Bihar Board Class 12th History Model Paper 2022 ( कक्षा-12 इतिहास का मॉडल पेपर 2022 ) PDF Download


1. मोहनजोदड़ो की खोज 1922 ई० में किसने की ?

(A) दयाराम साहनी
(B) राखालदास बनर्जी
(C) माधो वत्स
(D) रंगनाथ राव

 Answer ⇒ B

2. मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है ?

(A) हिन्दी
(B) सिन्धी
(C) उर्दू
(D) फारसी

 Answer ⇒ B

3. कालीबंगन कहाँ स्थित है ?

(A) सिन्ध में
(B) बंगाल में
(C) उत्तर प्रदेश में
(D) राजस्थान में

 Answer ⇒ D

4. सिन्धु घाटी सभ्यता में हल का प्रमाण किस स्थान पर मिला है ?

(A) हड़प्पा
(B) मोहनजोदडो
(C) रोपड़
(D) कालीबंगन

 Answer ⇒ D

5. समुद्रगुप्त की तुलना किस यूरोपीय शासक से की जाती है ?

(A) हिटलर
(B) नेपोलियन
(C) बिस्मार्क
(D) मुसोलिनी

 Answer ⇒ B

6. अपने स्वयं के खर्चे से सुदर्शन झील की मरम्मत किसने कराई थी ?

(A) अशोक
(B) कनिष्क
(C) रुद्रदमन
(D) स्कन्दगुप्त

 Answer ⇒ D

7. पाटलिपुत्र नगर की स्थापना किस नदी के संगम पर की गई थी ?

(A) गंगा
(C) पुनपुन
(B) सोन
(D) इन सभी के संगम पर

 Answer ⇒ D

8. इंडिका के लेखक कौन हैं ?

(A) कौटिल्य
(B) मेगास्थनीज
(C) बाणभट्ट
(D) हरिषेण

 Answer ⇒ B

9. अशोक किस वंश का शासक था ?

(A) नंद
(B) गुप्त
(C) मौर्य
(D) शुंग

 Answer ⇒ C

10. द्रौपदी किसकी पत्नी थी ?

(A) अर्जुन
(B) भीम
(C) नकुल
(D) इन सभी की

 Answer ⇒ D

11. अभिमन्यु किसका पुत्र था ?

(A) अर्जुन
(B) भीम
(C) नकुल
(D) इन सभी की

 Answer ⇒ A

12. महाभारत के लेखक कौन हैं ?

(A) वाल्मीकि
(B) मनु
(C) वेदव्यास
(D) तुलसीदास

 Answer ⇒ C

13. गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई ?

(A) बोधगया
(B) पटना
(C) दिल्ली
(D) राजगीर

 Answer ⇒ A

14. त्रिपिटक किस धर्म से संबंधित है ?

(A) जैन
(B) बौद्ध
(C) हिन्दू
(D) शैव

 Answer ⇒ B

15. अकबरनामा के लेखक कौन हैं ?

(A) अबुल फजल
(B) अल बरूनी
(C) हुमायूँ
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ A

16. तम्बाक पर किस शासक ने प्रतिबंध लगाया ?

(A) अकबर
(B) बाबर
(C) जहाँगीर
(D) शाहजहाँ

 Answer ⇒ C

17. कुतुबमीनार का निर्माण किसने आरंभ किया ?

(A) इब्नबतूता
(B) अलाउद्दीन खिलजी
(C) कुतुबुद्दीन ऐबक
(D) रजिया सुल्तान

 Answer ⇒ C

18. हुमायूँ का भाई कौन था ?

(A) कामरान
(B) असकरी
(C) हिन्दाल
(D) इनमें सभी

 Answer ⇒ D

19. भारत का प्रथम मुगल सम्राट कौन था ?

(A) बाबर
(B) अकबर
(C) शाहजहाँ
(D) औरंगजेब

 Answer ⇒ A

20. तुजुक-ए-बाबरी किसने लिखा ?

(A) बाबर
(B) फैजी
(C) अबुल फजल
(D) हुमायूँ

 Answer ⇒ A

21. ‘दीन-ए-इलाही’ किससे संबंधित है ?

(A) बाबर से
(B) हुमायूँ से
(C) अकबर से
(D) औरंगजेब से

 Answer ⇒ C

22. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई ?

(A) 1347 AD
(B) 1325 AD
(C) 1336 AD
(D) 1348AD

 Answer ⇒ C

23. विरुपाक्ष मंदिर कहाँ स्थित है ?

(A) हम्पी
(B) चिदम्बरम
(C) बंगलोर
(D) दिल्ली

 Answer ⇒ C

24. विजयनगर के शासक अपने आपको क्या कहते थे ?

(A) राय
(B) सामन्त
(C) अमात्य
(D) दीवान

 Answer ⇒ A

25. विष्णु को अपना पति कौन मानती थी ?

(A) मीरा
(B) अंडाल
(C) कराइकल
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

26. रामानन्द के शिष्य कौन थे ?

(A) रैदास
(B) कबीर
(C) धन्ना एवं पीपा
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ A

27. निजामुद्दीन औलिया की दरगाह कहाँ है ?

(A) दिल्ली
(B) अजमेर
(C) पंजाब
(D) बंगाल

 Answer ⇒ A

28. इब्न बतूता किस देश का यात्री था ?

(A) मोरक्को
(B) मिस्र
(C) तुर्की
(D) ईरान

 Answer ⇒ A

29. “किताब-उर-रेहला’ में किसका यात्रा वृत्तांत मिलता है ?

(A) अल बरूनी
(B) इब्न बतूता
(C) फाह्यान
(D) इन सभी का

 Answer ⇒ B

30. इब्न बतूता किसके शासनकाल में भारत आया था ?

(A) मुहम्मद-बिन-तुगलक
(B) बलबन
(C) रजिया सुल्तान
(D) सिकन्दर लोदी

 Answer ⇒ A

31. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना कब हुई थी ?

(A) 1600 AD
(B) 1605 AD
(C) 1610 AD
(D) 1615 AD

 Answer ⇒ A

32. संथाल विद्रोह का नेता कौन था ?

(A) सिद्धू एवं कान्हू
(B) गोमधर कुंअर
(C) चित्तर सिंह
(D) इनमें से कोई नही

 Answer ⇒ A

33. महालवाड़ी बन्दोबस्त को किसने लागू किया ?

(A) मार्टिन वर्ड
(B) बुकानन
(C) रीड
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ C

34. उलगुलान विद्रोह का नेता कौन था ?

(A) सिद्ध
(B) चित्तर सिंह
(C) गोमधर कुंअर
(D) बिरसा मुण्डा

 Answer ⇒ D

35. ‘दामिन-ऐ-कोह’ क्या था ?

(A) भू-भाग
(B) तलवार
(C) जानवर
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ A

36. बिहार में 1857 के विद्रोह का नेता कौन था ?

(A) राजेन्द्र प्रसाद
(B) दिलीप सिंह
(C) श्रीकृष्ण सिंह
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ D

37. रानी लक्ष्मीबाई को और किस. नाम से जाना जाता था ?

(A) छबीली
(B) मनु
(C) मणिकर्णिका
(D) इनमें से सभी

 Answer ⇒ D

38. 1857 के विद्रोह को किसने प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम कहा है ?

(A) कार्ल मार्क्स
(B) आर० सी० मजूमदार
(C) जवाहर लाल नेहरू
(D) वी० डी० सावरकर

 Answer ⇒ D

39. 1857 की क्रान्ति आरम्भ हुई

(A) 10 मई
(B) 13 मई
(C) 18 मई
(D) 26 मई

 Answer ⇒ A

40. कलकत्ता में अंग्रेजों के किला का नाम क्या था ?

(A) फोर्ट जार्ज
(B) फोर्ट डेविड
(C) फोर्ट विलियम
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ C

41. भारत को राजधानी कलकत्ता से दिल्ली कब स्थानान्तरित हुई ?

(A) 1909 AD
(B) 1910 AD
(C) 1911 AD
(D) 1912 AD

 Answer ⇒ C

42. पुर्तगालियों ने गोवा पर कब अधिकार किया ?

(A) 1509 AD
(B) 1510 AD
(C) 1512 AD
(D) 1515 AD

 Answer ⇒ B

43. वास्कोडिगामा भारत कब पहुँचा था ?

(A) 17 मई, 1498
(B) 17 मार्च, 1498
(C) 17 मई, 1598
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ A

44. अखिल भारतीय स्तर पर पहली जनगणना कब हुई ?

(A) 1871 ई०
(B) 1872 ई०
(C) 1891 ई०
(D) 1894 ई०

 Answer ⇒ B

45. महात्मा गाँधी की आत्मकथा किस भाषा में है ?

(A) अंग्रेजी
(B) हिन्दी
(C) गुजराती
(D) बंगला

 Answer ⇒ A

46. महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब वापस आए ?

(A) 1909 AD
(B) 1914 AD
(C) 1915 AD
(D) 1890 AD

 Answer ⇒ C

47. चम्पारण सत्याग्रह का संबंध किस राज्य से है ?

(A) बिहार
(B) उत्तर प्रदेश
(C) मध्य प्रदेश
(D) महाराष्ट्र

 Answer ⇒ A

48. ‘दिल्ली चलो’ का नारा किसने दिया था ?

(A) सुभाष चन्द्र बोस
(B) गाँधी
(C) लाला लाजपत राय
(D) गोखले

 Answer ⇒ A

49. 1917 में गाँधी जी किसके अनुरोध पर चम्पारण गए थे ?

(A) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(B) अरविन्द घोष
(C) गोखले
(D) राजकुमार शुक्ल

 Answer ⇒ D

50. गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन किस वर्ष प्रारंभ किया ?

(A) 1920
(B) 1922
(C) 1930
(D) 1942

 Answer ⇒ A

51. पूना समझौता किस वर्ष हुआ था ?

(A) 1932
(B) 1934
(C) 1939
(D) 1942

 Answer ⇒ A

52. सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ किसने किया ?

(A) महात्मा गाँधी
(B) जवाहरलाल नेहरू
(C) सुभाष चन्द्र बोस
(D) गोखले

 Answer ⇒ A

53. सुभाष चन्द्र बोस भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अध्यक्ष कब बने ?

(A) 1938 AD
(B) 1940 AD
(C) 1941 AD
(D) कभी नहीं

 Answer ⇒ B

54. 1939 ई. में फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना किसने की ?

(A) जिन्ना ने
(B) राजगोपालाचारी ने
(C) एम० एम० राय ने
(D) सुभाष चन्द्र बोस ने

 Answer ⇒ D

55. मुस्लिम लीग की स्थापना किस वर्ष हुई थी. ?

(A) 1902 AD
(B) 1906 AD
(C) 1907 AD
(D) 1919 AD

 Answer ⇒ B

56. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना कब हुई थी ?

(A) 1885 AD
(B) 1888 AD
(C) 1920 AD
(D) 1905 AD

 Answer ⇒ A

57. कैबिनेट मिशन किस वर्ष भारत आया था ?

(A) 1946
(B) 1945
(C) 1942
(D) 1950

 Answer ⇒ A

58. संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?

(A) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(B) जवाहर लाल नेहरू
(C) सरदार पटेल
(D) बी० आर० अम्बेडकर

 Answer ⇒ D

59. भारत को कब गणतंत्र घोषित किया गया ?

(A) 26 जनवरी, 1950
(B) 15 अगस्त, 1947
(C) 26 जनवरी, 1952
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ A

60. स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे ?

(A) जवाहर लाल नेहरू
(B) बी. आर. अम्बेडकर
(C) सरदार पटेल
(D) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

 Answer ⇒ D

61. त्रिपिटक साहित्य संबद्ध हैं

(A) जैन धर्म से
(B) बौद्ध धर्म से
(C) शैव धर्म से
(D) वैष्णव धर्म से

 Answer ⇒ B

62. कनिष्क का राज्यारोहण हुआ था

(A) 48 ई० में
(B) 78 ई० में
(C) 88 ई० में
(D) 98 ई० में

 Answer ⇒ B

63. महाभारत युद्ध कितने दिनों तक चला ?

(A) 15 दिन
(B) 16 दिन
(C) 17 दिन
(D) 18 दिन

 Answer ⇒ D

64. अशोक के किस अभिलेख में कलिंग युद्ध का वर्णन किया गया है ?

(A) दसवाँ
(B) बारहवाँ
(C) तेरहवाँ
(D) सोलहवाँ

 Answer ⇒ C

65. चोलों की सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई कौन थी?

(A) उर
(B) मंगलम
(C) वलनाडू
(D) कुर्रम

 Answer ⇒ D

66. ‘राजतरंगिणी’ के लेखक कौन थे?

(A) पतंजलि
(B) वाणभट्ट
(C) विशाखदत्त
(D) कल्हण

 Answer ⇒ D

67. ‘अर्थशास्त्र’ की रचना कब हुई थी ?

(A) छठी शताब्दी ईसा पूर्व में
(B) पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में
(C) चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में
(D) तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में

 Answer ⇒ D

68. ‘जनपद’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है

(A) जहाँ लोग मवेशी रखते हैं
(B) जहाँ लोग अपना घर बनाते हैं
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ C

69. निम्नलिखित में कौन मुगल बादशाह ‘आलमगीर’ के नाम से जाना जाता था ?

(A) जहाँगीर
(B) शाहजहाँ
(C) औरंगजेब
(D) बहादुर शाह

 Answer ⇒ C

70. ‘बीजक’ में किसके उपदेश संग्रहित है ?

(A) कबीर
(B) गुरुनानक
(C) चैतन्य
(D) रामानन्द

 Answer ⇒ A

71. अलबरूनी भारत में किसके साथ आया ?

(A) महमूद गजनी
(B) मोहम्मद्-बिन-कासिम
(C) मोहम्मद गोरी
(D) तैमूर

 Answer ⇒ A

72. दिल्ली सल्तनत की प्रथम और अंतिम महिला शासक कौन थी ?

(A) चाँद बीबी
(B) नूरजहाँ
(C) रजिया सुल्तान
(D) मुमताज महल

 Answer ⇒ C

73. दीन-ए-इलाही संबंधित है

(A) बाबर के साथ
(B) हुमायूँ के साथ
(C) अकबर के साथ
(D) जहाँगीर के साथ

 Answer ⇒ C

74. निम्नलिखित इतिहासकारों में कौन अकबर का समकालीन था ?

(A) फरिश्ता
(B) बदायुनी
(C) मुल्ला दाउद
(D) मुहम्मद खान

 Answer ⇒ D

75. कुतुबमीनार का निर्माण किसने शुरू किया ?

(A) कुतुबुद्दीन ऐबक
(B) इल्तुतमिश
(C) रजिया
(D) जलालद्दीन खिलजी

 Answer ⇒ A

76. लोदी वंश का अंतिम शासक कौन था ?

(A) बहलोल लोदी
(B) सिकंदर लोदी
(C) इब्राहिम लोदी
(D) काफूर

 Answer ⇒ C

77. किस प्रशासकीय सुधार के लिए शेरशाह खासतौर पर जाना जाता है ?

(A) बाजार नियंत्रण
(B) भूमि सुधार व्यवस्था
(C) मनसबदारी व्यवस्था
(D) विधि नियंत्रण व्यवस्था

 Answer ⇒ B

78. सहायक संधि की नीति कार्यान्वित की

(A) बेंटिंग ने
(B) कॉर्नवालिस ने
(C) वेलेस्ली ने
(D) डलहौजी ने

 Answer ⇒ C

79. 1857 का विद्रोह आरंभ हुआ

(A) 10 मई को
(B) 13 मई को
(C) 18 मई को
(D) 26 मई को

 Answer ⇒ A

80. 1942 में कौन-सा आंदोलन हुआ?

(A) खिलाफत
(B) असहयोग
(C) सविनय अवज्ञा
(D) भारत छोड़ो

 Answer ⇒ D

81. व्यपगत का सिद्धांत का संबंध था

(A) लॉर्ड कर्जन से
(B) डलहौजी से
(C) लिट्टन से
(D) मिंटो से

 Answer ⇒ B

82. स्थायी बंदोबस्त जुड़ा था

(A) वारेन हेस्टिंग्स से
(B) वेलजली से
(C) कॉर्नवालिस से
(D) रिपन से

 Answer ⇒ C

83. पाटलिपुत्र नगर की स्थापना उदाविन ने किस नदी के संगम पर की

(A) गंगा
(B) सोन
(C) पुनपुन
(D) इन सभी के संगम पर

 Answer ⇒ D

84. गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन किस वर्ष आरंभ किया ?

(A) 1920 में
(B) 1922 में
(C) 1930 में
(D) 1942 में

 Answer ⇒ A

85. जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने

(A) 1946 में
(B) 1947 में
(C) 1948 में
(D) 1949 में

 Answer ⇒ B

86. मनुस्मृति के लेखक कौन है ?

(A) मनु
(B) हरिषेण
(C) तुलसीदास
(D) कालिदास

 Answer ⇒ A

87. संथाल विद्रोह कब हुआ ?

(A) 1832
(B) 1841
(C) 1851
(D) 1855

 Answer ⇒ D

88. महालवाड़ी व्यवस्था किसके द्वारा लागू की गई ?

(A) लॉर्ड डलहौजी
(B) लॉर्ड वेलेस्ली
(C) लॉर्ड बेंटिक
(D) ऑकलैण्ड

 Answer ⇒ B

89. कार्नवालिस कोड बना

(A) 1775 में
(B) 1793 में
(C) 1797 में
(D) 1805 में

 Answer ⇒ B

90. पुर्तगालियों ने गोवा पर कब अधिकार किया ?

(A) 1509
(B) 1510
(C) 1512
(D) 1515

 Answer ⇒ B

91. बंगाल विभाजन की घोषणा किस वर्ष हुई ?

(A) 1905
(B) 1906
(C) 1911
(D) 1914

 Answer ⇒ A

92. 1857 के गदर को किसने एक ‘क्रांति’ कहा ?

(A) कार्ल मार्क्स
(B) आर० सी० मजूमदार
(C) जवाहर लाल नेहरू
(D) टी० आर० होम्स

 Answer ⇒ A

93. वास्कोडिगामा कब भारत पहुँचा ?

(A) 17 मई, 1498
(B) 17 मार्च, 1498
(C) 17 मई, 1598
(D) 17 मार्च, 1598

 Answer ⇒ A

94. भारत में रेलवे की शुरूआत कब हुई ?

(A) 1753
(B) 1793
(C) 1853
(D) इनमें से कोई नहीं

 Answer ⇒ C

95. इब्नबतूता ने अपनी यात्रा का विवरण लिखा था

(A) अरबी में
(B) अंग्रेजी में
(C) उर्दू में
(D) फारसी में

 Answer ⇒ A

96. जैसे घोंसले को पक्षी छोड़ता है उसी तरह किस यात्री ने यात्रा पर जाने हेतु अपने घर को छोड़ा ?

(A) अलबरूनी
(B) मार्कोपोलो
(C) बर्नियर
(D) इब्नबतूता

 Answer ⇒ D

97. सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ किसने किया ?

(A) गाँधीजी
(B) जवाहरलाल नेहरू
(C) मौलाना अबुल कलाम आजाद
(D) सुभाष चन्द्र बोस

 Answer ⇒ A

98. कैबिनेट मिशन योजना के अध्यक्ष कौन थे ?

(A) पैशिक लॉरेन्स
(B) लुई फिशर
(C) लॉर्ड वेवेल
(D) स्टेफोर्ड क्रिप्स

 Answer ⇒ C

99. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम कब बना ?

(A) 4 जुलाई, 1947
(B) 18 जुलाई, 1947
(C) 20 जुलाई, 1947
(D) 15 अगस्त, 1947

 Answer ⇒ B

100. भारतीय संविधान कब लागू किया गया ?

(A) 26 नवम्बर, 1949
(B) 24 जनवरी, 1950
(C) 26 जनवरी, 1950
(D) 26 नवम्बर, 1950

 Answer ⇒ C

खण्ड-ब (गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न संख्या 1 से 30 तक लघु उत्तरीय हैं। इनमें से किन्हीं 15 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 2 अंक निर्धारित है। अधिकतम 50 शब्दों में दें।

1. अभिलेख किसे कहते हैं ?

2. हड़प्पा सभ्यता के चार प्रमुख नगरों के नाम लिखिए।

3. हड़प्पा सभ्यता के पतन के किन्हीं दो कारणों को लिखें।

4. महाभारत के महत्व को लिखें।

5. छठी शताब्दी ई० पू० के किन्हीं चार महाजनपदों का नाम लिखें।

6. वर्ण और जाती में कोई दो अंतर बताइए।

7. बुद्ध के चार आर्य सत्यों को बताइए।

8. बुद्ध के संदेश या शिक्षाएँ भारत के बाहर किन-किन देशों में फैला ? दो का नाम लिखें।

9. किन्हीं दो गुप्तकालीन मंदिरों के नाम लिखिए।

10. आइन-ए-अकबरी में भूमि को कितने भागों में बाँटा गया था ? किन्हीं दो के नाम लिखिए।

11. अकबर के दरबार के चार नवरत्नों के नाम लिखें।

12. अकबर ने जजिया कर क्यों समाप्त किया ? दो कारण बताइए।

13. विजयनगर साम्राज्य की किन्हीं दो ऐतिहासिक इमारतों का नाम लिखिए।

14. सूफी आंदोलन के चार प्रसिद्ध संतों के नाम लिखें।

15. ‘रेहला’ की किन्हीं दो विशेषताओं को लिखें।

16. प्लासी युद्ध के चार कारणों को लिखिए।

17. 1857 के विद्रोह के असफलता के किन्हीं चार कारणों को लिखें।

18. भारत में यूरोपीय उपनिवेशों की स्थापना के दो कारण बताइए।

19. ब्रिटिश काल में मुम्बई में निर्मित इण्डो-सारसेनिक कला के दो भवनों कानाम लिखें।

20. ब्रिटिश शासकों के लिए हिल स्टेशन क्यों महत्वपूर्ण थे ?

21. ‘चम्पारण आन्दोलन का क्या कारण था ?

22. असहयोग आन्दोलन के किन्हीं चार कार्यक्रमों को लिखें।

23. ‘महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन क्यों वापस लिया ?

24. भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायक किन्हीं चार कारणों को लिखें।

25. शिमला सम्मेलन में असफलता के क्या कारण थे ?

26. भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को क्यों लागू किया गया ?

27. भारत के कौन से दो प्रान्त अगस्त 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच बाँटे गए ?

28. कस्बा और गंज में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

29. ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ कब और किसने चलाया ?

30. विभाजन के खिलाफ महात्मा गाँधी का दलील क्या थी ?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न संख्या 31 से 38 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्सर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 5 अंक निर्धारित हैं। अधिकतम -100 शब्दों में उत्तर दें।

31. चन्द्रगुप्त मौर्य की जीवनी एवं उपलब्धियों का वर्णन करें।

32. महावीर स्वामी के उपदेशों का वर्णन करें।

33. मुगल काल के जमींदारों की स्थिति का वर्णन कीजिए।

34. स्थायी बंदोबस्त के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।

35. 1857 की क्रांति के कारणों का वर्णन कीजिए।

36. असहयोग आन्दोलन के कारणों पर प्रकाश डालिए।

37. आजाद हिन्द फौज के कार्यों एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

38. द्वितीय विश्वयुद्ध के समय मुस्लिम लीग की राजनीतिक गतिविधियों की विवेचना कीजिए।

खण्ड-ब (गैर वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. अभिलेख (Inspections) – अभिलेख उन लेखों को कहा जाता है, जो स्तंभों, चट्टानों, गुफाओं, ताम्रपत्रों और पत्थरों की चौड़ी पट्टियों पर खुदे तत्कालीन शासकों के शासन का सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक व धार्मिक चित्र खींचते हैं।

2. मोहनजोदड़ों, कालीबंगा, लोथल एवं धौलवीरा।

3. हड़प्पा सभ्यता का पतन 1750 ई. पू. के आसपास हुआ। हड़प्पा सभ्यता का पतन किस प्रकार हुआ. इस पर विद्वानों में मतभेद है। इसके पतन के अनेक । कारण बताये गये हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि अचानक सिंधु नदी में बाढ़ आयी होगी और इस सभ्यता का पतन हुआ होगा दूसरा मत है कि आर्यों के आक्रमण के फलस्वरूप हड़प्पा का अंत हो गया। तीसरी मान्यता यह है कि प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप आया होगा जिससे इस सभ्यता का अंत हो गया। इस प्रकार से हम देखते हैं कि संधु सभ्यता के पतन के और विद्वानों ने दिये हैं। निश्चित रूप से ये सभी तथ्य इस घटना के लिए कमोवेश उत्तरदायी हैं।

4. महाभारत के महत्व इस प्रकार हैं –
(i) महाभारत भारत का आदि महाकाव्य है।
(ii) इसकी रचना 200 ई० पू० से 200 ईस्वी के मध्य हुई है।
(iii) इसके लेखक वेदव्यास हैं।
(iv) इसमें प्राचीन सामाजिक मूल्यों के स्थान पर नवीन मापदंडों की स्थापना की गई है।

5. आरम्भिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ई० पू० को एक महत्त्वपर्ण परिवर्तनकारी काल माना जाता है। इस काल को प्रायः आरम्भिक राज्यों, नगरो के लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के साथ जोड़ा जाता है। इसी काल में बौद्ध तथा जैन सहित विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हआ। बौद्ध धर्म और जैन धर्म के आरम्भिक ग्रंथों में महाजनपद नाम से सोलह राज्यों का उल्लेख मिलता है। यद्यपि महाजनपदों के नाम की सूची में एक समानता नहीं है, लेकिन वज्जि, मगध, कोशल, कुरू, पाञ्चाल, गांधार और अवन्ति जैसे नाम प्रायः मिलते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि उक्त महाजनपद महत्त्वपूर्ण में गिने जाते होंगे।
अधिकांश महाजनपदों पर राजा का शासन होता था, लेकिन गण और संघ के नाम से प्रसिद्ध राज्यों में कई लोगों का सामूहिक शासन चलता था,
इस तरह का प्रत्येक व्यक्ति राजा या राजन कहलाता था।

6. वर्ण एवं जाति में दो अंतर इस प्रकार है –
(i) कार्यों के आधार पर आर्यों ने समाज को चार भागों (वर्णों) में विभक्त किया किन्तु जाति जन्मगत उत्तराधिकार है।
(ii) समाज में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र चार वर्ण हैं जबकि ब्राह्मण, राजपूत, चौहान, यादव, चमार, दुसाध, राजवंशी, कहार आदि जातियाँ हैं।

7. बुद्ध के चार आर्य सत्य इस प्रकार हैं –
(i) संसार दु:खों का घर है।
(ii) इच्छाएँ दुःख का कारण है।
(iii) इचछाओं का शमन सुख का मूलमंत्र है।
(iv) इच्छाओं का दमन अष्ट मार्ग से संभव है।

8. बुद्ध की शिक्षाएँ भारत के बाहर इन देशों में फैली-(i) चीन, (ii) श्रीलंका।

9. दो गुप्तकालीन मंदिरों के नाम हैं-देवगढ़ (झाँसी) एवं भीतरगाँव (कानपुर)।

10. आइन-ए-अकबरी में भूमि को चार भागों में बाँटा गया था-

(i) पोलज, (ii) परौती, (iii) चचर, (iv) बंजरा।

11. अकबर के दरबार के चार नवरत्नों के नाम हैं- (i) टोडरमल; (ii) तानसेन,
(iii) बीरबल एवं (iv) अबूल फजल।

12. अकबर ने सोचा कि अगर वह राजपूत राजाओं को अपने दरबार में शामिल करना चाहता है तो उसे लोगों को यह दिखाना पड़ेगा कि वह हिन्दुओं के साथ कोई भेदभाव नहीं करता और सचमुच हिन्दुस्तान के लोगों के साथ मिलकर राज्य चलाना चाहता है। उन दिनों हिन्दुओं पर दो विशेष कर लगाए जाते थे। जजिया कर और तीर्थ स्थानों की यात्रा करने वालों पर कर। जजिया कर बादशाह के सभी अधिकारियों व अनाथ लोगों से नहीं लिया जाता था। अकबर ने सन् 1562 में यात्रा कर हटा दिया और 1564 में हिन्दुओं से जजिया कर लेना भी बंद कर दिया।

13. विजयनगर राम्राज्य की ऐतिहासिक इमारतों के नाम हैं – (i) विठ्ठल मंदिर, (ii) गोपुरम एवं (iii) विरुपाक्ष मंदिर।

14. सूफी आंदोलन के प्रमुख संतों के नाम हैं- (i) शेख कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी, (ii) शेख हमीदुद्दीन, (iii) शेख फरीदुद्दीन एवं (iv) मसूदगंज-ए शकर, (v) शेख निजामुद्दीन औलिया।

15. रेहला की दो विशेताएँ इस प्रकार हैं-(i) मोरक्कों के यात्री इब्नबतुता ने रेहला की रचना की। (ii) उसने मुहम्मद बिन तुगलक के समय का वर्णन इस पुस्तक में किया है।

16. प्लासी युद्ध के चार प्रकार इस प्रकार हैं –
(i) औरंगजेब की मत्य के बाद मगल साम्राज्य का छिन-भिन्न होना।
(ii) नवाबों एवं उनके अधीन भागों का स्वतंत्र होना।
(iii) अंग्रेजों के साथ उत्तराधिकार के लिए सिराजुदौला का संघर्ष।
(iv) मीरजाफर की गद्दारी।

17. 1857 के विद्रोह के असफलता के चार कारण इस प्रकार है –
(i) विद्रोह निश्चित तिथि से पूर्व प्रारंभ हो गई।
(ii) संपूर्ण भारत में फैलाव के कारण अनियंत्रित हो गया।
(iii) भारतीयों के पास अंग्रेजों की तुलना में हथियार कम पड़ गए।
(iv) भारतीयों का कुशल नेतृत्व किसी ने नहीं प्रदान किया।
(v) निश्चित उद्देश्य एवं योजना की कमी थी।

18. यूरोपीय देशों ने निम्नलिखित कारणों से भारत में उपनिवेशों की स्थापना की

(i) कच्चे माल की प्राप्ति
(ii) निर्मित माल की खपत
(iii) इसाई धर्म का प्रचार
(iv) समृद्धि की लालसा।
कुल मिलाकर यूरोपियन अपने उद्योगों के लिए आवश्यक कच्चे माल एवं इन कच्चे मालों से तैयार सामानों के बाजार की तलाश में ही भारत की ओर आये और इसके माध्यम से उनका उद्देश्य था-अपनी समृद्धि।

19. ब्रिटिश काल में मुम्बई में निर्मित इण्डो सारसेनिक कला के दो भवन हैं-गेट वे ऑफ इंडिया एवं क्षत्रपति शिवाजी टर्मिनल।

20. (i) हिल स्टेशन स्वास्थ्यवर्द्धक जलवायु युक्त स्थान होता है।
(ii) जंगली उत्पाद प्राप्त होते हैं जिससे अर्थ उपार्जन होता है।
(iii) इन जगहों पर सस्ते मजदूर मिल जाते थे।
(iv) यहाँ के लोग भोले-भाले थे जिससे ब्रिटिश शासक उनसे अपनी बात मनवाकर आसानी से शोषण करते थे।

21. चम्पारण आंदोलन का कारण इस प्रकार है

(i) हर एक बीघे में तीन कट्ठा नील की खेती किसान को करना पड़ता था।
(ii) नील उत्पादित भूमि बंजर हो जाती थी।
(iii) नील की खेती पर अंग्रेज किसानों को कुछ नहीं देते थे।
(iv) नील्हें किसानों पर अंग्रेज अत्याचार काफी ज्यादा करते थे।

22. असहयोग आन्दोलन के निम्नलिखित कार्यक्रम थे
(i) सरकारी स्कूल, कॉलेजों का बहिष्कार करना।
(ii) सरकारी उपाधियों को लौटाना।
(iii) अदालतों एवं धारा ‘सभाओं का बहिष्कार करना।
(iv) विदेशी वस्तुओं एवं मतदान का बहिष्कार करना।
(v) स्वदेशी अपनाना।

23. फरवरी 1922 ई. में असहयोग आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया। गोरखपुर के चौरी-चौरा में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया। इसके विरोध । में प्रदर्शनकारियों ने थाने में आग लगा दी। फलस्वरूप 22 सिपाही जिंदा जल गए। गाँधीजी को इस हिंसक वारदात से गहरा धक्का लगा। अत: उन्होंने आंदोलन स्थगित कर दिया।

24. भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायक चार कारण इस प्रकार हैं –

(i) असहयोग आन्दोलन
(ii) सविनय अवज्ञा आन्दोलन
(iii) भारत छोड़ो आन्दोलन
(iv) हिन्दू-मुस्लिम एकता आदि कारणों ने स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

25. मुस्लिम लीग के अड़ियल रूख के कारण; 25 जून से 14 जुलाई 1945 तक चला शिमला सम्मेलन सर्वदलीय था, यह सम्मेलन असफल हो गया। इस सम्मेलन में 22 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इसका प्रतिनिधिमंडल को नेतृत्व अबुल कलाम आजाद ने किया था। किन्तु वायसराय की कार्यकारिणी में नियुक्ति को लेकर मुस्लिम लीग की जिद ने इस सम्मेलन को असफल बना दिया।

26. भारत का संविधान 26 जनवरी 1949 को बनकर तैयार हो गया था परन्तु उसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। इसका एक कारण था कि पं० जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस के दिसम्बर 1929 के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग का प्रस्ताव पास कराया था और 26 जनवरी 1930 का दिन ‘प्रथम स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में आजादी से पूर्व ही मनाया था। इसके बाद कांग्रेस ने हर वर्ष 26 जनवरी का दिन इसी रूप में मनाया था। इसी पवित्र दिवस की याद ताजा रखने के लिए संविधान को 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू करने का निर्णय किया था।

27. कश्मीर प्रांत एवं तिब्बत प्रांत के भाग अलग होकर पाकिस्तान अधिराज्य एवं भारतीय संघ बने।

28. कस्बा या उपनगर मानवीय अविस्थापन्नता का ऐसा स्वरूप है जिसमें ग्रामीण या नगरीय दोनों प्रकार की विशेषताएँ साथ-साथ देखी जाती हैं। इस क्षेत्र को हम पूरी तरह से न तो गाँव कह सकते हैं और न ही नगर। बड़े गाँव में जब नगरीय प्रवृत्तियों और गतिविधियों का समावेश होता है और इनके क्रियाकलापों का स्वरूप व्यापक होने लगता है तब हम ऐसे गाँव को कस्बे की संज्ञा देते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की विभिन्न आवश्यकताओं को यह क्षेत्र पूर्ण करते हैं। कस्बे की जनसंख्या 5000 निर्धारित की गयी है जबकि गंज कस्बे से भिन्न है। गंज में उक्त विशेषताओं का अभाव है।

29. 1942 ई० में गाँधीजी ने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ चलाया। वे चाहते थे कि अंग्रेज भारत छोड़ कर सदा के लिए चले जायें। हमको उनके संवैधानिक सुधारों या अन्य किसी चीज की जरूरत नहीं है। अतः 1942 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध स्थान-स्थान पर उग्र प्रदर्शन होने लगे। ज्यों-ज्यों सरकार का दमन-चक्र तेज चलता जाता, त्यों-त्यों निहत्थी जनता में प्रतिरोध की भावना बढ़ती जाती।

30. गाँधीजी भारत विभाजन् के घोर विरोधी थे। वे कहा करते थे कि भारत का विभाजन मेरी कब्र पर होगा। उनकी इच्छा थी कि भारत की राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता निरन्तर बनी रहे। पाकिस्तान बनाये जाने के विरोध में उनकी दलील थी कि कैबिनेट मिशन के प्रस्तावों में वे बीज मौजूद हैं, जो इस देश को ऐसा महान बना देंगे, जिसमें कष्ट और दु:ख का नाम न होगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

31. चन्द्रगुप्त मौर्य भारत में मौर्य साम्राज्य का संस्थापक था। चन्द्रगुप्त मौर्य – भारत के उन महानतम सम्राटों में हैं जिन्होंने अपने व्यक्तित्व तथा कृतियों से इतिहास के पृष्ठों में क्रांतिकारी परिवर्तन उत्पन्न किया है। उसका उदय वस्तुतः – इतिहास की एक रोमांचकारी घटना है। देश को दासता से मुक्त करने तथा नन्दों के घृणित एवं अत्याचारापूर्ण शासन से जनता को त्राण दिलाने तथा देश को राजनीतिक एकता के सूत्र में संगठित करने का श्रेय इसी सम्राट को प्राप्त है।
चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान की सीमा से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई० पूर्व में चन्द्रगुप्त का सेल्यूकस से युद्ध हुआ जिसमें सेल्यूकस पराजित हुआ। सेल्यूकस ने अपना एक राजदूत मेगास्थनीज को चन्द्रगुप्त के दरबार म में भेजा था।
सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त को आकोर्सिया (कंधार), परोपनिसके (काबुल), एरिया (हेरात) एवं गेड्रोसिया (ब्लूचिस्तान). का प्रांत सौंप दिया था।
चन्द्रगुप्त मौर्य अपने गुरु चाणक्य की सहायता से नन्दवंश का समूल नष्ट कर भारत में मौर्य वंश की नींव डाली थी। प्लूटार्क का कथन है कि ‘चन्द्रगुप्त ने 6 लाख सैनिकों को लेकर सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला।
चन्द्रगुप्त एक महान विजेता, साम्राज्य निर्माता एवं कुशल प्रशासक था। उसने देश में पहली बार सुसंगठित शासन व्यवस्था की स्थापना की और वह व्यवस्था इतनी उच्च कोटि की थी कि आगे आने वाली पीढ़ियों के आदर्श स्वरूप बनी रही। जैन परम्पराओं के अनुसार अपने जीवन के अंतिम दिनों में वह जैन हो गया तथा भद्रवाहू की शिष्यता ग्रहण कर ली। 298 ई० पूर्व में उसने जैन विधि से उपवास कर अपना प्राण त्याग दिया।

32. जैनों के 24वें तथा अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी थे जो जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक भी माने जाते हैं। महावीर का जन्म 540 ई. पूर्व वैशाली के निकट कुंडग्राम में हुआ था। उनके पिता सिद्धार्थ (जाति) ज्ञातृक क्षत्रिय कुल के प्रधान थे। उनकी माता त्रिशला वैशाली की लिच्छवी राजकुमारी थी। महावीर का विवाह यशोदा नामक राजकुमारी से हुआ था। सत्य की तलाश में महावीर 30 वर्ष की आयु में गृह त्याग कर सन्यासी हो गये। 12 वर्ष की गहन तपस्या के बाद जम्मियग्राम के निकट जुणलिक नदी के तट पर एक साल वृक्ष के नीचे कैवल्य (सर्वोच्च ज्ञान) प्राप्त हुआ। महावीर की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में राजगृह के निकट पावापुरी में 468 ई. पूर्व में हुई।

जैन धर्म के सिद्धान्त – महावीर ने पंच महाव्रत के सिद्धान्त पर अधिक बल दिया। जैन-धर्म में अहिंसा का प्रमुख स्थान है। हिंसा करना पाप समझा जाता है। इसके अतिरिक्त किसी व्यक्ति को हिंसा के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
दूसरा महाव्रत अस्तेय है। इसका अर्थ यह है कि बिना आज्ञा या अनुमति के किसी भी वस्तु को नहीं लेना चाहिए।
चौथा महाव्रत अपरिग्रह है। इसका अर्थ है आवश्यकता से अधिक धन का संग्रह नहीं करना चाहिए।
पाँचवाँ महाव्रत ब्रह्मचर्य है। इसका अर्थ सभी विषय-वासनाओं का परित्याग करना है। ब्रह्मचर्य द्वारा ही चरित्र का निर्माण हो सकता है।
पाँच महाव्रतों के अतिरिक्त जैन धर्म में तपस्या पर भी अधिक बल दिया गया है। तपस्या द्वारा इन्द्रियों को वश में किया जा सकता है। अपने शरीर को कष्ट देना ही तपस्या है। पापों का प्रायश्चित करने के लिए विनय, सेवा, ध्यान एवं स्वाध्याय है। जैन सम्प्रदाय के लोग अनेक कठोर भौतिक आचरण के नियमों का अनुसरण करते हैं। महावीर जैनियों को नियमित, अनुशासित एवं अनासक्त जीवन व्यतीत करने के लिए उपदेश देते थे।
इस प्रकार,जैन धर्म के आदर्श सरल, सुबोध एवं व्यावहारिक थे। महावीर ने ब्रह्मचर्य और गृहस्थ जीवन पालन करने के लिए साधारण आदर्श लोगों के सामने रखा था। इस नियमों का पालन बिना किसी कठिनाई के किया जा सकता है। इन नियमों में यज्ञ और बलि आदि का कोई स्थान नहीं था और ब्राह्मणों की सर्वोपरिता ठुकरा दी गई थी। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य-ये सभी नियम अत्यन्त प्रिय थे और इनका पालन करना आसान था। जैन धर्म में जाति-पाँति और ऊँच-नीच का कोई स्थान नहीं था। समाज के सभी लोग इस धर्म के आदर्शों का पालन कर मोक्ष प्राप्त सकते थे। महावीर ने जैन धर्मावलम्बियों का एक संघ गठित किया, जिनके कठोर नियमों का पालन प्रत्येक सदस्य को करना पड़ता था। महावीर के प्रयत्न के कारण जैन धर्म का काफी प्रचार हुआ।

33. मुगल काल में जमींदारों की भूमिका (Role of Zamindars Mughal India)

(i) कृषि उत्पादन में सीधे हिस्सेदारी नहीं करते थे। ये जमींदार थे जोअपनी जमीन के मालिक होते थे और जिन्हें ग्रामीण समाज में ऊँची हैसियत की वजह से कुछ खास सामाजिक और आर्थिक सुविधाएँ मिली हुई थीं। जमींदारों की बढ़ी हुई हैसियत के पीछे एक कारण जाति था; दूसरा कारण यह था कि वे लोग राज्य को कुछ खास किस्म की सेवाएँ (खिदमत) देते थे।

(ii) जमींदारों की समृद्धि की वजह थी उसकी विस्तृत व्यक्तिगत जमीन। इन्हें मिल्कियत कहते थे, यानी संपत्ति मिल्कियत जमीन पर जमींदार के निजी इस्तेमाल के लिए खेती होती थी। अक्सर इन जमीनों पर दिहाड़ी मजदूर या पराधीन मजदूर काम करते थे। जमींदार अपनी मर्जी के मुताबिक इन जमीनों को बेच सकते थे, किसी और के नाम कर सकते थे या उन्हें गिरवी रख सकते थे।

(iii) जमींदारों की ताकत इस बात से भी थी कि वे अक्सर राज्य की ओर से कर वसूल कर सकते थे। इसके बदले उन्हें वित्तीय मुआवजा मिलता था। सैनिक संसाधन उनकी ताकत का एक और जरिया था। ज्यादातर जमींदारों के पास अपने किले भी थे और अपनी सैनिक टुकड़ियाँ भी जिसमें घुड़सवारों, तोपखाने और पैदल सिपाहियों के जत्थे होते थे।

(iv) इस तरह, अगर हम मुगलकालीन गाँवों में सामाजिक संबंधों की कल्पना एक पिरामिड के रूप में करें, तो जमींदार इसके संकरे शीर्ष का हिस्सा था।

(v) अबुल फजल इस ओर इशारा करता है कि “ऊँची जाति” के ब्रह्माण-राजपूत गठबंधन ने ग्रामीण समाज पर पहले अपना ठोस नियंत्रण बना रखा था। इसमें तथाकथित मध्यम जातियों की भी खासी नुमाइंदगी थी जैसा कि हमने पहले देखा है, और इसी तरह कई मुसलमान जमींदारों की भी।

(vi) समसामयिक दस्तावेजों से ऐसा लगता है कि जंग में जीत जमींदार की उत्पत्ति का संभावित स्रोत रहा होगा। अक्सर, जमींदारी फैलाने का एक तरीका था ताकतवर सैनिक सरदारों द्वारा कमजोर लोगों को बेदखल करना। मगर इसकी संभावना कम ही है कि किसी जमींदार को इतने आक्रामक रूख की इजाजत राज्य देता हो जब तक कि वह राज्यादेश (सनद) के जरिये इसकी पुष्टि पहलेही नहीं कर दी गई हो।

(vii) इससे भी महत्त्वपूर्ण थी जमींदारी को पुख्ता करने की धीमी प्रक्रिया।स्रोतों में इसके दस्तावेज भी शामिल हैं। यह कई तरीके से किया जा सकता था। नयी जमीनों को बसाकर (जंगल-बारी), अधिकारों के हस्तांतरण के जरिये, राज्य के आदेश से, या फिर खरीद कर।

(viii) यही वे प्रक्रियाएँ थीं जिनके जरिये अपेक्षाकृत “निचली” जातियों के लोग भी जमींदारों के दर्जे में दाखिल हो सकते थे क्योंकि इस काल में जमींदारी धड़ल्ले से खरीदी और बेची जाती थी।

(ix) कई कारणों ने मिलकर परिवार या वंश पर आधारित जमींदारियोंको पुख्ता होने का मौका दिया। मसलन, राजपुतों और जाटों ने ऐसी रणनीति अपनाकर उत्तर भारत में जमीन की बड़ी-बड़ी पट्टियों पर अपना नियंत्रण पुख्ता किया। इसी तरह दक्षिण-पश्चिम बंगाल में किसान-पशुचारियों (जैसे, सदगोप) ने ताकतवर जमींदारियाँ खड़ी की।

(x) जमींदारों ने खेती लायक जमीनों को बसाने में अगुआई की और खेतिहरों को खेती के साजो-सामान व उधार देकर वहाँ बसने में भी मदद की। जमींदारी की खरीद-फरोख्त से गाँवों के मुद्रीकरण की प्रक्रिया में तेजी आई। इसके अलावा, जमींदार अपनी मिल्कियत की जमीनों की फसल भी बेचते थे। ऐसे सबूत हैं जो दिखाते हैं कि जमींदार अक्सर बाजार (हाट) स्थापित करते थे जहाँ किसान भी अपनी फसलें बेचने आते थे।

(xi) यद्यपि इसमें कोई शक नहीं कि जमींदार शोषण करने वाला तबका था लेकिन किसानों से उनके रिश्तों में पारस्परिकता, पैतृकवाद और संरक्षण का पुट था। दो पहलू इस बात की पुष्टि करते हैं। एक तो ये कि भक्ति संतों ने यहाँ बड़ी बेबाकी से जातिगत और दूसरी किस्मों के अत्याचारों की निंदा की।
वहीं उन्होंने जमींदारों को (या फिर, दिलचस्प बात है, साहूकारों को) किसानों को शोषक या उन पर अत्याचार करने वाले के रूप में नहीं दिखाया।
आमतौर पर राज्य का राजस्व अधिकारी ही उनके गुस्से का निशाना बना। दूसरे, सत्रहवीं सदी में भारी संख्या में कृषि विद्रोह हुए और उनमें राज्य के खिलाफ जमींदारों को अक्सर किसानों का समर्थन मिला।

34. 1793 ई. में लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा बिहार, बंगाल, उड़ीसा में-भूराजस्व की स्थायी बन्दोबस्त व्यवस्था लागू की गई। इसमें जमींदारों को भूमि का साथी मानते हुए उन्हें नियत तिथि पर निश्चित राजस्व सरकार के पास जमा करना पड़ता था। राजस्व दर सरकार बढ़ा नहीं सकती थी। कम्पनी को आशा थी कि इससे उसकी आय निश्चित हो जायेगी और बार-बार बंदोबस्ती की व्यवस्था से भी छुटकारा मिल जायेगा। परन्तु कर की मात्रा अधिक होने पर जमींदारों द्वारा कृषि सम्बन्ध में सुधार न होने से इस व्यवस्था के परिणाम सुखद नहीं रहे।

35. ईस्ट इण्डिया कम्पनी के भारत में दो प्रमुख कार्य थे, साम्राज्य विस्तार तथा व्यापारिक शोषण। अंग्रेजों की धनलोलुपता की कोई सीमा नहीं थी। उस समस्त शोषण नीति के संचित प्रभाव से भारत में सभी वर्गों रियासतों के राजाओं, सैनिकों, जमींदारों, कृषकों, व्यापारियों, ब्राह्मणों तथा मौलवियों सभी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। अंग्रेज के कारण हिंदू और मुसलमान दोनों के प्रिय चार प्रमुख तत्वों धर्म, मान, जीवन और सम्पत्ति सभी को भय उत्पन्न हो गया था। भारतीय का रोष उन्हीं सब कारणों के प्ररिप्रेक्ष्य में 1857 के विद्रोह के रूप में प्रस्फुटित हुआ। कुछ प्रमुख इस प्रकार है-

(i) ऐंग्लो इण्डियन इतिहासकारों ने सैनिक असंतोषों तथा चर्बी कारतूसों को ही 1857 के विद्रोह का सबसे मुख्य कारण माना। आधुनिक भारतीय इतिहासकार ने यह साबित किया कि चर्बी वाले कारतूस ही उस विद्रोह का एकमात्र कारण नहीं था। विद्रोह के कारण अधिक गूढ थे। चर्बी वाले कारतूस और सैनिकों का विद्रोह तो केवल एक चिंगारी जिसने उन समस्त विस्फोटक पदार्थों को जो राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक कारणों से एकत्रित
हुए थे, आग गला दी और वह दावानल का रूप धारण कर लिया।

(ii) डलहौजी की हड़प नीति ने राजाओं को व्याकुल कर दिया था। हिन्दु राजाओं से दत्तक पुत्र लेने का अधिकार छिन लिया गया था। सतरा, जैतपुर,
सम्भलपुर, झांसी और नागपुर व्ययगत सिद्धान्त ‘Doctrine of lapse’ के तहत विलय कर लिए गए।

(iii) भारतीय रियासतों के विलय के बहुत से सामाजिक और आर्थिक प्रभाव हुए। भारतीय अभिजात वर्ग शक्ति और पदवी से वंचित हो गया। नवीन प्रशासनिक व्यवस्था में उन्हें वही प्राचीन सम्मान प्राप्त करने के अवसर बहुत कम थे उस व्यवस्था के ऊँचे-ऊँचे पद केवल अंग्रेजों के लिए सुरक्षित होते थे।

(iv) सेना में ऊँचा से ऊँचा पद जो किसी भारतीय को मिल सकता था वह सबेदार का था। जिसमें 60 अथवा 70 रु० वेतन मिलता था।भारतीयों के लिए पद-वृद्धि को अवसर बहुत ही कम थे। सैनिकों के बीच भेदभाव विद्यमान था जिसमें भारतीय सैनिकों में असंतोष था।

(iv) अंग्रेजों की आर्थिक नीतियाँ भी भारतीय व्यापार और उद्योग के विरुद्ध थी। ईस्ट इण्डिया कंपनी के राजनीतिक शक्ति के प्रयोग से भारतीय हस्तशिल्प और व्यापार का सर्वनाश हो गया।

(v) यूरोपीय अधिकारी वर्ग भारतीयों के प्रति बहुत कठोर तथा असहनीय थे। वे भारतीयों को काले अथवा सूअर की संज्ञा देते थे। ।
उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में हम कह सकते हैं कि 1857 का विद्रोह एक आकस्मिक घटना नहीं थी उसके पीछे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, सैनिक कारण विद्यमान थे।

36. असहयोग आंदोलन का पृष्ठभूमि में अनेक कारण थे जिनका वर्णन निम्नलिखित तथ्य बिन्दुओं के अंतर्गत किया जा सकता है –

(i) युद्ध के बाद भारतीयों में असंतोष – प्रथम विश्वयुद्ध के समय में भारत ने ब्रिटिश सरकार को पूर्ण सहयोग दिया था। ब्रिटेन में यह युद्ध स्वतंत्रता और प्रजातंत्र की रक्षा के नाम पर लड़ा था। ब्रिटिश वियज में भारतीयों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे स्वयं अंग्रेजों ने स्वीकार किया था। भारतवासियों को यह विश्वास था कि युद्ध समाप्ति पर ब्रिटेन संसार को दिये गए अपने । वचनों का पालन करेगा। भारत के अधिकांश जागरूक व्यक्ति यह आशा करने लगे कि उन्हें “स्व-शासन” अब मिलने ही वाला है परन्तु स्वायत्त शासन के नाम पर भारत को माण्टफोर्ड सुधार दिये गए जिससे कि भारतीयों में असंतोष फैला जो कि असहयोग आन्दोलन का एक कारण बना।

(ii) भारतीय अर्थव्यवस्था पर युद्ध का प्रभाव – प्रथम विश्वयुद्ध का आर्थिक परिणाम भी बड़ा बुरा हुआ। सभी आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो गया। इस अभाव के कारण वस्तुओं का मूल्य बढ़ गया, चोर बाजारी बढ़ गयी थी। विभिन्न उपायों द्वारा सरकार ने जनता से युद्ध के लिए धन एकत्र किया था। करों में भी वृद्धि कर दी गयी थी। इन कारणों से जनता को भयंकर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था। युद्ध के बाद प्लेग, इन्फ्लूएंजा आदि महामारियों का प्रकोप हुआ। इसी समय देश को भयंकर आकाल का भी सामना करना पड़ा। फलतः जनता की आर्थिक स्थिति बहुत ही सोचनीय हो गई। इस आर्थिक असंतोष के कारण कई जगहों पर बलवे हुए, हड़तालें हुई और भूखी जनता ने लूट-पाट भी की। अतः हम कह सकते हैं कि आर्थिक असंतोष ने लोगों में अंग्रेजों के प्रति घृणा पैदा कर दी। फलतः सभी लोग असहयोग के लिए तैयार हो गए।

(iii) सेना संबंधी नीति – युद्ध के दौरान लोगों को सेना में भर्ती होने के लिए बाध्य कर दिया गया। लेकिन युद्ध की समाप्ति के बाद बहुत से सैनिकों को नौकरी से अलग कर दिया गया। फलतः लोगों में असंतोष फैला जो कि असहयोग आन्दोलन का एक कारण बना।

(iv) सरकार की दमनकारी नीति – असहयोग आंदोलन का एक महत्त्वपूर्ण कारण सरकार की दमनकारी नीति भी थी। शासन के द्वारा एक ओर तो युद्ध में सहायता प्राप्त करने का प्रयत्न किया जा रहा था, दूसरी ओर वह निर्ममता पूर्वक दमन चक्र का प्रयोग कर रही थी। राष्ट्रीय आन्दोलन को कुचलने के लिए शासन द्वारा प्रेस अधिनियम और द्रोहात्मक अधिनियम का सहारा लिया गया। बंगाल और पंजाब में इस दमन चक्र का खुलकर प्रयोग किया जा रहा था और सरकार के इन दमन कार्यों ने क्रांतिकारियों के दृढ़ संगठन को जन्म दिया।

(v) रॉलेट ऐक्ट – युद्ध के दौरान भारत में क्रांतिकारी सक्रिय रहे। उन्हें दबाने के लिए अंग्रेजों ने विशिष्ट अधिकारों के अंतर्गत अपना दमन-चक्र चलाया। युद्ध के बाद इस दमनचक्र की कोई आवश्यकता नहीं थी। परन्तु शासन क्रांतिकारियों के भय से आतंकित था। उसने अपना दमन चक्र बन्द नहीं किया बल्कि इसको विधिवत् रूप देने के लिए उसने एक आयोग स्थापित किया। आयोग की अध्यक्षता सर सिडनी रॉलेट ने की। अप्रैल 1918 में रॉलेट महोदय ने अपनी रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर रॉलेट अधिनियम पास किया गया। इस अधिनियम के अनुसार शासन को किसी भी व्यक्ति को संदिग्ध घोषित कर, बिना दोषी सिद्ध किये, जेल में बंद करने का अधिकार दिया गया।
महात्मा गाँधी ने घोषणा की कि वे इस काले कानून के विरोध में आंदोलन चलायेंगे। अत: उन्होंने घोषणा की कि 6 अप्रैल को सारे भारत में रॉलेट अधिनियम को ‘मातम दिवस’ मनाया जाय। उनकी पुकार पर भारत के अनेक नगरों में हडतालें और प्रदर्शन हुए। इन आन्दोलन की तीव्रता को देखकर शासन ने गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया। परन्तु गाँधीजी की गिरफ्तारी ने आग में घी का काम किया। यद्यपि गाँधींजी तो छोड़ दिये गए लेकिन अंग्रेजों की पाशविकता बढ़ गई। जिसके फलस्वरूप पंजाब में जालियाँवाला बाग काण्ड हुआ।

(vi) जालियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (1919) – जालियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने आग में घी का काम किया। 10 अप्रैल 1919 को पंजाब के प्रसिद्ध नेता डॉ. सत्यपाल तथा किचलू को गिरफ्तार करके किसी अज्ञात स्थान में भेज दिया गया। उसी के विरोध में 13 अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन अमृतसर के जालियाँवाला बाग में एक सभा की गई। हालांकि, जनरल डायर ने इस सभा को अवैध घोषित किया था, लेकिन जनता को बाग में एकत्रित होने दिया। जब उसमें हजारों व्यक्ति एकत्रित हो गये तो जनरल डायर 100 भारतीय तथा 50 अंग्रेज सैनिकों को लेकर जालियाँवाला बाग में घुस गया और बिना कोई चेतावनी दिए अपने सिपाहियों से निहत्थी और शांतिमयी सभा पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। हजारों स्त्री, पुरुष और बच्चे इस सभा में एकत्रित हुए थे। बाग से – निकलने के लिए एक ही मार्ग था। उसको भी जनरल डायर ने रोक लिया था। परिणामस्वरूप लोग भागने में असमर्थ रहे। फलस्वरूप सरकारी आँकड़े के अनुसार 379 लोग मारे गये और लगभग 200 घायल हुए, जबकि सेवा समिति के अनुसार मारे जाने वालों की संख्या 500 तथा पंजाब चैम्बसर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रत्यक्षदर्शी लाला गिरधारी लाल के अनुसार उनकी संख्या 1000 थी।
अमृतसर के अतिरिक्त लाहौर, कसूर एवं गुजरेंवाला में भी हिंसा भड़की तथा पंजाब के पाँच जिलों में मार्शल लॉ लगा दिया गया। अमृतसर के जालियाँवाला बाग हत्याकाण्ड का भारतीय जनता के हृदयों पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ा जिसकी प्रतिक्रिया हमें असहयोग आंदोलन के रूप में देखने को मिला। .

(vii) हंटर कमिटी की रिपोर्ट – इस घटना से गाँधीजी को बड़ा क्षोभ . हुआ और उन्होंने अंग्रेजी सरकार से मांग की कि भारत के वायसराय को वापस बला लिया जाय तथा इस हत्याकाण्ड के लिए उत्तरदायी अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्यवाही. की जाय। जाँच के लिये नियुक्त हंडर समिति की रिपोर्ट के द्वारा अधिकारियों के कुकृत्य को न्यायपूर्ण ही ठहराया जाय। ब्रिटेन की लॉर्डसभा ने जनरल डायर को ब्रिटिश साम्राज्य का शेर कहा तो ब्रिटिश इण्डियन प्रेस ने उसे ब्रिटिश राज्य का रक्षक माना। ऐसी दशा में पंजाब की घटनाओं तथा संरकारी नीति के कारण एक ऐसे वातावरण का निर्माण हुआ, जिसमें क्षुब्धता एवं विरोध की लहर सी दौड़ गयी जिसका परिणाम हमें असहयोग आंदोलन के रूप में मिला।

(viii) खिलाफत आन्दोलन – महासमर में तुर्की मित्र राष्ट्र के विरोध में लड़ा था। मुसलमान उसे अपना धर्म गुरु समझते थे। मित्रराष्ट्रों की ओर होना भारतीय मुसलमानों के लिए अपनी धर्म गुरु का विरोध करना था। भारतीय मुसलमानों की ओर से तुर्की के खलीफा की खिलाफत में सम्मिलित होने का , निश्चय किया था। परिणामस्वरूप हिन्दुओं तथा मुसलमानों में एक प्रकार की । मैत्री स्थापित हो गयी और इस प्रकार खिलाफ आन्दोलन देशव्यापी बना।
इन्हीं सब कारणों के चलते काँग्रेस ने 1920 ई. के नागपुर अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन चलाने का प्रस्ताव स्वीकार किया और गाँधीजी को नेतृत्व करने को कहा। इस प्रकार राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में एक नये अध्याय की शुरूआत हुई। पटाभिसितारमैया ने लिखा है कि “नागपुर काँग्रेस से वास्तव में एक नवीन युग का प्रादुर्भाव होता है। निर्बल, क्रोध और आग्रह भारत के इतिहास में पूर्ण प्रार्थनाओं का स्थान उत्तरदायित्व के एक नवीन भाव तथा स्वावलम्बन की एक नवीन भावना ने ले लिया।

37. (i) सुभाषचन्द्र बोस ने ‘आजाद हिन्द फौज’ का गठन अंग्रेजों के साथ सशस्त्र संघर्ष के लिए किया था। दूसरे विश्व युद्ध के शुरू होते ही सुभाषचन्द्र बोस को उनका कलकत्ता (कोलकाता) स्थित निवास पर नजरबंद कर दिया गया जिससे कि वे अपनी क्रांतिकारी गतिविधियाँ अंग्रेजों के विरुद्ध प्रयुक्त न चला सकें।

(ii) 1941 ई. में अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंककर वे अफगानिस्तान के मार्ग से जर्मनी पहुँच गये। 1943 ई. में बर्मा पहुँचकर जापान द्वारा बंदी किए गये भारतीय सैनिकों को संगठित करके ‘आजाद हिन्द फौज’ का गठन किया।

(iii) लोग प्यार से सुभाषचन्द्र बोस को नेताजी कहते थे। नेताजी ने युवकों को ललकारा और कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”। उन्होंने अंग्रेजों की भारत से बाहर निकालने के लिए विदेशों से भी सहायता ली।

(iv) 1945 ई. में जापान की पराजय के बाद भारत की सीमा तक पहुँची हुई आजाद हिन्द फौज के पाँव उखड़ गये। अतः आजाद हिन्द फौज (Indian National Army) के कई बड़े सैनिक अधिकारी और सिपाही को अंग्रेजों ने पकड़ लिए।

38. दूसरे विश्व युद्ध में भारत को बिना भारतीय नेताओं से पूछे घसीट लिए जाने के विरोध में जब कांग्रेस मंत्रिमण्डलों ने प्रांतों से त्यागपत्र दे दिए तो जिन्ना और उसकी मुस्लिम लीग खुश हुई। उसने उस दिन को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया। लीग सरकार ने वायदा चाहा कि भारत से सम्बन्धित संविधान समस्या पर नए सिरे से पुनःविचार करेगी और बिना मुस्लिम लीग के नेताओं को विश्वास में लिए हुए कांग्रेस. को नए संविधान बनाने का अधिकार नहीं देगी। मार्च 1940 में जिन्ना की अध्यक्षता में मुस्लिम लीग ने ‘द्वि राष्ट्र सिद्धान्त’ की घोषणा की जिसके अनुसार कहा गया कि भारत में हिन्दू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं और किसी भी क्षेत्र में उनके हित एक जैसे नहीं हैं। जिन्ना के अनुसार पाकिस्तान का गठन ही भारत में साम्प्रदायिक समस्या का स्थायी समाधान है। जिन्ना के अनुसार उत्तरी-पूर्वी बंगाल, पश्चिमी बंगाल, सिंध और उत्तरी-पश्चिमी प्रांत वह क्षेत्र है। लगभग एक शताब्दी पहले 29 दिसम्बर, 1930 के इसी प्रकार के विचारों को मोहम्मद इकबाल ने प्रकट किया था।


 

You might also like