History

Class 12th History ( कक्षा-12 इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 2

 


Q.26. एकलव्य कौन था ?

Ans ⇒ एकलव्य एक वन में रहने वाला निषाद नामक जनजाति से संबंधित युवक था। महाभारत में उसका नाम द्रोणाचार्य से उसके संबंधों के कारण प्रसिद्धि प्राप्त कर सका। कहा जाता है कि एकलव्य को धनुष बाण चलाने की शिक्षा पाने का बड़ा चाव था। वह गुरु द्रोणाचार्य के पास गया लेकिन उन्होंने स्वयं को कुरुशाही परिवार के प्रति समर्पित बताकर उसे धनुष बाण चलाने की शिक्षा देने से मना कर दिया। एकलव्य दिल से द्रोणाचार्य को अपना गुरु मान चुका था। वह उनकी मृद प्रतिभा के समक्ष प्रतिदिन आदर करने के उपरांत रोजाना अभ्यास करने लगा। उसने एक दिन पांडव के एक कुत्ते के भोंकने को बंद करने के लिए ठीक उसके मुंह में उस जगह कई तीर मारे जहाँ वह स्वान बोल रहा था। उसके मुँह में लगे बाणों को देखकर अर्जन को आश्चर्य हआ । वह द्रोण को एकलव्य के पास ले गये। एकलव्य ने स्वयं को उन्हीं का शिष्य बताया और उनके कहने सहर्ष दाहिने हाथ का अंगठा दे दिया। द्रोणाचार्य को भी यह विश्वास नहीं था कि एकलव्य इतना अधिक गुरुभक्त हो चुका था कि वह अपनी धनुष बाण की प्राप्त कुशलता को दाहिने हाथ का अंगूठा देकर त्याग देगा। जो भी हो इस घटना के बाद एकलव्य उतनी कशलता से बाण नहीं छोड़ सका जिनता कि वह पहले छोड़ता था।


Q.27. घटोत्कच कौन था ?

Ans ⇒ घटोत्कच दूसरे पांडव भीम और एक राक्षसी महिला हिंडिंबा की संतान थी। हिडिंबा एक मानव भक्षी राक्षस की बहन थी। वह भीम के प्रति आसक्त हो गई। उसने युधिष्ठिर से प्रार्थना का वह भी उस विवाह करना चाहती है और उसने वायदा किया कि वह स्वेच्छा से पांडवों को छोड़कर चली जायेगी। घटोत्कच की माँ बनने के बाद उसने पुत्र सहित अपने वायदे के अनुसार पांडवों को छोड़ दिया। घटोत्कच ने अपने पिता भीम तथा अन्य पांडवों को यह बताया कि वे जब कभी भी उसे बुलाएँगे वह उनके पास आ जायेगी।


Q.28. अश्वमेघ का क्या अर्थ है ?

Ans ⇒ अश्वमेघ’ का शाब्दिक अर्थ है – अश्व = घोड़ा, व मेघ = बादल अर्थात् बादल रूपी घोड़ा। जिस प्रकार बादल वायुमंडल में स्वेच्छा से विचरण करता रहता है, उसी प्रकार ‘अश्वमेघ’ यज्ञ का घोड़ा अपनी इच्छा से कहीं भी घूमता (दौड़ता) रहता है।
‘अश्वमेघ’ प्राचीन काल में एक यज्ञ विशेष का नाम था, जिसमें घोड़े के माथे पर एक जयपत्र बाँधा जाता था और उसे स्वच्छन्द रूप से छोड़ दिया जाता था (शक्तिशाली व प्रतापी राजाओं द्वारा यह कार्य किया जाता था) घोड़े का अपने यहाँ दौड़कर वापस आने का अर्थ था-राजा का निर्विरोध शासक स्थापित होना। यदि कोई घोड़े को पकड़ लेता था तो उसे घोड़े के स्वामी (राजा) से युद्ध करना पड़ता था।


Q.29. प्राचीन शहर राजगीर के बारे में कुछ तथ्यों का उल्लेख कीजिए।

Ans ⇒ राजगीर, मगध राज्य का एक महत्वपूर्ण राजधानी नगर था। इसे पहले राजगृह कहा गया जो एक प्राकृतिक भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है राजा का घर। यह वर्तमान बिहार राज्य में था। यह नगर किलाबद्ध था और नदी के किनारे पहाड़ों से घिरा हुआ परिधी में स्थित था। जब तक पाटलिपुत्र मगध की नई राजधानी बनी तब तक राजगीर (अथवा राजगृह) ही पूर्वी भारत में सर्वाधिक महत्वपूर्ण राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा।


Q.30. ‘नालन्दा’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

Ans ⇒ नालंदा (Nalanda) –नालंदा बौद्ध धर्म का एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इसके सम्बन्ध में लिखा था कि इसमें दस हजार विद्यार्थी पढ़ते थे, जिनको 1500 अध्यापक पढ़ाते थे। सभी छात्र छात्रावास में रहते थे। उनके खाने-पीने और अन्य खर्च के लिए राज्य ने 200 गाँव दिये हए थे, जिनके भूराजस्व से सारा खर्च चलता था। इस विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए, अपने देश के अलावा विदेशों से भी छात्र आते थे। इसमें प्रवेश पाना सरल न था। इस विश्वविद्यालय में पढ़े हुए छात्र समाज और राजदरबारों में सम्मान के पात्र होते थे।’


Q.31. मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का संक्षिप्त विवरण दें।

Ans ⇒ मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का विवरण निम्नलिखित है-

(i) मेगास्थनीज की इंडिका (Indica of Magasthaneze)- मौर्यकालीन भारत के विषय मज्ञान प्राप्त करने के लिये मेगास्थनीज द्वारा रचित ‘इण्डिका’ (Indica) एक महत्वपर्ण ग्रंथ है, जिसमें तत्कालीन शासन व्यवस्था, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक अवस्था पर महत्वपूर्ण विवरण मिलता है।

(ii) कौटिल्य का अर्थशास्त्र (Kautilya’s Arthshastra) – कौटिल्य का अर्थशास्त्री तत्कालीन भारत के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है जिससे मौर्यों के बारे में पता चलता है

(iii) विशाखदत्त मुद्राराक्षस (Vishakhdutta’sMudraraksha) – इस प्रमुख ग्रंथ में नन्द ” का चन्द्रगुप्त द्वारा नाश का वर्णन है।

(iv) जैन और बौद्ध साहित्य (Jains and Buddhists Literature) – जैन और बौद्ध दोनों धर्मों के साहित्य में तत्कालीन समाज, राजनीति आदि की जानकारी प्राप्त होती है।

(v) अशोक के शिलालेख (Inscription of Ashoka)-स्थान-स्थान पर लगे अशोक के शिलालेख से भी मौर्यकालीन प्रशासन, धर्म, समाज अर्थव्यवस्था आदि पर प्रकाश पड़ता है। ।


Q. 32. गांधार कला की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

Ans ⇒ महायान बौद्ध धर्म के उदय के साथ गांधार कला का भी उदय हुआ। इनका विकास गांधार क्षेत्र (अविभाजित भारत का पश्चिमोत्तर क्षेत्र) में हुआ इसलिए इसे गांधार कला कहा गया। इस पर यूनानी कला-शैली का प्रभाव है। इस कला में पहली बार बुद्ध और बोधिसत्व की मानवाकार मूर्तियाँ विभिन्न मुद्राओं में बनीं। मूर्तियों में बालों के अलंकरण पर विशेष ध्यान दिया गया।


Q.33. गुप्त कौन थे ? गुप्त वंश का संस्थापक कौन था ?

Ans ⇒ गुप्त कौन थे ? इस विषय पर इतिहासकारों में बहुत मतभेद है। डॉ. हेमचंद्र राय चौधरी उन्हें ब्राह्मण बताते हैं, तो पं० गौरी शंकर बिहारी प्रसाद शास्त्री उन्हें क्षत्रिय, आल्तेकर जैसे इतिहासकार उन्हें वैश्य मानते हैं। कुछ इतिहासकार तो उन्हें शूद्र तक कहने से नहीं चूकते। अतः कोई ठोस आधार अभी तक नहीं मिला है, जो गुप्त लोगों के विषय में पूर्ण जानकारी दे।
गुप्त वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त प्रथम था। उसका शासन काल 230 ई० से 336 ई० तक रहा।


Q.34. गुप्त वंश का प्रथम प्रसिद्ध राजा कौन था ? उसने अपनी स्थिति को कैसे दृढ़ किया ?

Ans ⇒ चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का प्रथम प्रसिद्ध राजा था। उसने लिच्छवी राजकुमारी से विवाह करके, सैन्य संगठन को सुदृढ़ कर विजय अभियान छेड़कर तथा गुप्त संवत् को प्रारंभ करके अपने प्रभाव एवं प्रतिष्ठा को बढ़ाया।


Q.35. चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य की उपलब्धियों का वर्णन करें।

Ans ⇒ चंद्रगुप्त विक्रमादित्य (चंद्रगुप्त द्वितीय), समुद्रगुप्त का पुत्र था। उसने 380 ई० से 410 ई. तक शासन किया। सबसे पहले उसने बंगाल पर अपनी विजय पताका फहराई। इसके पश्चात् वल्कीक जाति और अति गणराज्य पर विजय प्राप्त की। उसकी सबसे महत्वपूर्ण सफलताएँ थीं-मालवा, काठियावाड़ और गजरात। शकों को हराकर उसने विक्रमादित्य की पद्वी धारण की। संस्कृत का महान कालिदास उसी के दरबार में रहता था। उसके शासन काल में प्रजा सुखी और समृद्ध तथा सुव्यवस्थित थी।


Q:36. ‘सन्निधाता’ शब्द का आशय स्पष्ट करें।

Ans ⇒ मौर्यों के समय में कर निर्धारण करने वाले अधिकारी को समाहर्ता कहा जाता था, जबकि कर वसूली और संग्रह करने वाले अधिकारी को सन्निधाता कहा जाता था।


Q.37. मौर्य साम्राज्य के चार प्रांतों और उनकी राजधानियों के नाम लिखिए।

Ans ⇒ (i) उत्तरांपथ की राजधानी तक्षशिला।
(ii) प्राच्य की राजधानी पाटलिपुत्र।
(iii) दक्षिणापथ की राजधानी सुवर्णगिरी।
(iv) अति की राजधानी उज्जियनी या उज्जैन नगरी।


Q.38. मौर्यों के राजनैतिक इतिहास के मुख्य स्रोत क्या-क्या हैं ?

Ans ⇒ 1. मेगास्थनीज की इंडिका (Indicaof Magasthaneze) – मौर्यकालीन भारत के विषय में जान प्राप्त करने के लिये मेगास्थनीज द्वारा रचित ‘इण्डिका’ (Indica) एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें तत्कालीन शासन व्यवस्था, समाज राजनैतिक व आर्थिक अवस्था पर महत्वपूर्ण विवरण मिलता है।
2. कौटिल्य का अर्थशास्त्र (Kautilvas Arthshastra)- कौटिल्य का अर्थशास्त्र भी भारत के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है जिससे मौर्यों के बारे में पता चलता है।

3. विशाखदत्त मद्राराक्षस (Vishakhdutta’s Mudraraksha) – इस प्रमुख ग्रथम ५ का चन्द्रगुप्त द्वारा नाश का वर्णन है।

4. जैन और बौद्ध साहित्य (Jains and Buddhists Literature) – जैन और बाद्ध दाना धमा के साहित्य में तत्कालीन समाज, राजनीति आदि की जानकारी प्राप्त होती है।

5. अशोक के शिलालेख (Inscription of Ashoka) – स्थान-स्थान पर लगे अशोक के शिलालख सभा मौर्यकालीन प्रशासन, धर्म, समाज अर्थव्यवस्था आदि पर प्रकाश पड़ता है।


Q.39. मौर्य प्रशासन की जानकारी दें।

Ans ⇒मौर्य प्रशासन अत्यंत ही उच्च कोटि का था। राजा सर्वोपरि था। राजा का मंत्री आमात्य कहलाता था। माय शासकों ने कठोर दंड का प्रावधान कर समाज को भय मक्त प्रशासन प्रदान किया।


Q.40. मौर्य शासकों द्वारा किये गये आर्थिक प्रयासों का वर्णन करें।

Ans ⇒ (i) काटिल्य ने कृषकों, शिल्पियों और व्यापारियों से वसूल किये बहुत से करों का उल्लेख किया है।

(ii) संभवत: कर निर्धारण का कार्य सर्वोच्च अधिकारी द्वारा होता था। सन्निघाता राजकीय कोषागार एवं भण्डार का संरक्षण होता था। “

(iii) वास्तव में कर-निर्धारण का विशाल संगठन पहली बार मौर्य काल में देखने में आया। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में करों की सूची इतनी लंबी है कि, यदि वास्तव में सभी कर राजा के लिये जाते होंगे, तो प्रजा के पास अपने भरण-पोषण के लिये नाममात्र का ही बचता होगा।

(iv) ग्रामीण क्षेत्रों में राजकीय भण्डारघर होते थे। इससे स्पष्ट होता है कि कर अनाज के. रूप में वसूल किया जाता था। अकाल, सूखा तथा अन्य प्राकृतिक विपदा में इन्हीं अन्न-भण्डारों से स्थानीय लोगों को अन्न दिया जाता था।

(v) मयूर, पर्वत और अर्धचंद्र के छाप वाली रजत मुद्राएँ मौर्य-साम्राज्य की मान्य मुद्राएँ थीं। ये मुद्राएँ कर वसूली एवं कर्मचारियों के वेतन के भुगतान में सुविधाजनक रहीं होंगी। बाजार में लेन-देन भी इन्हीं से होता था।


Q.41. अशोक के अभिलेखों का संक्षेप में महत्त्व बताइए।

Ans ⇒ यद्यपि मौर्यों के इतिहास को जानने के लिए मौर्यकालीन पुरातात्विक प्रमाण जैसे मूर्ति कलाकतियाँ. चाणक्य का अर्थशास्त्र, मेगास्थनीज की इंडिका, जैन और बौद्ध साहित्य व पौराणिक ग्रंथ आदि बड़े उपयोगी हैं लेकिन पत्थरों और स्तंभों पर मिले अशोक के अभिलेख प्रायः सबसे मूल्यवान स्रोत माने जाते हैं।
अशोक वह पहला सम्राट था, जिसने अपने अधिकारियों और प्रजा के लिए संदेश प्राकृतिक पत्थरों और पॉलिश किये हुए स्तंभों पर लिखवाये थे। अशोक ने अपने अभिलेखों के माध्यम से धम्म का प्रचार किया। इनमें बड़ों के प्रति आदर, संन्यासियों और ब्राह्मणों के प्रति उदारता सेवकों और दासों के साथ उदार व्यवहार तथा दूसरे के धर्मों और परंपराओं का आदर शामिल है ।


Q.42. धर्म प्रवर्तिका का क्या अर्थ है ?

Ans ⇒ धर्म प्रवर्त्तिका का अर्थ है-धर्म फैलाने वाला अथवा धर्म का प्रचार करने वाला। कलिंग यद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। इस धर्म के प्रचार के लिये उसने अपना परा समय तथा तन-मन-धन लगा दिया। इस प्रकार वह ‘धर्म प्रवर्त्तिका’ के रूप में जाना “


Q.43. मौर्योत्तर युग में भारत से किन-किन वस्तुओं का निर्यात होता था ?

Ans ⇒ मौर्योत्तर युग में भारत से मसाले रोम को भेजे जाते थे। इसके अलावा मलमल, मोती, रत्न, हाथी दाँत; माणिक्य भी विदेशों में भेजे जाते थे। लोहे की वस्तुएँ, बर्तन, आदि. रोम साम्राज्य को भेजे जाते थे।


Q.44.मौर्य साम्राज्य का उदय कब और किसके द्वारा हुआ ? इसमें एक पम किसके द्वारा जोड़ा गया ?

Ans ⇒ मगध के विकास के साथ-साथ मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ। मौर्य साम्राज्य के चन्द्रगुप्त मौर्य (लगभग 321 ई० पू०) का शासन पश्चिमोत्तर में अफगानिस्तान और बलचिता फैला था। उनके पौत्र अशोक ने जिन्हें आरंभिक भारत का सर्वप्रसिद्ध शासक माना जा सकता कलिंग (आधुनिक उड़ीसा) पर विजय प्राप्त की।


Q.45. मौर्य साम्राज्य के विस्तार का विवेचन कीजिए।

Ans ⇒ मौयों के साम्राज्य में मध्य एशिया लाघमन (Laghman) से लेकर चोल तथा चेर साम्राज्य की सीमाओं (केरल पुत्र) सिद्ध पुत्र तक फैला हुआ है। पश्चिम में इसका विस्तार स्वार्षट से लेकर उत्तर पूर्व में बंगाल और बिहार तक फैला हुआ था। पाटलिपुत्र इनकी राजधानी थी। इन साम्राज्य के संबंध अनेक राज्यों से है। तक्षशिला, टोपरा, इंद्रप्रस्थ, कलिंग (उड़ीसा) आदि।।


Q.46. सेल्यूकस के साथ चंद्रगुप्त मौर्य के संघर्ष के क्या दो परिणाम हुए ?

Ans ⇒ सेल्यूकस का चंद्रगुप्त के साथ संघर्ष 305 ई० पू. में हुआ जब उसने भारत पर आक्रमण किया था। इस संघर्ष के दो प्रमुख परिणाम अग्रलिखित थे ।
(i) सेल्यूकस की हार जिसके परिणामस्वरूप उसे चंद्रगुप्त मौर्य को वर्तमान हेरात, काबुल, कंधार और बिलोचिस्तान के चार प्रांत सौंपने पड़े। … (ii) चंद्रगुप्त मौर्य ने उसके बदले में सेल्यूकस को 500 हाथी भेंट किये।


Q.47. चंद्रगुप्त मौर्य की चार सफल विजय कौन-कौन सी थी ?

Ans ⇒ 1. पंजाब विजय (Victory of the Punjab) –  चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर की मृत्यु के पश्चात् पंजाब को जीत लिया।

2. मगध की विजय (Victory of Magadh) – चंद्रगुप्त मौर्य ने कौटिल्य (चाणक्य) की सहायता से मगध के अंतिम राजा घनानंद की हत्या करके मगध को जीत लिया।

3. बंगाल विजय (Victory of Bengal) – चन्द्रगुप्त मौर्य ने पूर्वी भारत में बंगाल को जीत कर अपने अधिकार में कर लिया।

4. दक्षिणी भारत पर विजय (Victory of South) – जैन साहित्य के अनुसार आधुनिक कर्नाटक तक उसने अपनी विजय-पताका फहराई थी।


Q.48.अशोक के अभिलेख किन-किन भाषाओं व लिपियों में लिखे जाते थे ? उनके विषय क्या थे ?

Ans ⇒ (i) अशोक के अभिलेख जनता की पालि और प्राकृत भाषाओं में लिखे हुए होते थे। इनमें ब्रह्मा-खरोष्ठी लिपियों का प्रयोग हुआ था। इन अभिलेखों में अशोक का जीवन-वृत्त, उसकी आंतरिक तथा बाहरी नीति एवं उसके राज्य के विस्तार संबंधी जानकारी हैं।

(ii) इन अभिलेखों में सम्राट अशोक के आदेश अंकित होते थे।


Q.49. अशोक के धम्म पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

Ans ⇒  ‘धम्म’ संस्कृत के धर्म शब्द का प्राकृत स्वरूप है। अशोक ने इसका प्रयोग विस्तृत अर्थ में किया है। इस विषय पर विद्वानों के बीच काफी मतभेद है। बहुत-से विद्वान धम्म और बौद्ध धर्म में कोई फर्क नहीं मानते। अतः प्रारंभ में ही यह कह देना आवश्यक है कि धम्म और बौद्धधर्म | दोनों अलग-अलग बातें हैं। बौद्धधर्म अशोक का व्यक्तिगत धर्म था। लेकिन उसने जिस धम्म की चर्चा अपने अभिलेखों में की है वह उसका सार्वजनिक धर्म था तथा विभिन्न धर्मों का सार था। यह अलग बात है कि बौद्धधर्म की कई विशेषताएँ भी उसमें मौजूद थीं। अशोक ने अपने अभिलेखों में कई स्थान पर धम्म (धर्म) शब्द का प्रयोग किया है, किन्त भाबरु अभिलेख को छोडकर (जहाँ) उसे बुद्ध, धम्म और संघ में अपना विश्वास प्रकट किया है। उसने कहीं भी धम्म का प्रयोग बौद्धधम के लिए नहीं किया है। बौद्ध धर्म के लिए ‘सर्द्धम’ या ‘संघ’ शब्द का प्रयोग किया है। इस तरह हम कह सकते हैं कि अशोक का धम्म बौद्ध धर्म नहीं था क्योंकि इसमें चार आर्य सत्यों, अष्टांगिक मार्ग तथा निर्वाण की चर्चा नहीं मिलती है।


Q.50. ‘छठी से चौथी शताब्दी ई० पू० में मगध का एक शक्तिशाली राज्य के रूप विकास हुआ।’ इस कथन को लगभग 100 से 150 शब्दों में व्याख्या कीजिए।

Ans ⇒ छठी से चौथी शताब्दी ई. पू. में मगध (आधुनिक बिहार) सबसे शक्तिशाली महाजनपद बन गया। आधुनिक इतिहासकार इसके कई कारण बताते हैं –
1. एक यह कि मगध क्षेत्र में खेती की उपज खास तौर पर अच्छी होती थी।

2. दसरे यह कि लोहे की खदानें (आधुनिक झारखंड में) भी आसानी से उपलब्ध थीं जिससे उपकरण और हथियार बनाना सरल होता था।

3. जंगली क्षेत्रों में हाथी उपलब्ध थे, जो सेना के एक महत्वपूर्ण अंग थे। साथ ही गंगा और इसकी उपनदियों से आवागमन सस्ता व सुलभ होता था। ।

4. आरंभिक जैन और बौद्ध लेखकों ने मगध की महत्ता का कारण विभिन्न शासकों की नीतियों को बताया है। इन लेखकों के अनुसार बिम्बिसार अजातशत्रु और महापदम-नन्द जैसे प्रसिद्ध अत्यंत महत्वाकांक्षी शासक थे और इनके मंत्री उनकी नीतियाँ लागू करते थे।

5. प्रारंभ में, राजगाह (आधुनिक बिहार के राजगीर का प्राकृत नाम) मगध की राजधानी थी। यह रोचक बात है कि इस शब्द का अर्थ है ‘राजाओं का घर।’ पहाड़ियों के बीच बसा राजगाह एक किलेबंद शहर था। बाद में चौथी शताब्दी ई. पू. में पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया गया, जिसे अब पटना कहा जाता है जिसकी गंगा के रास्ते आवागमन के मार्ग पर महत्वपूर्ण अवस्थिति थी।


S.NClass 12th History Question 2022 
1.Class 12th History  ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 1
2.Class 12th History  ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 2
3.Class 12th History  ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 3
4.Class 12th History  ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 4
5.Class 12th History  ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 5
6.Class 12th History  ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 6
7.Class 12th History  ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 1
8.Class 12th History  ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 2
9.Class 12th History  ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 3
10.Class 12th History  ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 4
11.Class 12th History  ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 5
12.Class 12th History  ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 6

 

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