Model PaperSociology Model Paper

Bihar Board Class 12th Sociology Model Paper pdf download समाजशास्त्र का मॉडल पेपर 2022


1. भारत में पहली बार किस वर्ष राष्ट्रीय जनसंख्या नीति घोषित की गई ?

(A) सन् 1974 में
(B) सन् 1976 में
(C) सन् 1956 में
(D) सन् 1982 में

 Answer ⇒ A

2. टी के उम्मन ने सम्प्रदायवाद के कितने आयामों को रेखांकित किया है ?

(A) दो
(B) चार
(C) छः
(D) आठ

 Answer ⇒ A

3. जमींदारी उन्मूलन अधिनियम किस वर्ष पारित किया गया ?

(A) 1961
(B) 1948
(C) 1951
(D) 1955

 Answer ⇒ C

4. सामुदायिक विकास योजना का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित में से क्या था ?

(A) ग्रामीण उद्योगों का विकास
(C) कृषि उत्पादन में वृद्धि
(B) ग्रामीण बेरोजगारों का रोजगार
(D) गाँवों का सर्वांगीण विकास

 Answer ⇒ D

5. बिहार में जातीय तनाव का कारण है –

(A) जमीन
(B) फैशन
(C) शिक्षा
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ A

6. पश्चिमीकरण की अवधारणा किसके द्वारा दी गई ?

(A) आगबर्न
(B) एम० एन० श्रीनिवास
(C) मैकाइवर
(D) आर० के० मुखर्जी

 Answer ⇒ B

7. चिपको आन्दोलन सम्बन्धित है –

(A) वृक्षों की रक्षा से
(B) जल की रक्षा से
(C) पशुओं की रक्षा से
(D) खनिजों की रक्षा से

 Answer ⇒ A

8. संथाल विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था ?

(A) सिद्धू कान्हू
(B) करिया मुंडा
(C) बिरसा मुंडा
(D) जतरा भगत

 Answer ⇒ A

9. किसने कहा, ‘नगरीयता एक जीवन पद्धति है ?

(A) रॉस
(B) बर्गल
(C) विर्थ
(D) कारपेन्टर

 Answer ⇒ C

10. उपनिवेशवाद किस सोच का प्रतिफल है ?

(A) समाजवाद
(B) मानवतावाद
(C) अन्तर्राष्ट्रीयतावाद
(D) साम्राज्यवाद

 Answer ⇒ D

11. स्वामी सहजानन्द सरस्वती का सम्बन्ध है –

(A) साम्यवादी आन्दोलन से
(B) किसान आन्दोलन से
(C) मजदूर आन्दोलन से
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ B

12. उदारीकरण से क्या अर्थ निकलता है ?

(A) समाजवाद
(B) मनुष्य का उदार होना
(C) काफी उन्नति होना
(D) मुक्त बाजार व्यवस्था

 Answer ⇒ D

13. निम्नांकित में से कौन-सी एक दशा भारत में औपनिवेशिक शासन का कारण नहीं थी ?

(A) राजनीतिक अस्थिरता
(B) भारत का जातियों में विभाजन
(C) संस्कृतियों का प्रसार
(D) सामाजिक चेतना की कमी

 Answer ⇒ C

14. किसने कहा, “जाति एका बंद वर्ग है ?

(A) मजुमदार एवं मदन
(B) मैकाइवर एवं पेज
(C) मैक्स वेबर
(D) रिजले

 Answer ⇒ A

15. कौन-सा आदिवासी समाज मातृप्रधान है ?

(A) संथाल
(B) मुंडा
(C) गारो
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ C

16. भारत में जनाधिक्य का मूल कारण क्या है ?

(A) पर्यावरण
(B) प्रजनन शक्ति
(C) सामाजिक-सांस्कृतिक कारक
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ C

17. कौन भारतीय समाज की सबसे प्रमुख विशेषता है ?

(A) वर्ण व्यवस्था
(B) अनेकता में एकता
(C) यजमानी व्यवस्था
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

18. सामाजिक संरचना का विचार देने वाला पहला समाजशास्त्री कौन था ?

(A) कॉस्टे
(B) स्पेन्सर
(C) मॉर्गन
(D) दुर्थीम

 Answer ⇒ B

19, भारत में नारीवादी आन्दोलन के पुरोधा के रूप में किनकी पहचान है ?

(A) सुचेता कृपलानी
(B) सरोजिनी नायडू
(C) इंदिरा गाँधी
(D) कमला नेहरू

 Answer ⇒ B

20, निम्न में से कौन जनजातीय समाज की समस्या नहीं है ?

(A) भूमि विलगाव
(B) छुआछूत
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ B

21. छुआछूत को संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत प्रतिबंधित किया गया है?

(A) अनुच्छेद 14
(B) अनुच्छेद 23
(C) अनुच्छेद 25
(D) अनुच्छेद 27

 Answer ⇒ D

22. निम्न में से किसने जाति प्रथा की उत्पत्ति पर प्रजातीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है ?

(A) मार्गन
(B) रिजले
(C) नेसफील्ड
(D) ए० आर० देसाई

 Answer ⇒ B

23. हरित क्रांति का उत्प्रेरक कौन है ?

(A) नदियाँ
(B) संकरित बीज
(C) उपजाऊ जमीन
(D) वर्षा

 Answer ⇒ B

24. किसने आर्य समाज स्थापित किया ?

(A) राजा राममोहन राय
(B) दयानन्द सरस्वती
(C) विवेकानन्द
(D) रामकृष्ण

 Answer ⇒ B

25. किसने सीमांत मानव की अवधारणा दी है ?

(A) मार्क्स
(B) पार्सन्स
(C) मर्टन
(D) जॉनसन

 Answer ⇒ C

26. मंडल आयोग के अध्यक्ष कौन थे ?

(A) बिंदेश्वरी प्र० मंडल
(B) धानिक लाल मंडल
(C) मंगनीलाल मंडल
(D) चन्देश्वरी लाल मंडल

 Answer ⇒ A

27. पश्चिमीकरण की अवधारणा किसने विकसित की थी ?

(A) श्रीनिवास
(B) दुर्थीम
(C) फ्रेजर
(D) टायलर

 Answer ⇒ A

28. निम्नलिखित में से किसने सामाजिक परिवर्तन में विचारों की भूमिका पर बल दिया ?

(A) कार्ल मार्क्स
(B) मैक्स वेबर
(C) पैरेटो
(D) टॉयनबी

 Answer ⇒ B

29. निम्नलिखित में कौन सामाजिक स्तरीकरण का रूप नहीं है ?

(A) धर्म
(B) वर्ग
(C) जाति
(D) लिंग

 Answer ⇒ C

30. ‘सोशल चेंज’ शब्दावली का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया ?

(A) हर्बर्ट स्पेंसर
(B) एल० एच० मॉर्गन
(C) डब्ल्यू. एफ० आगबर्न
(D) ई० दुर्खीम

 Answer ⇒ A

11. समाजशास्त्र के जनक के रूप में किसे जाना जाता है ?

(A) मेकाईवर
(B) कॉम्टे
(C) सोरोकिन
(D) दुर्खीम

 Answer ⇒ B

12. निम्नलिखित में से कौन राष्ट्रीय एकीकरण में बाधक है ?

(A) साम्प्रदायिकता
(B) धर्मनिरपेक्षता
(C) ‘A’ तथा ‘B’ दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ A

33. इनमें से कौन आदिम अर्थव्यवस्था का दूसरा स्तर है ?

(A) शिकार एवं भोजन संग्रह स्तर
(B) कृषि स्तर
(C) पशुचारण स्तर
(D) औद्योगिक स्तर

 Answer ⇒ B

34. ‘सबला’ स्कीम केन्द्रित है –

(A) असहाय महिलाएँ
(B) किशोरियाँ
(C) मातृत्व लाभ
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

35. दिल्ली में सिखों के विरुद्ध दंगा किस वर्ष हुआ था ?

(A) 1990
(B) 1992
(C) 1984
(D) 1994

 Answer ⇒ C

36. जो राज्य स्वतंत्र रूप से अपने कानूनों और नीतियों को लागू करता है तथा उसे दूसरे देशों के द्वारा भी मान्यता दी जाती है, उस राज्य को कहा जाता है।

(A) संसदीय राज्य
(B) प्रभुतासम्पन्न राज्य
(C) लोकतांत्रिक राज्य
(D) स्वतंत्र राज्य

 Answer ⇒ B

37. समाजशास्त्र की उत्पत्ति किन भाषाओं से हुई है ?

(A) लैटिन एवं फ्रेंच
(B) लैटिन एवं ग्रीक
(C) लैटिन एवं अंग्रेजी
(D) ग्रीक एवं अंग्रेजी

 Answer ⇒ D

38. “भारत में विवाह और परिवार” किसने लिखी ?

(A) ए० एम० शाह
(B) जी० एस० घर्ये
(C) के० एम० कपाडिया
(D) डब्ल्यू०आई० वार्नर

 Answer ⇒ C

39. शहरीकरण का लक्षण है

(A) व्यापार में विकास
(B) एक शहर के चारों ओर केन्द्रों का विकास
(C) ग्रामीण से शहरी प्रवसन
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ D

40. निम्नलिखित में से किसे शारदा एबट कहा जाता है ?

(A) विशेष विवाह एक्ट
(B) सहमति आयु बिल
(C) बाल विवाह एक्ट
(D) हिन्दू विवाह एक्ट

 Answer ⇒ C

41. अल्पसंख्यक एक

(A) समाजशास्त्रीय संकल्पना है
(B) गणितीय संकल्पना है
(C) राजनैतिक संकल्पना है
(D) मनोवैज्ञानिक संकल्पना है

 Answer ⇒ C

42. निम्न में से कौन एक वर्ग नहीं है ?

(A) डॉक्टर
(B) शिक्षक
(C) ब्राह्मण
(D) वकील

 Answer ⇒ C

43. पंचायती राज संस्थाओं में निम्नलिखित में से कौन निम्नतम इकाई है ?

(A) ग्राम पंचायती
(B) पंचायत समिति
(C) जिला परिषद
(D) पंचायत सेवक

 Answer ⇒ D

44. ‘सोसायटी’ नामक पुस्तक के लेखक कौन है ?

(A) मेकाईवर एवं पेज
(B) ए० डब्ल्यू ग्रीन
(C) फेयर चाइल्ड
(D) जॉनसन

 Answer ⇒ A

45. भारत में किस वर्ष प्रधानमंत्री रोजगार योजना शुरू की गयी ?

(A) 1993
(B) 1994
(C) 2011
(D) 2009

 Answer ⇒ A

46. किस वर्ष बालिका समृद्धि योजना की शुरूआत की गई ?

(A) 1997
(B) 1998
(C) 1999
(D) 1986

 Answer ⇒ A

47. लैंगिक विषमता का सम्बन्ध है ।

(A) सामाजिक मूल्यों से
(B) आर्थिकी से
(C) राजनैतिक मूल्यों से
(D) उपरोक्त सभी

 Answer ⇒ D

48. किस वर्ष बाल श्रम पर एक राष्ट्रीय नीति बनाई गई ?

(A) 1987
(B) 1991
(C) 1948
(D) 1952

 Answer ⇒ A

49. निम्न में से कौन वैश्वीकरण के मुख्य प्रेरक है ?

(A) बाजार की खोज
(B) प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक एवं कम्प्यूटर नेटवर्क
(C) बहुराष्ट्रीय विनियोग
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ D

50. भारत में किस वर्ष समेकित बाल विकास सेवा कार्यक्रम प्रारंभ किया गया ?

(A) 1975
(B) 1974
(C) 2011
(D) 1985

 Answer ⇒ A

51. रेडिकल नारीवाद के अनुसार लैंगिक असमानता का मूल कारण क्या है ?

(A) पितृसत्ता है
(B) मातृसत्ता है
(C) दोनों में कोई भी नहीं
(D) नहीं कह सकते

 Answer ⇒ A

52. किस वर्ष को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया गया था ?

(A) 2002
(B) 2001
(C) 2012
(D) 2005

 Answer ⇒ B

53. मुस्लिम विवाह के कितने प्रकार के होते हैं ?

(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार

 Answer ⇒ B

54. एम० एन० श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण की प्रक्रिया के मॉडल के रूप में निम्नांकित में से किसे आधार माना ?

(A) नयी प्रौद्योगिकी को
(B) आधुनिकीकरण को
(C) शिक्षा संस्थाओं को
(D) भारत में 150 वर्ष के ब्रिटिश शासन को

 Answer ⇒ D

55. भारत में निम्न में से कौन कारक राष्ट्रीय एकता में बाधक है ?

(A) जातिवाद
(B) क्षेत्रवाद
(C) धर्मान्धता
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ D

56. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में साक्षरता की दर (लगभग) है-

(A) 65%
(B) 68%
(C) 74%
(D) 76%

 Answer ⇒ C

57. ताना भगत आंदोलन संबंधित है –

(A) पिछड़ी जाति से
(B) दलित से
(C) जनजाति से
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

58. पंचायती राज संस्था में कितने स्तर है ?

(A) दो
(B) चार
(C) पाँच
(D) तीन

 Answer ⇒ D

59. निम्न में से कौन पिछड़े वर्गों के लिए बनाये गये कमीशन के प्रथम अध्यक्ष थे ?

(A) मुंगेरीलाल
(B) काका कलोलकर
(C) कर्पूरी ठाकुर
(D) बी० पी० मंडल

 Answer ⇒ D

60. किस प्रकार के परिवार को ‘दो पीढ़ी परिवार’ कहा जाता है ?

(A) वृहत् संयुक्त परिवार
(B) संयुक्त परिवार
(C) एकाकी परिवार
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ C

61. जमींदारी व्यवस्था कब लागू की गई थी ?

(A) 1793 ई० में
(B) 1820 ई० में
(C) 1947 ई० में
(D) 1950 ई० में

 Answer ⇒ A

62. जमींदारी प्रथा किसके द्वारा लागू की गई ?

(A) लॉर्ड डलहौजी
(B) लॉर्ड विलियम बेंटिक
(C) लॉर्ड कार्नवालिस
(D) इनमें कोई नहीं

 Answer ⇒ C

63. भारत किसके द्वारा हरित क्रांति से होकर गुजर रहा है ?

(A) नवीन कृषि तकनीक एवं भूमि सुधार
(B) आद्योगिकीकरण एवं उत्पादकता
(C) नगरीकरण
(D) आधुनिकीकरण

 Answer ⇒ A

64. ‘घुमकुरिया’ युवागृह किस जनजाति में पाया जाता है ?

(A) नागा
(B) उरांव
(C) मुण्डा
(D) सन्थाल

 Answer ⇒ B

65. एम० एम० स्वामीनाथन के अनुसार सर्वप्रथम शब्द का उपयोग

(A) नार्मन बोरलॉग ने किया
(B) जॉर्ज हैरर ने किया
(C) विलियम गेड ने किया
(D) जॉर्ज बुश ने किया

 Answer ⇒ C

66. हरित क्रान्ति किस राज्य में अधिक सफल रही ?

(A) पंजाब में
(B) गुजरात में
(C) कर्नाटक में
(D) असम में

 Answer ⇒ A

67. भारत में मण्डल आयोग की स्थापना किस वर्ष हुई ?

(A) सन् 1989
(B) सन् 1976
(C) सन् 1961
(D) सन् 1979

 Answer ⇒ D

68. हरित क्रान्ति सम्बन्धित है-

(A) कृषि से
(B) दुग्ध-उत्पादन से
(C) खनिज से
(D) जल से

 Answer ⇒ A

69. मेधा पाटकर किस आन्दोलन से जुड़ी है ?

(A) पर्यावरण आन्दोलन
(B) दलित आन्दोलन
(C) किसान आन्दोलन
(D) छात्र आन्दोलन

 Answer ⇒ A

70. भूमंडलीकरण का अर्थ होता है

(A) वस्तुओं का मुक्त प्रवाह
(B) विचारों का मुक्त प्रवाह
(C) व्यापारिक बंधन की समाप्ति
(D) ये सभी

 Answer ⇒ D

71. भारत के सामान्य ग्रामीणों में जन संचार के किस साधन का प्रचलन सबसे अधिक है ?

(A) समाचार-पत्र
(B) चलचित्र
(C) टेलीविजन
(D) रेडियो

 Answer ⇒ D

72. किसी समाज में जब लोगों के विचारों, मूल्यों, विश्वासों और प्रौद्योगिकी में परिवर्तन होता है, तब ऐसे परिवर्तन को कहा जाता है –

(A) समाचार-पत्र
(B) सांस्कृतिक परिवर्तन
(C) भौतिक परिवर्तन
(D) लोकतांत्रिक परिवर्तन

 Answer ⇒ B

73. निम्नांकित में से कौन एक भूमंडलीकरण की विशेषता है ?

(A) आर्थिक जीवन में सार्वभौमिकरण
(B) सांस्कृतिक सार्वभौमीकरण
(C) राजनीतिक एकीकरण
(D) सजातीय एकीकरण

 Answer ⇒ A

74. निम्नांकित में से कौन-सी दशा भूमंडलीकरण का परिणाम नहीं है ?

(A) विदेशी निवेश में वृद्धि
(B) वस्तुओं की गुणवत्ता में सुधार
(C) प्रावविधिक विकास
(D) श्रम संगठनों के प्रभाव में वृद्धि

 Answer ⇒ D

75. भूमंडलीकरण का सम्बन्ध है –

(A) उदारीकरण से
(B) आधुनिकीकरण से
(C) पश्चिमीकरण से.
(D) औद्योगीकरण से

 Answer ⇒ A

76. किस प्रकार के आन्दोलन के साथ आप राम, स्वामी नाइकर के नाम को जोड़ते हैं ?

(A) किसान आन्दोलन
(B) पर्यावरण सम्बन्धी आन्दोलन
(C) नारी स्वतंत्रता आन्दोलन
(D) पिछडा वर्ग आन्दोलन

 Answer ⇒ D

77. डॉ. भीमराव अम्बेदकर का जन्म भारत के किस राज्य में हुआ था।

(A) गुजरात
(B) उत्तर प्रदेश
(C) महाराष्ट्र
(D) मध्य प्रदेश

 Answer ⇒ C

78. आत्म-सम्मान आन्दोलन के प्रणेता कौन थे ?

(A) कर्पूरी ठाकुर
(B) राम मनोहर लोहिया
(C) रामास्वामी नायकर
(D) काशीराम

 Answer ⇒ C

79. प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग की नियुक्ति किस वर्ष की गई ?

(A) 1951
(B) 1952
(C) 1953
(D) 1956

 Answer ⇒ A

80. भारत में द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग की नियुक्ति किस वर्ष की गई ?

(A) सन् 1972
(B) सन् 1975
(C) सन् 1977
(D) सन् 1979

 Answer ⇒ B

81. कब वृद्धों के लिए राष्ट्रीय नीति की घोषणा की गयी ?

(A) 1999
(B) 1998
(C) 1997
(D) 2000

 Answer ⇒ A

82. हिन्दू विवाह अधिनियम पारित हुआ –

(A) 1954 में
(B) 1955 में
(C) 1958 में
(D) 1961 में

 Answer ⇒ B

83. ‘आदिवासी महासभा’ एक संगठन था

(A) उरांव का
(B) मुण्डा का
(C) संथाल का
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ C

84. हिन्दु महिलाओं की सम्पत्ति में अधिकार का अधिनियम पारित हुआ –

(A) 1987 में
(B) 1961 में
(C) 1952 में
(D) 1856 में

 Answer ⇒ A

85. भारत में झारखण्ड आन्दोलन का आरम्भ किस जनजाति द्वारा किया गया ?

(A) गोण्ड जनजाति
(B) भील जनजाति
(C) नागा जनजाति
(D) सन्थाल जनजाति

 Answer ⇒ D

86. उत्तराखण्ड के चिपको आन्दोलन को प्रभावपूर्ण बनाने में किसका योगदान प्रमुख है ?

(A) विजय कुमार भट्ट
(B) गौरा देवी
(C) के० सी० पन्त
(D) नारायणदत्त तिवारी

 Answer ⇒ B

87. भूमि सुधार किस राज्य में सर्वाधिक सफल रहा ?

(A) उत्तर प्रदेश
(B) बिहार
(C) पश्चिम बंगाल
(D) मध्य प्रदेश

 Answer ⇒ C

88. हरित क्रान्ति का मुख्य कारक कौन है ?

(A) उपजाऊ भूमि
(B) वर्षा
(C) रासायनिक खाद और बीज
(D) शिक्षा

 Answer ⇒ C

89. राजमोहिनी आन्दोलन सम्बन्धित है

(A) महिला आंदोलन से
(B) जनजातीय आंदोलन से
(C) राजनीतिक आंदोलन से
(D) आर्थिक आंदोलन से

 Answer ⇒ B

90. भारत में लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा जमींदारी व्यवस्था किस वर्ष लागू की गई ?

(A) 1787 में
(B) 1793 में
(C) 1843 में
(D) 1864 में

 Answer ⇒ C

91. रेडियो का आविष्कार कब हुआ ?

(A) 1895 में
(B) 1795 में
(C) 1695 में
(D) 1595 में

 Answer ⇒ A

92. प्रसार भारती का गठन हुआ –

(A) 1985 में
(B) 1987 में
(C) 1997 में
(D) 1999 में

 Answer ⇒ C

93. भारत में विधिवत् टी० वी० सेवा का आरम्भ हुआ ?

(A) 15 अगस्त 1965
(B) 15 अगस्त 1966
(C) 15 अगस्त 1968
(D) 15 अगस्त 1970

 Answer ⇒ A

94. भारत में चिपको आन्दोलन की अगुआई किसने की ?

(A) सुन्दरलाल बहुगुणा
(B) मेधा पाटकर
(C) स्वामी अग्निवेश
(D) अमृता बाई

 Answer ⇒ D

95. “जन संचार उन साधनों की सम्पूर्णता है जिनके द्वारा एक-दूसरे से बहुत दूर स्थित लोगों में कुछ विचारों का प्रसार करके सामाजिक और वैचारिक क्षेत्र में उनकी सहभागिता को बढ़ाया जाता है।” यह किसने लिखा ?

(A) लेयिपर ने
(B) मैलीनॉस्को ने
(C) जॉन हॉवर्ड ने
(D) गॉर्डन मॉर्शल ने

 Answer ⇒ A

96. स्वतः स्फूर्त जनाक्रोश को

(A) सामाजिक आंदोलन कहा जाता है
(B) सामाजिक आंदोलन नहीं कहा जाता है
(C) परिस्थिति विशेष में सामाजिक आंदोलन कहा जाता है
(D) उपर्युक्त कोई नहीं

 Answer ⇒ C

97. निम्नलिखित में कौन सामाजिक आंदोलन का उदाहरण है ?

(A) भारत में स्वतंत्रता आंदोलन
(B) झारखंड आंदोलन
(C) दोनों
(D) इनमें कोई नहीं

 Answer ⇒ C

98. सम्पूर्ण पर्यावरण का अर्थ है –

(A) प्राकृतिक पर्यावरण
(B) सामाजिक पर्यावरण
(C) सांस्कृतिक पर्यावरण
(D) उपर्युक्त सभी

 Answer ⇒ D

99. किस आयोग की संस्तुति के आधार पर अन्य पिछड़े वर्गों को सरकारी सेवाओं में 27% आरक्षण दिया गया ?

(A) प्रसाद आयोग
(B) अयंगर आयोग
(C) काका कालेलकर आयोग
(D) मंडल आयोग

 Answer ⇒ D

100. भारत के किस राज्य में पिछड़ी जाति आन्दोलन सर्वप्रथम प्रारम्भ हुआ ?

(A) बिहार
(B) पश्चिम बंगाल
(C) आन्ध्र प्रदेश
(D) तमिलनाडु

 Answer ⇒ D

खण्ड-ब (गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न संख्या 1 से 30 तक लघु उत्तरीय हैं। इनमें से किन्हीं 15 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 2 अंक निर्धारित है। अधिकतम 50 शब्दों में दे –

1. विभिन्न समाजशास्त्रियों द्वारा प्रस्तुत जनजाति की परिभाषा लिखिए।

2. भारत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का परीक्षण कीजिए।

3. समुदाय को परिभाषित करें।

4. पर्यावरण विनाश पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

5. ‘टोटम’ क्या है ?

6. ग्रामीण तथा नगरीय समुदायों की दो-दो समानताएँ तथा असमानताएँ बताइए।

7. एकीकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इन नीतियों को बढ़ावा देने वाली नीतियों का उद्देश्य बताइए।

8. क्षेत्रवाद को नियंत्रित करने के सुझाव दें।

9. उदारीकरण से क्या अभिप्राय है ?

10. प्रजातंत्र में दबाव समूह का क्या महत्त्व है ?

11. राष्ट्र को परिभाषित करना क्यों कठिन है ? आधुनिक समाज में राष्ट्र और राज्य कैसे संबंधित है ?

12. लड़कियों की दो समस्याओं की विवेचना करें।

13. दलित आंदोलन से क्या समझते हैं ?

14. सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का उल्लेख करें।

15. नगरीय जीवन की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं ?

16. अर्द्ध-बेरोजगारी क्या है ?

17. मादक द्रव्य व्यसन क्या है ?

18. चिपको आंदोलन के बारे में लिखें।

19. भ्रष्टाचार क्या है ?

20. सरपंच के दो कार्यों का वर्णन करें।

21. वर्ग चेतना क्या है ?

22. लिंग विभेदीकरण पर प्रकाश डालें।

23. भूमंडलीकरण से आप क्या समझते हैं ?

24. नव-उपनिवेशवाद क्या है ?

25. पितृसत्ता क्या है ?

26. खुला क्या है ?

27. राष्ट्रीय एकता क्या है ?

28. भारत में जाति व्यवस्था के उद्भव के परम्परागत सिद्धांत के विषय में आप क्या जानते हैं ?

29. जाति और जनजाति में अंतर लिखिए।

30. फासिद विवाह क्या है ?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न संख्या 31 से 38 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 5 अंक निर्धारित हैं। अधिकतम 100 शब्दों में उत्तर दें।

31. एक पितृसत्तात्मक परिवार में प्रजनन संबंधी लिंग भेद की चर्चा करें।

32. ग्रामीण समुदाय की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें।

33. आधुनिकीकरण से आप क्या समझते हैं ?

34. मुस्लिम विवाह कितने प्रकार के होते हैं ?

35. भारतीय समाज पर जनाधिक्य के कुप्रभावों का वर्णन करें।

36. साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं ? भारत में साम्प्रदायिकता के लिए उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए।

37. जाति की विशेषताओं का वर्णन करें।

38. विभिन्न कार्यकलापों में बालिकाओं के समक्ष किए जाने वाले भेदभावपूर्ण व्यवहारों का वर्णन करें।

खण्ड-ब (गैर वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. आर० एन० मुखर्जी के अनुसार, “एक जनजाति वह क्षेत्रीय मानव समूह है जो भू-भाग, भाषा, सामाजिक नियम और आर्थिक कार्य आदि विषयों में एक समानता के सूत्र में बँध होता है।”
              गिलिन और गिलिन के अनुसार, “स्थानीय आदिम समूहों के किसी संग्रह को, जो एक सामान्य भू-भाग में निवास करता हो, एक सामान्य भाषा बोलता हो और एक सामान्य संस्कृति को व्यक्त करता हो, एक जनजाति कहते हैं।”
इम्पीरियल गजेटियर के अनुसार, “जनजाति परिवारों का ऐसा समूह है जिसका एक सामान्य नाम होता है, जो एक सामान्य बोली का प्रयोग करता है, एक सामान्य प्रदेश में रहता है अथवा रहने का दावा करता है और प्रायः अन्तर्विवाह करने वाला नहीं होता, चाहे आरम्भ में उसमें अन्तर्विवाह करने का प्रचलन रहा हो।”
डॉ. मजूमदार के अनुसार, “एक जनजाति परिवारों अथवा परिवारों के समूह का ऐसा संकलन होता है, जिसका एक सामान्य नाम होता है, जिनके सदस्य एक सामान्य भू-भाग में रहते हैं, एक सामान्य भाषा बोलते हैं और विवाह, व्यवसाय अथवा उद्योग के विषय में कुछ प्रतिबन्धों का पालन करते हैं और एक निश्चित व परस्पर उपयोग आदान-प्रदान की व्यवस्था को विकसित करते हैं।”
उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि ‘जनजाति व्यक्तियों या परिवारों का एक ऐसा समूह है जो आदिम अवस्था में रहता है और जिसका रहन-सहन, धर्म, भाषा, नाम व भू-भाग एक समान होता है।”

2. भारत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष योजनाएँ चलाई गई है

(i) शिक्षा के क्षेत्र में सभी राज्यों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए उच्च स्तर तक शिक्षा निःशुल्क कर दी गई है। विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में इनके लिए स्थान आरक्षित किए गए हैं।

(ii) तृतीय पंचवर्षीय योजना में छात्राओं के लिए छात्रावास योजना प्रारंभ की गई। नौकरियों में आरक्षण के अतिरिक्त रोजगार दिलाने में सहायक प्रशिक्षण एवं निपुण बढ़ाने वाले कई कार्यक्रम भी प्रारंभ किए गए हैं।

(iii) 1987 में भारत के जनजातीय सहकारी बाजार विकास संघ की स्थापना की गई। 1992-93 में जनजातीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की गई। 1997-2002 की नौवीं योजना अवधि में ‘आदिम जनजाति समूह’ के विकास के लिए अलग कार्य योजना की व्यवस्था की गई।

(iv) मार्च 1992 में बाबा साहब अंबेडकर संस्था की स्थापना की गई। इन सबके अतिरिक्त इस समय 194 जनजातीय विकास योजनाएँ चल रही हैं। कुछ राज्यों द्वारा शोध, शिक्षा, प्रशिक्षण, गोष्ठी, कार्यशाला, जनजातीय साहित्य का प्रकाशन आदि के कार्यक्रम चलाए गए हैं।

3. समुदाय एक निश्चित स्थान या भू-भाग में रहने वाले व्यक्तियों का ऐसा समूह है, जिसकी एक संस्कृति होती हैं। जिसकी अपनी जीवन प्रणाली होती है, जो अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति समुदाय के भीतर से ही पूरी करते हैं।

4. पर्यावरण के महत्त्वपूर्ण घटक हैं-जल, वायु, मृदा और ध्वनि। इन घटकों से मनुष्य का आरंभ से ही घनिष्ठ संबंध रहा है। मनुष्य अपने क्रियाकलापों से इन घटकों को प्रदूषित कर रहा है। पेड़-पौधे तथा जंगलों को काटकर मनुष्य वायु प्रदूषण को बढ़ाता है। इसके अलावे कल-कारखाने तथा फैक्ट्रियाँ स्थापित की गई हैं उनकी चिमनियों जो धुआँ निकलता है वह भी वायु को प्रदूषित कर रहा है। इन कल-कारखानों के कारण जल भी प्रदूषित हो रहा है, क्योंकि इनके गंदे तथा विषैले पानी नदियों में गिराये जाते हैं। आज वाहनों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है। इस प्रदूषण के कारण हृदय रोग तथा बहरेपन की बीमारियाँ हो रही हैं।

5. जातियों में गोत्रों के नाम किसी ऋषि या काल्पनिक महापुरुष के नाम पर है जैसे वशिष्ठ भारद्वाज, कश्यप आदि। इसके विपरीत जनजाति में गोत्र टोटमों के आधार पर होते हैं जैसे कि मैसूर की कीमती जनजाति में आँवला, नींबू, कद्दू, चना, ईख, उरद, केला, अनार, गेहूँ, दाल, खजूर, गूलर, ईख, सरसों, चन्दन, कपूर, आदि गोत्र है।
‘Caste and Tribes of Southern India’ में थर्सटन ने जनजातियों के टोटमों की जो सूचना दी है उससे यह प्रतीत होता है कि प्राणी अथवा वनस्पति जगत का शायद ही कोई नाम ऐसा बचा हो जिसके आधार पर टोटम का नाम न हो।

6. ग्रामीण तथा नगरीय समुदायों में दो समानताएँ निम्न हैं –
(i) नगरों के विकास में ग्रामीण कारक अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
(ii) नगरों तथा ग्रामों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक संबंधों की एक श्रृंखला होती है।

ग्रामीण तथा नगरीय समुदायों में दो असमानताएँ निम्न हैं –
(i) ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक गतिशीलता नगरीय क्षेत्रों की अपेक्षा कम पायी जाती है।
(ii) ग्रामीण क्षेत्रों में नियंत्रण के अनौपचारिक साधन तथा नगरीय क्षेत्रों में औपचारिक साधन पाये जाते हैं।

7. एकीकरण – सांस्कृतिक जुड़ाव या समेकन की एक प्रक्रिया जिसके द्वारा सांस्कृतिक विभेद निजी क्षेत्र में चले जाते हैं और एक सामान्य सार्वजनिक संस्कृति सभी समूहों द्वारा अपना ली जाती है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रबल या प्रभावशाली समूह की संस्कृति को ही अधिकाधिक संस्कृति के रूप में अपनाया जाता है। सांस्कृतिक अंतरों, विभेदों या विशिष्टताओं की अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित नहीं किया जाता। कभी-कभी सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसी अभिव्यक्ति पर रोक लगा दी जाती है। एकीकरण नीतियाँ इस बात पर बल देती हैं कि सार्वजनिक संस्कृति को सामान्य राष्ट्रीय स्वरूप तक सीमित रखा जाए और ‘गैर-राष्ट्रीय’ संस्कृतिया को निजी क्षेत्रों के लिए छोड़ दिया जाए। ये नीतियाँ शैली की दृष्टि से अलग होती हैं, परन्तु इनका उद्देश्य समान होता है। एकीकरण की नीतियाँ केवल एक अकेली राष्ट्रीय पहचान बनाए रखना चाहती हैं जिसके लिए वे सार्वजनिक तथा राजनीतिक कार्यों में नृजातीय-राष्ट्रीय और सांस्कृतिक विभिन्नताओं को दूर करने का प्रयल करती हैं।

8. क्षेत्रवाद को नियंत्रित करने के सुझाव निम्नलिखित हैं –

(i) केन्द्र सरकार को देश के उन क्षेत्रों का अधिक विकास करने के लिए कार्य करना चाहिए जहाँ अभी लोगों का जीवन स्तर नीचा है। यहाँ पर अधिक सरकारी उद्योग लगाए जाएँ।
(ii) पिछड़े व अविकसित क्षेत्रों के विकास के लिए निजी उद्योग स्थापित करने और अधिक लोगों को रोजगार सुलभ कराये जाने चाहिए।
(iii) पिछड़े क्षेत्रों में नए महाविद्यालय तथा विद्यालय खोले जाने चाहिए जिससे वहाँ के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने की सुविधाएँ मिल सके।

9. उदारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो बातें सम्मिलित हैं –

(i) निजी उद्यमियों को उन उद्यमों को चलाने की अनुमति दी जाती है जो पहले सरकार के अधिकार में थे।
(ii) निजी उद्यमों के लिए बनाए गए नियमों में ढील दी जाती है। इसमें विदेशी उद्यमों को चलाने की अनुमति दी जाती है।

10. दबाव समूह का अस्तित्व और महत्व प्रजातांत्रिक व्यवस्था में ही है, अन्यत्र नहीं। दबाव समूह हमलोग वैसे समूह को कहते हैं जो किसी खास समस्या से जुड़े होते हैं और सरकार या समाज पर दबाव डालकर हर साल में अपनी उद्देश्य की प्राप्ति चाहते हैं। स्वतंत्र भारत में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में हमें दबाव समूह का अस्तित्व देखने को मिलता है चाहे वह रामजन्मभूमि या बाबरी मस्जिद का मसला हो या कावेरी जल विवाद का, या अलग की माँग का। वर्तमान में आंध्र प्रदेश में अलग तेलंगाना राज्य की माँग में दबाव समूह की भूमिका देखी जा सकती है। इसी तरह महिला आरक्षण के लिए महिलाओं का दबाव समूह, भी कार्यरत दिखता है। उपनिवेशवाद का संबंध साम्राज्यवादी व्यवस्था से रहा है। साम्राज्यवादी की नीति रही है अपनी साम्राज्य का विस्तार करना जिसके अंतर्गत वे किसी दूसरे देश पर राजनैतिक अधिकार जमाकर उसका आर्थिक शोषण करना। इंगलैंड, फ्रांस आदि यूरोपीय देश उपनिवेशवाद के पोषक रहे हैं। इंगलैंड ने भारत को अपना उपनिवेश बनाया यानी इस पर राजनैतिक स्वामित्व प्राप्त कर इसका भरपूर आर्थिक शोषण किया।

11. आज किसी राष्ट्र को परिभाषित करना अत्यंत कठिन है और इस संबंध में यही कहा जा सकता है कि राष्ट्र एक ऐसा समुदाय होता है जो अपना राज्य प्राप्त करने में सफल हो गया है। रुचिकर बात तो यह है कि इसके विपरीत रूप भी अधिकाधिक सच हो गए हैं। जिस प्रकार आज भावी अथवा आकांक्षी राष्ट्रीयताएँ अपना राज्य बनाने के लिए अधिकाधिक प्रयत्नशील हैं, वैसे ही वास्तविक राज्य यह दावा करना ज्यादा-से-ज्यादा जरूरी मान रहे हैं कि वे एक राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। आधुनिक युग का एक विशिष्ट लक्षण है . राजनीतिक वैधता के प्रमुख स्रोतों के रूप में लोकतंत्र और राष्ट्रवाद की स्थापना। इसका अर्थ यह है कि आज एक राज्य के लिए राष्ट्र’ एक सर्वाधिक स्वीकृत अथवा औचित्यपूर्ण आवश्यकता है, जबकि ‘लोग’ राष्ट्र की वैधता के चरम स्रोत हैं। दूसरे शब्दों में, राज्यों को राष्ट्र की उतनी ही या उससे भी अधिक ‘आवश्यकता’ होती है जितनी कि राष्ट्रों को राज्यों की।

12. लड़कियों की दो समस्याएँ निम्नलिखित हैं –
(i) आज समाज में लड़कियों को पराया धन समझा जाता है। लडकियों को अपनी संतान के नजरिए से न देखकर लड़का और लड़की में अंतर किया जाता है।
(ii) बेटियों के विवाह के दौरान माँ-बाप को काफी दहेज देना पड़ता है। यदि गरीब माँ-बाप हों तो वे दहेज देने में सक्षम नहीं हो पाते जिससे बेटियों को बोझ समझा जाता है। परन्तु बेटों के विवाह के दौरान कोई दहेज नहीं देना पड़ता।

13. भारत में दलित जातियों की स्थिति में सुधार करने तथा उन्हें मानवोचित अधिकार दिलाने के लिए अनेक भक्तिकालीन संतों, 19वीं शताब्दी के समाज सुधारकों जैसे-महात्मा गाँधी, ज्योतिबा फूले, ठक्कर बप्पा तथा डॉ. भीमराव अंबेडकर ने व्यापक प्रयत्न किये। इनके फलस्वरूप संविधान तथा सामाजिक अधिनियमों के द्वारा अस्पृश्यता का उन्मूलन हुआ, दलित और पिछड़ी जातियों की विभिन्न स्तर की नौकरियों एवं राजनीतिक पदों में आरक्षण मिला तथा उनके सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास के लिए व्यापक स्तर पर विभिन्न प्रयत्न किए गए।

14. सामाजिक परिवर्तन, सामाजिक संबंधों, सामाजिक संरचना, सामाजिक संस्थाओं अथवा संस्थाओं के परस्पर संबंधों में होने वाला परिवर्तन है। सामाजिक परिवर्तन के अनेक कारक हैं, जिनमें जनसंख्यात्मक कारक, जैविकीय कारक, सांस्कृतिक, भौगोलिक और मनोवैज्ञानिक कारक प्रमुख हैं। सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पूँजीवाद का विकास, श्रम विभाजन और विशेषीकरण, जीवन का उच्च स्तर, आर्थिक संकट, बेरोजगारी और निर्धनता प्रमुख आर्थिक कारक हैं। आर्थिक कारकों का समाज पर काफी प्रभाव पड़ता है। कार्ल मार्क्स ने सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या आर्थिक आधारों पर ही की है। उनके अनुसार उत्पादन के साधनों में परिवर्तन से उत्पादन की शक्तियों और संबंधों में भी परिवर्तन होते रहते हैं। जिनसे आर्थिक संरचना प्रभावित होती है। आर्थिक संरचना सभी प्रकार के संबंधों को निर्धारित करती है।

15. भारत में नगरीकरण तेज गति से बढ़ रहा है। इसने मानव जीवन को कई प्रकार से प्रभावित किया है। नगरीय केंद्रों के विस्तार ने विविध प्रकार की समस्याओं को भी बढ़ाया है। नगरों में अत्यधिक भीड़-भाड़, प्रदूषण, आवास तथा झोपड़पट्टी, अपराध, बाल अपराध, शराबखोरी तथा मादक द्रव्यों का सेवन – आदि कुछ प्रमुख समस्याएँ हैं। नगरों में अत्यधिक भीड़-भाड़ के कारण इसका प्रभाव आवास, जल आपूर्ति, साफ-सफाई, यातायात, विद्युत आपूर्ति तथा रोजगार के अवसरों में होने वाली गिरावट पर स्पष्ट देखा जा सकता है। आवासविहीन लोगों की बढ़ती हुई संख्या, घर के किरायों में अत्यधिक वृद्धि और छोटे-छोटे मकानों में पूरे परिवार के साथ रहना मुख्य समस्याएँ हैं।

16. यदि कोई व्यक्ति पूरे सप्ताह काम नहीं करता और एक निश्चित धनराशि से कम आय करता है, तो ऐसी स्थिति को अर्द्ध-बेरोजगारी कहा जाता है।

17. मादक द्रव्य जिनके सेवन से नशे का अनुभव होता है तथा लगातार सेवन करने से व्यक्ति उसका आदी बन जाता है, उसे मादक द्रव्य व्यसन कहते हैं। हमारे समाज में कई प्रकार के मादक द्रव्यों का प्रचलन है जैसे-शराब, ह्वीस्की, रम, बियर, महुआ, हंडिया आदि सामाजिक मान्यता प्राप्त वैध पदार्थ है। अनेक अवैध पदार्थ भी काफी प्रचलित हैं जैसे-भाग, गांजा, चरस, हेरोइन, ब्राउन सुगर तथा कोकीन आदि। डॉक्टरों द्वारा नींद के लिए चिन्ता या तनाव के लिए लिखी दवाइयों का उपयोग भी मादक द्रव्यों के रूप में होता है।

18. चिपको आंदोलन – पर्यावरण संरक्षण आंदोलन की शुरुआत मूलत: राजस्थान से मानी जाती है। राजस्थान का खेजरली गाँव ‘खेजरी’ नाम के लिए प्रसिद्ध है। इस गाँव में विश्नोई जाति के लोग सदियों से इन पेड़ों की पूजा करते आ रहे थे। तत्कालीन जोधपुर रियासत के महाराजा अभय सिंह ने अपने महल के लिए लकड़ी काटने के लकड़हारों को खेजरली गाँव भेजा। तब गाँव की एक महिला अमृता बाई पेड़ से चिपक गई और कहा कि पहले मुझे काटना होगा और तब पेड़ों को। पुनः 1972 ई० में इस आन्दोलन की पुनरावृत्ति बचनी देवी और गौर देवी ने किया। इसी तरह यह आंदोलन चलता रहा और पुनः इसमें विख्यात पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा का सहयोग मिलने से नयी जान आ गयी।

19. अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल कर दूसरों से कुछ फायदा प्राप्त करना भ्रष्टाचार कहलाता है। देश और व्यक्ति के विकास में ये अवरोध का एक बड़ा कारक बनता जा रहा है।
भ्रष्टाचार एक जहर है, जो देश, संप्रदाय और समाज के गलत लोगों के दिमाग में फैला होता है। इसमें केवल छोटी-सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिए सामान्य जन के संसाधनों की बर्बादी की जाती है। इसका संबंध किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गैरजरूरी और गलत इस्तेमाल करना है फिर चाहे वह सरकारी या गैर-सरकारी संस्था हो।

20. सरपंच के अनेक कार्य हैं, जिसमें दो प्रमुख कार्य है –
(i) वह पंचायत की बैठकों को बुलाता है और उनके अध्यक्षता करता है।
(ii) वह अन्य पंचों की सहायता से ग्रामीणों के विवादों का निर्णय करता है।

21. वर्ग चेतना विश्वासों का श्रृंखला है कि एक व्यक्ति समाज में उनके सामाजिक वर्ग या आर्थिक रैंक, उनकी कक्षा की संरचना और उनके वर्ग के हितों के संबंध में है। यह एक जागरूकता है जो एक क्रांति को उकसाने की कुंजी है, जो सर्वहारा के तानाशाही को तैयार करती है, इसे मजदूरी कमाई, संपत्ति कम द्रव्यमान से शासक वर्ग में बदलती है।
जर्मन सिद्धांतवादी कार्ल मार्क्स ने शायद ही कभी वर्ग चेतना शब्द का उपयोग किया था, उन्होंने कक्षा में खुद के बीच भेद किया था, जिसे उत्पादन के साधनों के साथ आम संबंध रखने वाले लोगों की श्रेणी के रूप में परिभाषित किया गया है और खुद के लिए वर्ग, जिसे अपने हितों के सक्रिय प्रयास में व्यवस्थित एक स्ट्रैटम के रूप में परिभाषित किया गया है।

22. लिंग विभेद का अर्थ है स्त्री और पुरुष के बीच लिंग के आधार पर पाये जाने वाला विभेदीकरण, असमानता तथा समान व्यवहार। कहने को सभी समाज में विशेषकर लोकतांत्रिक समाज में स्त्री और पुरुष को समान घोषित किया जाता है और उनके लिए समान अवसरों, अधिकारों तथा सुविधाओं की घोषणा की गई है परन्तु व्यावहारिक दृष्टि से दोनों में भेद किया जाता है। स्त्री को पुरुष के मुकाबले दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है, उन्हें राजनीतिक सत्ता में समान भागीदारी प्राप्त नहीं, अधिकार और प्रतिष्ठा की दृष्टि से भी पुरुष की स्थिति उच्च स्तरीय मानी जाती है। सरकार के महत्त्वपूर्ण पदों पर पुरुष ही नियुक्त किए जाते हैं और इस प्रकार लिंग विभेद सामाजिक असमानता तथा सामाजिक स्तरीकरण का एक आधार है।

23. भूमण्डलीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है जो मूलतः अर्थव्यवस्था से संबंधित है। सी. रंगराजन के अनुसार भूमण्डलीकरण का अभिप्राय आर्थिक व्यवस्था के विभिन्न पक्षों में समन्वय है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अर्थव्यवस्थाओं तथा समाज के बीच सूचना, विचारों, तकनीकों, वस्तुओं और सेवाओं तथा वित्त के बीच समन्वय की प्रक्रिया के साथ भूमण्डलीकरण संबंधित है। विभिन्न देशों के लोग तथा समाज उस प्रक्रिया से जुड़े हैं। गिडेन्स के अनुसार भूमण्डलीकरण को समय तथा स्थान के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है।
भूमण्डलीकरण के तीन प्रमुख प्रेरक हैं- (i) बाजार की खोज, (ii) बहुराष्ट्रीय निवेश तथा (iii) प्रौद्योगिकी इलेक्ट्रॉनिक एवं कम्प्यूटर नेटवर्क।

24. उपनिवेशवाद का बदला हुआ रूप नव-उपनिवेशवाद है। इसका तात्पर्य है कि आज भी विकसित देश अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति की सहायता से कमजोर देशों को अपनी शर्ते मानने के लिए मजबूर कर रहे हैं। वैश्वीकरण तथा उदारीकरण के नाम पर अमेरिका और यूरोप की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का बढ़ता हुआ आर्थिक प्रभाव नव-उपनिवेशवाद के रूप को ही स्पष्ट करता है। कूटनीतिक चालों के द्वारा आतंकवाद या मानवाधिकार के नाम पर ऐसे देशों द्वारा अपने से कमजोर देशों को विभिन्न प्रकार के समझौतों के लिए बाह्य करना भी उपनिवेशवाद के इसी रूप का उदाहरण है।

25. पितृसत्ता उस सत्ता को कहा जाता है जिसमें पिता की प्रधानता होती है। इसमें स्त्रियों की तुलना में पुरुषों की शक्ति और सत्ता को अधिक महत्व दिया जाता है। विवाह और परिवार से सम्बन्धित नियम पुरुषों के पक्ष में होते हैं। वंश की परम्परा पिता के नाम पर चलती है। विवाह के बाद लड़की अपने पति के घर जाकर रहती है। उसका उपनाम पति के उपनाम के अनुसार बदल जाता है। सम्पत्ति का हस्तांतरण भी पिता से पुत्र को होता है।

26. जब एक मुस्लिम औरत अपने पति से दावर (महार) लेकर अपने पति को तलाक देती है तो इसी पद्धति को खुल/खुला कहते हैं। यह पद्धति कुरान और हदीस द्वारा प्रमाणित भी है।

27. नजब किसी देश की जनता विभिन्न जातियों के रहते हुए एक संविधान, धर्म, संस्कृति और एक झण्डे के नीचे मिलजुल कर रहते हो तो वह राष्ट्रीय एकता की पहचान होता है।

28. परम्परागत सिद्धान्त (Traditional Theory) – यह सिद्धान्त वेदों, महाकाव्यों तथा पुराणों पर आधारित है। इस सम्बन्ध में सबसे प्राचीन वर्णन ऋग्वेद के मन्त्र के रूप में मिलता है। इस मन्त्र के अनुसार ब्राह्मण ब्रह्मा के मुख से, क्षत्रिय बाहु से, वैश्य जाँघ से और शूद्र पैर से उत्पन्न हुए हैं। मनु महोदय ने इसी आधार पर प्रत्येक जाति के कार्यों को भी नियत कर दिया। ब्राह्मणों की उत्पत्ति मुख से हुई, इसलिए ब्राह्मणों का कार्य अध्ययन और अध्यापन के ताकि वेदों की रक्षा की जा सके। बाहु शक्ति का परिचायक है, इसलिए क्षत्रिय का कार्य शक्ति से सम्बन्धित है, जैसे देश की रक्षा, जीवन की रक्षा आदि करना क्षत्रियों का कार्य है क्योंकि इसके द्वारा उचित राज्य-व्यवस्था स्थापित की जा सकती है। इसी प्रकार वैश्यों का कार्य व्यापार और कृषि करना है शुद्रों का कार्य पैरों से उत्पत्ति होने के कारण तीनों वर्गों की सेवा करना है।
प्रारंभ में यह सामाजिक संस्तरण ‘जाति-प्रथा’ के रूप में न होकर ‘वर्ण व्यवस्था’ के रूप में था। इन चार वर्णों से अनुलोम व प्रतिलोम विवाह से उत्पन्न संतानों से भिन्न-भिन्न जातियाँ एवं उपजातियाँ विकसित हुई।

आलोचना :

(i) आज के वैज्ञानिक युग में मानव की उत्पत्ति के बारे में ऐसी कल्पना पर विश्वास करना कठिन है।
(ii) हट्टन महोदय के अनुसार इस सिद्धांत के आधार पर खेती करने वाली विभिन्न जातियों की सामाजिक स्थिति बताना संभव नहीं है।
(iii) अनुलोम-प्रतिलोम विवाह से नवीन जातियों की उत्पत्ति भी पूर्ण रूप से सत्य नहीं है।
(iv) इस सिद्धान्त ने ‘वर्ण’ और ‘जाति’ में अनावश्यक भ्रम उत्पन्न कर दिया है जबकि दोनों की धारणाएँ एक-दूसरे से अलग हैं।

29. (i) रिजले के अनुसार जनजाति में अन्तर्विवाह का नियम कठोर नहीं होता, परन्तु जाति में इस नियम का कठोरता से पालन किया जाता है।
(ii) जाति प्रथा हिन्दू समाज में विभिन्न कार्यों और पेशों के आधार पर श्रम विभाजन हेतु शुरू हुई थी। जनजाति एक समूह के निश्चित भू-भाग में रहने के कारण तथा सामुदायिक भावना के विकास से बनी।

30. जब कोई मुस्लिम लड़का शादी-शुदा होते हुए भी बिना अपनी पत्नी को तलाक बोले, पत्नी के बहन से शादी कर लेता है तो इस प्रकार के शादी को फासिद विवाह या अनियमित विवाह कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

31. भारत एक पुरुष प्रधान समाज है। इसमें महिलाओं और लड़कियों को समान पोषण, शिक्षा, सुरक्षा और आर्थिक अवसर के अधिकारों को सीमित कर दिया जाता है। महिलाएँ स्वस्थ, सुखी रहने और बच्चा पैदा करने के मामले में भी अपना निर्णय नहीं ले सकती हैं। वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संस्थान महिलाओं को उनके अधिकार प्रयोग करने योग्य परिवेश देने में असफल रहे हैं।
लिंग भेद और हिंसा (जो पति भी करते हैं) की वजह से महिलाओं के यौन संबंध और प्रजनन संबंधी अधिकार कम हो गए हैं। महिलाओं को जबरन कम उम्र में शादी और बच्चा पैदा करने को मजबूर किया जाता है। बेटे के लिए बार-बार गर्भवती होने को लाचार किया जाता है क्योंकि भारतीय मान्यता में बेटा से ही वंश बढ़ता है। अक्सर दूसरी और उसके बाद पैदा बेटियाँ तिरस्कृत जिन्दगी जीती हैं और इस वजह से शिशु मृत्यु के मामले भी बढ़ते हैं। भारतीय परिवार बेटा पाने और साथ ही, परिवार छोटा रखने के लिए लिंग परीक्षण करवाते हैं। प्रतिकूल परिवेश और लड़कियों (लड़कों की तुलना) में उच्च शिशु दर और रुग्णता आदि बेटे की चाहत के कुछ दुष्परिणाम हैं।
मुख्य चिंता का विषय यह है कि कानून लिंग चयन और सुरक्षित गर्भपात को अलग-अलग मुद्दा मानता है। इस संबंध में कानून और लिंग परीक्षण का समस्या के संबंध में कानून और लिंग परीक्षण की समस्या के संबंध में लोगा की समझ के मद्देनजर इनको लागू करने में बहुत सम्मिश्रण हो जाता है। इसका दुष्परिणाम महिलाओं के सुरक्षित कानूनी तौर पर मान्य गर्भपात सेवाओं अधिकार पर पड़ता है।

32. भारतीय समाज की संरचना के निर्माण का. सबसे बुनियादी आधार गाव या ग्रामीण समुदाय है। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

(i) इसका मुख्य व्यवसाय कृषि होता है।
(ii) ग्रामीण समुदाय का आकार छोटा होता है।
(iii) ग्रामीण समुदाय का पर्यावरण प्राकृतिक होता है।
(iv) इसमें परिवार समाजीकरण का मुख्य आधार है।
(v) इसमें प्राथमिकं संबंधों की प्रधानता होती है। .
(vi) परम्परागत नियंत्रण की व्यवस्था के द्वारा ग्रामीण समुदाय में सामाजिक संगठन की स्थापना की जाती है। इस कारण ग्रामीण समुदाय को परम्परावादी समुदाय कहा जाता है।
(vii) ग्रामीण समुदाय में गतिशीलता बहुत कम पायी जाती है, क्योंकि ग्रामीण अपने गाँव को छोड़कर किसी दूसरे स्थान पर जाना नहीं चाहते हैं।

33. आधुनिकीकरण की अवधारणा की चर्चा सर्वप्रथम डेनियल लर्नर ने की। आधुनिकीकरण का संबंध विवेकीकरण की प्रक्रिया से है। दरअसर आधुनिकीकरण हम उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा कोई भी परम्परागत या अर्धपरम्परागत समाज उच्च तकनीकी पर आधारित समाज की ओर अग्रसर होता है और इस दरम्यान उसकी तकनीकी अवस्था, मूल्य व्यवस्था, वैचारिकी एवं सामाजिक संरचना में बदलाव आता है। आधुनिकीकरण की कई विशेषताएँ हैं जैसे-वैज्ञानिक मिजाज, बुद्धि एवं तर्कवाद, उच्च सहभागिता, सामाजिक गतिशीलता, परिवर्तन की वांछनीयता में विश्वास, जोखिम उठाने की प्रवृति इत्यादि।
भारतीय समाज का आधुनिकीकरण ब्रिटिश काल से ही शुरू हो गया । जब अंग्रेजों ने यहाँ नई आधुनिक शिक्षा व्यवस्था, नई प्रशासनिक व्यवस्था एवं ।भारतीय दण्डसंहिता आदि को लागू किया। योगेन्द्र सिंह का कहना है कि भारत एक परंपरागत देश रहा है अतः यहाँ परंपरा का आधुनिकीकरण हो रहा है। भारत में आज आधुनिकीकरण की प्रक्रिया चल रही है क्योंकि लोगों का मिजाज वैज्ञानिक हो रहा है। परंपरागत मूल्यों की जगह आज आधुनिक मूल्यों को तेजी से अपनाया जा रहा है। भोजन के ढंग, पोशाक, आचार-व्यवहार आदि सभी क्षेत्रों में आधुनिकता के प्रभाव को देखा जा सकता है। न केवल विज्ञान एवं तकनीकी में वृद्धि हो रही है जिसके कारण वृहद पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन एवं क्रय-विक्रय हो रहा है बल्कि सामाजिक धरातल पर विषमता का उन्मूलन हो रहा है। न केवल समानता एवं सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया जा रहा है बल्कि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

34. साधारण तौर पर मुस्लिम विवाह के तीन रूप व भेद होते हैं –

(i) निकाह – निकाह मुस्लिम समाज में सबसे अधिक स्वीकृत व मान्यता प्राप्त विवाह का रूप है। इसे ‘सही’ अथवा स्थायी विवाह के नाम से भी जाना जाता है। निकाह पति-पत्नी दोनों की स्वीकृति से होता है। यह मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार सम्पन्न होता है। इसे सबसे अधिक मान्यता सुन्नी सम्प्रदाय से मिलती है। वैसे यह शिया और सुन्नी दोनों सम्प्रदायों में समान रूप से प्रचलित है।

(ii) मुताह – मुताह विवाह का अस्थायी रूप है। यह विशेष रूप से शिया सम्प्रदाय में पाया जाता है। मुताह विवाह एक निश्चित अवधि तक के लिए होता है। नरिचित अवधि पूरा होने के बाद इसे रद्द सझा जाता है। इस अवधि की कोई निश्चित सीमा नहीं होती। इसकी अवधि एक दिन व एक सप्ताह व महीना व एक वर्ष व कुछ वर्षों तक की भी हो सकती है। मुताह के लिए भी मेहर की रकम निश्चित हो जाती है। मेहर निश्चित होने पर यदि सहवास की अवधि निश्चित नहीं है तो विवाह अवैध माना जाता है। किन्तु मेहर की रकम निश्चित नहीं है पर विवाह की अवधि निश्चित है तो विवाह वैध समझा जाता है तथा उसे पिता की सम्पत्ति में अन्य बच्चों की तरह अधिकार होता है। लेकिन पत्नी को पति की सम्पत्ति में कोई हक नहीं होता।
यदि पति-पत्नी चाहे तो विवाह स्थायी विवाह में बदल सकता है। इसके अंतर्गत निर्धारित अवधि से पहले ही विवाह विच्छेद भी हो सकता है। यदि पति निश्चित समय से पहले मेहर की रकम वापस कर दें तो विवाह-सम्बन्ध समाप्त हो सकता है। जब पत्नी पहले विवाह-सम्बन्ध समाप्त करना चाहती है तथा उसे मेहर की रकम का कुछ हिस्सा छोड़ना पड़ता है।
मुताह विवाह विशेष रूप से शिया सम्प्रदाय में प्रचलित है। वास्तव में इस विवाह को अच्छा नहीं समझा जाता। मोहम्मद साहब ने भी इस विवाह की निन्दा की। चूँकि इस्लाम में ऐसे विवाह को मान्यता दी गयी है इसलिए कुरान के कट्टर अनुयायी शिया लोग इसे बुरा नहीं समझते। कानूनी मान्यता होने के बावजूद आज भारत में मुताह विवाक का प्रचलन नहीं है।

(iii) फासिद – फासिद विवाह एक प्रकार का अनियमित विवाह है। निकाह के लिए बहुत ही आवश्यक शर्ते होती हैं। जब इन शर्ते को पूरा किये बिना विवाह होता है तो इसे फासिद विवाह कहते हैं। वास्तव में यह कोई विवाह का अलग प्रकार नहीं है। निकाह में आवश्यक शर्तो की कमी होती है तब यह फासिद विवाह कहलाता है। किन्तु जब ये कमियाँ पूरी हो जाती हैं तो इसे निकाह मान लिया जाता है। उदाहरण के लिए जब वह पहले में से किसी तालक दे देगा तो यह निकाह व सही विवाह बन जाता है। इस प्रकार मुस्लिम विवाह में जब कोई बाधा व निषेद उत्पन्न होता है तब उसे दूर करके सही विवाह व निकाह में बदल दिया जाता है।

35. भारतीय समाज पर जनाधिक्य के निम्नलिखित कुप्रभाव पड़े हैं –

(i) आर्थिक विकास अवरुद्ध होना – यों तो मानव संसाधन विकास का महत्त्वपूर्ण स्रोत है, परन्तु जनाधिक्य विकास के मार्ग को अवरुद्ध करता है। इसके कारण अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक भार पड़ता है जिससे आर्थिक विकास को ध क्का लगता है।

(ii) खाद्य समस्या का संकट – जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि के कारण । देश में खाद्य समस्या का संकट बना रहता है। अतिरिक्त जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध कराना सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है।

(iii) मूल्य वृद्धि – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण बाजार में अतिरिक्त माँग होती है। इसके कारण कीमत में वृद्धि होती है और सामान्य लोगों का जीवन स्तर गिरता है।

(iv) गरीबी – अर्थव्यवस्था में जनसंख्या में वृद्धि के कारण गरीबी बढ़ती है। उपभोग पर उत्पादन का अधिकांश हिस्सा खर्च हो जाता है। ऐसी अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण की दर धीमी होती है।

(v) बेरोजगारी – भारत में जनसंख्या में वृद्धि के कारण प्रति वर्ष श्रमिकों की संख्या में वृद्धि हुई, परन्तु रोजगार सृजन दर में वृद्धि नहीं हुई। फलतः देश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी हुई है।

(vi) पर्यावरण संकट – पर्यावरण पर जनाधिक्य का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। जनाधिक्य के कारण वनों की कटाई, प्रदूषण आदि में वृद्धि हुई जिसका पर्यावरण
पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड गैस की मात्रा लगातार बढ़ रही है जो अत्यधिक ताप के लिए उत्तरदायी है।

36. अनेक व्यक्ति ऐसा समझते हैं कि साम्प्रदायिकता अथवा सम्प्रदायवाद वह – भावना है जो धर्म, संस्कृति, भाषा, क्षेत्र तथा प्रजाति में से किसी भी एक आधार पर एक समूह को दूसरे से पृथक् रहने तथा उसका विरोध करने के लिए प्रेरणा. देती है। वास्तविकता यह है कि सम्प्रदायवाद में संस्कृति, भाषा और क्षेत्र के पृथक्करण का कोई महत्व नही होता। अमरीका, यूरोप तथा अफ्रीका के कुछ हिस्सों में प्रजातीय आधार (Racial basis) पर साम्प्रदायिक संघर्ष अवश्य हुए हैं, लेकिन भारत में साम्प्रदायिकता की धारणा पूर्णतया धार्मिक अन्धभक्ति से ही सम्बन्धित है। यह एक ऐसी उग्र भावना है जिसमें एक धर्म अथवा धार्मिक विचारधारा के अनुयायी यह मानने लगते हैं कि उनका सम्प्रदाय उनका मत अथवा उनके विश्वास ही सर्वोच्च हैं, उसी का महत्व सर्वोपरित होना चाहिए; उन्हीं का दूसरे समूहों पर प्रभुत्व होना चाहिए। दूसरे धार्मिक समूह हेय है; उन्हें या तो समाप्त कर दिया जाना चाहिए अथवा उन्हें उनके आधिपत्य में रहना चाहिए। ऐसी भावना के फलस्वरूप विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच जो पारस्परिक घृणा, विद्वेष, उपेक्षा, तिरस्कार, निन्दा, हिंसा जन्म लेती है, उसी की समग्रता को हम सम्प्रदायवाद कहते हैं।

स्मिथ (Smith) ने साम्प्रदायिकता को परिभाषित करते हुए कहा है कि “एक साम्प्रदायिक व्यक्ति अथवा समूह वह है जो अपने धार्मिक या भाषाभाषी समूह को एक ऐसी पृथक् राजनीतिक तथा सामाजिक इकाई के रूप में देखता है जिसके हित दूसरे समूहों से पृथक् होते हैं और जो अक्सर उनके विरोधी भी हो सकते हैं।”

साम्प्रदायिकता के कारक (Causes of Communalism) :
भारत में साम्प्रदायिकता की वर्तमान समस्या इतनी जटिल है कि इसे केवल एक या दो कारणों के आधार पर नहीं समझा जा सकता। इन सभी कारणों को संक्षेप में निम्नांकित रूप से स्पष्ट किया जा सकता है :
(i) ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Backgound) – साम्प्रदायिकता के इतिहास का अध्ययन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि अतीत में धार्मिक आधार पर जो साम्प्रदायिक संघर्ष हुए हैं, उससे भारत के दो सबसे बड़े धार्मिक समूहों से अनेक पूर्वाग्रहों को विकास हो गया।

(ii) साम्प्रदायिक संगठन (Communal Organization) – हमारे देश में आरम्भ में मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा ही दो ऐसे साम्प्रदायिक संगठन थे जो हिन्दुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे के विरुद्ध भड़काते रहते थे।

(iii) मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors) – अनेक प्रकार के मनोवैज्ञानिक दबाव भी हमारे देश में साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न कर देते हैं। इन मनौवैज्ञानिक दबावों का आधार अनेक प्रकार के सन्देह, भय, अविश्वास तथा हीनता की भावनाएँ हैं।

(iv) राजनीतिक स्वार्थ (Political Interests) – साम्प्रदायिक संघर्षों को बढ़ाने में वोटों पर आधारित दूषित राजनीति ने सबसे सक्रिय भूमिका निभाई है। सच तो यह है कि चुनाव के समय साम्प्रदायिकता अपने खुले रूप में सामने आती है और कुछ ही समय बाद इसकी परिणति साम्प्रदायिक संघर्ष में देखने को मिलने लगती है।

(v) सांस्कृतिक भिन्नता (Cultural Differences) – भारत में हिन्दुओं, मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों तथा पारसियों के रीति-रिवाज एक-दसूरे से बहुत भिन्न हैं। उनके उत्सवों और त्योहार मनाने के ढंग अलग-अलग है; वेश-भूषा तथा धार्मिक विश्वासों में कोई समानता नहीं है; यहाँ तक की एक राष्ट्र का अंग होने के बाद भी उनके लिए बनाये गये अनेक सामाजिक विधान भी एक-दूसरे से भिन्न हैं।

(vi) धार्मिक कट्टरता (Religious Intolerance) – यदि मूल रूप से देखा जाये तो सभी धर्मों की शिक्षाएँ और विश्वास समान हैं। इसके पश्चात् भी प्रत्यके धर्म के नेता और प्रचारक अपने धर्म को सर्वोच्च मानते हैं और दूसरे धर्मो को हेय दृष्टि से देखते हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर सभी मुल्ला, मौलवी, महन्त, मठाधीश और पादरी अपने अनुयायियों को धार्मिक कट्टरता की ओर दूसरे धर्मावलम्बियों से अपनी रक्षा करने की सीख देते हैं। .(vii)
(vii) दोषपूर्ण धर्मनिरपेक्षता (Defective Secularism) – भारत में धर्म निरपेक्षता के क्रियान्वयन में कुछ ऐसा दोष हैं जिनसे यहाँ साम्प्रदायिक तनाव को प्रोत्साहन मिला है।

37. प्रत्येक समाज में संस्तरण पाया जाता है। किन्तु भारत में सामाजिक संस्तरण का एक विशेष रूप परिलक्षित होता है जिसमें योग्यता अथवा अन्य किसी प्रकार का परिवर्तन व्यक्ति के सामाजिक स्थिति अथवा वर्ग में परिवर्तन नहीं लाता। सामाजिक संस्तरण को इसी व्यवस्था को ही ‘जाति’ व्यवस्था कहा गया है।
जाति-प्रथा की कुछ विशेषताएँ होती हैं, जिनकी चर्चा निम्नलिखित रूप से की जा सकती है-

1. समाज का खण्डात्मक विभाजन – भारतीय समाज को जाति-व्यवस्था ने कई खण्डों में विभाजित कर दिया है और प्रत्येक खण्ड के सदस्यों की स्थिति निश्चित कर दी गई है। यह अपेक्षा की जाती है कि व्यक्ति अपनी स्थिति के अनुसार ही व्यवहार करे। इसकी अवहेलना होने पर जाति-पंचायत उसे दण्डित करती है। फलस्वरूप समाज के सदस्यों की सामुदायिक भावना पहले अपनी जाति के प्रति केन्द्रित होती है। इसलिए व्यक्ति समुदाय की अपेक्षा अपनी जाति पर अधिक श्रद्धा रखता है।

2. संस्तरण – जाति-व्यवस्था के अन्तर्गत उच्च और निम्न का एक संस्तरण पाया जाता है। इसमें ब्राह्मणों का स्थान सर्वोच्च होता है और शूद्रों का स्थान सबसे निम्न होता है। द्वितीय और तृतीय स्थान पर क्रमशः क्षत्रिय और वैश्य होते हैं। जन्म पर आधारित होने के कारण जातियों की इस स्थिति में परिवर्ती की संभावना नहीं है। इसी कारण इसे बन्द व्यवस्था कहा जाता है।

3. भोजन तथा सामाजिक सहवास पर प्रतिबन्ध – जाति-व्यवस्था के – अर्न्तगत भोजन संबंधी प्रतिबन्ध भी होता है। ब्राह्मणों के हाथ का बनाया ही खाना सभी जाति के लोग खाते हैं परन्तु दूसरी जातियों के द्वारा बनाया ही भोजन ब्राह्मण नहीं खाते हैं। सबसे अधिक प्रतिबन्ध अछूतों के हाथ के बनाये भोजन पर होता है। इसी तरह का प्रतिबन्ध कच्चे भोजन पर होता है। सामाजिक सहवास पर भी ऐसे ही प्रतिबन्ध होते हैं।

4. सामाजिक तथा धार्मिक निर्योग्यताएँ – जाति के आधार पर ही व्यक्ति को सामाजिक तथा धार्मिक अधिकार प्रदान किये जाते हैं। ब्राह्मण जाति सबसे उच्च, जाति मानी जाती है। वे आज भी धार्मिक स्थलों पर पुजारी एवं पुरोहित का काम करते हैं। शूद्र निम्न जाति के होते हैं। उनकी दशा अधिक सोचनीय होती है। प्राचीन काल से ही उन्हें सामाजिक तथा सार्वजनिक कुआँ से पानी नहीं लेने दिया जाता है। डॉ. कैलाश नाथ शर्मा ने इसकी चर्चा इन शब्दों में की है। “दक्षिण भारत में मंदिरों में प्रवेश, स्कूल में पढ़ने व कुओं से पानी भरने के संबंध में भी अनेक प्रतिबंध थे। गाँव में अछूतों को बस्ती से बाहर रहना पड़ता था।”

5. पेशे पर प्रतिबन्ध – प्रत्येक जाति का अपना परम्परागत पेशा होता है। इसका हस्तांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को होता है। जाति यह अपेक्षा करती है कि उसके सदस्य जातिगत पेशा को ही अपनायें। व्यवसाय के चुनाव की स्वतंत्रता जाति-व्यवस्था के अन्तर्गत नहीं है। परन्तु कुछ व्यवसाय जैसे कृषि, व्यापार और सेना की नौकरी, सभी जाति के लोग करते हैं।

6. विवाह पर प्रतिबन्ध – विवाह सम्बन्धी प्रतिबन्ध भी जाति-व्यवस्था के अन्तर्गत हैं। एक व्यक्ति अपनी ही जाति या उपजाति में विवाह करता है। जाति या उपजाति से. बाहर विवाह करने पर व्यक्ति को जाति से निकाल दिया जाता है। जाति की इसी विशेषता के कारण ब्लण्ट ने जाति को अन्तर्विवाही समूह कहा है।

7. जाति जन्म पर आधारित होती है – व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है उसी जाति की सदस्यता उसे मिलती है। जन्म के अलावे अन्य किसी दूसरे आधार पर जाति की सदस्यता व्यक्ति को नहीं मिलती है। अपनी इच्छानुसार व्यक्ति जाति को न बदल सकता है और न ही ग्रहण कर सकता है। यदि जाति परिवर्तन व्यक्ति की इच्छा पर आधारित होता तो जाति और वर्ग में कोई अन्तर नहीं रह जाता और यह संस्था समाप्त हो गई होती।

38. बालिकाओं के समक्ष निम्नलिखित कारणों से भेदभावपूर्ण व्यवहार किये जा रहे हैं –

(i) आज समाज में लड़कियों को पराया धन समझा जाता है। लड़कियों को अपनी संतान के नजरिए से न देखकर लड़का और लड़की में अंतर किया जाता है।
(ii) बेटियों के विवाह के दौरान माँ-बाप को काफी दहेज देना पड़ता है। यदि गरीब माँ-बाप हों तो वे दहेज़ देने में सक्षम नहीं हो पाते जिससे बेटियों को बोझ समझा जाता है। परन्तु बेटों के विवाह के दौरान कोई दहेज नहीं देना पड़ता।

(iii) छोटे क्षेत्रों में लड़कियाँ निरक्षर होने के कारण अपनी आजीविका कमाने लायक नहीं हो पातीं। परन्तु यदि लड़का निरक्षर भी है तो वह अपनी आजीविका कमा सकता है जिससे लड़का-लड़की में काफी भेदभाव आ जाता है।

(iv) यदि लड़की दहेज नहीं लाती या कम दहेज लाती है तो उसके ससुराल में भी उसे नीची नजर से देखा जाता है जिसके कारण उन्हें मारा-पीटा जाता है।

(v) कुछ समाजों में लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने नहीं दिया जात व उन्हें घर के काम-काज तक ही सीमित रखा जाता है। परन्तु लड़कियों क उच्च शिक्षा प्राप्त करने के सभी साधन उपलब्ध कराए जाते हैं।
अतः ऐसे अनेक कारण हैं जिससे बेटा-बेटी में भेदभाव किया जाता व लड़कियों को उचित स्थान नहीं दिया जाता।

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