समाजशास्त्र का मॉडल पेपर 2022 Bihar Board Class 12th Sociology Model Paper pdf Download


1. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना किसने की थी ?

(A) महात्मा गाँधी
(B) मोतीलाल नेहरू
(C) राजेन्द्र प्रसाद
(D) ए० ओ० ह्यूम

 Answer ⇒ D

2. निम्नलिखित में से कौन परिवार की विशेषता है ?

(A) सार्वभौमिकता
(B) सीमित आकार
(C) भावात्मक आधार
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

3. भारतीय इतिहास के किस काल को भारतीय स्त्री जाति का ‘काला युग’ कहा जाता है ?

(A) ऋग्वैदिक काल
(B) उत्तर वैदिक काल
(C) ब्रिटिश काल
(D) मध्य काल

 Answer ⇒ D

4. निम्नांकित में से संविधान के किस अनुच्छेद के द्वारा अनुसूचित जातियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान किया गया ?

(A) अनुच्छेद 330
(B) अनुच्छेद 333
(C) अनुच्छेद 334
(D) अनुच्छेद 335

 Answer ⇒ A

5. संस्कृतिकरण की अवधारणा किसने विकसित की ?

(A) एस० सी० दूबे
(B) एम० एन० श्रीनिवास
(C) सच्चिदानन्द
(D) योगेन्द्र सिंह

 Answer ⇒ B

6. निम्नांकित में से किस एक लेखक ने भारत में सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न प्रकारों की विस्तार से विवेचना की ?

(A) एम० सी० दुबे
(B) एम० एस० ए० राव
(C) योगेन्द्र सिंह
(D) इरावती कर्वे

 Answer ⇒ B

7. प्रभुजाति की अवधारणा किसने प्रस्तुत की ?

(A) डी० एन० मजुमदार
(B) एन० के० दत्ता
(C) नर्मदेश्वर प्रसाद
(D) एम० एन० श्रीनिवास

 Answer ⇒ D

8. किस विद्वान ने सर्वप्रथम ‘दबाव समूह’ शब्द का प्रयोग किया ?

(A) मैक्स वेबर
(B) पीटर ऑडीगार्ड
(C) समनर
(D) टी० के० उम्मन

 Answer ⇒ B

9. निम्न में से कौन-सी दशा उदारीकरण का परिणाम नहीं है ?

(A) उपभोक्तावाद
(B) बेरोजगारी
(C) ग्रामीण उद्योगों का विघटन
(D) संयुक्त परिवार का विघटन

 Answer ⇒ D

10, भारतीय अर्थव्यवस्था का मॉडल किस प्रकार की है ?

(A) पूँजीवादी
(B) मिश्रित
(C) समाजवादी
(D) साम्यवादी

 Answer ⇒ B

11. भारत सरकार ने सर्वप्रथम अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना किस वर्ष की ?

(A) 1978
(B) 1992
(C) 1999
(D) 1988

 Answer ⇒ A

12. जातीय संगठन राजनीति में कैसी भूमिका निभा रही है ?

(A) दबाव समूह
(B) स्वार्थ समूह
(C) सक्रिय समूह
(D) कल्याणकारी समूह

 Answer ⇒ A

13. ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की थी ?

(A) महात्मा गाँधी
(B) दयानन्द सरस्वती
(C) राममोहन राय
(D) विनोबा भावे

 Answer ⇒ C

14. समजाशास्त्र के जनक कौन है ?

(A) दुर्थीम
(B) कॉम्टे
(C) सोरोकिन
(D) कुल

 Answer ⇒ B

15. यांत्रिक एकता एवं सावयवी एकता की अवधारणाओं का निरूपण किसने किया है ?

(A) मैक्स वेबर
(B) वी० पैरेटो
(C) मर्टन
(D) दुर्थीम

 Answer ⇒ D

16. अनुसूचित जातियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के द्वारा होने वाली नियुक्तियों में दिए जाने वाले आरक्षण का प्रतिशत है

(A) 15 प्रतिशत
(B) 15.5 प्रतिशत
(C) 16.66 प्रतिशत
(D) 17 प्रतिशत

 Answer ⇒ A

17. वैश्वीकरण का संबंध है –

(A) सार्वभौमीकरण के साथ
(B) एकीकरण के साथ
(C) सजातीयता के साथ
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

18. किस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना हुई ?

(A) 1918 ई०
(B) 1919 ई०
(C) 1941 ई०
(D) 1949 ई०

 Answer ⇒ D

19. किसने धर्म के आत्मवाद का सिद्धांत प्रतिपादित किया ?

(A) टायलर
(B) मार्क्स
(C) कॉम्टे
(D) गाँधी

 Answer ⇒ A

20. निम्नलिखित में से कौन एक सामाजिक समस्या है ?

(A) प्रेम विवाह
(B) नगरीकरण
(C) भिक्षावृत्ति
(D) आधुनिकीकरण

 Answer ⇒ C

21. निम्न में से किसने ग्रामीण-नगरीय सातत्य की अवधारणा के विकास में योगदान दिया ?

(A) एस० सी० दूबे
(B) सोरोकिन
(C) रेडफील्ड
(D) कॉम्ट

 Answer ⇒ C

22. बिहार में ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए कितने प्रतिशत स्थान आरक्षित किए गए हैं ?

(A) 25%
(B) 33%
(C) 67%
(D) 50%

 Answer ⇒ D

23. सतीप्रथा’ के खिलाफ आवाज सर्वप्रथम किसने उठायी ?

(A) बाल गंगाधर तिलक
(B) रामकृष्ण परमहंस
(C) स्वामी विवेकानन्द
(D) राजा राममोहन राय

 Answer ⇒ D

24. ‘सबला’ स्कीम केन्द्रित है –

(A) असहाय महिलाएँ
(B) किशोरियाँ
(C) मातृत्व लाभ
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ B

25. निम्नांकित में कौन आधुनिक राज्य के कार्य है ?

(A) बाहरी आक्रमण से रक्षा करना
(B) आंतरिक शांति स्थापित करना
(C) लोगों के लिए न्याय की व्यवस्था करना
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ D

26. जन्म मूलक परिवार एवं प्रजनन ‘मूलक परिवार की व्याख्या किस विद्वान ने की है ?

(A) लिण्टन
(B) डेविस
(C) मैकाइवर
(D) बोगार्डस

 Answer ⇒ C

27. जाति का आधार क्या है ?

(A) भाग्य
(B) कर्म
(C) पुनर्जन्म
(D) जन्म

 Answer ⇒ D

28. निम्न में से कौन द्विज नहीं कहलाते हैं ?

(A) ब्राह्मण
(B) क्षत्रिय
(C) वैश्य
(D) शूद्र

 Answer ⇒ D

29. स्त्रियों के निम्न स्थिति का सर्वप्रथम कारण चुनें

(A) अशिक्षा
(B) हिन्दू धर्म
(C) संयुक्त परिवार
(D) जाति व्यवस्था

 Answer ⇒ A

30. भारत में निम्नलिखित में से किसे अल्पसंख्यक नहीं माना जाता है ?

(A) मुस्लिम
(B) सिक्ख
(C) हिन्दू:
(D) ईसाई

 Answer ⇒ C

31. निम्नलिखित में से कौन हरित क्रान्ति के तत्त्व हैं ?

(A) अच्छे बीज का उपयोग
(B) बहु फसल
(C) सिंचाई पर बल
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ D

32. इनमें से कौन उदारीकरण का देन है ?

(A) बाजारवाद
(B) वैश्वीकरण
(C) निजीकरण
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ B

33. इनमें से कौन वर्ग की विशेषता नहीं है ?

(A) जन्म
(B) वर्ग चेतना
(C) गतिशीलता
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ A

34. स्वामी दयानन्द सरस्वती किस समाज के संस्थापक रहे ?

(A) ब्रह्म समाज
(B) प्रार्थना समाज
(C) आर्य समाज
(D) भारत सेवक समाज

 Answer ⇒ C

35. स्त्रियों को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किसने किया ?

(A) महात्मा गाँधी
(B) लोकमान्य तिलक
(C) जवाहरलाल नेहरू
(D) कस्तूरबा गाँधी

 Answer ⇒ D

36. धर्मनिरपेक्षता का अर्थ क्या है ?

(A) विभिन्न धर्मों का सह-अस्तित्व
(B) अन्य धर्मों के प्रति श्रद्धा
(C) राज्य का अपना कोई धर्म न होना
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

37. हिन्दुओं में कितने प्रकार के विवाह पाये जाते हैं ?

(A) 4
(B) 5
(C) 8
(D) 10

 Answer ⇒ C

38. भारत के निम्न में से किस राज्य में हिन्दू लोग अल्पसंख्यक समुदाय हैं ?

(A) केरल
(B) जम्मू एवं कश्मीर
(C) पंजाब
(D) हरियाणा

 Answer ⇒ B

39. निम्न में से भारत के किस राज्य में आदिवासी आबादी सर्वाधिक है ?

(A) पश्चिम बंगाल
(B) छत्तीसगढ़
(C) उत्तर प्रदेश
(D) गुजरात

 Answer ⇒ B

40. इनमें से कौन हरित क्रांति का प्रकार्य है ?

(A) शैक्षणिक विकास
(B) क्षेत्रीय असमानता
(C) अर्थव्यवस्था में विकास
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ C

41. निम्न में से कौन परिवार की विशेषता है ?

(A) सार्वभौमिकता
(B) सीमित आकार
(C) भावनात्मक आधार
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

42. भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवादी शासन की स्थापना के लिए निम्न में से कौन-सा कारण उत्तरदायी है ?

(A) राजनीतिक अस्थिरता का अभाव
(B) समाज में चेतना का अभाव
(C) ईसाई धर्म का प्रसार-प्रचार
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

43. राष्ट्रवाद का अर्थ

(A) सामान्य सामाजिक पृष्ठभूमि
(B) सामान्य जाति पृष्ठभूमि
(C) सामान्य भौगोलिक पृष्ठभूमि
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ D

44. निम्नलिखित में से कौन भारतीय समाज की विशेषता है ?

(A) अनेकता में एकता
(B) संस्कारों द्वारा समाजीकरण
(C) पुरुषार्थ
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

45. यह किसका कथन है कि “परिहास सम्बन्धों के द्वारा नातेदारों के बीच सहजतापूर्ण व घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों का विकास होता है” ?

(A) आर. के. ब्राउन
(B) जे० फ्रेजर
(C) वेस्टरमार्क
(D) टॉयलर

 Answer ⇒ C

46. किस वर्ष समेकित बाल विकास कार्यक्रम प्रारंभ किया गया ?

(A) 1975
(B) 1978
(C) 1974
(D) 2010

 Answer ⇒ A

47. पंचायती राज में कितने स्तर हैं ?

(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) पाँच

 Answer ⇒ B

48. ‘नेशनल करेक्टर एण्ड द फेक्टर्स इन इट्स फॉरमेशन’ नामक पुस्तक के लेखक हैं

(A) ई० बार्कर
(B) एस० सी० दुबे
(C) जे० ए० हॉब्सन
(D) ई० सदरलैण्ड

 Answer ⇒ B

49. “मुण्डा विद्रोह’ का नेतृत्व किसने किया था ?

(A) जतरा भगत
(B) बिरसा मुण्डा
(C) सिद्धू, कान्हू
(D) करिया मुण्डा

 Answer ⇒ B

50. पंचायत समिति का अध्यक्ष कौन होता है ?

(A) सी० ओ०
(B) प्रमुख
(C) मुखिया
(D) बी०डी० ओ०

 Answer ⇒ B

51. नगर के जिस अभिजात वर्ग का सम्बन्ध राजनीति अथवा उद्योगों से नहीं होता, उसे कहा जाता है

(A) व्यावसायिक अभिजात वर्ग
(B) प्रशासनिक अभिजात वर्ग
(C) व्यापारिक अभिजात वर्ग
(D) पिछड़ा अभिजात वर्ग

 Answer ⇒ A

52. निम्न व्यक्तियों में किनका नाम पर्यावरण बचाव आंदोलन से जुड़ा है ?

(A) महात्मा गाँधी
(B) हेमवतीनन्दन बहुगुणा
(C) मेधा पाटकर
(D) ममता बनर्जी

 Answer ⇒ B

53. निम्न नामों में से किनका नाम आप जनजातीय आंदोलन से जोड़ते हैं ?

(A) शिबू सोरेन
(B) बाबूलाल मरांडी
(C) बिरसा मुंडा
(D) उपर्युक्त कोई नहीं

 Answer ⇒ B

54. निम्नलिखित में किसे प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है ?

(A) न्यायपालिका
(B) प्रेस
(C) विधायिका
(D) कार्यपालिका

 Answer ⇒ B

55. इनमें कौन घर-घर में पश्चिमी संस्कृति को पहुँचाने में प्रमुख भूमिका निभाई है ?

(A) रेडियो
(B) टेलीविजन
(C) समाचार-पत्र
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ D

56. स्वतंत्र भारत में महिला आंदोलन को मुखर स्वर किसने प्रदान किया ?

(A) सराजनी नायडू
(B) मोहिनी गिरि
(C) मायावती
(D) अरुंधति राय

 Answer ⇒ B

57. पर्यावरण में सबसे ज्यादा कौन गैस है ?

(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) कार्बन डाइऑक्साइड
(D) अमोनिया

 Answer ⇒ B

58. इनमें कौन किसान नेता माने जाते हैं ?

(A) स्वामी सहजानंद सरस्वती
(B) जयप्रकाश नारायण
(C) लाला लाजपत राय
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ A

59. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना कब हुई ?

(A) दिसम्बर, 1885 में
(B) दिसम्बर, 1857 में
(C) दिसम्बर, 1847 में
(D) दिसम्बर, 1817 में

 Answer ⇒ A

60. भारत छोड़ो आंदोलन का आरंभ कब से हुआ ?

(A) 9 अगस्त, 1917 से
(B) 9 अगस्त, 1939 से
(C) 9 अगस्त, 1942 से
(D) 9 अगस्त, 1947 से

 Answer ⇒ C

61. निम्नलिखित में से “थियोसोफिकल सोसाइटी’ के संस्थापक हैं

(A) दयाननद सरस्वती
(B) एनी बेसेन्ट
(C) राजा राममोहन राय
(D) स्वामी विवेकानन्द

 Answer ⇒ B

62. ग्रामीण एवं नगरीय समाज के बीच निम्नलिखित में कौन अंतर का आधार है ?

(A) जनसंख्यात्मक आधार
(B) समुदाय का आकार
(C) सामाजिक गतिशीलता की प्रकृति
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ D

63. जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है ?

(A) दूसरा
(B) तीसरा
(C) पाँचवाँ
(D) आठवाँ

 Answer ⇒ A

64. निम्नलिखित में से परिवार का प्रकार्य है।

(A) सन्तानोत्पत्ति
(B) यौन इच्छाओं की पर्ति
(C) प्रजाति की निरन्तरता
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

65. निम्नलिखित में से शिकार एवं खाद्य संग्रहण जनजाति समूह है

(A) कुका
(B) मुण्डा
(C) भील
(D) गोंड

 Answer ⇒ A

66. यह किसका कथन है कि “सभी आर्थिक व्यवस्थाएँ सामाजिक व्यवस्थाएँ भी हैं। प्रत्येक उत्पादन विधि विशेष उत्पादन सम्बन्धों से निर्मित होती है, जो अन्ततः एक विशिष्ट वर्ग संरचना का निर्माण करती है।”

(A) जॉर्ज सिमैल
(B) मैक्स वेबर
(C) कार्ल मार्क्स
(D) लुईस वर्थ

 Answer ⇒ C

67. प्रोजेक्ट वास्तविक जीवन पर एक भाग है जिसका प्रयोग विद्यालय में किया जाता है। यह कथन है

(A) बेलार्ड
(B) किलपैट्रिक
(C) स्टीबेन्सन
(D) रॉबर्ट बीरस्टीक

 Answer ⇒ A

68. किसने कहा है कि क्षेत्रीयता, राष्ट्रीयता के अधीन है ?

(A) डॉ॰ घुरिये
(B) डॉ. राधाकमल मुखर्जी
(C) प्रो० बागार्डस
(D) प्रो. जीटरवर्ग

 Answer ⇒ B

69. निम्न में जो सही है, उस पर चिह्न लगायें

(A) पंचायत का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए निर्धारित है
(B) पंचायत का कार्यकाल चार वर्षों के लिए निर्धारित है
(C) पंचायत का कार्यकाल पाँच वर्षों के लिए निर्धारित है
(D) पंचायत का कार्यकाल छः वर्षों के लिए निर्धारित है

 Answer ⇒ C

70. संविधान के किस अनुच्छेद में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वों को लोकसभा एवं राज्य विधान सभाओं में प्रतिनिधित्व का प्रावधान किया गया है ?

(A) अनुच्छेद 330 एवं 332
(B) अनुच्छेद 14 एवं 14 (b)
(C) अनुच्छेद 23 एवं 24
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ A

71. सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लोगों की औसत आय है

(A) लगभग 60 वर्ष
(B) लगभग 65 वर्ष
(C) लगभग 68 वर्ष
(D) लगभग 71 वर्ष

 Answer ⇒ D

72. यदि कृत्रिम साधनों के द्वारा जनसंख्या-वृद्धि को नहीं रोका जाता तो माल्थस के अनुसार इससे उत्पन्न होने वाली दशा को कहा जाता है

(A) निरोधक अवरोध
(B) नैतिक अवरोध
(C) नैसर्गिक अवरोध
(D) विशिष्ट अवरोध

 Answer ⇒ C

73. निम्नांकित में से किसने यह निष्कर्ष दिया कि किसी समाज में अति जनसंख्या की समस्या का सम्बन्ध पूँजीवादी व्यवस्था से है ?

(A) कार्ल मार्क्स
(B) कार्ल प्रिबाम
(C) कार्ल मानहीम
(D) माल्थस

 Answer ⇒ A

74. निम्न में से भारत के किस राज्य में साक्षरता दर सबसे कम है ?

(A) उत्तर प्रदेश
(B) झारखण्ड
(C) मध्य प्रदेश
(D) बिहार

 Answer ⇒ A

75. निम्न में से भारत के किस राज्य में ईसाइयों की संख्या सर्वाधिक है ?

(A) बिहार
(B) मध्य प्रदेश
(C) तमिलनाडु
(D) केरल

 Answer ⇒ D

76. जनजातीय समाजों में धर्म का प्रमुख स्वरूप क्या है ?

(A) बन्दवाद
(B) टोटमवाद
(C) ओलागिरी
(D) इनमें कोई नहीं

 Answer ⇒ D

77. जाति व्यवस्था की उत्पत्ति से सम्बन्धित प्रजातीय सिद्धांत के प्रतिपादक निम्न में से कौन-सा विद्वान हैं ?

(A) हट्टन
(B) रिजले
(C) नेसफिल्ड
(D) गाँधी

 Answer ⇒ A

78. बोडो जनजाति द्वारा आरम्भ किया गया बोडो आन्दोलन का दूसरा नाम है

(A) गोलपाडा आन्दोलन
(B) उदया चल आन्दोलन
(C) कामरूप आन्दोलन
(D) असम आन्दोलन

 Answer ⇒ B

79. धुयेने जाति व्यवस्था की अवधारणा छः विशेषताओं के आधार पर

(A) सही है
(B) गलत है
(C) नहीं कह सकते
(D) इनमें कोई नहीं

 Answer ⇒ A

80. निम्न में कौन जनजातीय आंदोलन है ?

(A) ताना भगत आंदोलन
(B) तेलंगाना आंदोलन
(C) चिपको आंदोलन
(D) नर्मदा आंदोलन

 Answer ⇒ A

81. भारत में समन्वित जनजातीय विकास परियोजना आरम्भ की गई

(A) सन् 1975 से
(B) सन् 1980 से
(C) सन् 1983 से
(D) सन् 1987 से

 Answer ⇒ B

82. भारत का सबसे बड़ा जनजातीय समूह कौन है ?

(A) संथाल
(B) मुंडा
(C) भील
(D) गोड

 Answer ⇒ A

83. निम्नांकित में से जाति व्यवस्था की एक मौलिक विशेषता नहीं है ?

(A) समाज का खण्डात्मक विभाजन
(B) संस्तरण
(C) सामाजिक गतिशीलता
(D) अन्तर्विवाह

 Answer ⇒ C

84. निम्न में से कौन जनजाति की विशेषता है ?

(A) सामान्य भू-भाग
(B) सामान्य भाषा
(C) सामान्य संस्कृति
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

85. परीक्षा विवाह किस जनजाति में होता है ?

(A) मुण्डा
(B) संथाल
(C) नागा
(D) भील

 Answer ⇒ D

86. निम्न में से किस एक लेखक ने सामाजिक विषमताओं का विस्तार से अध्ययन किया है ?

(A) आन्द्रे बितेई
(B) जे० एच० हट्टन
(C) एस० सी० शुबे
(D) ए० आर० देसाई

 Answer ⇒ A

87. संविधान के कौन-से संशोधनों के द्वारा स्थानीय स्वशासन में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की कोशिश की गई है ?

(A) 51वाँ 52वाँ
(B) 73वाँ एवं 74वाँ
(C) 81वाँ एवं 82वाँ
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ B

88. पितृसत्ता का अर्थ है

(A) आर्थिक क्रियाओं में पुरुषों का अधिक सहभाग
(B) पुरुषों की शारीरिक शक्ति में वृद्धि
(C) स्त्रियों पर पुरुषों का अधिकार
(D) स्त्रियों की तुलना में पुरुषों के अधिकारों का संस्थाकरण

 Answer ⇒ D

89. भारत सरकार ने सर्वप्रथम अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना किस वर्ष में की ?

(A) सन् 1978
(B) सन् 1992
(C) सन् 1988
(D) सन् 1999

 Answer ⇒ A

90. एम० एन० श्रीनिवास द्वारा कौन-सा सिद्धांत प्रतिपादित किया गया ?

(A) पश्चिमीकरण
(B) आधुनिकीकरण
(C) प्रत्यक्षवादी
(D) आदर्श प्रारूप

 Answer ⇒ A

91.भारतीय समाज में प्रौद्योगिक विकास के बाद भी असमानताकारी सामाजिक मूल्यों का प्रभाव बना हुआ है। यह दशा निम्नांकित में से किसे इंगित करती है ?

(A) सांस्कृतिक संकट
(B) सांस्कृतिक शून्यता
(C) सांस्कृतिक विलम्बना
(D) सांस्कृतिक अलगाव

 Answer ⇒ C

92. अपने राष्ट्रीय जीवन को स्वस्थ और संगठित किए बिना निम्नांकित 1 में से कौन-सी दिशा अर्थहीन है ?

(A) मशीनीकरण
(B) नगरीकरण
(C) औद्योगीकरण
(D) भूमण्डलकरण

 Answer ⇒ D

93. भारत की सांस्कृतिक विरासत निम्नांकित में से किस दिशा से संबंधित

(A) वैदिककालीन चिन्तन
(B) राष्ट्रवाद
(C) समन्वित संस्कृति
(D) भौतिक संस्कृति

 Answer ⇒ C

94. निम्न में से कौन एक वैयक्तिक अध्ययन से संबंधित सचनाओं का प्राथमिक स्रोत हैं ?

(A) अवलोकन
(B) डायरियाँ
(C) व्यक्तिगत पत्र
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ A

95. प्रश्नावली द्वारा केवल उन्हीं व्यक्तियों से सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती है जो

(A) नगर में रहते हो
(B) उच्च आय वर्ग के हों
(C) शिक्षित हों
(D) विषय के प्रति जागरूक हो

 Answer ⇒ C

96. हमारे वायुमण्डल में किस गैस की मात्रा सबसे अधिक होती है ?

(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) कार्बन डाइऑक्साइड
(D) अमोनिया

 Answer ⇒ A

97. किस वर्ष से बलवंत राय मेहता कमिटी की सिफारिशों के आधार पर विभिन्न राज्यों में नया पंचायती राज कानून लागू होना शुरू हुआ ?

(A) 1947
(B) 1950
(C) 1959
(D) 1965

 Answer ⇒ D

98. बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों को लागू करनेवाला पहला राज्य था

(A) बिहार
(B) मध्य प्रदेश
(C) राजस्थान
(D) गुजरात

 Answer ⇒ C

99. कितने वर्ष के अंतर्गत के बच्चों को किसी खतरनाक कार्य में लगाना दंडनीय अपराध माना गया है ?

(A) 14
(B) 18
(C) 10
(D) 20

 Answer ⇒ A

100. 73वाँ संविधान संशोधन कब पास किया गया ?

(A) 1980
(B) 1990
(C) 1985
(D) 1992

 Answer ⇒ D

खण्ड-ब (गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न संख्या 1 से 30 तक लघु उत्तरीय हैं। इनमें से किन्हीं 15 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 2 अंक निर्धारित है। अधिकतम 50 शब्दों में दें।

1. आदिम समाज में युवा गृह के महत्त्व का वर्णन करें।

2. वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की क्या स्थिति है ?

3. मीडिया सामाजिक परिवर्तन कैसे लाता है ?

4. भारत में स्त्री एवं पुरुष के अनुपात की व्याख्या करें।

5. एकाकी परिवार से क्या अभिप्राय है ? इसकी विशेषताएँ बताइए।

6. अनुलोम विवाह क्या है ?

7. पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।

8. नर्मदा आंदोलन का मूल्यांकन कीजिए।

9. लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण से क्या अभिप्राय है ?

10. नातेदारी की रीतियों की व्याख्या करें।

11. भारत में सामाजिक परिवर्तन लाने में पंचायती राज व्यवस्था कितनी सफल रही है ?

12. सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारक की भूमिका क्या है ?

13. सामाजिक आंदोलन का क्या अर्थ है ?

14. जनांकिकी की परिभाषा दें।

15. आश्रम व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?

16. भारत में हरित क्रांति की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।

17. परिवार कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सुझाव दीजिए।

18. भारतीय जाति व्यवस्था पर पड़नेवाले औद्योगीकरण के प्रभावों का उल्लेख करें।

19. भारतीय समाज में भूमि-सुधार के प्रमुख कदमों की चर्चा करें।

20. भारत में भाषायी विविधता का उल्लेख कीजिए।

21. भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता की चर्चा करें।

22. अल्पसंख्यक शब्द से क्या अभिप्राय है ?

23. भारतीय संयुक्त परिवार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।

24. ‘अदृश्य हाथ’ का क्या तात्पर्य है ?

25. भ्रूणहत्या क्या है ?

26. नातेदारी की रीतियों की व्याख्या करें।

27. सीमान्तीकरण का क्या अर्थ है ?

28. संस्कृतिकरण की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।

29. हमारे संविधान में दिये गये समानता के अधिकार का वर्णन कीजिए।

30. नातेदारी शब्दावली का अर्थ तथा उसके प्रकार बताइए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न संख्या 31 से 38 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 5 अंक निर्धारित हैं। अधिकतम 100 शब्दों में उत्तर दें।

31. आधुनिक भारत में स्त्रियों की स्थिति की चर्चा करें।

32. नातेदारी की श्रेणियों की व्याख्या करें।

33. समाज सुधार आंदोलन एवं कानून से आप क्या समझते हैं ?

34. वैश्वीकरण क्या है ? इसके सामाजिक प्रभावों की चर्चा करें।

35. ग्रामीण समुदाय की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं ?

36. भारतीय समाज पर औद्योगिकीकरण के प्रभाव की विवेचना करें।

37. जातिवाद क्या है ? इसको प्रोत्साहन देने वाले चार कारणों की चर्चा करें।

38. मैकाइवर एवं पेज द्वारा दी गई परिवार की विशेषताओं की चर्चा करें।

खण्ड-ब (गैर वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. युवागृह जनजातीय समाज की एक महत्त्वपूर्ण संस्था है। इसके द्वारा निम्नलिखित कार्य संपादित किये जाते हैं –
(i) यह एक शैक्षणिक संस्था है, जिसमें समूह की संस्कृति, परम्परा विश्वासों आदि के अनुसार व्यवहार करना सिखाया जाता है।
(ii) यह जनजातीय संस्कृति के मूलभूत सिद्धान्तों से युवक-युवति को बचपन से परिचित कराकर संस्कृति की रक्षा करता है।
(iii) इसके अंतर्गत सदस्य सामूहिक रूप से कार्य करते हैं, जिससे पारस्परिक स्नेह, सद्भाव तथा एकता की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।
(iv) युवागृह आमोद-प्रमोद एवं मनोरंजन की आवश्यकता की पूर्ति करता है। फलतः युवकों के जीवन में नीरसता और निराशा उत्पन्न नहीं होती।
(v) युवक और युवती को जीवनसाथी के चुनाव में मदद करता है।
(vi) युवागृह अपने सदस्यों को रचनात्मक एवं उत्पादक कार्यों में लगाने के साथ-साथ उनमें सहयोग और समाज कल्याण की भावना उत्पन्न करता है। (vii) यह गाँव के अतिथियों के लिए विश्रामगृह तथा वृद्धों के लिए चौपाल का कार्य करता है। गाँव के लोग यहाँ एकत्रित होते हैं और महत्त्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श कर निर्णय लेते हैं।

2. वर्तमान परिस्थितियों में प्रत्येक परिवार कन्याओं को कुछ-न-कुछ शिक्षा देना आवश्यक समझने लगा है। अब प्रत्येक नगर व कस्बे में महिलाओं के लिए विद्यालय खुल गए हैं। व्यावसायिक व औद्योगिक संस्थाएँ भी खोली गई हैं। निःशुल्क शिक्षा, अन्य शुल्कों में रियायत, परीक्षाओं में स्वाध्यायी (Private) बैठने की सुविधा, छात्रवृत्तियों आदि की व्यवस्था भी उपलब्ध है और वे पुरुषों के समान उच्च शिक्षा भी ग्रहण करने लगी है। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं की संख्या बहुत सीमित है और इस देश में साक्षर महिलाओं की संख्या कुल आबादी का अठारह प्रतिशत है। इस संदर्भ में मार्गरट कोरमेख (Margaret Cormach) का कहना है, “अभी तक शिक्षा को जीने के लिए शिक्षा समझा जाता था, साक्षरता के लिए नहीं और इस प्रकार लड़कियों की शिक्षा मुख्यतया वैवाहिक जीवन के प्रशिक्षण से संबंधित है।”

3. मीडिया के अंतर्गत हम जनसंचार के उन समस्त तरीकों को शामिल करते हैं जिसके द्वारा कोई भी सरकार या समाज अपनी बात या योजना जनसमूह तक फैलाती है जैसे–रेडियो, टी० वी०, समाचार-पत्र, पत्र-पत्रिकाएँ आदि। आधुनिक समाज में मीडिया सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है क्योंकि यह विश्व भर की सूचनाएँ लोगों तक पहुँचाकर न केवल उनको जागरूक व चेतनशील बनाती है बल्कि उन्हें अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों का भी बोध कराती है। मीडिया एक ओर भ्रष्टाचार, घोटाले आदि का पर्दाफाश करती है तो दूसरी तरफ सामाजिक बुराइयाँ को मिटाने में भी कारगर भूमिका अदा करती है।

4. एक निश्चित अवधि में किसी विशेष क्षेत्र में प्रति एक हजार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या स्त्री-पुरुष अनुपात कहलाता है। भारत में 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति एक हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या 933 थी। जनसंख्या के समग्र लिंग अनुपात में सुधार होकर यह 2011 में 940 हुआ है। यह 1971 की जनगणना के बाद दर्ज उच्चतम लिंग अनुपात है। लिंग अनुपात में 29 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में वृद्धि हुई है।

5. परिवार के आकार और इसमें सम्मिलित पीढ़ियों की संख्या के आधार पर किए गये वर्गीकरण के अनुसार संयुक्त परिवार के अतिरिक्त एक और परिवार पाया जाता है जिसे एकाकी परिवार या केन्द्रीय परिवार कहते हैं। इसमें केवल दो ही पीढ़ियों के सदस्य पाये जाते हैं। पति-पत्नी और उनके बच्चे ही एकाकी परिवार के सदस्य होते हैं।

एम० एन० श्रीनिवास के अनुसार, “व्यक्ति, उसकी पत्नी और अविवाहित बच्चों वाले गृहस्थ समूह को प्रारम्भिक अथवा एकाकी परिवार कहते हैं।”
एकाकी परिवार में पति पत्नी तथा उसकी अविवाहित संतानों को सम्मिलित किया जाता है। यदि पति-पतनी में से किसी एक की मृत्यु हो जाये तो भी शेष सदस्य एकाकी परिवार का निर्माण करते हैं।

विशेषताएँ – एकाकी परिवार की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

(i) छोटा आकार – एकाकी परिवार में पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे होते हैं। इसमें एक या दो पीढ़ियों के व्यक्ति परिवार के सदस्य होते हैं।।

(ii) दो परिवारों में संबंध – इस परिवार का संबंध दो परिवारों के साथ होता है। पहला स्त्री के परिवार के साथ दूसरा, स्त्री के पति के परिवार के साथ।

(iii) स्वतंत्र सामाजिक इकाई – इस प्रकार के परिवार अन्य परिवारों पर आश्रित नहीं रहते और न अन्यों पर निर्भर रहने में प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।

(iv) मित्रता की भावना – एकाकी परिवार के सभी सदस्य आपस में एक-दूसरे के कार्य में हाथ बँटाते हैं, एक-दूसरे का मनोरंजन करते हैं। एक-दूसरे
की भलाई में लगे रहते हैं।

(v) माता-पिता की प्रधानता – माता-पिता उसी समय तक अपने बच्चों पर नियंत्रण रखते है जब तक कि वे विवाह नहीं कर लेते।

6. जब कोई उच्च वर्ग के व्यक्ति निम्न वर्ग की कन्या से शादी कर लेता हो इस प्रकार के विवाह पद्धति को अनुलोम विवाह कहते हैं।

7. पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

(i) तटस्थ अवधारणा – नैतिक रूप से पश्चिमीकरण एक तटस्थ अवधारणा है। यह केवल परिवर्तनों का विशेषण करती है। कोई परिवर्तन अच्छा है या बुरा इस विचार से यह दूर है।

(ii) वैज्ञानिक अवधारणा – इसके द्वारा हम किसी भी समाज में पश्चिम के सम्पर्क से होने वाले परिवर्तनों का वस्तुगत दृष्टि से विश्लेषण कर सकते हैं।

(iii) चेतन एवं अचेतन प्रक्रिया से जुड़ा होना – भारतीय समाज की चेतन एवं अचेतन प्रक्रिया से यह जुड़ी है। इसका प्रभाव भारतीय मानसिकता के चेतन एवं अचेतन दोनों पहलुओं पर पड़ा है। पाश्चात्य जीवन के कई तत्त्व हमारे दैनिक जीवन के व्यवहार एवं विचार में शामिल हो चुके हैं।

(iv) अनेक मॉडल – इसके अनेक मॉडल हैं, जैसे-ब्रिटिश, अमरीकी, रूसी आदि। ब्रिटिश शासनकाल तक सिर्फ अंग्रेजी प्रारूप ही भारतीय समाज में मुख्य रूप से विद्यमान थे, परन्तु आजकल अमरीकी प्रारूप भी प्रभावकारी दीख रहे हैं।

(v) एक जटिल एवं बहुआयामी प्रक्रिया – यह एक जटिल एवं बहुआयामी प्रक्रिया है। इसका प्रभाव सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकी तथा अन्य क्षेत्रों में पाया जाता है। लेकिन समाज के सभी क्षेत्रों में इसका प्रभाव समान रूप से नहीं पड़ा है।

8. (i) लोगों द्वारा 2003 ई० में स्वीकृत राष्ट्रीय पुनर्वास नीति को नर्मदा बचाओ जैसे सामाजिक आंदोलन की उपलब्धि के रूप में देखा जा सकता है। परन्तु सफलता के साथ ही नर्मदा बचाओ आंदोलन को बाँध के निर्माण पर रोक लगाने को माँग उठाने पर तीखा विरोध भी झेलना पड़ा है।

(ii) आलोचकों का कहना है कि आंदोलन का अड़ियल रवैया विकास की प्रक्रियां, पानी की उपलब्धता और आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को बाँध का काम आगे बढ़ाने की हिदायत दी है लेकिन साथ ही उसे यह आदेश भी दिया है कि प्रभावित लोगों का पुनर्वास सही ढंग से किया जाए।

(iii) नर्मदा बचाओ आंदोलन के लिए हरसंभव लोकतांत्रिक रणनीति का इस्तेमाल किया गया। आंदोलन ने अपनी बात न्यायपालिका से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक उठायी। आंदोलन की समझ को जनता के सामने रखने के लिए नेतृत्व ने सार्वजनिक रैलियों तथा सत्याग्रह जैसे तरीकों का भी प्रयोग किया , परंतु विपक्षी दलों सहित मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के बीच आंदोलन कई खास जगह नहीं बना पाया।

(iv) वास्तव में, नर्मदा बचाओ आंदोलन की विकास रेखा भातीय राजनीति में सामाजिक आंदोलन और राजनीतिक दलों के बीच निरंतर बढ़ती दूरी को बयान करती है। नवें दशक के अन्त तक पहुँचते पहुँचते नर्मदा बचाओ आंदोलन से कई अन्य स्थानीय समूह और आंदोलन भी आ जुड़े। ये सभी आंदोलन अपने-अपने क्षेत्रों में विकास की वृहत् परियोजनाओं का विरोध करते थे। इस समय के आस-पास नर्मदा बचाओ आंदोलन देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे आंदोलनों के गठबंधन का अंग बन गया।

9. विकेन्द्रीकरण से अभिप्राय संस्थाओं और संगठन में निर्णय करने के अधिकार में निचले वर्गों की सहभागिता से है। इसे लोकतांत्रिक इसलिए कहा जाता है कि इस प्रकार की सहभागिता लोकतंत्र और लोकतंत्रात्मक के मूल सिद्धांतों पर आधारित है। विकेन्द्रीकरण के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप हो सकते हैं। भारत जैसे देश में जहाँ धार्मिक, भाषायी, सास्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से विविधता पाई जाती है, भौगोलिक तथा सामाजिक जटिलताओं के कारण योजना तथा प्रशासन के लिए विकेन्द्रीकरणं की अत्यधिक आवश्यकता है। यह समाज के कमजोर तथा वंचित सामाजिक वर्गों को शक्ति संपन्न बनाता है। स्वतंत्रता के पश्चात् लोकतंत्र के उद्देश्यों की प्राप्ति और विकास के लिए विकेन्द्रीकरण विशेष रूप से आवश्यक हो गया है।

10. नातेदारी की कई रीतियाँ हैं, जो निम्नलिखित हैं –

(i) परिहार – यह दो संबंधियों को एक-दूसरे से दूर रखता है। यह संबंध पुत्र-वधू और ससुर, बधू और जेठ, दामाद और सास के बीच पाया जाता है।

(ii) परिहास – यह दो संबंधियों को एक-दूसरे के निकट लाता है। इसमें संबंधी एक-दूसरे से हँसी-मजाक के संबंधों से बँधे रहते हैं। यह संबंध देवर-भाभी, जीजा-साली, भाँजा-मामी आदि के बीच पाया जाता है।

(iii) माध्यमिक संबोधन – इस रीति के अनुसार किसी एक संबंधी को संबोधित करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को माध्यम बनाया जाता है। उदाहरणार्थ, एक स्त्री अपने पति को संबोधित करने के लिए उसका नाम नहीं लेती, बल्कि लड़के या लड़की का माध्यम बनाकर उस नाम से संबोधित करती है, अर्थात यदि लडके का माध्यम बनाकर उस नाम से संबोधित करती है, अर्थात् यदि लडके का नाम सोनु है तो वह अपने पति को सोनु के पापा कहकर संबोधित करती है।

(iv) भातुलेय – सब संबंधियों में जब मामा का स्थान सबसे उच्च होता है तो उसे मातुलेय कहा जाता है। मातृसत्तात्मक परिवार में यह पाया जाता है।

(v) पितृश्वस्त्रेय – पिता के बहन की विशेष भूमिका को पिर श्वेस्त्रेय कहा जाता है। पितृसत्तात्मक परिवारों में इस प्रकार का व्यवहार देखने को मिलता है।

(vi) सहकष्टी या सहप्रसविता – जनजातीय समाज में इस प्रथा का प्रचलन है। इ र प्रसव के समय पत्नी की तरह पति समान रूप से वेदना का अनुभव करता है। भारत की खासी तथा टोडा जनजातियों में इस तरह की व्यवस्था पायी जाती है।

11. पंचायती राज व्यवस्था ने हमारे लोकतंत्रीय राजनीतिक ढाँचे में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण को प्राप्त करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास की गति में तीव्रता आई है। विकास के प्रयास में लोगों की सहभागिता बढ़ रही है। इस प्रकार इस व्यवस्था ने शासन के प्रक्रिया में लोगों को पूरी तरह लगा दिया है। ग्राम संबंधी निर्णय की प्रक्रिया में कमजोर वर्गों की सहभागिता का कानूनी तौर पर सनिश्चित किया गया है। इसने पंचायती राज के सामाजिक आधार का बढ़ावा दिया है। महिलाओं की समस्याओं को उजागर करने के लिए आरक्षण के माध्यम से उनका सशक्तिकरण किया किया गया। आरक्षण ने पंचायतों को ग्राम समुदाय का अधिक सटीक प्रतिनिधि बना दिया है। समाज के कमजोर वर्गों को ग्राम पंचायत के कार्यकलापों में भाग लेने के अवसर प्राप्त हुआ है। सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के लिए यह आवश्यक है कि समाज का प्रत्येक वर्ग इसमें अपनी भागीदारी निश्चित करे और निर्णय करने की भूमिका में भाग ले।

12. अनेक विद्वान यह मानते हैं कि सामाजिक परिवर्तन का मुख्य कारण आर्थिक दशाओं में होने वाला परिवर्तन है। इनमें हम मुख्य रूप से उत्पादन का स्वरूप, सम्पत्ति की प्रकृति, व्यवसाय की प्रकृति, आर्थिक प्रतिस्पर्धा, श्रम विभाजन तथा वितरण की व्यवस्था आदि को सम्मिलित करते हैं। मार्क्स ने सामाजिक परिवर्तन के लिए आर्थिक कारकों को सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानते हुए यह निष्कर्ष दिया कि सभी समाजों में सामाजिक परिवर्तन का सर्वप्रथम कारक उत्पादन के ढंग में होने वाला परिवर्तन है।

13. 20वीं शताब्दी के मध्य में सामाजिक आंदोलन की चर्चा अधिक होने लगी। सामाजिक आंदोलन को एक ऐसे प्रयत्न के रूप में देखा जाता है जिसके द्वारा एक विशेष समूह अथवा समुदाय अपनी सामाजिक संस्थाओं तथा सामाजिक संरचना में वांछित परिवर्तन ला सके। वास्तव में, सामाजिक आंदोलन का उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन लाना ही नहीं, बल्कि कभी-कभी परिवर्तन को रोकना भी होता है।

14. सर्वप्रथम जनांकिकी शब्द का प्रयोग सन् 1885 में गुईलार्ड ने किया था। जनांकिकी अंग्रेजी शब्द डेमोग्राफी का हिन्दी रूपांतरण है। डेमोग्राफी दो यूनानी शब्दों ‘डेमोस’ तथा ‘ग्राफीन’ से मिलकर बना है। पहले शब्द का अर्थ जनसंख्या है तथा दूसरे का अर्थ विवरण देने वाला विज्ञान है। इस प्रकार शाब्दिक रूप से जनांकिकी वह विज्ञान है जो एक विवरण के रूप में जनसंख्या संबंधी विशेषताओं को स्पष्ट करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रकाशित जनसंख्यात्मक शब्दकोश के अनुसार, ‘जनांकिकी मानव जनसंख्या का वैज्ञानिक अध्ययन है जिसमें मुख्य रूप से जनसंख्या के आकार, उसकी संरचना और विकास का विश्लेषण किया जाता है।’

15. हिन्दू धर्मशास्त्रों में चार आश्रमों की व्यवस्था की गई है: ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम और सन्यास आश्रम। इन चारों आश्रमों का मानव जावन में बहुत अधिक महत्व है। मोक्ष प्राप्ति के लिए इन चारों आश्रमों का पालन करना चाहिए।

16. भारत में हरित क्रांति की प्रमुख विशेषताएँ या कार्यक्रम निम्नलिखित हैं –

  • (i) अधिक उपज देने वाली फसलों के कार्यक्रम लागू किये गये।
    (ii) बहुफसल कार्यक्रम आरम्भ किया गया। –
    (iii) हरित क्रांति के लिए जरूरी था कि खेती वर्षा पर निर्भर न रहे। इसके लिए बड़ी-छोटी सिंचाई की योजनाएँ बनायी गयी।
    (iv) सरकार द्वारा रासायनिक खादों के उपयोग पर बल दिया गया।
    (v) कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीक तथा कृषकों को प्रशिक्षण दिया गया।
    (vi) उन्नत किस्म के बीजों की व्यवस्था की गई।
    (vii) किसानों को उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा मूल्य आयोग की स्थापना की गई।

17. परिवार कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए

  • (i) जो व्यक्ति परिवार कल्याण कार्यक्रम अपनाते हैं उन्हें करों में छूट दी जानी चाहिए।
    (ii) विवाह की न्यूनतम आयु को कठोरता से लागू करना चाहिए।
    (iii) नियोजित परिवार के बच्चों को शिक्षा शूल्क में रियाती दी जानी चाहिए।
    (iv) निर्धन व्यक्तियों की बस्ती में अधिक परिवार कल्याण दी जानी चाहिए।
    (v)विद्यालय में जनसंख्या कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों की सहायता की जानी चाहए।
    (vi) परिवार नियोजन कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों की सहायता की जानी चाहिए।
    (vii) अधिक लोगों तक जानकारी पहुँचाने के लिए पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन रेडियो और अन्य साधनों का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिए।

18. औद्योगीकरण ने भारतीय जाति व्यवस्था को अनेक प्रकार से प्रभावित किया, जिसके फलस्वरूप जाति व्यवस्था के परंपरागत आधारों में परिवर्तन हआ है, जो निम्नवत् है

(i) जातिगत मनोवृत्ति में परिवर्तन – अब जाति को एक अलौकिक संस्था के रूप में नहीं देखा जाता है।

(ii) विवाह संबंधी प्रतिबंधों में शिथिलता – अब अन्तर्विवाह संबंधी निषेधों में शिथिलता आती जा रही है। अन्तर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन मिल रहा है।

(iii) भोजन संबंधी प्रतिबंध में शिथिलता – होटल में सभी जाति के लोग एक साथ बैठकर खाना खाते हैं। होटल वाले से यह नहीं पूछा जाता है कि तम किस जाति के हो।

(iv) व्यवसाय के चुनाव की स्वतंत्रता-अब व्यवसाय का निर्धारण जाति के आधार पर नहीं होता है। व्यक्ति अपनी इच्छानुसार व्यवसाय अपनाता है।

(v) अस्पृश्यता का अंत – औद्योगिकीकरण के कारण अब सभी जाति के लोग एक साथ कारखाने तथा दफ्तरों में काम करते हैं, होटल तथा कैन्टीन में भोजन और नाश्ता करते हैं। एक ही स्थान पर विभिन्न जाति के लोग साथ-साथ रहते हैं। फलत: अस्पश्यता की भावना और जातिगत बन्धन ढीले हो रहे हैं।

(vi) जाति पंचायत का विघटन – औद्योगीकरण ने स्वतंत्रता, समानता और धर्मनिरपेक्षता का प्रचार करके जाति पंचायतों के प्रभाव को कम किया है।

(vii) जातिवाद की भावना का विकास – औद्योगिकीकरण ने एक ओर जहाँ जातिगत बन्धन को शिथिल किया वहीं दूसरी ओर लोगों में अन्य कारणों से जातिवाद की भावना सुदृढ हो रही है। विभिन्न जातियों ने अपने-अपने प्रांतीय तथा राष्ट्रीय स्तर के संगठन बनाये हैं जो उनके जातीय हितों की रक्षा करते हैं।

19. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में भूमि सुधार के लिए निम्नलिखित कदम उठाये गये –

(i) जमींदारी प्रथा का उन्मूलन – सन् 1951 में कानून बनाकर जमींदारी प्रथा का उन्मूलन कर दिया गया।

(ii) काश्तकारी सुधार – इसके द्वारा ‘बटाईदार या किराये पर खेती करने वाले किसानों से लिये जाने वाले किराए या लगान का नियमन किया गया।

(iii) जोतों की चकबंदी –  इस व्यवस्था के द्वारा छोटे-छोटे खेतों को बड़े खेतों में तबदिल किया गया और सरकार के तरफ से उचित सिंचाई की व्यवस्था कराई गयी।

(iv) जोतों की अधिकतम सीमा का निर्धारण – सन् 1956 से केन्द्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकारों द्वारा कृषि भूमि की अधिकतम सीमा निर्धारित करने के लिए कानून बनाए गए। यह प्रावधान किया गया कि जिस व्यक्ति या परिवार के पास जोत की निर्धारित सीमा से अधिक भूमि है उसे सरकार द्वारा अपने अधिकार में ले लिया जायेगा और उसे भूमिहीन किसानों में बाँटी जायेगी।

(v) भूमि के रिकार्ड की व्यवस्था – वर्तमान में भूमि से संबंधित दस्तावेजों की जानकारी कम्प्यूटर द्वारा तैयार की जा रही है ताकि भूमि से संबंधित विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जा सके।

20. भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है। भारत में 18 प्रमुख भाषाएँ हैं और उनकी कई क्षेत्रीय उपभाषाएँ और बोलियाँ हैं। भाषाविदों ने भारत में 179 भाषाएँ और 544 बोलियों की पहचान की है। इन भाषाओं और बोलियों को तीन भाषा परिवारों इंडो-आर्यन, द्रविडियन तथा मुंडारी में बाँटा गया है। इन्डो-आर्यन भाषा परिवार में संस्कृत, हिन्दी, बंगाली, उड़िया, मराठी, गुजराती, पंजाबी आदि की बोलियाँ आती हैं तथा मुंडारी भाषा समूह में जनजातीय समुदायों की पारस्परिक भाषाएँ और बोलियाँ आती हैं। मध्यकाल में फारसी, अरबी और उर्दू जैसी भाषाएँ भारत में लोकप्रिय हुई। अरबी और फारसी राजदरबारों की भाषा थी। अंग्रेजी शासन काल में अंग्रेजी ने महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया। अरबी, फारसी और अंग्रेजी के बहुत से शब्द भारतीय भाषाओं ने अपना लिए।

21. धर्मनिरपेक्षता का अभिप्राय है-सभी धर्मों के प्रति श्रद्धा रखना और राज्य का अपना कोई धर्म न होना। भारतीय समाज के निर्माण में उन सभी व्यक्तियों का योगदान है जो हिन्दू, मुसलमान, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म को मानने वाले हैं। भारत विभिन्न धर्मों का समन्वय स्थल है। अत: भारत के लिए धर्मनिरपेक्षता जरूरी है। धर्मनिरपेक्षता के कारण ही यहाँ विभिन्न धर्मों और सम्प्रदायों का समावेश होने के बाद भी सभी धर्म और सम्प्रदाय एक-दूसरे के पूरक हैं।

22. अल्पसंख्यक की परिभाषा स्पष्ट नहीं है, लेकिन वे समूह अल्पसंख्यक माने जा सकते हैं जिनके साथ धर्म, प्राजति या सांस्कृति के आधार पर भेदभाव का व्यवहार किया जाता है। ये एक ऐसे समूह हैं जो धर्म, प्रजाति, राष्ट्रीयता और भाषा के आधार पर समाज के अन्य समूहों से अलग माने जाते हैं।

23. संयुक्त परिवार की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

(i) बड़ा आकार – संयुक्त परिवार में कई पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं, जिससे इसके सदस्यों की संख्या अधिक होती है। फलतः इसका आकार बड़ा होता है।

(ii) सामान्य निवास – संयुक्त परिवार के सभी सदस्य एक छत के नीचे रहते हैं।

(ii) सामान्य रसोई – पूरे परिवार का रसोईघर एक होता है जिसमें पका भोजन सभी सदस्य खाते हैं।

(iv) संयक्त सम्पत्ति – संयुक्त परिवार की सम्पत्ति संयुक्त होती है, जिस पर सभी सदस्यों का अधिकार होता है और सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति उससे होती है।

(v) कर्ता – संयुक्त परिवार का एक कर्ता होता है, जो परिवार का वयोवृद्ध पुरुष सदस्य होता है।

24. राजनीतिक अर्थशास्त्रियों में एडम स्मिथ सर्वाधिक प्रचलित थे। ‘अदृश्य – हाथ’ नाम उन्हीं के द्वारा दिया गया। स्मिथ का तर्क था कि बाजारी अर्थव्यवस्था में आदान-प्रदान या सौदों का एक सर्वाधिक लंबा क्रम है, जो अपनी क्रमबद्धता से स्वयं ही एक कार्यशील और स्थिर व्यवस्था की स्थापना करती है। ऐसा । तब भी होता है जब कोई व्यक्ति करोड़ों के लेन-देन में इसकी स्थापना का इरादा रखता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने लाभ को बढ़ाने की सोचता है और ऐसा करते हुए उसकी सभी कार्य समाज के या सभी के हित में होते हैं। इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है कि कोई एक अदृश्य बल यहाँ काम करता है जो इन व्यक्तियों की लाभ की प्रवृत्ति को समाज के लाभ में परिवर्तित कर देता है। इस प्रकार के बल को स्मिथ द्वारा ‘अदृश्य बल’ का नाम दिया गया। ‘अदृश्य हाथ’ के विचार को स्मिथ ने इस तर्क के रूप में प्रयोग किया कि जब बाजार में व्यक्ति स्वयं लाभानुसार कार्य करता है तो समाज को हर तरह से लाभ होता है, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था को बढ़ाता है और अधिक समृद्धि उत्पन्न करता है।

25. बच्चों को माँ के गर्भ में ही मार देना भ्रूण हत्या कहलाता है। लोग गर्भ में ही बच्चे के लिंग का परीक्षण करवा लेते हैं। यदि बच्चा लड़की होती है तो उसकी हत्या करवा दी जाती है। यह एक जघन्य अपराध है। इसे रोकने के लिए सरकारी कानून है। फिर भी बड़े पैमाने पर भ्रूण हत्या हो रही है। पूर्ण रूप से इसे रोकने के लिए कानून के साथ-साथ जनचेतना लाना भी आवश्यक है। भ्रूण हत्या के कारण बालिकाओं की संख्या में तेजी से गिरावट हुई जो जनसंख्या असंतुलन को जन्म दे रही है।

26. एक नातेदारी समूह से सम्बन्धित लोगों के व्यवहारों को नियन्त्रित करने के लिए अनेक ऐसे रीति-रिवाज विकसित किए जाते हैं जिनमें कुछ व्यक्तियों के बीच घनिष्ठता बढ़ सके तथा कुछ व्यक्तियों के बीच दूरी बनायी रखी जा सके। उदाहरण के लिए, बच्चों का अपने माता-पिता से श्रद्धा और सम्मान का सम्बन्ध होता है, जबकि जीजा-साली अथवा देवर-भाभी के बीच हँसी मजाक के सम्बन्ध पाए जाते हैं। अनेक रीतियाँ ऐसी होती है जिनके द्वारा दामाद और ससुर के बीच दूरी बनाये रखने की कोशिश की जाती है, जबकि कुछ रीतियों के द्वारा मामा और भान्जे के बीच घनिष्ठता पैदा करने का प्रयत्न किया जाता है। व्यवहार के इन सभी ढगों को हम नातेदारी की रीतियाँ कहते हैं। इनमें से कुछ रीतियों को हम परिहार कहते हैं जबकि कुछ रीतियाँ परिहास सम्बन्धों को स्पष्ट करती हैं।

27. एक निश्चित सीमा से अधिक भूमि को वर्तमान भू-स्वामियों से लेकर भूमिहीनों के बीच वितरित करना भूमि सीमान्तीकरण कहलाता है। यहाँ भूमि का पुनर्वितरण सामाजिक-आर्थिक न्याय के सिद्धान्त पर आधारित होता है।
स्वतंत्रता के समय ग्रामीण परिवारों में एक-चौथाई के पास जमीन नहीं थी जबकि बड़े किसानों और जमींदारों के पास हजारों एकड़ जमीन थी। इस असंतुलन को दूर करने के लिए ही कृषि जोतों का सीमान्तीकरण किया गया था।

28. समाजशास्त्री एम० एन० श्रीनिवास के अनुसार, “संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई निम्न हिन्दू जाति या कोई जनजाति अथवा अन्य समूह किसी उच्च और प्रायः द्विज जाति की दशा में अपने रीति-रिवाज, कर्मकांड, विचारधारा और जीवन पद्धति को बदलता है।”
संस्कृतिकरण में नए विचारों और मूल्यों को ग्रहण किया जाता है। निम्न जातियाँ अपनी स्थिति को ऊपर उठाने के लिए ब्राह्मणों के तौर-तरीकों को अपनाती हैं और अपवित्र समझे जाने वाले मांस-मदिरा के सेवन को त्याग देती है। इन कार्यों से ये निम्न जातियाँ स्थानीय अनुक्रम में ऊँचे स्थान की अधिकारी हो गई है। इस प्रकार संस्कृतिकरण नये और उत्तम विचार, आदर्श मूल्य आदत तथा कर्मकांडो को अपनी जीवन स्थिति को ऊँचा और परिमार्जित बनाने की क्रिया है। संस्कृतिकरण की प्रक्रिया में स्थिति में परिवर्तन होता है। इसमें संरचनात्मक परिवर्तन नहीं होता। जाति व्यवस्था अपने आप नहीं बदलती। संस्कृतिकरण की प्रक्रिया जातियों में नहीं बल्कि जनजातियों और अन्य समूहों में भी पाई जाती है। भारतीय ग्रामीण समुदायों में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया प्रभु-जाति की भूमिका का कार्य करती है। यदि किसी क्षेत्र में ब्राह्मण प्रभु-जाति है तो वह ब्राह्मणवादी विशेषताओं को फैला देगा। जब निचली जातियाँ ऊँची जातियों के विशिष्ट चिरित्र को अपनाने लगती हैं तो उनका कड़ा विरोध होता है। कभी-कभी ग्रामों में इसके लिए झगड़े भी हो जाते हैं संस्कृतिकरण की प्रक्रिया बहुत पहले से चली आ रही है। इसके लिए ब्राह्मणों का वैधीकरण आवश्यक है।

29. समानता के अधिकार से तात्पर्य है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार और समान अवसर प्राप्त हों। कानून की दृष्टि से सभी समान है। भारत का संविधान धर्म, लिंग, जाति या जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता। समान अपराध के लिए समान दंड दिया जाएगा। सभी के लिए शिक्षा व रोजगार के समान अवसर उपलब्ध होंगे। सभी को सार्वजनिक स्थानों का बिना भेदभाव के प्रयोग करने का अधिकार है। समान कार्य के लिए समान वेतन का प्रावधान है। सभी उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है।

30. नातेदारी शब्दावली का अर्थ (Meaning if Kinship Terms)-नातेदारी शब्दावली से अभिप्राय उन शब्दों से हैं जिनका प्रयोग विभिन्न प्रकार के संबंधियों को संबोधित करने के लिए किया जाता है। कुछ शब्दों (Terms) का प्रयोग उन सभी नातेदारों के लिए होता है, जिनमें कछ समानताएँ पायी जाती हैं जबकि दूसरे तरफ, कुछ विशिष्ट नातेदारों के लिए एक विशिष्ट शब्द का प्रयोग किया जाता है।

नातेदारी शब्दावली के प्रकार (Types of Kinsip Terms) – नातेदारी शब्दावली को तकनीकी रूप से विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।
मॉर्गन (Morgen) द्वारा नातेदारी शब्दावली को निम्नलिखित दो श्रेणियों में बाँटा गया है –

(i) वर्गीकृत प्रणाली एवं (ii) वर्णनात्मक प्रणाली।

(i) वर्गीकृत प्रणाली (Classification System) – वगीकृत प्रणाली के अन्तर्गत विभिन्न संबंधियों को एक ही श्रेणी में शामिल किया जाता है। इनके लिए समान शब्द प्रयोग किए जाते हैं। उदाहरण के लिए अंकल (Uncle) शब्द एक वर्गीकृत शब्द है जिसका इस्तेमाल चाचा, ताऊ, मामा, फूफा, मौसा आदि रिश्तेदारों के लिए किया जाता है। अंकल की भाँति कजिन (Cousin) नेफ्यू (Nephew) तथा इन-लॉ (In-lav) सभी वर्गीकृत शब्दों की श्रेणी में आते हैं। उदाहरण के लिए, समधी एक वर्गीकृत शब्द है जिसका प्रयोग दामाद तथा पुत्र-वधू दोनों के माता-पिता के लिये किया जाता है। असम के सेमा नागा व्यक्तियों द्वारा अजा (Aja) शब्द का इस्तेमाल माता, चाची तथा मौसी के लिए किया जाता है।

(ii) वर्णनात्मक प्रणाली (Descriptive System) – वर्णनात्मक प्रणाली के अन्तर्गत एक शब्द केवल एक ही संबंधी को इंगित करता है। इस प्रणाली में एक शब्द दो व्यक्तियों के मध्य निश्चित संबंध का वर्णन करता है। उदाहरण के लिए, माता तथा पिता वर्णनात्मक शब्द है। इसी प्रकार हिन्दी भाषा के चाचा, मामा, मौसा, ताऊ, साला, भांजा, नन्दोई, भाभी, भतीजा, आदि वर्णात्मक शब्द हैं, जो एक ही नातेदार को निर्दिष्ट करते हैं।
अंत में हम कह सकते हैं कि किसी एक नातेदारी शब्दावली अर्थात् वर्गीकृत प्रणाली या वर्णनात्मक प्रणाली का प्रयोग विशद्ध रूप से नहीं किया जाता है। दोनों ही प्रण लियाँ मिले-जुले रूप से प्रचलित हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

31. आधुनिक भारत में स्त्रियों की स्थिति निम्नलिखित प्रकार से है –

(i) पारिवारिक स्थिति (Fanily Status) –  आधुनिक युग में स्त्रियों को पारिवारिक क्षेत्र में बहुत से अधिकार प्राप्त हैं। विवाह सम्बन्धी निर्योग्यताएँ समाप्त हो गई है। बाल विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। विधवा विवाह तथा अन्तर्जातीय विवाह को मान्यता मिल गयी है। बहुपत्नी विवाह को भी बन्द कर दिया गया है पहले सभी अधिकार पुरुषों में केन्द्रित थे। किन्तु अब घर में स्त्री की स्थिति दासी की नहीं होकर गृहस्वामिनी की हो गई है। प्रत्येक कार्य तथा निर्णय में उसके विचारों व इच्छाओं को महत्व दिया जाता है। विवाह विच्छेद का प्रावधान हो जाने से स्त्रियों को दुराचारी तथा अन्यायी पति से छुटकारा मिल जाता है। इन सारी बातों के बावजूद स्त्रियों की स्थिति में अधिक सुधार नहीं हो सका है। इसके संदर्भ में श्रीमती कमला सिन्हा ने कहा कि मानसिकता आज भी वही पुरानी है। अंतर्जातीय विवाह जो निभा लेती है, उनकी तारीफ करनी चाहिए। महिलाओं की ओर से तलाक के मामले बहुत कम सुनने को मिलते हैं जबकि कानून में इसके प्रावधान है।

(ii) आर्थिक स्थिति (Economic Status) – पहले स्त्रियों का सम्पत्ति पर कोई अधिकार नहीं था। अब पारिवारिक सम्पत्ति के मामले में स्त्रियों को भी सुविधायें व अधिकार मिल गये हैं। सन् 1956 में ‘हिन्दु उत्तराधिकारी अधिनियम पारित हुआ जिसके अनुसार स्त्रियों को भी अपनी पुश्तैनी सम्पत्ति में से कुछ अर्थात् आंशिक अधिकार मिला है। पिता की अर्जित सम्पत्ति पर पुत्र के समान पुत्री को भी अधिकार दिये गये हैं। संयुक्त परिवार प्रणाली में भी सभी स्त्रियों को अपना हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार मिल गया है। इसके अतिरिक्त अब स्त्रियों का आर्थिक कार्य करना अनैतिक तथा बरा नहीं समझा जाता। आज सभी क्षेत्रों में स्त्रियाँ काम करने लगी हैं और ऐसी महिलाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है।

(iii) शैक्षणिक स्थिति (Educational Status) – शिक्षा बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक होता है। इसके बिना व्यक्ति अज्ञानता के अंधकार में भटकता रहता है। भारत में प्राचीन काल से ही स्त्रियों को शिक्षा से वंचित कर दिया गया, इसके परिणामस्वरूप उनका दिमाग तथा मनोबल कुंठित हो गया। वे अनेक प्रकार के अंध विश्वास से ग्रसित हो गई। वे अपने अधिकारों के प्रति सजग न रह सकी। ब्रिटिश शासन काल से ही स्त्री शिक्षा की शुरुआत हो गई किन्तु स्वतंत्रता के बाद इसमें काफी प्रसार हुआ। लोग लड़कियों की शिक्षा का महत्त्व समझने लगे। जगह-जगह स्कूल एवं कॉलेज खुलने लगे। तरह-तरह के प्रशिक्षण केन्द्र खुल गये जहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त कर सम्बन्धित धंधों में स्त्रियाँ काम करने लगी हैं।

(iv) राजनैतिक स्थिति (Political Status) – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्त्रियाँ राजनैतिक क्षेत्र में सक्रिय भाग लेने लगी हैं। भारत के इतिहास में यह पहला मौका था, जबकि महात्मा गाँधी के प्रयास से स्त्रियों में सामूहिक रूढ़ियों का अंत हुआ और वे खुलकर मैदान में पुरुषों के समान कंधे-से-कंधा मिलाकर काम करने लगी। सैद्धान्तिक तौर पर स्त्रियों के लिए समान रूप से राजनैतिक पद उपलब्ध है। पार्लियामेन्ट और विधान मण्डलों में स्त्री प्रतिनिधियों की संख्या सरक्षित है और विभिन्न गतिविधियों में उनकी सहभागिता राज्यपाल, मंत्री, मख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री के रूप में होती रही है। भारतीय संविधान के अनुसार स्त्रियों का पुरुषों के समान मतदान का अधिकार दिया गया है। इस प्रकार इन्हें अपना प्रतिनिधि चनने उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सजग तथा जागरूक बना रही है। इससे उनकी स्थिति में पहले की अपेक्षा काफी सधार हुआ है।

(v) धार्मिक स्थिति (Religious Status) – मध्ययुग में स्त्रियों के धार्मिक अधिकार छिन गये थे। शिक्षा के अभाव, विवेक की कमी तथा अंधविश्वासों के कारण इनकी धार्मिक स्थिति निम्न हो गई। स्त्रियों पर धर्म से सम्बन्धित अनेक निर्योग्यताएँ लाद दिये गये। इस काल में धर्म के नाम पर स्त्रियों का सबसे अधिक शोषण हआ, किन्तु आज स्त्रियाँ धार्मिक कार्यों में पहले जैसी स्वतंत्रता से हिस्सा लेती है। महिलाओं की सभी धार्मिक निर्योग्यताएँ धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। वे पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन तथा मंदिरों में अपनी इच्छा अनुसार कार्य करती हैं।

32. नातेदारी वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत केवल रक्त संबंध ही नहीं आते हैं, बल्कि वे सभी संबंध इस व्यवस्था में शामिल है, जिन्हें समाज मान्यता प्रदान करता है।
नातेदारी व्यवस्था विभिन्न व्यक्तियों को सामाजिक निकटता के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित करती है, जो इस प्रकार हैं
(i) प्राथमिक नातेदार – जिन व्यक्तियों के बीच रक्त या विवाह का प्रत्यक्ष संबंध होता है, उन्हें एक-दूसरे का प्राथमिक नातेदार कहा जाता है। उदाहरणार्थ पिता-पुत्र, पति-पत्नी, भाई-बहन, भाई-भाई, बहन-बहन, माता-पुत्र, माता-पुत्री आदि।

(ii) द्वितीयक नातेदार – जो व्यक्ति हमारे प्राथमिक नातेदार के प्राथमिक संबंधी होते हैं, वे हमारे द्वितीयक नातेदार होते हैं। उदाहरणार्थ-चाचा, नाना, मामा आदि।

(iii) तृतीयक नातेदार – द्वितीयक नातेदारों के प्राथमिक संबंधी तृतीयक नातेदार होते हैं। उदाहरणार्थ-ममेरे, फुफेरे तथा मौसेरे भाई-बहन एक-दूसरे के तृतीयक नातेदार होते हैं।

33. समाज सुधार आंदोलन सामाजिक आंदोलन का एक विशेष रूप है। टर्नर एवं किलीयन (Turner and Killian) ने ‘एक वैचारिकी’, ‘हम भावना’, ‘मानक’ और ‘ढाँचा’ को सामाजिक आंदोलन की प्रमुख विशेषता माना है। सामाजिक आंदोलन को परिभाषित करते हुए टर्नर एवं किलीयन ने लिखा है, “सामाजिक आंदोलन का अर्थ व्यक्तियों के एक बड़े समूह द्वारा निरन्तर रूप में समाज अथवा समूह में कोई विशेष परिवर्तन उत्पन्न करने या परिवर्तन को रोकने के लिए प्रयत्न करता है।” स्पष्ट है कि सामाजिक आंदोलन एक समाज के कुछ व्यक्तिया द्वारा किया जाने वाला सामूहिक प्रयास है। इसका उद्देश्य कुछ विशेष समस्याओं का समाधान करना होता है।
सामाजिक आंदोलन का दूसरा रूप वह है जिसका उद्देश्य किसी विशेष समूह अथवा विचारधारा का विरोध करना होता है। दक्षिण भारत में ‘द्रविड कड़घम आंदोलन’ तथा महाराष्ट्र में होने वाला ‘महार आंदोलन’ इसी तरह के आंदोलन हैं। द्रविड़ कडघम आंदोलन ब्राह्मण संस्कृति का विरोध करने के लिए तथा महार आंदोलन जातिगत विभेदों को दूर करके बौद्ध या किसी दूसरे धर्म को ग्रहण करने के लिए आरम्भ किया गया था। तीसरे प्रकार का सामाजिक आंदोलन वर्ग संघर्ष की विचारधारा पर आधारित होता है। भारत ‘तेलंगाना आंदोलन’ तथा ‘दलित पैंथर आंदोलन’ इसी तरह के आंदोलन रहे हैं। किसानों द्वारा अपने आप को एक अलग वर्ग के रूप में संगठित करके अधिकाधिक अधिकारों की माँग करना भी इसी तरह के आंदोलनों से सम्बन्धित हैं।
प्रमुख सुधारवादी आंदोलन (Major Reform Movement) – भारत में उन्नीसवीं शताब्दी से सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों की जो प्रक्रिया आरम्भ हुई, उसमें अनेक संगठनों का सराहनीय योगदान रहा है। यह आंदोलन केवल हिंदुओं तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि ईसाई, मुस्लिम, जनजातीय और निम्न जातियों के लोगों ने भी इसमें योगदान किया। इस समय आरंभ होने वाले सुधार आंदोलनों का उद्देश्य समाज में केवल धार्मिक सुधार लाना नहीं था जैसा कि ए० आर० देसाई ने लिखा है, “इनका उद्देश्य एक ऐसा धार्मिक दृष्टिकोण विकसित करना था जिससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ाया जा सके। इसी कारण सुधार आंदोलनों के द्वारा वैयक्तिक स्वतंत्रता पर लगे प्रतिबंधों को दूर करने का प्रयत्न किया गया।

ब्रह्म समाज (Brahma Samaj) – ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राममोहन राय (1772-1833) द्वारा सन् 1828 में की गयी। ब्रह्म समाज भारत में सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन का प्रथम आधार था जिसके फलस्वरूप भारत में एक नयी सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना का विकास हआ। इसी कारण राजा राममोहन राय को ‘भारतीय राष्ट्रवाद का पिता’ भी कहा जाता है। राजा राममोहन राय विभिन्न भाषाओं के प्रकाण्ड विद्वान थे। उन्होंने वेदों, उपनिषदों, इस्लाम, सूफीवाद तथा ईसाई धर्म का व्यापक अध्ययन करके हिन्दू धर्म और समाज में फैली हुई बुराइयों का घोर विरोध करना आरम्भ किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मौलिक हिन्दू धर्म में छूआछूत, जाति भेद, मूर्ति पूजा, सती प्रथा, स्त्री-पुरुष के विभेदों का कोई स्थान नहीं है। इस्लाम के अद्वैतवाद तथा ईसाई धर्म के मानवतावाद से प्रभावित होकर उन्होंने ‘एक ब्रह्म’ की उपासना का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। उन्होंने लिखा है, “मेरा ध्यान लगातार उन घातक कर्मकाण्डों की ओर रहा है, जो मूर्ति पूजा से सम्बन्धित अजीबोगरीब आचरणों की उपज है। इन कर्मकाण्डों के कारण हिन्दू समाज का मूल स्वरूप नष्ट हो गया। आज समाज की एकता के लिए आवश्यक है कि हम सब मिलकर एक निराकार ब्रह्म में विश्वास करना सीखें।” स्पष्ट है कि ब्रह्म समाज का तात्पर्य एक ऐसी संस्था से है, जो एक ब्रह्म की उपासना तथा समाज को एकता के सूत्र से जोड़ती है।

34. वैश्वीकरण का तात्पर्य विश्व की अर्थव्यवस्था में एकीकरण की प्रक्रिया से है। इसका अर्थ है जब विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक प्रतिबन्ध कम या समाप्त होने लगते हैं तथा सभी देश एक-दूसरे की प्रौद्योगिकी और अनभंवों का लाभ उठाकर अपना आर्थिक विकास करने लगते हैं तब इस दशा को वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण कहा जाता है।

वैश्वीकरण के जो अच्छे परिणाम सामने आये हैं, वे निम्नलिखित हैं –
(i) यह प्रक्रिया देश के प्राकृतिक साधनों का सही उपयोग करने और कम कीमत पर उपभोक्ताओं को अच्छी वस्तुएँ उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध हुई है।

(ii) विकासशील और पिछड़े देशों में दूसरे देशों के लोग पूँजी का निवेश करने लगते हैं। अतः ऐसे देशों में भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता बढ़ने लगती है।

(iii) वैश्वीकरण के कारण रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। आज बडी संख्या में लोग दूसरे देशों में जाकर रोजगार के अवसर प्राप्त कर लेते हैं।

(iv) विकसित देशों ने खेती के ऐसे तरीके और उपकरण विकसित किये हैं जिनके द्वारा कम भूमि पर अधिक उत्पादन किया जा सकता है। ऐसे ज्ञानों का लाभ वैश्वीकरण के कारण अविकसित देशों को भी मिलने लगा है। फलतः कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है।

(v) वैश्वीकरण के फलस्वरूप जब वस्तुओं की गुणवत्ता बढ़ती है तो जीवन स्तर में सुधार होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के स्तर में भी सुधार होता है।

(vi) यह महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक बनाने में भी योगदान किया है।

(vii) विभिन्न देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाने में भी इसकी मुख्य भूमिका है।

35. ग्रामीण समुदाय की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं –

(i) सामाजिक समस्याएँ – भारतीय समाज में जातिवाद, परम्परावाद तथा अस्पृश्यता के कारण सामाजिक दूरी पाई जाती है। एक जाति दूसरे जाति से घृणा करती है। विवाह तथा अन्य संस्कारों में भोज दिया जाता है, जिसका बहुत अधिक धन व्यय हो जाता है। ग्रामीण समाज में शिक्षा का अभाव पाया जाता है। जिससे अशिक्षित ग्रामीण व्यक्ति दूसरों की चालाकियों का शिकार हो जाता है।

(ii) पारिवारिक समस्याएँ-ग्रामीण समाज में बाल-विवाह प्रथा देखने को मिलती है। जिसके कारण संतान निर्बल होती है। विधवा पुनर्विवाह निषेध के कारण ग्रामीण समाज में स्त्रियों की दुर्दशा पायी जाती है। भारत की निम्न जातियों में पति-पत्नी में मनमुटाव होने पर पति-पत्नी का त्याग कर देता है। इसे परित्याग कहते हैं। परित्याग के कारण स्त्रियों की सामाजिक स्थिति निम्न होती है।

(iii) आर्थिक समस्याएँ-ग्रामीण समुदाय में कृषि योग्य भूमि छोटे-छोटे. टुकड़ों में विभाजित रहती है। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि नहीं हो पाती है। परिणामस्वरूप देश में निर्धनता पायी जाती हैं। भारतीय कृषकों को कृषि करने के नवीन उपकरण उपलब्ध नहीं होते हैं। क्योंकि वे निर्धनता के कारण उनको खरीद नहीं सकते। भारतीय कृषक अशिक्षित होने के कारण महाजनों के चक्कर में आ जाते हैं और अपनी निर्धनता के शिकार बने रहते हैं।

36. भारतीय समाज पर औद्योगिकीकरण के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव निम्नलिखित हैं –

सामाजिक प्रभाव (Social effects) –

(i) सामुदायिक भावना का ह्रास – औद्योगीकरण के कारण उस स्थान पर जहाँ पर उद्योगों की स्थापना हुई है। जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होती है। जैसे-जैसे किसी समुदाय के आकार का विस्तार होता जाता है। वैसे-वैसे उनके आपसी संबंध अवैयक्तिक (Impersonal) होते जाते हैं। अत: लोगों में सामुदायिक भावना की कमी हो जाती है।

(ii) सामाजिक नियंत्रण की कमी – औद्योगीकरण के फलस्वरूप नगरों में जनसंख्या के घनत्व में वृद्धि हो रही है। फलस्वरूप विभिन्न द्वितीयक समूहों का निर्माण हो गया। व्यक्ति का अधिकांश समय इन्हीं द्वितीयक समूहों में व्यतीत होता है। अत: प्राचीन परम्परागत सामाजिक नियंत्रण के साधनों का प्रभाव शिथिल होता जा रहा है।

(iii) संयुक्त परिवार का विघटन – औद्योगीकरण के फलस्वरूप नगरों – का अत्यधिक विकास हुआ और इन उद्योगों में काम करने वाले व्यक्तियों की संख्या, दिन प्रति दिन बढ़ती गयी। नगरों में जनसंख्या के बढने से मकानों की समस्या अति गंभीर हो गयी। साधारण व्यक्तियों के लिए नगरों में बड़ा मकान किराये पर लेकर संयुक्त परिवार के समस्त सदस्यों के साथ रहना एक कठिन कार्य हो गया है। अतः एक ही परिवार के लोग अलग-अलग स्थानों पर रहकर भिन्न-भिन्न व्यवसाय करने लगे। इसके परिणामस्वरूप उनका दृष्टिकोण बदल गया और संयुक्त परिवार की प्रकृति को धक्का लगा।

(iv) दर्व्यसनों तथा अपराधों में वृद्धि – औद्योगीकरण के कारण नगरीय जनसंख्या में वृद्धि हुई। ग्रामीण लोग अपने परिवार को गाँवों में छोड़ कर यहाँ आते हैं। नगरों में वे सर्वथा अपरिचित और नए वातावरण में रहते हैं। यहाँ पर उनके आचरण पर नियंत्रण रखने वाले सामाजिक वातावरण का अभाव हो जाता है। अतः उनका दुर्व्यसनों की ओर झुकाव होना आसान हो जाता है। बम्बई, कानपुर, कलकत्ता आदि बड़े शहरों में यह परिस्थिति वेश्यावृत्ति को बढ़ाने में सहायक होती है। इसके अतिरिक्त मजदूर शराब और जुएँ के व्यसनों में भी फंसते हैं। दिन भर शोरगुल के बीच काम करने से व्यक्ति की धमनियाँ बिल्कुल शिथिल हो जाती है। वह थक कर अपने दिन भर की सारी थकावट और चिन्ता दूर करने के लिए शराब की शरण लेता है। निर्धनता दूर करने के लिए सट्टे और जुएँ में फंसता है और इन दुर्व्यसनों में अपना स्वास्थ्य और धन बर्बाद करता है। इन दुर्व्यसनों के कारण अपराधों की संख्या में वृद्धि होती है।

(v) स्त्रियों की परिस्थिति में परिवर्तन – औद्योगीकरण के कारण अब स्त्रियाँ आर्थिक दृष्टिकोण से परमुखापेक्षिणी नहीं रह गई है। अब स्त्रियों का क्षेत्र घर की चार दीवारी तक ही सीमित नहीं रहा है। अब वे घर के बाहर विभिन्न कार्य में लगी है। नगरीय क्षेत्र में उन्हें राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक
क्षेत्र में प्रवेश करने की अनेक सुविधायें प्राप्त हुई है।

(vi) गंदी बस्तियों का विकास –औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप नगरों र की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। श्रमिक लोगों को नगरों में आकर रहना पड़ता है। जिस कारण मकानों की कमी हो गयी और वे लोग गंदी बस्तियों में रहने लगे। इन गंदी बस्तियों ने बाल अपराध पारिवारिक विघटन एवं वेश्यावृत्ति तथा बीमारियों आदि के दुष्परिणामों को बढ़ावा दिया है।

(vii) जनसंख्या में वृद्धि – औद्योगीकरण से जनसंख्या पर काफी प्रभाव पड़ा है। उसमें निरंतर वृद्धि होती जा रही है। नगरों में ही नहीं वरन् कारखानों के आस-पास गाँवों में भी जनसंख्या बढ़ गयी है।

(viii) सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन – औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने सामाजिक मूल्यों को प्रभावित किया है। मानवता के स्थान पर लोग धंन तथा सांसारिक सुखों को बहुत महत्त्व देने लगे हैं। लोगों के यौन संबंधों में भी अंतर आ गया है। वे यौन संबंधों को धर्म के संबंध नहीं मानकर एक भौमिक आवश्यकता समझने लगे हैं।

(ix) धर्म के प्रभाव में कमी – औद्योगीकरण के विकास के कारण आज प्रत्येक व्यक्ति का दृष्टिकोण वैज्ञानिक होता जा रहा है। परम्परागत तथा रूढिवादी धार्मिक विचारों का महत्त्व कम होता जा रहा है।

(x) विवाह प्रथा पर प्रभाव – औद्योगीकरण के कारण विवाह के आधार में प्रतिदिन परिवर्तन हो रहा है। पहले विवाह का आधार धार्मिक था और इन भावना से ओत-प्रोत था कि “विवाह का आधार धार्मिक बंधन एवं संस्कार है, जिसे मृत्यु, पर्यन्त तोड़ा नहीं जा सकता।’ किन्तु अब विवाह को एक संविदा (Contract) समझा जाता है तथा प्रेम विवाहों की संख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पूर्व विवाह और अतिरिक्त विवाह से यौन संबंध को प्रोत्साहन मिल रहा है और विवाह विच्छेदों में वृद्धि हुई है।

औद्योगीकरण के आर्थिक प्रभाव –
(i) पूँजीवाद का विकास – औद्योगीकरण का सबसे प्रमुख आर्थिक प्रभाव पूँजीवाद का विकास है। बड़ी-बड़ी मीलों व कारखानों को चलाने के लिए धन की आवश्यकता पड़ने लगी और उत्पादन के साधनों पर धनी वर्ग का आधि पत्य हो गया।

(ii) नयी वर्ग व्यवस्था का उदय – पूँजीवादी के विकास के साथ-साथ नयी वर्ग व्यवस्था का भी उदय हुआ। समाज में श्रमिक वर्ग तथा मध्यम वर्ग उत्पन्न हो गये।

(iii) श्रम विभाजन और विशेषीकरण – औद्योगीकरण से पूर्व श्रम-विभाजन तथा विशेषीकरण का कई प्रश्न था। बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना ने श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को जन्म दिया है।

(iv) कुटीर उद्योग – धंधों का पतन-औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप बड़े-बड़े कल-कारखानों की स्थापना हुई जिससे कुटीर उद्योग-धंधों का ह्रास .. हुआ। मशीनों द्वारा बने सामान का मूल्य कम होना और वस्तुओं सुन्दर होती थी जिस कारण कुटीर उद्योग-धंधों में काम करने वाले मशीनों के सामने टिक नहीं सके और कुटीर उद्योग-धंधों का पतन हो गया।

(v) निर्धनता – औद्योगीकरण ने पूँजीवाद को प्रोत्साहन दिया। पूँजीवादी व्यवस्था में धन का असमान वितरण होता है। धन का बहुत बड़ा भाग पूँजीपतियों के हाथ में होता है और बहुत थोडा भाग अधिक लोगों के यह आर्थिक विषमता दरिद्रता की पोषक है।

(vi) दुर्घटनाएँ – कल-कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए उचित व्यवस्था न होने तथा मजूदरों की अपनी असावधानी के कारण दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है पता है।

(vii) बीमारियाँ – कल-कारखानों में मजदूरों की कार्य करने की दशायें ठीक न होने, विषैली गैसों, रोशनी का ठीक प्रबंध न होने के कारण मजदूरों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, फलस्वरूप वे अनेक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।

(viii) बेरोजगारी – बेकारी या बेरोजगारी का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण औद्योगीकरण है। जैसे-जैसे कल-कारखानें और मशीनें बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे बेकारी भी बढ़ती जा रही हैं।

37. जातिवाद भारतीय समाज की एक प्रमुख समस्या है। जातिवाद दो प्रजातियों में मतभेद होने की वजह से होने वाला विवाद है। जातिवाद एक ऐसी सामाजिक समस्या है जिसमें एक जाति के लोग केवल अपने ही जाति के लोगों के हित की बात करते हैं। अपने ही जाति का समर्थन करते हैं, अन्य जातियों का नहीं।
जातिवाद को प्रोत्साहन देने वाले चार कारण निम्नलिखित हैं –

(i) अपनी ही जाति के कल्याण और हित और उनकी विकास की बातें सोचने और करने से जातिवाद को प्रोत्साहन मिलता है।

(ii) जब समाज के किसी भी वर्ग के लोग केवल अपने ही जाति के हित और कल्याण का समर्थन करते हैं। दूसरी जातियों का नहीं तो इससे भी जातिवाद को प्रोत्साहन मिलता है।

(ii) जो व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है वही उसकी जाति हो जाती है। इसलिए भावनात्मक रूप से वो अपनी जाति के प्रति लगाव अधिक रखता है और दूसरी जाति के प्रति सहानुभूति नहीं रखता है, तो ऐसी हालत में जातिवाद को प्रोत्साहन मिलता है।

(iv) कुछ सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक कारणों तथा आर्थिक धारणों से भी समाज में जातिवाद को प्रोत्साहन मिलता है।

38. मेकाइवर तथा पेज के अनुसार, “परिवार यौन सम्बन्धों पर आधारित एक ऐसा समूह है, जो सन्तानों की उत्पत्ति एवं पालन-पोषण हेतु यथेष्ट रूप से छोटा या स्थायी होता है।”

विशेषताएँ (Characteristics) – मैकाइवर एवं पेज द्वारा दी गई परिभाषा के आधार पर परिवार की निम्नलिखित विशेषताएँ है –

(i) विवाह सम्बन्ध – परिवार का गठन विवाह के द्वारा होता है। परिवार में स्त्री और पुरुष के बीच जो यौन सम्बन्ध पाया जाता है वह विवाह के द्वारा ही संभव होता है। विवाह बन्धन में बंध जाने के बाद ही स्त्री-पुरुष को यौन सम्बन्ध स्थापित करने की सामाजिक स्वीकृति मिलती है।

(ii) विवाह का स्वरूप – विवाह का स्वरूप चाहे एक-विवाही हो या बहुविवाही या समूहविवाही यह एक संस्था के रूप में प्रत्येक परिवार में अनिवार्य रूप में पाया जाता है। इसी के द्वारा समाज स्त्री-पुरुष के यौन सम्बन्ध को मान्यता देता है।

(iii) वंश नाम की व्यवस्था – प्रत्येक परिवार का अपना वंश नाम होता है, जिससे उसके सदस्यों की पहचान होती है। यह वंश नाम पितृ या मात कुल के आधार पर चलता है।

(iv) आर्थिक व्यवस्था – परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति तथा भरण-पोषण के लिए प्रत्येक परिवार में किसी-न-किसी प्रकार की अर्थव्यवस्था अवश्य पायी जाती है।

(v) सामान्य निवास – प्रत्येक परिवार का अपना एक निवास स्थान होता है। यह निवास स्थान पिता या माता का हो सकता है या अपना नया घर या किराये का मकान भी हो सकता है। इस निवास स्थान में परिवार के सभी सदस्य एक साथ रहते हैं।

(vi) सार्वभौमिकता – चाहे समाज सरल हो या जटिल, आदिम हो या सभ्य, ग्रामीण हो या शहरी सभी में परिवार पाया जाता है । इसलिए इसे सार्वभौमिक कहा जाता है। यौन संतुष्टि, सन्तानोत्पत्ति, शारीरिक सुरक्षा आदि मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति एक साथ सिर्फ परिवार में ही होती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति परिवार का सदस्य अवश्य होता है।

(vii) भावनात्मक आधार – परिवार के सदस्यों में एक-दूसरे के लिए प्रेम, स्नेह, त्याग आदि की भावना पायी जाती है। इसलिए एक सदस्य की भावना दूसर के साथ जुड़ी होती है।

(viii) रचनात्मक प्रभाव – व्यक्ति जब जन्म लेता है तो उसका पहला सम्पर्क परिवार से होता है। परिवार उसे उन्हीं आचरणों को करने की प्रेरणा देती है जो सामूहिक दृष्टि से उपयोगी होते हैं। व्यक्ति के व्यवहार, मनोवृति, आदत आदि पर परिवार का गहरा प्रभाव पड़ता है। इसी कारण, परिवार को प्राथमिक पाठशाला कहा जाता है।

(ix) सीमित आकार – परिवार के सदस्यों की संख्या कम होती है, क्योंकि इसके सदस्य वही व्यक्ति होते हैं जो इसमें जन्म लेते हैं, वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करते हैं या गोद लिये जाते हैं। चूँकि इसके सदस्यों की संख्या कम होती है इसलिए इसका आकार छोटा होता है।

(x) सामाजिक ढाँचे में केंद्रीय स्थान – सामाजिक संरचना में परिवार का केंद्रीय स्थान होता है। केंद्रीय स्थान का विशेष महत्व होने के कारण परिवार का भी विशेष महत्व होता है। यह आधारभूत केंद्र होता है। व्यक्ति समाज में किसी प्रकार का कार्य करता है तो उसे परिवार का ध्यान सबसे अधिक रखना पड़ता है। सामाजिक संगठन वास्तव में परिवार का संगठन है, जिसमें परिवार की स्थिति केंद्रीय होती है।

(xi) सदस्यों का असीमित उत्तरदायित्व – परिवार के सदस्यों के बीच असीमित उत्तरदायित्व पाया जाता है। इसके सदस्य निजी स्वार्थों को महत्व नहीं देते हैं। इसलिए परिवार के प्रति व्यक्ति कुछ भी त्याग करने में नहीं हिचकता है।

(xii) सामाजिक नियंत्रण – व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक सुरक्षा परिवार द्वारा ही प्राप्त होती है। इसलिए वह परिवार के नियम और अनुशासन का पालन करता है, क्योंकि उसे यह भय रहता है कि पारिवारिक नियम का अवहेलना करने पर परिवार से मिलने वाली सुरक्षा बन्द हो जायेगी।

(xiii) अस्थायी तथा स्थायी स्वभाव – परिवार पति-पत्नी तथा बच्चों का एक संगठन है। इस अर्थ में यह सीमित है और इसकी प्रकृति अस्थायी है। क्योकि तलाक के कारण परिवार का विघटन हो जाता है तो वह निश्चित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाता है। किन्तु परिवार कछ पारिवारिक नियमों के अनुसार चलता है, जिनका विनाश नहीं होता है। इस रूप में परिवार संस्था है और इसकी प्रकृति स्थायी है। इस तरह परिवार अस्थायी और स्थायी दोनों है।


 

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