के एक छोर पर तंत्रिकाताप से ग्रस्त लोग होते हैं। ऐसे लोगों में दुश्चिता, चिड़चिड़ापन, अतिसंवेदनशीलता, बेचैनी और नियंत्रण का अभाव पाया जाता है। दूसरे छोर पर वे लोग होते हैं जो शांत, संयम स्वभाव वाले विश्वसनीय और स्वयं पर नियंत्रण रखनेवाले होते हैं।

(ii) बहिर्मुखता बनाम अंतर्मुखता- इससे तात्पर्य है कि किस मात्रा के लोगों में सामाजिक उन्मुखता अथवा सामाजिक विमुखता पाई जाती है। इस आयाम के एक छोर पर वे लोग हैं जिसमें सक्रियता, यूथचारिता, आवेग और रोमांच के प्रति पसंदगी पाई जाती है। दूसरे छोर से में वे लोग हैं जो निष्क्रिय, शांत, सतर्क और आत्म केन्द्रित हाते हैं।


23. फ्रायड के सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व के प्राथमिक संरचना तत्व तीन हैं इदम था इड, अहं और पराहम्। ये तत्व अचेतन में कां के रूप में होते हैं और इनके बारे में लोगों द्वारा किए गए व्यवहार के तरीकों से अनुमान लगाया जा सकता है। इंड, अह और पराहम् संप्रत्यय है न कि वास्तविक भौतिक संरचनाएँ।

इड- यह व्यक्ति की मूल प्रवृत्तिक ऊर्जा का स्रोत होता है। इसका संबंध व्यक्ति की आदिम आवश्यकताओं, कामेच्छाओं और आक्रामक आवेगों को तात्कालिक तुष्टि से होता है। यह सुरखोप्सा-सिद्धांत पर कार्य करता है जिसका यह अभिग्रह होता है कि लोग सुख की तलाश करते हैं और कष्ट का परिहार करते हैं। फ्रायड के अनुसार मनुष्य की अधिकांश मूलप्रवृतिक ऊर्जा कामूक होती है और शेष कर्जा आक्रामक होती है। इड को नैतिक मूल्यों, समाज और दूसरे लोगों को कोई परवाह नहीं होती है।

अहं- इसका विकास इड से होता है और यह व्यक्ति की मूलप्रवृत्तिक आवश्यकताओं की संतुष्टि वास्तविकता के धरातल पर करता है। व्यक्तित्व को यह संरचना वास्तविकता सिद्धांत संचारित करती है और प्रायः इडको व्यवहार करने के उपयुक्त तरीकों की तरह निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिए एक बालक का इड जो आइसक्रीम खाना चाहता है उससे कहता है कि आइसक्रीम झटक कर खा ले। उसका अहं उससे कहता है कि दुकानदार से पूछे बिना यदि आइसक्रीम लेकर वह खा लेता है तो वह दण्ड का भागी हो सकता है वास्तविकता सिद्धांत पर कार्य करते हुए बालक जानता है कि अनुमति लेने के बाद ही आइसक्रीम खाने की इच्छा को संतुष्ट कला सर्वाधिक उपयुक्त होगा। इस प्रकार इड की माँग अवास्तविक और सुखोप्सा सिद्धांत से संचालित होती है, अहं पैर्यवान, तर्कसंगत तथा वास्तविकता सिद्धांत से संचालित होता है।

पराहम्- पराहम् को समझने का और इसके विशेषता बताने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसको मानसिक प्रक्रार्यों को नैतिक शाखा के रूप में जाना जाए। पराहम् इह और अहं बताता है कि किसी विशिष्ट अवसर पर इच्छा विशेष को संतुष्टि नैतिक है अथवा नहीं। समाजीकरण की प्रक्रिया में पैतृक प्राधिकार के आंतरिकीकरण द्वारा पराहम् इड को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई बालक आइसक्रीम देखकर उसे खान चाहता है, तो वह इसके लिए अपनी माँ से पूछता है। उसका पराहम् संकेत देता है कि उसका यह व्यवहार नैतिक दृष्टि से सही है। इस तरह के व्यवहार के माध्यम से आइसक्रीम को प्राप्त करने पर बालक में कोई अपराध-बोध, भय अथवा दुश्चिता नहीं होगी।

चित्र : फ्रायड के सिद्धांत में व्यकिा की संरचना

चित्र : फ्रायड के सिद्धांत में व्यकिा की संरचना

इस प्रकार व्यक्ति के प्रकार्यों के रूप में फ्रायड का विचार था कि मनुष्य का अचंतन तीन प्रतिस्पर्धी शक्तियों अथवा ऊर्जाओं से निर्मित हुआ है। कुछ लोगों में इड पराहम् से अधिक प्रबल होता है तो कुछ अन्य लोगों में पराहम् इनसे अधिक प्रबल होता है। इठ, अहं और पाहम् को सापेक्ष शक्ति प्रत्येक व्यक्ति की स्थिरता को निर्धारण करती है। फ्रापेट के अनुसार इड की दो प्रकार की मूलप्रवृत्तिक शक्तियों से ऊर्जा प्राप्त होती है जिन्हें जीवन प्रवृत्ति एवं मुमुपा या मृत्यु प्रवृत्ति के नाम से जाना जाता है। उन्होंने मृत्यु प्रवृत्ति (अथवा काम) को केन्द्र में रखते हुए अधिक महत्त्व दिया है। मूल प्रवृत्तिक जीवन-शक्ति जो इड को ऊर्जा प्रदान करती है कामशक्ति लिबिडो कहलाती है। लिबिडो सुखोप्सा-सिद्धति
के आधार पर कार्य करता है और तात्कालिक संतुष्टि चाहता है।


24. विभिन्न पर्यावरणी कारक हमारे ऊपर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं जबकि ऐसे भी पर्यावरणी कारक हैं वो हमारे ऊपर नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। वायुप्रदूषण, भौड़, शोर, ग्रीष्मकाल की गर्मी, शीतकाल की सदों इत्यादि पर्यावरणी दबाद हमारे परिवेश की वैसी दशाएँ होती हैं जो प्रायः अपरिहार्य होती हैं। इनका हमारे ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। कुछ पर्यावरणी दवाव प्राकृतिक विपदाएँ तथा विपाती घटनाएं हैं और उनका हमारे ऊपर लंबे अंतराल तक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आग, भूकंप, बाढ़, सूख, तूफान, सुनामी आदि इनमें शामिल है।


25. लोगों के बीच बात करते समय रोगी वारंवार विषय परिवर्तन करता है। यह मनोचिदलता का सकारात्मक लक्षण है।

मनोविदलता के लक्षण- मनोनिदलता के लक्षण तीन श्रेणियों में समूहित किये जा सकते हैं-

(i) सकारात्मक लक्षण में व्यक्ति के व्यवहार में ‘विकृत अतिशयता’ तथा ‘विलक्षणता का बहना’ पाया जाता है। भ्रमासक्ति असंगठित चिंतन एवं भाषा, प्रवर्धित प्रभम तथा अनुपयुक्त भाव मनोविदलता में सबसे अधिक पाए जानेवाले लक्षण हैं।

मनोविदलता से ग्र्सित कई व्यक्तियों में भ्रमासकिा (Delusious) विकसित हो जाते हैं। धमासक्ति एक शूठा विश्वास है जो अपर्याप्त आधार पर बहुत मजबूती से टिका रहता है। इस पर तार्किक युक्ति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा वास्तविकता में जिसका कोई आधार नहीं होता। मनोबिंदलता में उत्पीड़न भ्रमासक्ति से ग्रसित लोग यह विश्वास करते हैं कि लोग उनके विरुद्ध पड्यंत्र कर रहे हैं, उनकी जासूसी कर रहे हैं या उन्हें जानबूझकर उत्पीड़ित किया जा रहा है। मनोविदलता से ग्रसित लोगों के संदर्भ प्रमासक्ति (Delusions of reference) भी हो सकता है जिससे वे दूसरों के कार्यो या वस्तुओं और  घटनाओं के प्रति विशेष और अक्तिगत अर्थ जोड़ देते हैं। अत्यहमन्यता प्रमासक्ति (Delusions of prandeur) में व्यक्ति अपने आपको बहुत सारी विशेष शक्तियों से संपन्न मानता है तथा नियंत्रण प्रगासविता (Delusions of control) में वे मानते हैं कि उनके विचार, भावनाएँ और क्रियाएँ दूसरों के द्वारा नियंत्रित की जा रही हैं।

मनोविदलता में व्यक्ति तर्कपूर्ण ढंग से सोच नहीं सकते तथा विचित्र प्रकार से बोलते हैं। यहाँ औपचारिक चिंतन विकार (Formal thought disorder) उनके संप्रेषण को और कठिन बना देता है। उदाहरणार्थ, एक विषय से दूसरे विषय पर तेजी से बदलना जो चिंतन की सामान्य संरचना को गड़बड़ कर देता है और यह तकहीन लगने लगता है (विषय के साहचर्य को सोना, विषय-अवपथ), नए शब्दों या मुहावरों की खोज करना (नच शब्द निर्माण) और एक ही विचार को अनुपयुक्त तरह से बार-बार दोहराना संतनन ।

मनोविदलता रोगी की विभ्रांति (Hallucination) हो सकती है, अथांत,बिना किसी थाहा उद्दीपक के प्रत्यक्षण करना। मनोविदलता में श्रवण विभाति Auditory hallucination) सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। रोगी ऐसी आवाजें या वनि सुनते हैं जो सीधे रोगा से शब्द, मुहावरे और वाक्य थोरलती हैं (द्वितीय व्यक्ति विश्रान्ति) या आपस में रोगी से संबंधित बातें करते हैं (तृतीय-व्यक्ति विभ्रान्ति)। इन विभागयों में अन्य ज्ञानेन्द्रियाँ भी शामिल हो सकती हैं, जिनमें स्पर्शी विश्रान्ति (Tactile hallucination) (कई प्रकार की झुनझुनी, जलन), दैहिक विधांति (Sormatic hallucination) (शरीर के अंदर कुछ घटित होना, जैसे पेट में साँप का रेंगता इत्यादि), दृष्टि विप्रांति (Visual hallucination) (जैसे-लोगों या वस्तुओं को सुस्पष्ट दृष्टि या रंग का अस्पष्ट प्रत्यक्षण), रससंबदी विधांति (Ciastal atry hallucination) (अर्थात् खाने और पीने की वस्तुओं का विचित्र स्वाद) तथा घाण विभाति (Olfactory hallinication) (धुएँ और नहर की गंध) प्रमुख है।

मनोविदलता के रोगी अनुपयुक्त भाव (Inappropriate affect) भी प्रदर्शित करते हैं अर्थात् ऐसे संवेग जो स्थिति के अनुरूप न हों।

(ii) नकारात्मक लक्षण (Negative symptom), विकट न्यूनता होते हैं जिनके वाक् अयोग्यता विसंगत एवं कुंठित भाव, इच्छाशक्ति का हास और सामाचिक पिनियन सम्मिलित होते हैं। मनोचिदलता के रोगियों में अलोगिया (Alogia) या वाक्-अयोग्यता पाई जाती है जिसमें भाषण, विषय तथा बोलने में कमी पाई जाती है। मनोबिदालना के कई रोगी दूसरे अधिकांश लोगों की तुलना में कम क्रोध, उदासी, खुशी तथा अन्य भावनाएँ प्रदर्शित करते हैं। इसलिए उनके विसंगत भार (Blunted affect) होते हैं। कुछ रोगी किसी भी प्रकार का संवेग प्रदर्शिा नहीं करते जिसे कुटित भाव (Flat affect) की स्थिति कहते हैं। मनोविदलता के रोगी इच्छाशक्ति न्यूनता (Anlition) अर्थात् किसी काम को शुरू करने या पूरा करने में असमर्थता तथा उदासीनता प्रदर्शित करते हैं। इस विकार के रोगी सामाजिक रूप से अपने को अलग कर देते है तथा अपने विचारों और कल्पनाओं में पूर्ण खोए रहते हैं।

(iii) मनःचलित लक्षण- मनोविदलता के रोगी मनःचलित लक्षण (Psychomolar symptoms) भी प्रदर्शित करते हैं। वे अस्वाभाविक रूप से चलते तथा विचित्र मुख-विकृतियों एवं मुद्राएं प्रदर्शित करते हैं। यह लक्षण अपनी चरम सीमा को प्राप्त कर सकते हैं जिसे कैटाटोनिया (Catatonia) कहते हैं। कटायोनिया जडिमा (Catatonin rigidity) अर्थात् घंटों तक एक ही मुद्रा में रहना प्रदर्शित करते हैं। दूसरे अन्य रोगी कैटाटोनिक संस्थिति (Cataotia posturing) अर्थात् विचित्र उटपटांग मुद्राओं को लंबे समय तक प्रदर्शित करते हैं।

मनोविदलता के उप-प्रकार :

डी० एस० एम०-टी० आर० (DSM-IV-TR) के अनुसार, मनोविदलता के उप-प्रकार तथा उनकी विशेषताएँ निम्न हैं-

(i) व्यामोहाभ प्रकार (Paranoid type)-श्रवण विभ्रांति और भ्रमाशक्ति में ध्यानमग्नता कोई अनुपयुक्त भाव या विसंगठित वाक् (भाषा) या व्यवहार नहीं।

(ii) विसंगठित प्रकार (Disorganised type)-विसंगठित वाक् (भाषा) और व्यवहार; अनुपयुक्त या कुंठित भाव कोई कैटाटोनिक लक्षण नहीं।

(iii) कैटाटोनिक प्रकार (Catatonic type)-चरम पेशीय गतिहीनता चरम पेशीय निष्क्रियता, चरम नकारावृत्ति (अनुदेशों के प्रति गतिरोध) या मूकता (बोलने से मना करना)।

(iv) अविभेदित प्रकार (Undifferentiated type)-किसी भी उप-प्रकार में सम्मिलित होने योग्य नहीं परन्तु लक्षण मापदंड के अनुकूल हो।

(v) अवशिष्ट प्रकार (Residual type) -कम-से-कम मनोविदलता के एक प्रासंगिक वृत्ति का अनुभव किया हो; कोई सकारात्मक लक्षण नहीं किंतु नकारात्मक लक्षण प्रदर्शित करता हो।


26. भीड़ के संदर्भ उस असुरक्षा की भावना से है जिसका कारण यह है कि हमारे आस-पास बहुत अधिक व्यक्ति या वस्तुएँ होती हैं जिससे हमें भौतिक बंधन की अनुभूति होती है तथा कभी-कभी वैयक्तिक स्वतंत्रता में न्यूनता का अनुभव होता है। एक विशिष्ट क्षेत्र या दिक् में बड़ी संख्या में व्यक्तियों की उपस्थिति के प्रति व्यक्ति की प्रतिक्रिया ही भीड़ कहलाती है। जब वह संख्या एक निश्चित स्तर से अधिक हो जाती है तब इसके कारण वह व्यक्ति जो इस स्थिति में फंस गया है, दबाव का अनुभव करता है। इस अर्थ में भीड़ भी एक पर्यायवाची दबावकारक का उदाहरण है।

भीड़ के अनुभव के निम्नलिखित लक्षण होते हैं-
(i) असुरक्षा की भावना
(ii) वैयक्तिक स्वतंत्रता में न्यूनता या कमी
(iii) व्यक्ति का अपने आस-पास के परिवेश के संबंध में निषेधात्मक दृष्टिकोण, तथा
(iv) सामाजिक अंतःक्रिया पर नियंत्रण के अभाव की भावना।

भीड़ के प्रमुख मनोवैज्ञानिक परिणाम-

(i) भीड़ तथा अधिक घनत्व के परिणामस्वरूप असामान्य व्यवहार तथा आक्रामकता उत्पन्न हो सकते हैं। अनेक वर्षों पूर्व चूहों पर किए गए शोध में यह परिलक्षित हुआ था। इन प्राणियों को एक बाड़े में रखा गया, प्रारंभ में यह कम संख्या में आक्रामक तथा विचित्र व्यवहार प्रकट होने लगे, जैसे-दूसरे चूहों की पूँछ काट लेना। यह आक्रामक व्यवहार इस सीमा तक बढ़ा कि अंततः ये प्राणी बड़ी संख्या में मर गए जिससे बाड़े में उनकी जनसंख्या फिर कम हो गई। मनुष्यों में भी जनसंख्या वृद्धि के साथ कभी-कभी हिंसात्मक अपराधों में वृद्धि पाई गई है।

(ii) भीड़ के फलस्वरूप उन कठिन कार्यों का, जिनमें संज्ञानात्मक प्रक्रियाएँ निहित होती हैं निष्पादन निम्न स्तर का हो जाता है तथा स्मृति और संवेगात्मक दशा पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ये निषेधात्मक प्रभाव उन व्यक्तियों में अल्प मात्र में परिलक्षित होते हैं जो भीड़ वाली परिवेश के आदी होते हैं।

(iii) वे बच्चों जो अत्यधिक भीड़ वाले घरों में बड़े होते हैं, वे निचले स्तर के पाक्षिक निष्पादन प्रदर्शित करते हैं। यदि वे किसी कार्य रूप पर असफल होते है तो उन बच्चों की तुलना वे कम भीड़ वाले घरों में बढ़ते हैं उस कार्य पर निरंतर काम करते रहने की प्रवृत्ति भी उनमें दुर्बल होती है। अपने माता-पिता के साथ अधिक द्वंद्व का अनुभव करते हैं तथा उन्हें अपने परिवार से भी कम सहायता प्राप्त होती है।

(iv) सामाजिक अंतःक्रिया की प्रवृति भी यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति भीड़ के प्रति किसी सीमा तक प्रतिक्रिया करेगा। उदाहरण के लिए यदि अंत:क्रिया किसी आनंददायक सामाजिक अवसर पर होती है; जैसे-किसी प्रीतिभोज अथवा सार्वजनिक समारोह में, तब संभव हो कि उसे भौतिक स्थान में बड़ी संख्या में अनेक लोगों की उपस्थिति कोई भी दबाव उत्पन्न करे। बल्कि, इसके फलस्वरूप सकारात्मक सांवेगिक प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं। इसके साथ ही, भीड़ भी सामाजिक अंत:क्रिया की प्रवृति को प्रभावित करती है।

(v) व्यक्ति भीड़ के प्रति जो निषेधात्मक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं; उसकी मात्रा में व्यक्तिगत भिन्नताएँ होती हैं तथा उनकी प्रतिक्रियाओं की प्रवृति में भी भेद होता है।


 

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